Love by ️️Duty Singham Series 3 - 30 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Love by ️️Duty Singham Series 3 - Part 30

Love by ️️Duty Singham Series 3 - Part 30

“हंटर,” उसी दिन बाद में नील ने फोन पर कहा। उसने पूरा दिन नर्मदा के साथ उसी घर में बिताया था पर उसने एक बार भी उसकी आँखों में नही देखा था। एक गहरी जलन महसूस होती थी उसको अपने सीने में जब भी वोह उसकी सवाल पूछती आँखो में देखता था।

“हे, इट्स जोए।” एक जानी पहचानी आवाज़ उसे अपने कान में फोन पर दूसरी साइड से सुनाई पड़ी।

“जोए, क्या काम है?“

“तुम ठीक हो?“ उस आदमी की आवाज़ सॉफ्ट थी जो की नील को उस इंसान को याद दिला रहा था जिस इंसान ने उसे परिवार का एहसास दिलाया था।

“मैं ठीक हूं। क्या तुम्हे वोह आदमी मिला?“ नील बेसब्र दिखने लगा था।

“हाँ, वोह एक हाई सिक्योरिटी के बीच हाई एंड प्राइवेट हॉस्पिटल में है,” जोए ने जवाब दिया।

“क्या?“

“कोई उसे जी जान लगा कर बचाना चाहता है बिलकुल उसी तरह जिस तरह तुम्हारा क्लाइंट उसे मारना चाहता है।” जोए परेशान साउंड कर रहा था।

बस एक बार नील किसी को मारने से पहले चूका था, और वोह तब हुआ जब एक महीने पहले उसने ट्रिगर दबाने से पहले उस आदमी का टैटू देख लिया था। उसे टास्क मिला था एक आदमी को मारने के लिए जो रोड साइड के एक होटल में रुका हुआ था।

जब से उसने शिकार करना शुरू किया था हर उस कमीने को मारने का जिसने कभी डीआईजी को मारने के बारे में सोचा भी होगा, यह उसका सिस्टम में रहने का तरीका था ताकी वोह हर एक किलर तक पहुँच जाए और उसे मार दे।

“कौन है वोह लोग और तुम्हारी टीम के पहुँचने से पहले वोह उस तक कैसे पहुँच गए?“ नील की डरी हुई सी आवाज़ उस छोटे से किचन में गूंज गई।

“सिंघम ब्रदर्स उसे बचा रहें हैं,” जोए ने फुसफुसाते हुए कहा ताकी कोई और उसकी बात सुन न ले।

“कौन है यह लोग?“

“नील, तुमने उसे जान से मारने के लिए क्यों शूट नही किया था?“ जोए ने वोह सवाल पूछा जो कब से उसके दिमाग में घूम रहा था।

“मुझे नही पता, जोए। न जाने क्यूं, एक ही चीज़ जानी पहचानी लग रही थी और वोह था उसकी गर्दन पर वोह टैटू,” नील ने धीरे से कहा।

“तुम्हे क्या लगता है यह तुम्हे कहां तक ले जाएगा?“

नील के पास जोए के सवाल का कोई जवाब नही था, वोह भाई जो उसे डीआईजी ने दिया था जब उन्होंने उसे गोद लिया था।

“क्या तुम्हे लगता है इस से हमे डैड का कातिल मिल जायेगा?“ जोए जानना चाहता था की ऐसा क्या है जिस वजह से नील ने उस आदमी को जिंदा रखा।

“नही....इस आदमी का कोई लेना देना नही है और उन गुंडों के ग्रुप से भी कोई लेना देना नही है....यह आदमी ऐसा लगता है की....“

“क्या यह आदमी तुम्हारा असली पिता हो सकता है?“ जोए बीच में बोल पड़ा।

“नही।” नील ने कभी अपने बायलॉजिकल पेरेंट्स के बारे में नही सोचा था। अनाथ आश्रम ही उसका घर था जहां से उस की यादें जुड़ी थी, पादरियों और बाकी के अनाथ बच्चे ही उसका परिवार थे।

“नील.... ऐसा क्यों नही हो सकता? यह अनाथाश्रम से ही कोई हो सकता है?“

“अगर यह अनाथाश्रम से ही है तो, मुझे इसकी कोई परवाह नहीं। तो मरने दो इसे।” नील बिना वजह ही गुस्सा होने लगा था, और वोह खिड़की की ओर से पलट गया जब उसे अपने पीछे नर्मदा खड़ी महसूस हुई।

“मुझे जाना पड़ेगा,” नील ने कहा और जोए के कुछ भी बात आगे बढ़ाने से पहले नील ने फोन कट कर दिया।

नर्मदा किचन में बीचोबीच खड़ी थी और नील को खिड़की के पास खड़े हुए देख रही थी। “मैं तुम्हे बीच में रुकावट नहीं डालना चाहती थी।”

“इट्स ओके,” नील ने धीरे से कहा और सामने की ओर देखने लगा। उसके सामने नर्मदा एक ढीली सी टी शर्ट में खड़ी थी— नील की टी शर्ट में— उसकी लंबी टांगे खुली थी।

नर्मदा नील को देखते हुए धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी। “तुम ठीक हो?“

“मैं ठीक हूं।”

“क्या मैं फोन यूज कर सकती हूं?“ उसने चहकते हुए पूछा।

“तुम्हे किसे फोन करना है?“

“ऑफ कोर्स राज। क्या ऐसा लगता है की मैं अपने पैरेंट्स को फोन करूंगी? नर्मदा ने छेड़ते हुए कहा।

नील ने अपने फोन में राज का नंबर डायल किया और फोन स्पीकर पर कर के उसे पकड़ा दिया।

“हंटर?“ दूसरी तरफ से चिढ़ती हुई सी आवाज़ आई जिसे सुन कर नर्मदा के लिए अपने एक्सप्रेशन सेम रखना मुश्किल था।

“हाय, यह मैं हूं,” नर्मदा ने नील की आँखों में देखते हुए सेडक्टिव टोन में कहा।

“माय स्वीट फ्लावर, हाउ आर यू?”

“आई एम फाइन। मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी।” नर्मदा ने धीरे से खुशी जताते हुए कहा।

“मैं सुन रहा हूं, माय प्योर फ्लावर।”

नर्मदा पूरी कोशिश कर रही थी की राज की बातों को इग्नोर कर सके। “मैं सोच रही थी उसके बारे में जो तुमने मुझसे कहा था, इससे पहले की तुम मुझसे मिलो उससे पहले मैं तुम्हे कुछ बताना चाहती हूं।”

नील असहजता से हल्का हिला जब नर्मदा उसके करीब आ गई और दोनो के बीच इंच भर का फासला रह गया था।

“बताओ मुझे, मैं इंतज़ार कर रहा हूं।”

“मुझे प्यार हो गया है, राज, और यह बहुत लंबे समय से है।”

“प्यार में?“ राज आवाज़ से एक्साइटेड लग रहा था।

“हाँ, मुझे प्यार हो गया है किसी और से, पर वोह इंसान मुझे प्यार नही करता।” नर्मदा ने झूठ मूठ का रोना जताया।

“ओह...“

“मुझे थोड़ा समय लगा, पर मुझे एहसास हो गया है की उसके पास दिल नही है, और उस से प्यार करने का कोई फायदा नही।“

“हाँ, बिलकुल।” राज ने उसे इनकरेज किया।

“मैं उस पत्थर दिल इंसान को भूलने की कोशिश करूंगी, पर मुझे समय चाहिए। मुझसे वादा करो की तुम मुझे समय दोगे।” नर्मदा ने नील को घूरते हुए कहा जो उसके पास ही खड़ा था, और अपने चेहरे पर कोई और ही नकाब ओढ़ रखा था।

“हाँ डार्लिंग, तुम्हे जितना समय लेना है लेलो। मैं तुम्हे मेरे घर में पूरी प्राइवेसी दूंगा।”

“तुम कितने अंडरस्टैंडिंग हो, राज। काश जिसे मैं प्यार करती हूं वोह भी ऐसा ही होता। वोही एक कारण था जो मैं देव सिंघम से या किसी और से शादी नही करना चाहती थी,” नर्मदा ने कहा और नोटिस किया की नील ने कुछ रिएक्शन दिया।

उसके रिएक्शन को और बढ़ाने के लिए, उसने नील की तरफ एक प्यारी सी मुस्कुराहट के साथ देखा और फोन कट करने से पहले राज से कहा, “बाय, राज, आई विल सी यू सून ।”

“येस, माय स्वीट पी, वेरी सून।”

नर्मदा अभी नील की आँखों में ही देख रही थी इस इंतजार में की शायद नील कुछ कहे, कुछ भी कहे।

“यह देव सिंघम कौन है?“














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कहानी अगले भाग में अभी जारी रहेगी...
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