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जिन्नजादी - भाग 8

सायरा के मां-बाप युसूफ अली को देखकर बहुत खुश हो जाते हैं।
उन्हें पूरा यकीन आ जाता है
युसूफ अली अब सायरा को पूरी तरह ठीक कर देगा।

युसूफ अली हिना से कहता है
अब आगे क्या करना है ?
हिना सायरा के करीब जाकर
उसके सर पर हाथ रखकर
कुछ मंत्रों का पठन करती है।
मंत्रों का पठन खत्म होते ही
सायरा अपनी आंखें खोल देती है।

हिना को देखकर कहती है
आप कौन हो ?
हिना कहती है
मेरा नाम हिना है
मैं युसूफ अली की दोस्त हूं।
यहां तुम्हारी मदद करने आई हूं।
अब तुम पूरी तरह से ठीक हो गई हो।
अब तुम्हें किसी बात का डर नहीं है।
अब तुम खुशी से अपनी जिंदगी गुजार सकती हो।

उन सब से इजाजत लेकर
हिना और युसूफ अली गुफा की तरफ लौट आते हैं।
युसूफ अली हिना से कहता है
अब मुझे भी जाना होगा
सब लोग मेरा घर पर इंतजार कर रहे होंगे।
युसूफ अली की यह बात सुनकर
हिना की आंखें नम होती है।
हिना उससे कहती है
कुछ दिन और रुक जाते।
युसूफ अली कहता है
रुकने का तो बहुत मन है
लेकिन मैं मजबूर हूं मुझे ज्यादा ही होगा।
आप उदास मत होना
हम फिर मिलेंगे।
हिना उदासी के स्वर में कहती है
ठीक है जैसी आपकी मर्जी।
युसूफ अली कहता है
क्या आप मुझे यहां से मेरे घर तक पहुंचा सकती हो ?
हिना कहती है
क्यों नहीं अभी पहुंचा देती हूं
आप अपनी आंखें बंद करो
जब आप अपनी आंखें खेलोगे
आप अपने घर में होंगे।
युसूफ अली अपनी आंखें बंद कर लेता है।
जब वह अपनी आंखें खोलता है तो अपने घर में होता है।
घर में अपने मां-बाप को सारी हकीकत बता देता है।
बिलाल की मौत का घर वालों को बहुत दुख होता है।
सब लोग मिलकर बिलाल की आत्मा की शांति के लि खुदा से दुआ करते हैं।

2 दिन का वक्त गुजर जाता है
युसूफ अली को बार-बार हिना की याद आने लगती है।
हर तरफ उसे ही ना का चेहरा दिखाई देने लगता है।
किसी चीज में उसका मन नहीं लगता।
वह साधना करने की भी कोशिश करता है
लेकिन साधना में भी उसका मन नहीं लगता।
उसे कुछ समझ नहीं आता आखिर उसके साथ यह हो क्या रहा है।
जैसे जैसे दिन गुजर पर जा रहे थे
वैसे वैसे हीना की याद और भी ज्यादा घड़ी होती जाने लगी थी।
युसूफ अली रात रात भर सो नहीं पाता।
उसे हिना की आवाज सुनाई देने लगती है।
हर तरफ बस उसका ही चेहरा दिखाई देने लगता है।
युसूफ अली को हिना से मिलने का बहुत दिल होता है।
फिर भी अपने दिल को संभाल लेता है।

जैसे तैसे महीने भर का वक्त गुजर जाता है।
अब युसूफ अली का दिन
कोई भी बात मानने के लिए तैयार नहीं था।
वह सिर्फ हिना से मिलने की जिद लगाए बैठा था।
आखिरकार युसूफ अली हिना से मिलने का तय करता है।
दूसरे दिन युसूफ अली
हिना को मिलने के लिए हिना की गुफा की तरफ निकल पड़ता है।
हिना की गुफा बहुत ही दूर थी।
उसे बहुत ही लंबा सफर तय करना था।
थोड़ी थोड़ी दूरी तय करके
युसूफ अली मंजिल तक पहुंचने लगता है।

काफी महीनों बाद सफर खत्म करके
युसूफ अली आखिरकार हिना की गुफा तक पहुंच जाता है।
लेकिन वहां पहुंचने के बाद
उस जगह पर उसे कोई
गुफा दिखाई नहीं देती।
वह बहुत हैरान होकर सोच में पड़ जाता है।
गुफा तो यही थी
कहां चली गई ?
युसूफ अली सारी जगह घूमता है लेकिन उसे वह वफा नहीं मिलती।
वह बहुत ही दुखी हो जाता है।
बहुत कोशिश करता है गुफा ढूंढने की
लेकिन हर वक्त उसके हक में सिर्फ मायूसी ही आती है।
युसूफ अली बहुत थका हुआ होता है।
हिना का ना मिलना उसके दिल को बहुत गमजदा करता है।
वह वहां बैठकर बहुत रोता है।
बाद में साधना करके हिना का पता लगाने की कोशिश करता है।
लेकिन हिना की कोई खबर उसे नहीं मिलती।
थकान की वजह से वह वही सो जाता है।

जब वह नींद से जागता है
उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती है।
क्योंकि वह हिना की उसी गुफा में होता
जिसकी उसने इतनी तलाश की थी।
और ही ना उसके सामने ही बैठी हुई होती है।
युसूफ अली के दिल में बहुत सारी उलझन पैदा होती है।
वह कुछ समझ ही नहीं पाता
आखिर यह हो क्या रहा है ?

उसकी नजर हीना की तरफ जाती है।
हीना युसूफ अली से पूछती है
कैसे हो आप ?
बहुत देर लगा दी वापस आने के लिए।
युसूफ अली कहता है
यह मेरे साथ क्या हो रहा है ?
आखिर तुम हो कौन ?
यह गुफा तो यहां नहीं थी
वापस यह गुफा यहां कैसे आई ?
सोच सोच कर मैं पागल हो जाऊंगा।

हिना कहती है
आप सोच सोच कर खुद को तकलीफ मत दो
मैं बताती हूं इस गुफा का राज।
यह कोई मामूली गुफा नहीं है
एक जादुई गुफा है
मेरे अलावा इस गुफा को कोई नहीं देख सकता।
ना ही इस गुफा में प्रवेश कर सकता है ।
जब मैं चाहूं तभी कोई इस गुफा को देख सकता।
इस गुफा के अंदर आ सकता है।

आपने इस गुफा को बहुत ढूंढने की कोशिश की
गुफा आपके सामने ही थी
लेकिन आपकी आंखों से ओझल हो चुकी थी।
इसलिए आप इस गुफा को नहीं देख पाए।
मुझे आपकी आने की आहट महसूस हुई
जब मैंने गुफा के बाहर आकर देखा।
तो आप थकान की वजह से सो चुके थे।
मैंने आपको जगाना मुनासिब नहीं समझा।
आपको उसी हालत में इस गुफा के अंदर ले आई।
यह सब छोड़ो
और यह बताओ यहां कैसे आना हुआ ?
युसूफ अली कहता है
पता नहीं ?
हिना हैरानी से पूछती है
पता नहीं यह कैसा जवाब हुआ ?
युसूफ अली कहता है
बस आपकी बहुत याद आ रही थी
आपसे मिलने का बहुत मन था।
इसलिए आपसे मिलने के लिए आ गया।
आपको अच्छा नहीं लगा क्या मेरा मिलने
आना।
हिना कहती है
ऐसी कोई बात नहीं
मुझे बहुत ही खुशी हुई
आप मिलने आ गए।
बस मैं ऐसे ही पूछ रही थी।

और बताओ घर पर सब कैसे हैं ?
युसूफ अली कहता है
घर पर सभी ठीक है।
आप कैसी हो ?
हिना कहती है
आपके बिना अधूरी हूं।
युसूफ अली कहता है
क्या कहा आपने मैं कुछ समझा नहीं ?
हिना कहती है
जाने दीजिए आप नहीं समझेंगे।
युसूफ अली कहता है
तो आप समझा दो।
हिना कहती है
कैसे समझाऊं आप को ?
मैं ज्यादा घुमा फिरा के बात नहीं करूंगा।
मैं साफ-साफ आपको बताती हूं
जब मैंने पहली बार आपको देखा
मुझे आपसे बेइंतहा मोहब्बत हो गई।
मैं दिलो जान से आप से प्यार करने लगी है।
मुझे आपके साथ अपनी पूरी जिंदगी गुजारनी है।
जिंदगी का हर पल हर लम्हा आपके साथ बांटना है।
मेरे हर खुशी का आपको हिस्सेदार बनाना है।
मेरी हर सांस हर धड़कन आपके नाम करनी है।


क्रमशः