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समझने जैसी बात

एक गांव मे एक बूढी औरत रहती थी जिसके तीन बेटे थे।उस औरत ने सारी जिंदगी राम या किसी भगवानजी का नाम नहीं लिया था.!बच्चे बड़े ही भाविक थे उनमे जो बड़ा लड़का था उसे अक्सर ये विचार आता था की ऐसा क्या करू जिससे मेरी माँ बस एक बार राम नाम ले ताकि उनका उधार हो जाये.!!वही छोटा लड़का था जो अक्सर कहा करता था,"अरे बड़े भईया वो कभी नाम नहीं लेंगी आप छोडो उन्हें.!"

एक दिन बड़ा जिद करके अपनी माँ को मंदिर ले गया और वहा उनसे पूछा, "बताओ माँ ये क्या है.?"

उसकी माँ ने कहा, "जहाँ गांव होता है वहा ऐसा होता ही है .!"वो आगे बढ़ी की लड़का सर झटका के आगे बढ़ा वहा अंदर सुन्दर रामजी की मूर्त थी जिसे दिखा वो लड़का वापस बोला,"बताओ माँ ये क्या है.?"बूढी माँ बोली,"हा तो जहा गांव होता है वहा ऐसा भी होता ही है.!"वो मंदिर से बाहर निकल आई ऐसे ही वक़्त बीत गया और उनकी मृत्यु हुई बड़े बेटे ने सोचा की माँ चाहे केसी भी रही हो, परन्तु मेरा कर्तव्य है उनको मोक्ष प्राप्त हो.!!इसलिए उसने पुरे परिवार को इकठा किया और बिठाया बात बताई जिसपे छोटा लड़का बोला,"सच बोल रहा हु भईया जिसने जीतेजी न राम का नाम लिया ना अच्छा काम किया वो मरने के पश्चात भी क्या ही करेगा तुम जिद छोड़ दो.!"पर क्युकी वो छोटा था उसकी बात को कोई मान्यता नहीं दी गई।बड़ा बेटा आधी अस्थिया एक कलश मे ले के निकल गया वही आधी अस्थिया घर पर एक छोटी सी डिब्बी मे रख दी.!!वो ट्रेन मे निकल गया हरिद्वार के लिए.!!

बड़ा बेटे की ट्रेन हरिद्वार से पहले दिल्ली पहुंची वो वही चाय नास्ता करने उतरा की अचानक उसे एक आदमी टकरा गया वो उसे पहचान के,"अरे मुन्ना.., तू.!"बड़ा बेटा हैरानी से देखने लगा की आप.?? तभी वो आदमी,"अरे मे चपंक तुमने पहचाना नहीं बचपन मे हम साथ पढ़ा करते है फिर नौकरी की वजह से यहां आया.!"

बड़ा बेटा :- अहं... हा याद आया केसा है तू.? दोनों गले मिले की उसका दोस्त जबरदस्ती उसे अपने घर ले गया.!बड़ा बेटा, "अरे मेरी बात तो सुन.!"

दोस्त चलते हुए, "नहीं सुनना बाबा तू चला आज की रात रुक जा कल वापस तुझे इसी ट्रेन मे बिठा दूंगा कर देना माँ की अस्थिया विसर्जित हरिद्वार मे.!!"वो उसे अपने घर ले गया वहा उसका ठेला रख अपने साथ घुमाया और दूसरे दिन वापस ट्रेन मे बिठा के उसे अलविदा कर दिया.!अब बड़ा बेटा हरिद्वार पहुंचा हर की पौड़ी पर अपनी माँ के लिए उसने पंडितो को बुलाया सभ बात चित के बाद उसने जैसे ही अपने ठेले मे अस्थिया निकाल ने हाथ डाला वहा कलश नहीं था.!!वो लड़का हैरान हो गया की पंडित :- महाशय सारी सामग्री हम ला दे किन्तु अस्थिया तो आपको ही लानी होंगी ना. वो हम कहा से निकालेंगे.!!"बड़ा बेटा बिलकुल निरुतर हो गया उसने क्षमा मांगी और पंडितो को दक्षिणा दे भेज दिया. 🤔🤔वो विचार करने लगा की आखिर कलश छूटा कहा.?? वो इसी सोच मे वापस दिल्ली आ पहुंचा की अपने उसी दोस्त के घर गया वहा वो दोस्त उसे देख ख़ुशी के साथ हैरान भी हुआ.!!

बड़े बेटे ने हिम्मत कर पूछ लिया,"बात ऐसी है दोस्त की माँ की अस्थियों का कलश कही मिल नहीं रहा तो.!"

दोस्त समझ गया की ये करसतानी उसकी बीवी की है क्युकी उसे अक्सर घर आये मेहमानों के बेग चेक कर कुछ ना कुछ चुरा लेने की आदत थी.!!वो खड़ा हुआ और अंदर अपनी बीवी से पूछने लगा, "सुनो, तुमने क्या कल बेग खोला था.!!"

"ना खोलू....!!"बीवी चिल्लाई की आदमी हाथ जोड़ 🙏🏻,"जरा धिरे बोल वो बाहर ही.!"

"हा तो सुनने दो उसे.!"बीवी और जोर से चिल्लाई,"कहे देती हु एक नहीं दस दोस्त लाना अच्छे घर की लड़की हु पर एसो को ना लाना देखा कल मेने खाना नॉन वेज बाहर खाते है और उसकी हड्डिया घर लाते है छी छी.!!"

बड़ा बेटा समझ गया वही दोस्त, "अरे पर वो कलश है कहा.?"बीवी चिल्लाते हुए,"कहा होगा आज सुबह गटर खुली थी बस फिर क्या दाल दिया उसमे मेने उस अशुद्धि को हुंह.!"दोस्त बिचारा क्या ही करें.!!वो मुँह लटका के बाहर आया की बड़ा बेटा उसके कंधे हाथ रख,"फ़िक्र मत करो वही गया है जहाँ उसे होना चाहिए.!"वो वापस घर लोट आया.!!

उसने सबको बताया की दूसरा बेटा बोला,"जाने दो इसबार हम सब एकसाथ चलते है.!और हा कही नहीं रुकेंगे. पर माँ की मुक्ति तो करवा के ही रहेंगे.!"माँ की बच गई हुई अस्थिया वाली डिबिया ले सबने ट्रेन मे रेजरवेशन करवा लिया सब एकसाथ निकले और सीधा हरिद्वार पहुंच गए वापस सब इकठा हुए.!!

दूसरे बेटे ने बोली कर दी,"देखिए पंडितजी हम पानी मे डिबिया ही प्रवाहित करेंगे.!"पंडितो ने कहा,"कोई बात नहीं जैसा आप चाहे.!"मंत्रोचरण हुआ विधिवत सभी बेटों ने डिबिया को गंगा जी के जल मे प्रवाहित किया जिसके बाद सभी गंगा स्नान करके वापस घर लोट आये.!!

अभी भी बड़ा बेटा संतुष्ट नहीं था उसे लग ही रहा था की कोई झोल हुआ है फिर भी दूसरे बेटे ने घर मे सत्यनारायण की कथा रखवाई जिसमे वो बैठ गया.!!हुआ यु की ज़ब कथा चल रही थी तब सबसे छोटी बहुरानी बहुत ख़ुश लग रही थी उसकी जेठानी आई और पूछने लगी,"लगता है आज बहुत ख़ुश हो.!!"

छोटी बहुरानी, "हा जीजी.., माँ गंगा तो सच मे गंगा ही है कहिये बिलकुल सत्य प्रमाण देती है.!!"

जेठानी का जी घबरा ने लगा वो "मतबल..??"

छोटी बहुरानी, "अरे मतबल ये जीजी, ज़ब आप सब गंगा स्नान कर रहे थे उस समय बड़े जेठजी और उनकी मर्यादा के चलते मे दूसरी और चली गई वहा के परवाह मे माँ गंगा ने मुझे डिबिया दी. देखो.!"

डिबिया देखते ही जेठानी ने सर फोड़ लिया और सबको बात बताइ के छोटा बेटा वापस बोला, "कह तो रहा हु जिसने जीते जी ना किया वो मरने के बाद क्या ही करेगा.!!"


यु तो ये बात रामकथा के वक्ता श्री मोरारीबापू ने कही के किन्तु उनकी बात का एक अर्थ सत्य निकलता है की जिस व्यक्ति ने जीतेजी कोई अच्छा कर्म ना किया, कभी किसी का गुणगान ना किया, कभी राम का नाम न लिया हो, उसके मरने के बाद भी वो वही रहेगा..!!मरने के पश्चात उसके पीछे कितने ही कर्म करो उसे बिलकुल नहीं मिलेगा.!!इसलिए जो अच्छे कर्म करने है वो अपने जीते जी करो.!!









........ वैसे बात अच्छी लगी तो इस्पे आपके क्या विचार है.,समीक्षाये दे के जरूर बताना.!!