Bhooto ka Dera - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

भूतों का डेरा - 3

कि मुर्दे भी सुनते हो घबराकर कब्रों से बाहर आ जाते पूरे मकान में मानो भूचाल आ गया । लेकिन सिपाही इस तरह शांत बैठा हुआ अखरोट खा रहा था और सिगार के कश लगा रहा था , जैसे उसे कुछ हुआ ही न हो।


अचानक दरवाजा खुला एक भूत ने कमरे के अंदर झांककर सिपाही को देखा और देखते ही चिल्लाया "



यहां तो एक आदमी बैठा है आ जाओ , दोस्तो , आज तो हमारी दावत का समान तैयार है !"

सारे भूतप्रेत धम धम करते उसी कमरे में घुस आये ,


जिसमे सिपाही बैठा था। वे दरवाजे के पास भीड़ लगाएं खड़े थे सिपाही को देख रहे थे और एक दूसरे को कोहनी मर मारकर कह रहे थे," हम इसकी हड्डी हड्डी नोच डालेंगे । कच्चा चबा जायेंगे।"

"बहुत बढ चढ़कर बाते न करो!" सिपाही ने कहा । "मै तुम जैसे बहुतों से निपट चुका हूं और एक एक को ठीक कर चुका हूं । जरा सोच संभलकर खाना मुझे कहीं ऐसा न हो कि गले में अटक जाऊं!" इस पर सबसे बड़ा भूत , जो शायद भूतों का सरदार था , दूसरों को धक्का देकर रास्ते से हटाता हुआ आगे आया और बोला तो आओ फिर हमारी तुम्हारी ताकत का इम्तहान हो जाये। "

"हां , हो जाये इम्तहान !"सिपाही ने कहा , फिर सिपाही ने थोड़ा सोचा और बोला ,क्या तुम लोगों में से कोई भी ऐसा है जो पत्थर को मुटठी में दबाकर उसका रस निकाल सकता है सभी भूत एक दूसरे को देखने लगे" फिर अचानक भूतों के सरदार ने order दिया की गली से एक पत्थर लाया जाये । एक भूत फौरन भागकर गया ओर एक पत्थर ले आया। उसने सिपाही को पत्थर देकर कहा,"हम भी देखे , कैसे दबाते है!" जो रस निकलने लगे

"पहले तुममें से कोई दबाएं
सिपाही ने कहा
मेरी बारी बाद में आयेगी।"

भूतों के सरदार ने लपककर पत्थर हाथ में ले लिया और फिर उसे इतने जोर से दबाया की वह चूर चुर हो गया ।

"देखा तुमने ।"

हा मेने देखा लेकिन पिक्चर अभी तो सुरू हुई है अब मेरी बारी है तो थोड़ा ध्यान से देखना

सिपाही ने अपने झोले में हाथ डाला और उसमे से भुना हुआ शलजम निकाला । ओर बोला ," देखो मेरा पत्थर तुम्हारे पत्थर से कितना जादा बड़ा है।"
ये सुनते ही सारे भूत बहुत ध्यान से देखने लगे कि अब क्या होने वाला है

ओर उसने शलजम को दबाकर उसका रस निकाल दिया।

"देखा तुमने ।"
सिपाही ने बोला ही था कि

सारे भूत देखकर दंग रह गये । और अचानक से एक सन्नाटा सा छा गया फिर कुछ देर बाद जब उनमे से एक ने देखा कि वो कुछ खा रहा है तो सिपाही से कहने लगे ," यह तुम खा क्या रहे हो?"
अखरोट
सिपाही ने कहा
क्या तुममें से कोई ऐसा है जो मेरे अखरोटों को तोड़ सके । ये सुनते ही भूतों का सरदार ने कहा मुझे दिखाओ अभी तोड़ कर दिखाता हु फिर सिपाही ने उसे अपनी बंदूक की एक गोली भूतो के सरदार को पकड़ा दी


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