Banzaran - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

बंजारन - 13

रितिक और उसके दोस्त टेबल पर बैठे हुए थे। तभी वहा एक वेटर खाना रख कर चला जाता है। उसके बाद वे चारो लोग खाना खाने लगते है। सभी लोग आपस में हसी मजाक कर रहे थे।

अमर रोमियो से कहता है–" वैसे तेरी कमली मैडम कहा है?, कब मिलवा रहा है हमे उससे?"

रोमियो हस्ते हुए कहता है–" पहले मेरी सैटिंग तो हो जाने दे। उसके बाद तुम सब से भी मिलवाऊंगा।"

अमर हस्ते हुए कहता है–" फिर तो हम मिलने से रहे।"

अमर की बात सुन रोमियो चिड़ते हुए उससे कहता है–" कहना क्या चाहता है तू?"

" कुछ भी तो नहीं। मै तो बस ये कह रहा था कि क्यों ना अभी चलकर कमली से मिल ले। इसी बहाने तेरी बात भी आगे बड़ जाएगी। वैसे कहा रहती है तेरी वो कमली?""

" बात तो तेरी सही है लेकिन अभी तो वो स्कूल में पड़ा रही होगी। जब स्कूल की छुट्टी हो जाएगी तब हम उससे मिलने चलेंगे और हा उससे जरा दूर ही रहना। ज्यादा चपर चपर की तो सोच लेना।"

करन हस्ते हुए रोमियो से कहता है–" पहले चैन से खाना खा ले, पता चला कमली से मिलने के बाद तू कभी चैन से खाना ही ना खा पाए।"

करन की बात सुन सब लोग उसका मजाक बनाने लगते है। इधर तारपुरा गांव की एक हवेली में वीरेंद्र अपने बगीचे में बैठा हुआ था। उसके सामने ही दो आदमी सर झुकाए खड़े थे। वीरेंद्र के चहरे कर उदासी और गुस्सा साफ देखा जा सकता था।

वीरेंद्र उन दोनो आदमियों से कहता है–" अगर सच में वो बंजारन आजाद हो गई है तो जरूर उसने ही मेरे बेटे को मारा है, तुम दोनो जाकर पता करो, वो सच में आजाद हुई भी है या ये सिर्फ एक अफवाह है।"

वीरेंद्र की बात सुन दोनो आदमी घबराने लगते है। कोई कुछ नही कहता है। वीरेंद्र गुस्से के साथ उन दोनो से कहता है–" अरे नलायको सुना नही मैने क्या कहा?, अभी जाकर पता करो और हमे खबर करो।"

तभी एक आदमी हिम्मत करते हुए कहता है–" पर मालिक, अगर वो आजाद हुई तो।"

वीरेंद्र उन दोनो को समझाते हुए कहता है–" घबराओ मत, वो बंजारन अमावस और पूर्णिमा को ही शिकार करती है। कल ही अमावस्या गुजरी है इसीलिए आज कोई खतरा नहीं है। तुम लोग अभी वहा जाकर पता करो और रात होने से पहले तुरंत वहा से निकल जाना।"

दोनो आदमी घबराते हुए हा में अपना सर हिला देते है। उसके बाद वे लोग वहा से चले जाते है। उसके बाद वीरेंद्र हवेली के अंदर आ जाता है। तभी वहा वीरेंद्र की पत्नी शारदा आ जाती है और रोते हुए वीरेंद्र से कहती है–" मैने कहा था ना आपसे, मत दीजिए उस रणवीर सिंह का साथ, अब देख लिया ना आपने, उस डायन ने हमारे बेटे को जान से मार डाला।"

वीरेंद्र शारदा को समझाते हुए कहता है–" देखो शारदा वो सब हमने गांव की भलाई के लिए किया था। अगर उस समय मैं और रणवीर सिंह एक ना हुए होते तो वो बंजारन कभी कैद नही हो पाती और पूरा गांव संकट में होता।"

वीरेंद्र की बात सुन शारदा थोड़ा शांत होती है और फिर कहती है–" तो अब क्या, अब तो वो आजाद हो चुकी है, अब क्या करेंगे आप दोनो?"

वीरेंद्र कहता है–" अभी कुछ कह नहीं सकते कि ये काम उस बंजारन ने ही किया है, हमने अपने आदमी भेजे है, आज शाम तक पता चल जाएगा।"

वीरेंद्र कुछ देर सोचता है और फिर शारदा से कहता है–" तुम चिंता मत करो, जिसने भी ये किया है, बचेगा नही, अब तुम जाकर आराम करो।"

" जी.." इतना कहकर शारदा वहा से चली जाती है।

इधर हवेली में चांदनी और शालिनी रसोई में खाना बना रही थी। शालिनी चांदनी से कहती है–" ये रितिक सच में बहुत बड़ा भोंदू है, उसे जान से मारने की क्या जरूरत थी? वो तो अच्छा हुआ प्रीत दीदी तेरी रिश्तेदार निकली, बरना आज तो वो जेल की सलाखों के पीछे होता।"

चांदनी जवाब देते हुए कहती है–" मेरा मन नहीं मानता कि ये काम उन्होंने किया है।"

" अगर रितिक ने नही तो फिर किसने किया है?, तुझे याद है ना रितिक हमारे साथ नहीं आया था, शायद हमारे जाने के बाद ही रितिक ने उसे जान से मारा है।"

चांदनी हिचकिचाते हुए कहती है–" कही तेरे पापा ने तो.."

इस पर शालिनी जवाब देते हुए कहती है–" नही, ये काम पापा का नही हो सकता, उन्हे तो बाद में पता चला है। कही वो डायन तो आजाद नही हो गई और उसी ने मनोज को मारा हो।"

चांदनी हैरानी के साथ कहती है–" कौन डायन...?"

शालिनी जवाब देते हुए कहती है–" बरसो पहले एक डायन अमरपुरा के जंगलों में भटका करती थी। वो अमावस और पूर्णिमा की रात लोगो को अपना शिकार बनाती थी। उस रात भी तो अमावस्या थी जिस रात मनोज का कत्ल हुआ था, लेकिन उस डायन को तो कैद कर दिया गया था, फिर वो आजाद कैसे हो गई?, मुझे इस बारे में पापा से बात करनी पड़ेगी।"

इतना कहकर शालिनी और चांदनी ठाकुर साहब के कमरे में चली जाती है। ठाकुर साहब अपने बिस्तर पर आराम कर रहे थे। उनके चहरे पर परेशानी के भाव नजर आ रहे थे। शालिनी को कमरे में आता देख वो उठ कर बैठ जाते है और शालिनी से कहते है–" अरे शालिनी बेटा, आओ आओ।"

शालिनी कमरे में आते से ही ठाकुर साहब से कहती है–" पापा, मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी थी।"

ठाकुर साहब कन्फ्यूजन के साथ शालिनी से पूछते है–" हा बेटा बोलो, क्या बात है?"

शालिनी कहती है–" आपको क्या लगता है, मनोज को किसने मारा है?"

शालिनी की बात सुन ठाकुर साहब एक गहरी सांस लेते है और कहते है–" दरअसल हम इसी बारे में सोच रहे थे। रितिक ने कहा कि उसने मनोज को नही मारा है और जिस हिसाब से मनोज का कत्ल हुआ है उस हिसाब से तो एक ही बात सामने आती है ये काम किसी और का नही बल्कि बंजारन का है।"

शालिनी हा में अपना सिर हिलाते हुए कहती है–" जी पापा, मुझे भी यही अंदेशा हो रहा था।"

ठाकुर साहब कहते है–" खैर तुम परेशान मत हो, हम जल्द ही इसका कोई ना कोई उपाए सोच लेंगे।"

" जी पापा.." इतना कहकर शालिनी और चांदनी वहा से चली जाती है।

इधर रितिक और उसके दोस्त खाना खा चुके थे और बाते करते हुए गांव की गलियों में घूम रहे थे। उनके साथ एक बच्चा भी था। वो बच्चा देखने में काला और काफी मोटा था। उसने हाफ टी शर्ट और हाफ नेकर पहन हुआ था।

रोमियो उस बच्चे से कहता है–" अच्छे से एक्टिंग करेगा तो जितने समोसे तू कहेगा उतने समोसे तुझे खिलाऊंगा समझा।"

बच्चा हा में अपना सर हिला देता है। उसके बाद रोमियो रितिक से कहता है–" ये तेरा आइडिया काम तो करेगा ना।"

रितिक जवाब देते हुए कहता है–" काम क्यूं नही करेगा आखिर मेरा आइडिया जो है, तू बस देखता रह।"

करन रोमियो से कहता है–" इस पर भरोसा करना कुएं में कूदने जैसा है।"

करन की बात सुन रितिक उसे घूरने लगता है और चिड़ते हुए कहता है–" तेरे पास कोई और अच्छा आइडिया हो तो तू ही बता दे।"

करन कहता है–" ना बाबा ना, मुझे बीच में मत घसीटो, मैं तुम लोगो के साथ जा रहा हू वही काफी है।"

अमर रोमियो से कहता है–" तू टेंशन मत ले, रितिक ने कुछ सोचा है तो अच्छा ही सोचा होगा और वैसे भी तुझसे तो कुछ होने वाला नही बिना हमारी मदद के।"

बात करते करते वे लोग एक छोटे से स्कूल के आगे पहुंच जाते है। स्कूल ज्यादा बड़ा नहीं था लेकिन एक गांव के हिसाब से बिलकुल परफेक्ट था। वे चारो लोग स्कूल के अंदर घुस जाते है। रितिक रोमियो से कहता है–" कहा है तेरी कमली, दिखाई तो दे नही रही।"

" शायद क्लास में होगी।" इतना कहकर रोमियो उन लोगो को एक क्लास की ओर ले जाने लगता है। कुछ ही देर में वे लोग एक क्लास के सामने खड़े हो जाते है। क्लास के अंदर बीस पच्चीस बच्चे बेंच पर बैठे हुए थे और बोर्ड के सामने खड़ी एक लड़की उन बच्चो को पड़ा रही थी। वो लड़की कोई और नहीं कमली थी।

कमली उन बच्चो से कहती है–" तो बच्चो आज के लिए बस इतना ही, अब तुम लोग जा सकते हो।"

कमली की बात सुन क्लास में बैठे बच्चे खुशी की मारे नाचने लगते है और जल्दी जल्दी क्लास से बाहर जाने लगते है। कुछ ही देर में वो पूरी क्लास खाली हो जाती है।

तभी कमली की नजर क्लास के बाहर खड़े चार लोगो पर पड़ती है जो और कोई नही बल्कि रितिक और उसके दोस्त थे। कमली उन लोगो को अंदर आने का इशारा करती है।

कमली का इशारा पाकर वो मोटा बच्चा और वे चारो कमली के सामने आकर खड़े हो जाते है।

कमली उन लोगो से कहते है–" जी कहिए।"

कमली की बात सुन रोमियो आगे आता है और शरमाते हुए कहता है–" वो कमली जी, हम इस बच्चे का एडमिशन कराने आए है।"

कमली कहती है–" अच्छा.." इतना कहकर वो बच्चे की ओर देखती है और बड़े प्यार से उससे कहती है–" क्या नाम है तुम्हारा।"

इस पर वो बच्चा जवाब देते हुए कहता है–" मेरा नाम तारकेश्वरनाथ है।"

उस बच्चे का नाम सुन तो रितिक अमर और करन अपना माथा ही पीट लेते है। अमर चिड़ते हुए रोमियो से कहता है,–" अबे साले, कोई छोटा नाम नही बताया गया, ऐसे भी कोई नाम होते है क्या बच्चो के?"

रोमियो सर खुजाते हुए कहता है–" कोई अच्छा नाम ही नही सूझ रहा था।"

इधर उस बच्चे का नाम सुन कमली भी हैरान थी लेकिन फिर भी वो मुस्कुराते हुए उस बच्चे से कहती है–" काफी प्यारा नाम है। तुम कल से स्कूल आ जाना।"

इतना कहकर कमली रोमियो से कहती है–" तुम कल से अपने बच्चे को भेज देना।"

कमली की बात सुन तो रोमियो के प्राण ही उसके शरीर से निकल जाते है। अब कौन बताए कि ये बच्चा उसका नही था। वो तो कमली को लाइन मारने आया था लेकिन ये तो उल्टा ही हो गया। उसका मन तो कर रहा था कि अभी रितिक को चप्पलों से मारे क्योंकि ये आइडिया उसका जो था।

रोमियो गुस्से में रितिक की ओर देखता है और फिर कमली से कहता है–" ये मेरा बच्चा नहीं है।"

कमली एक शातिर मुस्कान के साथ कहती है–" ओह! मुझे तो लगा ही था, ये तुम्हारा बच्चा कैसे हो सकता है? तुम्हारी तो हरकते ही ऐसी है कि कोई भी बाप अपनी बेटी की शादी तुमसे ना करे। खैर ये जिसका भी बच्चा है , इसे वापस वही छोड़ आना।"

कमली की बात सुन तो रोमियो का रोना ही निकल आता है। उसका तो मन कर रहा था कि अभी धरती फटे और वो उसमे समा जाए।

रोमियो एक नजर रितिक की ओर देखता है और फिर बच्चे को लेकर बिना कुछ कहे वहा से चला जाता है।

इधर कमली उन तीनो से कहती है–" जी आप लोग कौन है?"

रितिक जवाब देते हुए कहता है–" जी मेरा नाम रितिक है और ये मेरा दोस्त अमर और करन है। माफ करना हमारा दोस्त थोड़ा दिमाग से पैदल है, उसे लड़कियों से बात करने की तमीज नही है।"

इतना कहकर वे तीनों अपनी बत्तीसी दिखाने लग जाते है। उन्होंने ये इसीलिए बताया था ताकि रोमियो की वजह से जो उनकी बेज्जती हुई है वो थोड़ी कम हो सके लेकिन उन तीनो को कहा पता था कि रोमियो दीवाल की साइड से कान लगाकर उन लोगो बाते सुन रहा था और गुस्से में उसका सर फटा जा रहा था।

कमली उन तीनो से कहती है–" आप लोग तो पड़े लिखे लगते है, कुछ तो अकल दीजिए अपने दोस्त को, जब देखो तब मुझे परेशान करने आ जाता है।"

अमर मुस्कुराते हुए कमली से कहता है–" वो आपको परेशान नहीं आपको पसंद करता है।"

अमर की बात सुन कमली गुस्से के साथ कहती है–" क्या कहा तुमने?"

कमली को गुस्सा होते देख अमर अपनी बात बदलते हुए कहता है–" मेरा मतलब वो आपसे पड़ना चाहता है।"

कमली चिड़ते हुए कहती देती है–" क्यूं? उसे क्या कोई आई.ए.एस. के इंटरव्यू में बैठना है?"

अमर ना में अपना सर हिलाते हुए कहता है–" नही तो.."

कमली आगे कहती है–" मेरा पास फालतू समय नही है इसीलिए तुम लोग जा सकते हो।"

" जी.." तीनो हकलाते हुए जवाब देते है और फिर तुरंत वहा से बाहर आ जाते है।