Akhir wah kaun tha - Season 3 - Part - 6 in Hindi Women Focused by Ratna Pandey books and stories PDF | आख़िर वह कौन था - सीजन 3 - भाग - 6

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आख़िर वह कौन था - सीजन 3 - भाग - 6

उधर श्यामा का फ़ैसला अटल था। वह तलाक चाह रही थी पर बच्चों को बता नहीं पा रही थी; इसीलिए केस नहीं चला पा रही थी। चाहे जो भी हो श्यामा यह कतई नहीं चाहती थी कि बच्चे इस राज़ को जानें। आदर्श को भी यही डर खाए जा रहा था कि बच्चों को यह पता नहीं चलना चाहिए।

एक रात आदर्श ने श्यामा से कहा, “श्यामा यदि यही तुम्हारा अंतिम फ़ैसला है तो फिर क्या तुम मेरे ऊपर एक उपकार करोगी? मेरी एक बात मानोगी? यदि अलग ही होना है तो कोर्ट कचहरी क्यों करना है? हम आपसी समझौते के साथ ही अलग रह लेते हैं। इतने वर्षों के हमारे साथ में यदि तुम्हारे दिल में अब भी मेरे लिए किंचित मात्र भी प्यार है; तो इस बात को बच्चों तक मत पहुँचने देना वरना मैं आत्महत्या कर लूंगा।”

“आदर्श तुम्हारी काली करतूत तो मैं ख़ुद भी बच्चों को नहीं बताना चाहती वरना अभी तक तो कब का …! मेरे मुँह से उनके सामने यह शब्द कैसे निकल सकते हैं आदर्श कि तुम्हारे पिता ने एक सोलह साल की अकेली गरीब मज़दूर बच्ची की मजबूरी का फायदा उठा कर उसके साथ बलात्कार किया है। इस दुनिया में उनका एक सौतेला भाई भी है।”

इस समय श्यामा और आदर्श दोनों ही यह नहीं जानते थे कि अमित और स्वाति कमरे के बाहर दरवाज़े पर खड़े होकर उनकी यह सारी बातें सुन रहे हैं। श्यामा और आदर्श दोनों ही नहीं चाहते थे कि बच्चे यह राज़ जानें लेकिन यह राज़ अब राज़ कहाँ रहा था। अमित और स्वाति एक दूसरे की तरफ़ देख कर आँसू बहाते जा रहे थे। उन्हें ऐसा लग रहा था कि यह सब सुनने से पहले वह बहरे क्यों नहीं हो गए। एक दूसरे का हाथ पकड़ कर वह चुपचाप अपने कमरे में चले गए। आज की रात उनके लिए एक ऐसा तूफ़ान लेकर आई थी जिसके बवंडर में वे फँसते ही चले जा रहे थे। रात के घने अंधकार में धीरे-धीरे उनकी आँखें  बंद हो गईं। 

सुबह दोनों रोज़ की तरह ही थे। अमित ने श्यामा से कहा, “मम्मा मैं कुछ गरम नाश्ता लेने जा रहा हूँ। आप घर पर मत बनवाना। सभी के लिए लेकर आता हूँ।”

श्यामा ने कहा, “क्या हुआ अमित? क्या खाने का मन हो रहा है तुम्हारा?”

“मम्मा कचौरी समोसे खाना है।”

तब तक स्वाति की आवाज़ आई, “रुक जा अमित मैं भी चलूंगी तेरे साथ।”

“अच्छा जल्दी कर।”

“अभी आई,” कहते हुए अपनी मम्मा को इशारा करते हुए वह अमित के साथ चली गई।

यह तो दोनों भाई बहन के घर से बाहर जाने का बहाना मात्र ही था। बाहर निकलने के बाद स्वाति ने कहा, “अमित यह बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए कि हमने पापा मम्मा की बातें सुन ली हैं। सुना था ना पापा क्या कह रहे थे, यदि बच्चों को पता चला तो वह आत्महत्या कर लेंगे। हम चाहे आज उनसे कितनी भी घृणा क्यों ना कर रहे हों लेकिन वह आत्महत्या कर लें यह तो हम कभी नहीं चाहेंगे।”

“हाँ स्वाति तू ठीक कह रही है। इस राज़ को तो हमने अपने सीने में दफ़न कर ही लिया है लेकिन हमारा निर्णय मम्मा के साथ रहने का ही होगा और यही पापा की सज़ा होगी।”

 

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः