Jinnjadi - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन्नजादी - भाग 11

जिन्नजादी 12

साल भर का वक्त गुजर जाता है
वक्त के साथ-साथ हिना के अपने परिवार के साथ रिश्ते और भी ज्यादा गहरे होते गए।
हिना को भी अपने परिवार से बहुत ज्यादा लगाव था ।
वह अपने सारे परिवार की
हर जरूरत को बखूबी पूरा करती
उनकी हर छोटी-बड़ी चीजों का ध्यान रखती
इसी खूबी से हिना अपने परिवार के सारे सदस्यों के दिन में अपने लिए ऊंची जगह बनाई थी।

एक रोज की बात है
युसूफ अली अपने सारे परिवार के साथ
किसी रिश्तेदार की शादी में गया था।
हिना घर पर अकेली थी।
एक फकीर भिक्षा मांगने घर पर आता है।
हिना भिक्षा देने के लिए
जब घर के बाहर आती है
वह देखती है
दरवाजे पर भिक्षा मांगने जो फकीर आया है।
वह कोई मामूली फकीर नहीं
यह कोई बहुत बड़ा जादूगर है
वह जान जाती है।

दीक्षा देकर झट से घर के अंदर जाने लगती है।
तभी वह फकीर हिना को रोक देता है
और कहता है
ठहरो कौन हो तुम ?
और यहां क्या कर रही हो ?
मैंने तुम्हें पहचान लिया है ?
तुम कोई मामूली इंसान नहीं हो।
तुम क्यों इंसानों के बीच आई हो ?
तुम्हारा मकसद क्या है ?

हिना फकीर के इस सवाल से
बहुत डर जाती है।
वह जल्दी से घर के अंदर जाकर
झट से घर का दरवाजा बंद कर देती है।
फकीर बाहर से चिल्लाने लगता है।
तुम यहां इंसानों के बीच नहीं रह सकती।
तुम्हें यहां से जाना होगा।
मैं तुम्हें यहां रहने नहीं दूंगा।

तुम्हें मैं 2 दिन का समय देता हूं।
इन 2 दिनों में तुम खुद नहीं चली गई।
मैं तुम्हें भगाने ने आऊंगा।
फैसला तुम्हारे हाथ में है
चुपचाप यहां से चली जाओ।
मैं पूरी तैयारी के साथ वापस आऊंगा याद रखना।
इतना कहकर वह फकीर वहां से चला जाता है।

हिना बहुत डर जाती है।
डर के मारे उसका पूरा बदन कांपने लगता है।
ऐसी कौन सी सच्चाई थी जो उस फकीर को पता चल गई थी।
आखिर ऐसा कौन सा सच ?
हिना ने अपने परिवार से छुपा कर रखा था ?
उसके इतने डर की वजह आखिर क्या थी ?
क्या हीना की चेहरे के अंदर
कोई और चेहरा छुपा था ?
क्या हिना सच में एक इंसान थी ?
ऐसे बहुत सारे सवाल पैदा हो रहे थे।

हिना का किसी चीज में ध्यान नहीं लगता।
बार-बार उसके कानों में
उस फकीर की ही बातें गुजरी लगती है।
वो खुदा से गिड़गिड़ा कर दुआएं करने लगती है
कि उसका राज राज ही बना रहे।
क्या खुदा हिना की मदद करेगा ?
जो राज छुपाना चाहती है
क्या वह राज राज ही रहेगा ?

हिना की जिंदगी में एक बहुत बड़ी आफत ने दस्तक दी हुई होती है।
हिना तय करती है
अपनी सारी सच्चाई वह अपने पति युसूफ अली को बता देंगी।
उसे पूरा यकीन होता है
सच्चाई जानने के बाद युसूफ अली उसे गलत नहीं समझेगा।
उसका पूरा साथ दें।
लेकिन उसे डर भी था
क्या युसूफ अली इस सच्चाई को बर्दाश्त कर पाएगा ?

बहुत कोशिश करने के बाद भी
उसकी युसूफ अली को
सच्चाई बताने की हिम्मत नहीं होती।

दूसरे दिन युसूफ अली अपने सारे परिवार के साथ वापस अपने घर लौट आता है।
युसूफ अली हिना की परेशानी को भाप लेता है
वह उसे बार-बार परेशानी की वजह पूछता है।
लेकिन हर बार हिना
कोई भी परेशानी नहीं है कहकर
बात को टाल देती है।

2 दिन के बाद वह फकीर वापस हिना के घर आता है।
हिना उस फकीर को वापस अपने घर देखकर
डर भी जाती है और बहुत गुस्सा भी होती है।
फकीर घर के अंदर आकर
हिना की सारे परिवार को अपने सामने आने को कहता है।
सारा परिवार फकीर के सामने आ जाता है।

नवाज हुसैन फकीर से कहता है
क्या हुआ फकीर बाबा कोई परेशानी आने वाली है क्या हमारे घर पर ?
फकीर कहता है
परेशानी आने वाली नहीं आज चुकी है।
सभी हिना अपने तंत्र से
फकीर की बोलती बंद कर दी थी।
फकीर बोलने की बहुत कोशिश करता है।
लेकिन उसके जुबान से लफ्ज़ नहीं निकलते।

नवाज हुसैन फकीर की हालत देखकर
उसे सहारा देकर वापस उसके कुटिया में ले जाकर छोड़ देता है।
रात को हिना उस फकीर की कुटिया में
जाती है।
अचानक से अपने सामने हिना को देखकर फकीर बहुत डर जाता है।

हिना फकीर से कहती है
अभी तो सिर्फ मैंने तुम्हारी बोलती बंद की है।
अगर तुमने मेरा पीछा नहीं छोड़ा
या वापस मेरे घर आए
तो मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगी।
जान से मार दूंगी तुम्हें।
अगर मेरी सच्चाई किसी को बताने की कोशिश की
तो तुम अपनी जान से जाओगे।
भाई क्या-क्या कर सकती हो
इस बात का तुम्हें अभी कोई अंदाजा नहीं है।
मुझे तुम्हारी जान लेने पर मजबूर मत करो।

इतना कहकर हिना वहां से गायब हो जाती है।
यह नजारा देखकर फकीर बुरी तरह से डर जाता है।
डर के मारे उसका पूरा बदन थरथरा ने लगता है।
उसे समझ नहीं आता
की हीना इतनी शक्तिशाली कैसे है।
हिना को उस फकीर ने
बहुत ही कमजोर समझा था।
लेकिन हिना उसके सोच से भी ज्यादा
शक्तिशाली थी।

हिना ने उस फकीर को
चेतावनी तो दी थी
लेकिन हिना को पूरा यकीन था
वह फकीर फिर से उसके लिए कोई ना कोई मुसीबत खड़ी कर देंगा।
हिना को उसका राज खुलने का डर बना था।
हिना बहुत परेशान हो चुकी थी।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें।
वह दिन रात खुदा से दुआ कर रही थी
उसके खुशहाल जिंदगी को किसी की नजर ना लगे।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

वह फकीर मदद के लिए अपने गुरु के आश्रम चला जाता है।
फकीर का गुरु उसकी हालत देखकर बहुत दंग रह जाता है।
उस फकीर के गुरु का नाम होता है
तांत्रिक बंगाल शास्त्री।
तांत्रिक बंगाली शास्त्री एक सिद्ध तांत्रिक होता है।
उसने बड़े से बड़े तंत्र में महारत हासिल की हुई होती है।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री पल भर में फकीर की जुबान बंदी तोड़ देता है।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री फकीर से पूछता है
किसने तुम्हारी जुबान बंदी करने की हिम्मत नहीं है ?
कोई भी तांत्रिक तुम्हारे जुबान बंदी नहीं कर सकता।
आखिर कौन ऐसा शक्तिशाली है
जिसने तुम्हारी जुबान बंदी की है।
फकीर कहता है
गुरुजी मैं यह घर गया था
मुझे वहां एक लड़की मिली
वह कोई मामूली लड़की नहीं थी।
मैंने उसे वहां से चले जाने की धमकी दी थी।
लेकिन उसका उस पर कोई असर नहीं हुआ।
उल्टा उसने मेरी यह हालत कर दी।
समझ नहीं आता आखिर वह लड़की है कौन ?

फकीर की यह बातें सुनकर
तांत्रिक बंगाल शास्त्री सोच में पड़ जाता है।
वह अपनी आंखें बंद करके
त्रिकाल दुष्टि से उस लड़की के बारे में देखने की कोशिश करता है।
कुछ देर बाद तांत्रिक बंगाल शास्त्री अपनी आंखें खोलता है।
और उस फकीर से कहता है
अच्छा हुआ कि तुम यहां चले आए।
वह कोई मामूली लड़की नहीं है।
वह लड़की कौन है यह तो पता नहीं चला मुझे।
हां लेकिन इतना जरुर पता चला
वह लड़की बहुत सारी शक्तियों की स्वामी है।
दुनिया के सारे तांत्रिक मिलकर भी
उस लड़की का मुकाबला नहीं कर सकते।
उसकी शक्तियों की कोई सीमा नहीं है।

हमें किसी भी तरह
उस लड़की की सच्चाई जाननी है।
उसकी कमजोरी के बारे में पता लगाना।
उसे मारने का तरीका जानना होगा।
अगर ऐसा हम कर पाए
तो यह हमारे लिए बहुत बड़ा अवसर होगा।
अगर हम उसे मारने में सफल हो गए।
तो उसकी सारी शक्तियां हम प्राप्त कर सकते हैं।
उसकी सारी शक्तियां अगर हमें प्राप्त होंगी
तो हम अमर हो जाएंगे।
हमें कोई नहीं मार सकता।
हम पर विजय प्राप्त करना असंभव हो जाएगा।
कोई भी हमारा मुकाबला नहीं कर पाएगा
हम सारी दुनिया पर राज करेंगे।

फकीर तांत्रिक बंगाल शास्त्री से कहता है
लेकिन यह सब होगा कैसे ?
क्या करना होगा हमें ?
अगर हम उस लड़की के सामने गए
तो वह हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे
हमें जान से मार देंगी।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री कहता है
तुम अब उस लड़की के सामने नहीं आ सकती।
तुम यहां बैठकर साधना करो।
मैं उस लड़की के पास जाऊंगा।
अपनी पहचान छुपा कर
मैं वह लड़की से मिलूंगा।
उसे भ्रमित करूंगा।
मौका मिलते ही उसकी कमजोरी का पता लगा लूंगा।
उसकी सारी सच्चाई जान लूंगा।
फिर उसका अंत करके
उसकी सारी शक्तियों का स्वामी बन जाऊंगा।

3 दिन तक हम एक बहुत बड़ी साधना करेंगे।
जिसके जरिए उस लड़की से मैं अपनी पहचान छुपाने में सफलता हासिल करूंगा।
अब वक्त जाया मत करो।
साधना की तैयारी करो
आज से ही हम साधना आरंभ करेंगे।
फकीर कहता है
ठीक है गुरुजी।

थोड़ी ही देर में साधना की पूरी तैयारी हो जाती है।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री 3 दिन तक कड़ी मेहनत से साधना करता है।
और अपना आश्रम से
हिना के घर की ओर बढ़ता है।
दूसरे दिन वह हिना के घर पहुंचता है।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री एक भिखारी का
रूप धारण किया हुआ होता है।
वह हिना के घर जाकर
उसके घर का दरवाजा खटखटा है।

बसेरा घर का दरवाजा खोल देती है।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री उससे कहता है
बहन जी मैं बहुत गरीब हूं।
बहुत ही दूर के गांव से आया हूं।
मेरे बेटे ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया है।
मैं 8 दिन से भूखा हूं।
रहने के लिए भी कोई छत नहीं है।
आप इस गरीब लाचार की मदद करो
खुदा आपका भला करेगा।
बसेरा अपने पति नवाज हुसैन को बुलाती है।
नवाज हुसैन को सारी बात बताती है।

नवाज हुसैन का दिल बहुत बड़ा होता है।
गरीबी लाचारी उसने भी सही हुई होती है।
इसलिए उसे उस लाचार भिकारी पर दया जाती है।
वह उससे पूछता है क्या नाम है तुम्हारा ?
वह भिखारी कहता है
जी मेरा नाम शौकत है
मैं बहुत ही लाचारी में हूं मेरी मदद करो।
इतना कह कर वो नवाज हुसैन के पैर पकड़ कर रोने लगता है।
नवाज हुसैन को उसकी लाचारी देखी नहीं जाती।

नवाज हुसैन उससे कहता है
उठ जाओ रोना बंद करो
अब तुम्हें परेशान होने की कोई जरूरत नहीं।
सब ठीक हो जाएगा।
आज से तुम यही हमारे साथ रहोगे।
नवाज हुसैन की यह बातें सुनकर
भिखारी के भेस में तांत्रिक बंगाल शास्त्री बहुत खुश हो जाता है।
उसने हिना के घर में
रहने की अनुमति पा ली थी।

बसेरा उसे घर के अंदर लेकर।
उसे भरपेट खाना खिलाती है।
युसूफ अली और हिना घर पर नहीं होते।
वह किसी काम के लिए
बाहर गए हुए होते हैं।
शाम को दोनों घर लौट आ जाते हैं।
नवाज हुसैन और बसेरा
युसूफ अली और हिना को
सारी बात बता देते हैं।
युसूफ अली और हिना
उस भिखारी की तरफ देखते हैं
उसे देखकर उन्हें कोई भी शक नहीं होता।
इसलिए वह दोनों भी इस बात पर रजामंदी जता देते हैं।

ऐसी कुछ दिन गुजरे
शौकत मतलब की तांत्रिक बंगाली शास्त्री
उसने कुछ ही दिनों में
सब का भरोसा जीतने में कामयाब हो चुका होता है।
सब ने शौकत को घर का सदस्य मान लिया था।
हिना को उसके फरेब की जरा भी भनक नहीं लगती।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री शौकत बनकर बड़े ही सफाई से अपना सच से छुपाता है।
वह बहुत ही सावधानी से अपने काम को अंजाम देने लगता है।

कुछ दिनों बाद
हिना युसूफ अली के साथ
घूमने चली जाती है।
मौका पाकर शौकत हिना के कमरे में जाता है।
वहां जाकर हिना के सच्चाई के बारे में पता करने लगता है
वहां उसे कुछ मिलता नहीं।

सारा कमरा ढूंढने के बाद
अलमारी खोल कर देखता
अलमारी में उसे एक छोटी सी संदूक मिलती है।
उसे उस संदूक पर संदेह होने लगता है।
उसे पूरा यकीन होता है
इस संदूक के जरिए
वह हिना का राज जान पाएगा।

तभी दरवाजे पर हिना और युसूफ अली
आने की आहट होती है।
शौकत जल्दी से संदूक उठाकर
अपने कमरे में ले जाकर छुपा देता है।
हिना जब अपने कमरे में जाती है
खुली हुई है अलमारी देखकर
उसे पता लग जाता है
कोई उसके कमरे में आया था।

वह अलमारी में अपनी संदूक ढूंढने लगती है।
उसे वह संदूक मिलती नहीं।
उसे अब शक होने लगता है
किसी को उसके सच्चाई के बारे में पता चल गया है।
वह बहुत परेशान होने लगती है।
उसका पूरा शक शौकत पर जाता है।
लेकिन घर वालों के सामने वह उसे कुछ बोल नहीं सकती थी।

शौकत मतलब की तांत्रिक बंगाल शास्त्री
समझ जाता है कि अब इस घर में रुकना खतरे से खाली नहीं।
वह रात के वक्त मौका पाकर वहां से भाग जाता है।
और अपने आश्रम में जा पहुंचता है।

क्रमशः