Prem Ratan Dhan Payo - 18 books and stories free download online pdf in Hindi

Prem Ratan Dhan Payo - 18






जानकी का ध्यान संध्या की बातों पर बिल्कुल नही था । वो तो दाना चुग रहे पक्षियों को देख रही थी । संध्या चलते हुए बोली " मुझे कुछ सामान लेना हैं जानकी मार्केट चलोगी मेरे साथ ? " जानकी अभी भी मुस्कुराते हुए उन पक्षियों को देख रही थी । संध्या उसे हिलाते हुए बोली " जानकी कहां ध्यान है तुम्हारा ? "

" हां .... कुछ कहा क्या तुमने ? " जानकी ने चौंककर पूछा ।

' हां मैं ये पूछ रही थी की मुझे कुछ सामान लेना हैं मार्केट चलोगी मेरे साथ । "

" ठीक है चलो । ' जानकी ने कहा । दोनों मंदिर से बाहर चली आई । मार्केट ज्यादा दूर नही था इसलिए दोनों पैदल ही निकल पडी । कुछ दूर चलकर उनकी नज़र भीड पर पड़ी । हैरान तो दोनों हुई । भीड देख जानकी ने सवाल किया " यहां ये भीड किसलिए ।‌"

" मैं भी तो तेरे साथ ही थी फिर मुझे कैसे पता होगा ? " संध्या ने कहा । दोनों आगे बढ गयी । भीड को चीरते हुए दोनों अंदर चली आई । सामने जमीन पर एक आदमी खून से लथपथ पडा था । संध्या की आंखें हैरानी से बडी हो गयी । जानकी का भी यही हाल था । वो भागकर प्रणय के पास चली आई । " ये .... ये क्या हुआ आपको .... आपको तो गोली लगी हैं । ..... जानकी आस पास नजरें दौड़ाते हुए बोली " आप सब ऐसे खडे होकर तमाशा क्यों देख रहे हैं ? इन्हें गोली लगी हैं ये मर जाएंगे । आप लोग एंबुलेंस को कॉल क्यों नही करते? "

वहां खडा एक बूढा अपने बगल में खडे व्यक्ति से बोला " लगता हैं इस शहर में नयी लडकी हैं । इसे नही मालूम ये सब सरकार ने किया हैं । बेकार में मदद करके सरकार से उलझने की कोशिश कर रही है । " संध्या उनके पास ही खडी थी । उनके मूंह से सरकार शब्द सुनकर वो समझ गयी की ये सब राघव का काम हैं । संध्या मन में बोली " हे राम जी ये सब क्या करवा रहे हैं आप ? जानकी को अगर पता चला ये सब राघव भैया ने किया हैं तो वो उस घर में कभी काम नही करेगी । काम करना तो दूर वो उस घर में रहेगी भी नही । वही अगर इस आदमी की इसने मदद की तो राघव भैया का कहर इसपर बरसेगा । मुझे किसी भी तरीके से इसे रोकना होगा । इससे पहले राघव भैया के आदमी आ जाऐ मुझे इसे लेकर यहां से निकलना होगा । " ये सब सोचते हुए संध्या जानकी के पास चली आई । वो उसका हाथ पकड़ उठाते हुए बोली " जानकी चल यहां से ? "

" ये तूं क्या कह रही हैं संध्या ? यहां ये आदमी जख्मी हो और मैं इसे ऐसे ही छोड़कर चली जाऊं । "

" तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या ? यहां इतने सारे लोग मौजूद हैं । किसी को नही पडी सिर्फ तुझे पडी है । हमें इन सबमें नही पडना चाहिए जानू ...... संध्या कह ही रही थी की तभी जानकी उसका हाथ झटकते हुए बोली " तुझे क्या हो गया हैं ? मैं एक डाक्टर हूं और हर डाक्टर सबसे पहले यही कसम खाता है की लोगों की जिंदगी बचाना उसका प्रथम दायित्व होगा । इस वक्त मेरे सामने एक इंसान तडप रहा हैं और तूं चाहती हैं की मैं उसे मरता हुआ छोड़कर चली जाउ । बिल्कुल नही ...... कोई मेरी मदद करे ये न करे मैं इसकी जान बचाऊगी । " इतना कहकर जानकी वहां से गुजर रही गाड़ियों को मदद के लिए रोकने लगी । कोई भी गाडी रूकने को तैयार नहीं थी । संध्या अपने दोनों हाथ आपस में मिलाकर कभी जानकी को देखती तो कभी उस घायल आदमी को । संध्या मन में बोली " जानकी बिना मदद किए मानेगी नही । अब आगे जो होगा राम जी संभाल लेना । " जानकी के कोशिश रंग लाई । बडी मुश्किल से एक ऑटो वाला रूका । जानकी ने उसकी मदद से उस घायल आदमी को ऑटो में बैठाया । संध्या भी उसके साथ हॉस्पिटल के लिए निकल गयी । दोनों उसे लेकर हॉस्पिटल पहुंचे । दो वार्ड बॉय स्ट्रेचर लेकर बाहर निकल आए । वो लोग प्रणय को अंदर की ओर लेकर जाने लगे । प्रणय लगभग बेहोशी की हालत में पहुंच चुका था , लेकिन जानकी का चेहरा उसे याद रह गया । फ़ौरन डाक्टर की टीम ओ टी की ओर भागी । संध्या जानकी की बांह पकड़कर बोली " जानू तेरी जिद थी हमने मान ली लेकिन अब और नही । जानू उसे गोली लगी हैं ये पुलिस केस बन सकता हैं । तुझे मेरी कसम अब तुम यहां एक पल नही रूकोगी और अभी मेरे साथ चलोगी । " जानकी की नजरें अभी भी ओ टी की ओर थी लेकिन संध्या की कसम को वो टाल नही पाई । संध्या उसे हॉस्पिटल से बाहर ले आई । दोनों घर के लिए निकल गए । जानकी के सफेद दुपट्टे में जगह जगह खून के धब्बे लग चुके थे ।

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शाम का वक्त , पुलिस स्टेशन




राघव इस वक्त कमिश्नर के सामने बैठा था । राघव के चेहरे पर कोई एक्सप्रेसन नही थे । कमिश्नर राघव की ओर देखकर बोले " सर आपने जैसा कहा था हमने बिल्कुल वही किया ।‌ हमारा कोई भी ऑफिसर मार्केट के एरिया में नही गया , लेकिन सर अगर कोई कंप्लेंट आई तो हमे एक्शन लेना पडेगा । "

" अभी तक कोई कंप्लेंट आई । " राघव ने कहा ।

" जी नही आई । " कमिश्नर ने कहा ।

" डोंट वरी आगे भी नही आएगी । मुझे बस आपस ये कहना था की हमारी साइट पर हुए हादसे की जांच के लिए आपने जो टीम बनाई हैं उसकी रिपोर्ट्स सबसे पहले मुझे मिलनी चाहिए । ' राघव ने कहा तो कमिश्नर बोलें " सर आप नही भी कहते तब भी रिपोर्ट्स सबसे पहले आपके पास ही पहुंचती , क्योंकि उस जांच टीम के दो अधिकारी आपके हैं । "

राघव उनकी बातों को ध्यान से सुन रहा था । कमिश्नर साहब आगे बोले " सर आप जानते हैं ये हादसा किसी और ने करवाया हैं फिर आपको डर किस बात का है । "

" मुझे किसी बात का डर नही है बस मैं इस हादसे के पीछे छिपे इंसान के बारे में जानना चाहता हूं और अपने हाथों से उसे सजा देना चाहता हूं । " राघव ने अपनी बात पूरी की और उठते ही बोला " आज आप लोग उस इलाक़े में नही जाएंगे । कल जा सकते हैं उसकी लाश उठाने के लिए । " इतना कहकर राघव वहां से बाहर चला गया । राघव अपनी गाडी की ओर बढ ही रहा था कघ तभी एक गार्ड आगे आकर बोला " सर एक बुरी खबर हैं । किसी ने उस प्रणय की मदद की और उसे हॉस्पिटल पहुंचाया । " उसके इतना कहते ही राघव ने गुस्से से उसका कॉलर पकड लिया । " तुम लोगों को क्या तमाशा देखने के लिए कहा है ? आखिर कर क्या रहे थे तुम सब ? किसने की उसकी मदद ? किसने पहुंचया उसे हॉस्पिटल ? "

गार्ड ने डरते हुए कहा " सर कोई लडकी थी । " ये सुनते ही राघव की पकड उसके कॉलर पर ढ़ीली पड गयी । वो आश्चर्य से बोला" लडकी "

" हां सर आस पास मौजूद लोगों ने बताया दो लडकिया थी । एक उसकी उसे रोकने की कोशिश भी कर रही थी लेकिन दूसरी लडकी नही मानी । उसी ने प्रणय को हॉस्पिटल पहुंचाया । "

" कौन हैं वो लोग पता करो । मुझे उस लडकी के बारे में जानना हैं जिसने उसकी मदद की । " राघव ने कहा ।

गार्ड सिर झुकाए बोला " सर उस प्रणय का क्या करना हैं ? "

" हॉस्पिटल से जिंदा लौटने एक बार फिर मौत का आइना दिखा देंगे । " इतना कहकर राघव अपनी कार में बैठ गया । उसके बैठते ही ड्राइवर ने गाडी आगे बढा दी ।

इधर दूसरी तरफ संध्या जानकी को लेकर घर पहुंची । दोनों को घर पहुंचते पहुंचते शाम हो चुकी थी । सोचा नहीं था की आज ये हादसा हो जाएगा । जानकी काफी चुप चुप सी थी । दोनों कमरे में चले आए । जानकी ने जब आईने में खुद को देखा तो एक पल के लिए चौंक गयी । हालांकि उसके लिए खून के धब्बे देखना कोई नयी बात नही थी लेकिन वो जिस फील्ड में थी वहां बच्चों का इलाज अधिकतर होता था , इसलिए उसे इन सब चीजों की आदत नही थी । संध्या जानकी के कंधे पर हाथ रखकर बोली " तू अभी तक यही बैठी हैं जाकर के कपडै चेंज कर । "

जानकी संध्या की ओर देखकर बोली " मैंने नही सोचा था इस धरती पर मुझे खून खराबा देखने को मिलेग । कौन था वो इंसान ? किसने उसे गोली मारी होगी ? सब लोग खडे तमाशा क्यों देख रहे थे ? पुलिस क्यों नही आई ? " जानकी के सवाल सुन संध्या उसके पास बैठ गयी । " जानू मैं समझ सकती हूं आज तूने जो कुछ भी देखा उससे तुझपर गहरा असर पड़ा है । यहां रहने वाली हैं न तूं धीरे धीरे सब समझ जाएगी । यहां रावण भी हैं और राम भी । सामना तो सबसे करना पडेगा । तूं ज्यादा मत सोच इन सबके बारे में । "

" संध्या वो आदमी बच पाया होगा या नही । उसकी हालत बहुत खराब लग रही थी । मैं यकीन के साथ कह सकती हूं जहर फैलने की वजह से उसके दोनों पैर काटने पडे होंगे । जिस तरह वो खून से लथपथ था उससे लगता हैं उसका बचना बहुत मुश्किल होगा । "

" जानू तूने तो अपनी तरफ से पूरी की न । अब आगे जो होगा वो राम जी की मर्जी होगी । तू उन सबके बारे में सोचना छोड दे । जा जाकर कपडे बदल ले । शाम हो चुकी हैं अब कल सुबह तक ही भाभी से बात करूगी । " संध्या ने कहा । जानकी अपने कपड़े लेकर वाशरूम में चली गई ।

राघव भी हवेली पहुंच चुका था । आज वो बेहद गुस्से में नज़र आ रहा था । उसके तेज कदमों की आहट से ही ये बात पता चल रही थी । राघव अपने कमरे में चला आया । उसने कोट उतारकर सोफे पर फेंका और अपनी टाई की नोट ढ़ीली कर उसे उतारकर ज़मीन पर फेंक दिया । राघव अपने शर्ट के बटनस खोलते हुए वाशरूम में चला आया और शावर ऑन कर उसके नीचे खडा हो गया । राघव के जहन में बहुत सी बाते घुम रही थी । सुबह गार्डन में गाने की आवाज सुनना । मंदिर में उस नाचती हुई लडकी को देखकर एक खिंचाव महसूस करना और आखिरी में प्रणय की जान बचाने वाली लडकी । राघव के हाथों की मुट्ठियां कस गयी थी । वो गुस्से से दीवार पर अपना हाथ मारते हुए बोला " कौन हैं ये तीनो । सुबह से बैचेन कर रखा है । सचमुच में हैं भी या नही । यहां मेरी बात टालने की हिम्मत किसी में नही । जरूर वो लडकी इस शहर में नयी होगी । "

आसान नही ज़िंदगी की राहो से गुजरना !!

नहीं आसान मंज़िल को पाना,

जीने के लिए मिली है जिंदगी सिर्फ़ एक !!

होने दो तमन्नाओ को अनेक से एक,

इस रंग बदलती दुनिया में अपने रंग भरो,

क्या पता कल हो ना हो !!


वही दूसरी तरफ जानकी भी शावर के नीचे भीग रही थी । उसके जहन में भी ढेर सारी बाते घुम रही थी । यहां आकर उसने कुछ खूबसूरत लम्हें देखे और आज ही एक दर्द भरी तस्वीर भी उसके सामने चली आई । " आखिर क्या चाहते हैं राम जी आप ? मेरी समझ से सब परे हैं ? आज जो कुछ भी मैंने देखा वो क्या था ? कोई इतनी बेरहमी से किसी को कैसे मार सकता । जरूर वो इंसान कोई रावण होगा या फिर ऐसा पत्थर दिल इंसान जिसके अंदर कोई भावना ही नहीं । "'

एक तरफ राघव था दूसरी तरफ जानकी । दोनों ही अपनी कसमकस से लड रहे थे । अंजान थे इस वक्त एक दूसरे से । आने वाला वक्त किस कदर करवट बदलेगा ये कौन जानता हैं भला ।

गुजरते लम्हों में सदियाँ तलाश करती हूँ,

प्यास इतनी है कि नदियाँ तलाश करती हूँ,

यहाँ पर लोग गिनाते है खूबियां अपनी,

मैं अपने आप में कमियाँ तलाश करती हूँ ।


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क्या राघव जान पाएगा जानकी ने ही प्रणय की मदद की हैं ? क्या होगा जब जानकी को ये सच पता चलेगा की राघव ने ही प्रणय पर गोलियां चलाई थी । जानने के लिए आगे का भाग जरूर पढ़ें

प्रेम रत्न धन पायो

( अंजलि झा )


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