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जिन्नजादी - भाग 5

युसूफ अली लगातार मंत्रों का जाप करने लगता है।
युसूफ अली बहुत ही हिम्मत से परिस्थिति का सामना करता है।
साधना का पहला चरण पूरा होता है।

बिलाल साधना का दूसरा चरण आरंभ करता है।
जैसे ही साधना का दूसरा चरण आरंभ होता है।
वैसे हालत है और ज्यादा भयानक हो जाते हैं।
हर तरफ डर ही डर छा जाता है।
दूसरे चरण की साधना बहुत लंबी थी।
रात के 3:00 बज गए।
युसूफ अली ने अपना हौसला बनाए रखा था।

युसूफ अली मंत्रों का जाप करता ही रहता है।
जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था।
युसूफ अली को डरावनी आवाजों के साथ
कुछ भयानक चेहरे दिखाई देने लगती है।
उसके दिल में थोड़ी घबराहट आ जाती है।
लेकिन फिर भी वह अपना संतुलन बनाए रखता है।

सुबह के 6:00 बज जाते हैं।
लेकिन बिलाल और युसूफ अली
जिस गुफा में साधना कर रहे होते हैं।
वहां थोड़ी भी सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती
उस गुफा में हर तरफ सिर्फ का अंधेरा ही अंधेरा छाया होता है।
जैसे-जैसे साधना आगे बढ़ती जा रही थी।
वैसे हालत और भयानक होती जा रही थी।
अब गुफा की दीवारों में भी हलचल होने लगी थी।

युसूफ अली को हर तरफ साए दिखाई देने लगते हैं।
कुछ साए उसके करीब आकर
खौफनाक आवाजे निकाल कर
उसे डराने की कोशिश करते हैं।
लेकिन युसूफ अली बहुत ही हिम्मत से इन सब का सामना करता है।
ऐसे ही खौफनाक तरीके से दूसरा दिन गुजर जाता है रात होती है।

रात के तकरीबन 11:00 बज जाते हैं।
बिलाल साधना का तीसरा चरण आरंभ करता है।
तीसरा चरण आरंभ होते ही
जिन्न आने की आहट होती है।
थोड़े समय बाद
10 से 12 जिन्नातों की टोली
उस गुफा में बिलाल के सामने प्रकट होती है।

युसूफ अली यह नजारा देखकर पूरी तरीके से भयभीत हो जाता है।
डर के मारे उसके रोंगटे खड़े हो जाती है।
जिन्नातों का भयानक रूप देखकर
घबराहट के मारे युसूफ अली का पूरा जिस्म
कांपने लगता है।
मंत्रों की पठन की गति भी धीमी हो जाती है।

जिन्नात युसूफ अली को भयानक भयानक रूप धारण करके
डराने की बहुत कोशिश करते हैं।
युसूफ अली की भी अब हिम्मत
जवाब देने लगती है।
डर के मारे उसका बुरा हाल था।
लेकिन वह धीमी धीमी ही सही लेकिन मंत्रों का जाप जारी रखता है।

जिन्नात अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही थे
वह युसूफ अली को तकलीफ देने की पूरी कोशिश कर रहे थे।
बिलाल अपनी आंखें खोल देता है
और अपने गुलाम जिन्नातों को
शांत होने का हुक्म देता है।
अपने आका का हुक्म पाकर
सारी जिन्नात बिल्कुल खामोश हो जाते हैं।

बिलाल अपने गुलाम जिन्नातों को
साधना को सफल बनाने का हुक्म देता है।
सारी जिन्नात साधना सफल करने में लग जाते हैं।
देखते-देखते साधना की तीनों चरण पूरे होते हैं।
और साधना सफल हो जाती है।

बिलाल युसूफ अली से कहता है
हमारी साधना सफल हुई
अब हम उस भूतिया गांव में जाकर
उस खूंखार शैतान के बारे में बारे में
सब कुछ जान सकते हैं।
और उसे खत्म करने का तरीका भी पास सकते हैं।
और शायद उसे खत्म करके सायरा की जान बचा सकते हैं।

हमारे पास वक्त बहुत कम है।
हमें जल्द से जल्द एक भूतिया गांव में जाना होगा
हम कल ही उस भूतिया गांव की तरफ निकल पड़ते हैं।
युसूफ अली कहता है ठीक है चाचू।

बिलाल और युसूफ अली
जंगल की गुफा से अपने घर की तरफ निकल पड़ते हैं।
घर पहुंचने के बाद वह दोनों खाना खाकर आराम करते हैं।
दूसरे दिन सुबह-सुबह
बिलाल और युसूफ अली अपना सारा काम निपटा कर।
उस भूतिया गांव की तरफ निकल पड़ते हैं।
सफर बहुत लंबा था।
4 दिन बाद वह दोनों उस भूतिया गांव की करीब जा पहुंचे हैं।

पास के गांव से वह दोनों इस भूतिया गांव के बारे में
जानकारी इकट्ठा करने लगते हैं।
जिस से भी उन्होंने उस भूतिया गांव के बारे में पूछा।
किसी की भी हिम्मत नहीं हुई कुछ बताने की।
जिससे जिससे इन्होंने पूछा सबने ही उस भूतिया गांव से दूर रहने की हिदायत दी।

लेकिन बिलाल और युसूफ अली को
उस भूतिया गांव में जाना ही जाना था।
शाम के 7:00 बजे वह दोनों उस भूतिया गांव के अंदर दाखिल होते हैं।
अंदर जाकर देखते हैं
तो सारा गांव वीरान पड़ा था।
ना कोई इंसान ना कोई परिंदा ना कोई जानवर था।
सिर्फ वीरान पड़े खंडहर थे।

धीरे-धीरे दोनों आगे बढ़ते गए।
एक एक कदम पर उन्हें नए-नए खतरों का सामना करना पड़ रहा था।
कभी अचानक से जमीन धंस जाती
कभी आसमान से पत्थर गिरते हैं
तो कभी भयानक से साए
हाथ में हथियार लिए उनकी तरफ दौड़ पड़ते
और हवा में कहीं गायब हो जाते।

दोनों मंत्रों का जाप करते हुए गांव के अंदर खंडहर में दाखिल हो जाते हैं।
जैसे उस खंडहर में दाखिल होते हैं।
हर तरफ से उन पर पत्थर बरसने लगते हैं।
युसूफ अली बहुत डर जाता है।
लेकिन बिलाल इन सब चीजों में माहिर होता है।
वह जमीन से मिट्टी उठाकर कुछ मंत्रों का जाप करके
अपने और युसूफ अली के पास एक घेरा बना लेता है।

बिलाल युसूफ अली से कहता है।
यह घेरा हमारा सुरक्षा कवच
जब तक हम इसके अंदर है
तब तक कोई भी ताकत हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकती।
चाहे कुछ भी हो जाए तुम इस घेरे के बाहर मत निकलना।
वरना कुछ भी हो सकता है।

बिलाल वहां बैठकर साधना करने लगता है।

क्रमशः