Prem Ratan Dhan Payo - 29 books and stories free download online pdf in Hindi

Prem Ratan Dhan Payo - 29







परी राघव का हाथ पकड़ते हुए बोली " हम भी जानू के पास चलेंगे । " परी उसे खींचते हुए उसी शॉप में ले जाने लगी जहां राज जानकी को ले गया था । अमित भी उसके पीछे चल दिया ।

वो तीनों शॉप में आए तो देखा राज ने जानकी के लिए टेबल पर कपड़ों का ढेर लगा रखा था । जानकी के चेहरे से साफ़ पता चल रहा था उसे एक भी कपड़े पसंद नही आए । राज अपने हाथों में एक मिनी फ्राक लेकर जानकी को दिखाते हुए बोला " जानु इसका कलर अच्छा हैं । आपपर अच्छा लगेगा । " जानकी ने अपने दोनों हाथों से कान पकड लिया और मायूस सा चेहरा बनाकर बोली " सॉरी राज लेकिन हमें ऐसे कपड़े नही पसंद । हमने आज तक कभी ऐसे कपडे नही पहने । "

राज ने शर्मिंदगी से अपनी नजरें नीची कर ली । सच ही तो था । वो जितनी बार जानकी से मिला उसने एक बार भी उसे वेस्टर्न ड्रेस में नही देखा , फिर वो कैसे ये बात भूल गया । राज दूर से ही अपने कान पकड़ते हुए बोला " सॉरी जानू मैंने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया । "

परी ने राघव का हाथ हिलाया तो उसने नीचे देखा । परी ने उसे सामने की ओर देखने का इशारा किया । सामने एक स्टैचू ने डार्क ब्लू कलर का प्यारा सा फ्राकसूट पहना हुआ था । उसका आधा चेहरा नीले रंग के दुपट्टे से ढका हुआ था । राघव ने नासमझी से परी की ओर देख तो परी बोली " चाचू हम जानू के लिए वो वाली ड्रेस खरीद लेते हैं । "

सब लोगों ने परी की बात सुनी । अमित परी से बोला " बेटा जिसके लिए आपने ड्रेस सिलेक्ट की हैं , उससे ये पूछ तो लो की उसे ड्रेस पसंद है या नहीं । " परी जानकी के पास चली गई और उसका हाथ पकड़ उस स्टैचू के पास ले गयी । अमित का फोन बजा तो वो रिसीव करते हुए शॉप से बाहर चला गया । ड्रेस सचमुच बहुत ख़ूबसूरत थी । जानकी को वो पसंद भी आई लेकिन जब उसकी नज़र प्राइस टेग पर गयी तो वो स्टैचू से दो कदम दूर हो गई । इस वक्त वो उतने पैसे अफोर्ड नहीं कर सकती थी । लगभग उसके दो महीने की सैलरी उसमें चली जाती । सेल्स गर्ल जानकी के पास चली आई । उसने मुस्कुराते हुए पोलाइटली पूछा " आपको पसंद आई ये ड्रेस मैम । क्या मैं इसे पैक कर दू ? "

जानकी उसकी आवाज सुनकर होश में आई । उसने इनकार अरते ही कहा " नही उसकी कोई जरूरत नहीं है । " वो कह ही रही थी की तभी पीछे से किसी की आवाज आई "'आप इसे पैक कर दीजिए । "

जानवी ने पलटकर देखा , ये आवाज़ राघव की थी । राघव ने सेल्स गर्ल की ओर अपना कार्ड बढाते हुए कहा " Please pack it soon. "

" नही आप रहने दीजिए , हमे नही चाहिए ये । " जानकी ने कहा ।

राघव उसकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और सेल्स गर्ल से बोला " मेरे पास इतना वक्त नहीं है प्लीज जल्दी कीजिए । " सेल्स गर्ल वो कार्ड लेकर आगे बढ गयी । जानकी राघव से कुछ कहने को हुई तो उसने अपना चेहरा फेर लिया ।

क्या बंदा हैं चित भी उसकी और पट भी उसका । जानकी ने भी अपनी बात अपने अंदर ही रोक ली । सब लोग बाहर निकल आए । अमित उन सबको देखकर बोला " आप सबकी शॉपिंग हो गयी हो तो खाने चले । " अमित ने इतना ही कहा था की तभी परी बोली " हां हमे भी भूख लगी है । "

" इसमें कौन सी नयी बात है वो तो तुम्हें हर एक घंटे बाद लगती हैं । " राज योग ये बोल आगे बढ गया । सब लोग रेस्टोरेंट की ओर चल दिए ।

इधर दूसरी तरफ राकेश दिशा को शॉपिंग के लिए इसी मॉल में लेकर आया था । दोनों ही कपड़ों के शोरूम में थे । राकेश कभी एक ड्रेस उठाता तो दूसरी उठाकर दिशा को उठाता । दिशा उसके पास चली आई और उसके हाथों से ड्रेस लेकर वापस रखते हुए बोली " बस मुझे इसमें से कुछ भी नहीं चाहिए और वैसे भी मैं ये सब लेकर घर जाऊगी न तो हजारों सवाल खड़े हो जाएंगे । कॉलेज में क्या शॉपिंग करने गयी थी । "

राकेश दिशा के कंधे पर अपने दोनों हाथ रखकर बोला " ठीक हैं ये न सही लेकिन कुछ और तो लेकर जा ही सकती हो और उसके लिए तुम बिल्कुल भी इन्कार नहीं करोगी । " इतना कहकर राकेश उसे शोरुम से बाहर ले आया । दोनों ज्वैलरी शॉप के अंदर गए । दिशा पूछना तो बहुत कुछ चाहती थी लेकिन राकेश ने उसे कोई भी सवाल पूछने से मना कर दिया था ।

राकेश ने दिशा के लिए एक ब्रेसलेट पसंद की । वो उसके हाथों में पहनाते हुए बोला " कैसी लगी .. ‌‌..... ? "

" बहुत खूबसूरत हैं , लेकिन राकेश मुझे ये नही चाहिए । "

" पर क्यूं .... ? " राकेश ने पूछा ।

दिशा उसे देखते हुए मन में बोली ' मेरे लिए भले इसकी कीमत ज्यादा मायने न रखती हो लेकिन तुम्हारे लिए रखती है । " दिशा अपने ही ख्यालों में गुम थी की तभी राकेश उसके सामने अपना हाथ हिलाते हुए बोला " क्या हुआ कहा खो गयी ? "

दिशा ने न में अपना सिर हिला दिया । राकेश सेल्स मैन से बोला " इसका प्राइस कितना हैं ? "

" सर जी एस टी वगैराह इन्क्लूड करके नीयर फाइव लेख । " सेल्स मैन ने कहा ।

प्राइस सुनकर राकेश के हाथों से दिशा का हाथ छूट गया जिसे उसने थामा हुआ था । इतने प्राइस की उसने उम्मीद नहीं की थी । दिशा वो ब्रेसलेट उतारते हुए बोली " कैसा डिजाइन हैं इसका , काफी ओल्ड । ऊपर से फिनिशिंग भी अच्छी नहीं हैं । " दिशा राकेश का हाथ पकडते हुए बोली " चलो राकेश हम दूसरी जगह चलते हैं । " दिशा उसे खींचते हुए अपने साथ ले गई ।

कुछ कदम चलकर राकेश रूक गया । दिशा ने उसकी ओर पलटकर देखा तो राकेश बोला " तुम्हें वो ब्रेसलेट पसंद था न । "

" बिल्कुल भी नहीं । " दिशा ने कहा ‌।

राकेश आगे बोला " प्राइस सुनकर तुमने उसे छोड दिया न । " दिशा कुछ क़दम आगे बढी और राकेश के करीब आकर बोली " मुझे तुम पसंद हो । खुद को मुझे सौंप दो । बस इसके अलावा मुझे और कुछ नहीं चाहिए । " इतना कहकर वो राकेश के सीने से लग गयी । राकेश ने भी हाथ बढ़ाकर उसे बाहों में भर लिया ।

इधर राघव और बाकी सब रेस्टोरेंट पहुंच चुके थे । सब लोगों का ऑर्डर भी आ चुका था ‌‌। परी ने अपने हाथों से खाने की कोशिश की लेकिन उसने दोनों हाथों को गंदा कर लिया । इससे पहले वो कपडे खराब करती जानकी उसे रोकते हुए बोली " रूकिए आप हम आपको खिलाते हैं । ऐसे तो आप अपनी फ्राक को खराब कर लोगी । " जानकी ने टी शू पेपर से उसके हाथ को साफ़ किया । वो अपने पर्स में रूमाल तलाशने लगी । राज उससे पूछते हुए बोला " जानूं आप क्या ढूंढ रही हैं ? "

" हमने परी का रूमाल इसी पर्स में डाला था लेकिन मिल नही रहा । "

" कोई बात नही मैं अपना दे देता हूं ‌‌। " ये बोल राज अपना रूमाल निकालने लगा । इससे पहले वो निकालता राघव ने जानकी के आगे अपना रूमाल बढा दिया । जानकी ने एक नज़र उसे देखा और फिर उसके हाथों से रूमाल ले लिया । राघव के फोन की रिंग बजी तो वो अमित से बोला " मैं एक जरूरी कॉल करके आता हूं । " ये बोल राघव उठकर वहां से चला गया ।

कुछ ही दूरी पर तीन लडके बैठे जानकी को कब से घूरे जा रहे थे । उनमे से एक अपने हाथ में कोक का कैन पकडे बोला " यार कुछ भी कहो , इतनी खूबसूरत तो आज से पहले कभी नहीं देखी । "

" तू सिर्फ आज कल की बात कर रहा हैं । यार मैंने तो पूरी जिंदगी में इतनी खूबसूरत लडकी पहली बार देखी हैं । " दूसरे लडके ने कहा । तीसरा लडका अपने दूर से उसकी तसवीरे लेते हुए बोला " एक चीख नही देखी तुमने साथ में बच्चा भी है । "

" लेकिन कही से वो एक बच्चे की मां नही लगती । " दूसरे वाले लडके ने कहा ।

" मां हैं तो हमे क्या ? हमको तो सिर्फ उससे मतलब हैं । " पहला वाला लडका ये बोल हंसने लगा ।

इधर जानकी ने परी का हाथ साफ कर खाना खिलाया । परी ने पास में रखा जूस का गिलास उठा लिया । राज उसे पकड़ते हुए बोला " अरे ये मेरा हैं तुम अपना दूध कंप्लीट करो ‌‌। "

" नही दूध आप पियो मैं जूस पियूंगी । " परी ने कहा । न ये माननें को तैयार थी और न राज । लग गये दोनों छीना झपटी में । अमित ने दोनों को रूकने के लिए कहा लेकिन कोई नही माना । उनकी छीना लपटी में जूस झलककर जानकी के दुपट्टे पर गिर गया । परी ने तुरंत अपने मूंह पर हाथ रख लिया ‌‌। वही राज आंखें बडी किए एक हाथ में जूस का गिलास पकडे बैठा था । अमित गुस्से से बोला " हो गया तुम दोनों का , मिल गयी शांती । कर दिए न उनके कपडे खराब । "

परी ने दोनों हाथों से कान पकड़कर कहा " सॉरी जानू । "

राज ने भी अपना एक कान पकड़कर परी की तरह सॉरी कहा लेकिन दूसरे हाथ में उसने अभी भी जूस का गिलास थाम रखा था ।

जानकी दोनों को देख मुस्कुरा दी । वो उठते हुए बोली " कोई बात नहीं हम अभी इसे साफ़ करके आते हैं । " इतना कहकर जानकी वहां से चली गई । उसके जाते ही परी राज को आंखें दिखाते हुए बोली " आपने मेरी जानू के कपडे खराब कर दिए । "

राज जूस पीते हुए बोला " मैंने नही तुमने किया । "

जानकी को बाहर जाते देख उन तीनों लड़कों ने आपस में एक दूसरे को इशारा किया । उनमें से एक लडका उठकर जानकी के पीछे चल दिया । जानकी ने लेडिस वाशरूम में जाकर अपने दुपट्टे को साफ किया । कुछ पल वहां रूककर उसने खुद को ठीक किया और वाशरूम से बाहर निकल गई । वो लडका बाहर ही उसका इंतजार कर रहा था । उसके आने के बाद वो उसका रास्ता रोककर खडा हो गया । उसे देख जानकी ने अपनी आंखें छोटी कर ली । वो उसे इग्नोर साइड से निकल गयी । तभी उसके दोनों दोस्त ने आकर उसका रास्ता रोक लिया ।

" इतनी भी क्या जल्दी है जरा हमसे भी तो परिचय कर लो । ..... यार दूर से देखने पर सिर्फ खूबसूरत लगी थी । पास से तो क़यामत नज़र आ रही हैं । " उस लडके के ये कहते ही उसके बाकी के दोस्त हंसने लगे ।

जानकी थोडा गुस्से से बोली " ये बदतमीजी बहुत महंगी पड सकती हैं आप सबको , इसलिए बेहतर होगा हमारे रास्ते से हट जाइए । "

" हमारा रास्ता तो तुम तक जाता है । अब तुम ही मंजिल हो । " तीसरे लडके ने कहा । जानकी को न तो उनकी बातें अच्छी लग रही थी और न ही उनकी नजरों की तपिश उससे बर्दाश्त हो रही थी । लगभग वो तीनों उसे घेरे हुए खडे थे । जानकी बिना कुछ बोले एक साइड से होकर निकलने लगी । इसी बीच एक लडके ने उसका दुपट्टा पकड लिया । जानकी ने कसकर अपनी आंखें बंद कर ली । उसने गले के करीब अपनी ओढ़नी को कसकर मुट्ठियों में थाम रखा था । पीछे खडे वो तीनों लडके एक राक्षसी हंसी हंस रहे थे । जानकी की घबराहट भी बढ चली थी । अचानक ही उसने महसूस किया जैसे उन लोगों ने उसका दुपट्टा छोड दिया हो । एकाएक उनकी हंसी भी बंद हो गयी । जानकी ने अपनी आंखें खोली । पीछे पलटकर देखने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी फिर भी उसने कोशिश की ।

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चलिए राघव की पसंद कही तौ ठीक साबित हुई । वैसे इन तीनों लड़कों ने गलत लडकी से पंगा ले लिया हैं । अब लिया हैं तो भुगतना भी पडेगा । देखते है कैसे और कहां इनकी हालत खराब होती हैं फिलहाल जानकी क्या कदम उठाएगी या जानना दिलचस्प होगा जानने के लिए आगे ज़रूर पढ़ें ।

प्रेम रत्न धन पायो

( अंजलि झा )


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