Jinnjadi - 17 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन्नजादी - भाग 17

जिन्नजादी 17

धीरे-धीरे अपने अतीत के करीब जाने लगी।
लेकिन अभी भी वह युसूफ अली को
पहचान नहीं पाई थी।
बस उसे युसूफ अली का दर्द देखा नहीं जा रहा था।

वह युसूफ अली का सर
अपनी गोद में रखकर सहलाने लगती है।
बेहोश हो पड़ा युसूफ अली
इस एहसास को महसूस कर लेता है।
बेहोशी की हालत में
वह हिना को गले लगा लेता है।
हिना के रोंगटे खड़े हो जाते।
उसकी आंखों में जो धुंधली धुंधली तस्वीरें दिखाई दे रही थी
उनसे धूल हट कर आप साफ-साफ चेहरे दिखाई देने लगे थे।

हिना ने पूरी तरीके से अपनी सारी याददाश्त वापस पा ली थी।
उसे सब कुछ याद आ चुका था।
उसने युसूफ अली को अपनी बाहों में पाकर।
उसे और ज्यादा कस के गले लगाया।

और उस से माफी मांगने लगी।
आप अपनी जान जोखिम में डालकर
मुझे बचाने के लिए यहां तक पहुंचे हैं।
और मैंने ही आप पर सितम किया।
अब मुझे जीने का कोई हक नहीं
मुझे मर जाना ही बेहतर है।
जाने अनजाने में सही लेकिन मैंने आपको बहुत सितम किए हैं।
मुझे आप माफ कर दो।
मैं तहे दिल से आपसे माफी मांगती हूं
इतना कहकर हिना रोने लगी।

युसूफ अली हिना से कहता है
मैं यहां तुम्हें बचाने के लिए आया हूं।
तुम अब फालतू की बातें मत करो।
क्या हुआ या नहीं हुआ।
मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुमने मुझ पर सितम किए।
तुम सही सलामत हो यही मेरे लिए
यही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।

अब तुम यह सब भूल जाओ।
मैं आ गया हूं ना
मैं तुम्हें यहां से सही सलामत बचा के ले जाऊंगा।
और हम फिर से खुशहाल जिंदगी जियेगे।
यह मेरा तुमसे वादा है।

हिना कहती है
लेकिन आप यह जान चुके हैं ना कि मेरी असलियत क्या है ?
मैं इंसान नहीं हूं मैं एक जिन्नजादी हू।
फिर भी आप मेरे साथ रहना चाहते हो।

युसूफ अली कहता है
हां मैं जानता हूं
मैं एक इंसान हूं और तुम एक जिन्नजादी हू।
हमारा रिश्ता बहुत ही अजीब है।
लेकिन हमारी मोहब्बत तो सच्ची है ना।
अब मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा।
तभी तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा।
मैं तुमसे बेपनाह प्यार करता हूं।
और फिर से उसकी बाहों में लिपट जाता है।

हिना कहती है
मैं भी आपसे बेइंतहा मोहब्बत करती हूं।
मैं आपके बिना जिंदा नहीं रह सकती।
मुझे ले चल अपने साथ।
मुझे मेरी सारी जिंदगी आपके साथ ही गुजारनी है।
एक पल भी आपसे दूर नहीं रहना है।
दोनों एक दूसरे की बाहों में खो जाते हैं

हिना युसूफ अली से कहती है
हमारे यहां से बच कर निकल जाना
बहुत ही मुश्किल है।
मैं चाह कर भी अपनी शक्तियां इस्तेमाल नहीं कर सकती।
मैं मजबूर हूं।
मेरा नगीना उस तांत्रिक के पास है।
जब तक वह उसके पास है
मैं कहीं नहीं जा सकती।
मैं उसकी गुलाम बनी रहूंगी।

जब तक वो नगीना उस तांत्रिक के पास है
उसका हम बाल भी बांका नहीं कर सकते।
हमें किसी भी तरीके से उस नगीने को
उस तांत्रिक के पास से वापस लाना होगा।
तभी हम उस तांत्रिक का अंत कर सकते हैं।
और उसके मायाजाल से आजाद हो सकते हैं।

क्रमशः