Pyar bhara Zehar - 15 in Hindi Love Stories by Deeksha Vohra books and stories PDF | प्यार भरा ज़हर - 15

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प्यार भरा ज़हर - 15

एपिसोड 15 (  काव्य का नाटक ! )

काश्वी को ना जाने क्यूँ , पर गुस्सा आ रहा था | शाम हो चुकी थी | ओर काश्वी बहुत ज्यादा थक भी चुकी थी | पर जैसे जैसे काश्वी काव्य को देख रही थी , काश्वी को ऐसा लग रहा था , की उसने काश्वी को कहीं तो देखा था , अचानक से कास्ज्वी के सामने कुछ दृश्य आए | जिसके बाद तेज़ सर में दर्द होने के कारण काश्वी की आँखों के सामने काला अँधेरे छाने लगा था |

राघव काव्य को खुद से दूर करने की कोशिश  कर रहा था | की जब उसका ध्यान गया , की काश्वी कुछ बोल क्यूँ नहीं रही है | राघव काश्वी की ओर मुदा , तो उसने देखा की काश्वी बेहोशी की हालत में गिरने ही वाली है | काव्य को धक्का देते हुए , राघव जल्दी से काश्वी के पास गया | 

राघव :: "काश्वी !" राघव इतनी तेज़ चिलाया था , की हॉल में बैठे सारे घर वालों को राघव के चीखने की आवाज़ सुनाई देने लगी थी | ओर काव्या जिसे राघव ने धक्का दिया था , वो गुस्से में कभी राघव को तो कभी  बेहोश होती काश्वी को देख रही थी | फिर जल्दी से उठते हुए , काव्य सीधा खड़ी हो गई | तब तक रंजना जी ओर घर के बाकी सदस्य भी बाहर आ चुके थे | रंजना जी परेशान होते हुए, राघव से पूछने लगीं | 

रंजना जी :: "क्या हुआ बेटा , टू इस तरह चिलाया क्यूँ ?" तभी रंजना जी का ध्यान , राघव की बाहों में बेहोश काश्वी पर गया , जिसे राघव ने अपनी गोद में उठाया हुआ था | ओर घर के अंदर आ रहा था | हॉल में आते ही , राघव ने काश्वी को सोफे पर लेटाया , ओर टेबल पर रखे पानी के मग से , पानी के छिटे काश्वी के चेहरे पर मारने लगा | 

चेहरे पर पानी पड़ने से , काश्वी को धीरे धीरे होश आने लगा था | तो राघव ने काश्वी को उठाया ओर आराम से बिठाया | ओर खुद निचे अपने घुटनों पर बैठ , काश्वी का हाथ पकड़ते हुए, उससे पूछने लगा | 

राघव :: "क्या हुआ काश्वी , तुम ठीक तो हो ? यूँ अचानक से बेहोश कैसे हो गई तुम ?" काश्वी को पहले तो कुछ भी समझ में नहीं आया | पर फिर खुद की हालत देख , ओर सब के परेशान चचरे देख ,काश्वी को सब समझ में आया | फिर राघव के हाथ पर हाथ रखते हुए , काश्वी बोली | 

काश्वी :: "मैं बिलकुल ठीक हूँ | बस शायद थकान की वजह से चक्कर आ गया होगा | आप परेशान मत हो |"  काश्वी कुछ भी कहती रहे , पर राघव जनता था , की काश्वी ठीक नहीं है | इसलिए वो उठा , ओर काश्वी का हाथ पकड़ उसे उठाते हुए , कहने लगा | 

राघव :: "नहीं , तुम चलो आराम करो |" पर काश्वी मन करते हुए बोली | 

काश्वी :: "नहीं राघव , मैं सच में ठीक हूँ |" तभी राघव का साथ देते हुए , रंजना जी बोलीं | 

रंजना जी :: "नहीं काश्वी बेटा तुम जाकर आराम करो |" तो ख़ुशी भी बोली | 

ख़ुशी :: "हाँ भाभी , आप आराम करो | मों आप दोनों का डिनर रूम में लेकर आती हूँ |" ये केख ख़ुशी किचन में काश्वी ओर राघव के लिए खाना लाले चली गई | ओर राघव ने काश्वी को अपनी गोद में फिर से उठा लिया , ओर रूम की ओर चला गया | 

ये नजारा देख , काव्य जो अभी भी गुस्से में काश्वी को ही देख रही थी , मन ही मन छिड़ते हुए खुद से बोली | 

काव्य :: "हद है , किसी को पड़ी ही नहीं है , की मैं भी आई हूँ ..." तो काव्य खुद आगे आते हुए , रंजना जी के गले लगते हुए कहने लगी | 

काव्य :: "हेल्लो आंटी , कैसी हैं आप ?" रंजना जी ने अब जाकर काव्य पर ध्यान दिया था | फिर काव्य के गले लग , रंजना जी प्यार से काव्य के सर पर हाथ फेरते हुए बोलीं | 

रंजना जी :: "अरे काव्य बेटी , मैं ठीक हूँ | तुम यहाँ कैसे ?" जैसे ही रंजना जी ने काव्य से ये सवाल किया , रोनित राजीव जी के कान में बोलता है | 

रोनित :: "आ गई डायन सब का खून चूसने |"  तो राजीव जी भी रोनित से धीरे से बोलते हैं | 

राजीव जी :: "ओर मेरी बहु को परेशान करने |" सब को ये पता था , की काव्य राघव को बहुत पसंद  करती है | सिवाए , राघव ओर रंजना जी के | राघव ने कभी काव्य को उस नजर से देखा ही नहीं था |  क्यूंकि राघव हमेशां से काव्य को अपनी बहन मानता था | ओर रंजना जी तो , कभी काव्य को अपने घर की बहु बनाना चाहती थी | 

पर फिर पता नहीं क्यूँ अचानक से उन्होंने अपना मन बदल लिया था | काव्य ने मानो राजाव जी ओर रोनित की बातें सुन लीं हो , तो जानबूझ के रोनित के पास आते हुए , रोनित की कमर पर चुंटी काटते हुए , काव्या मज़ाक करते हुए बोली | वो भी जोर से , ताकि सब को सुनाई दे , वो क्या कह रही है | 

काव्य :: "लगता है , रोनित नहीं चाहता की मैं सब से मिलूं |" ओर उदास होने का नाटक करते हुए , रंजना जी के पास जाते हुए , उनका हाथ पकड़ते हुए बोली | 

काव्य :: आंटी, वो क्या है , की आपको भी पता है की इंडिया में आप लोगों के सिवा मेरा है ही कौन | मोम डैड तो लंडन में हैं | तो क्या मैं यहाँ रुक जाऊं ?" 

काव्य की आँखों में आंसू देख , रंजना जी रोनित को गुस्से में देखते हुए , रोनित को चुप रहने के लिए कहती हैं | ओर फिर काव्य के सर पर हाथ रखते हुए बोलती हैं | 

रंजना जी :: "क्यूँ नहीं बेटा | ये तुम्हारा भी तो घर है  जितने दिन चाहो यहाँ रह सकती हो तुम |" रंजना जी की बात सुन , काव्य खुश होते हुए , रंजन जी के गले लगती है |ओर फिर गेस्ट रूम की ओर जाते हुए , रोनित की चिड़ाते हुए , वहां  से चली गई | काव्य के जाते ही , वहां का माहौल बहुत टेन्सड हो गया | तो राजीव जी रंजना जी से पूछते हैं | 

राजाव जी :: "क्या हुआ रंजना , तुम परेशान लग रही हो ?" 

आखिर क्यूँ रंजना जी इतना परेशान थी ? ओर आखिर काव्य किस मकसद से कपूर फॅमिली में आई थी ? ओर क्या काश्वी के बेहोश होने का कारण सच में थकान ही था , या कुछ ओर ? 

जानने के लिए  बने रहिये मेरे साथ |