Where did he go? books and stories free download online pdf in Hindi

वो गया किधर ?

मैं संजीत, गुजरात के देवराजनगर शहर का रहने वाला हू, मैं अपना खुद का बिजनेस चलाता हू और मुजे अच्छा खासा मुनाफा भी मिलता है, ये बात आज से छह महीने पहले की है, मुजे कुछ दिनों से देर रात को नींद नहीं आ रही थी, कभी कभी 3.00 बजे तक जागता था, एक दिन एसे ही रात को 2.30 को मैं हॉल में चक्कर लगा रहा था | मैं दरअसल फ्लेट मे रहता हूं जो कि आठवे फ्लोर पर है, हॉल के चक्कर लगा रहा था तभी मेरा ध्यान हॉल की खिड़की से बाहर, फ्लेट के बगल में आए हुए गार्डन पर पडी, वहां जो बच्चों के खेलने के लिए झुला लगा था उस पर एक बच्चा झुल रहा था, मैं अचंभित हो गया, जल्दी से नीचे गया और गार्डन मे गया, फ्लेट से नीचे उतरते वक़्त मैंने फ्लेट की चाभी साथ मे ले ली, हमारे फ्लेट के गेट के बगल में ही गार्डन का दरवाजा था जिससे अंदर जाकर मैंने देखा तो वो बच्चा अभी भी झुले पर बैठा था | मैं उसके पास जाकर उसे कहने लगा :

मैं : कौन हो तुम बच्चे और इतनी रात को यहां इस गार्डन मे क्या कर रहे हों?

लड़का : मुजे घर मे घुटन सी हो रहीं थीं इसलिए यहा आ गया, मुजे झुले पर बैठना बहुत पसंद है |

मैं : देखो, इतनी रात को अकेले बाहर नहीं घूमते, कहां रहते हो तुम? चलो मैं तुम्हें घर छोड़ कर आता हू |

लड़का मान गया उसने कहा कि :

लड़का : मैं वहाँ सामने रहता हूं |

उसने अपना हाथ से इशारा करते हुए गार्डन के एक कोने में बने छोटे से कमरे जैसे मकान दिखाया, मैंने उसे कहा :

मैं : देखो मैं इधर ही खड़ा हू, तुम अपने घर जाओ, मैं तुम पर नजर रखूँगा, धीरे धीरे जाना, चलो जाओ | मैं उसके साथ नहीं गया, क्युकी उसके घरवाले नींद मे होंगे, उन्हें डिस्टर्ब न हो इसलिए मैं वही खड़ा रहा, अब मैं गार्डन से बाहर आ गया और फ्लेट मे वापिस आ गया खिड़की थोड़ी सी खुली रखकर उपर आकाश की ओर देखने लगा वैसे मैं Aesthetic हू और Aesthetic values मुजे पसंद है, मैं चांद को देखने लगा वो अंधेरी रात में आकाश साफ था, गर्मी का मौसम था उसमे इतनी रात को ठंडक हो गई थी, हल्की हल्की हवाऐ मुजे मानो कि मेरे कंधे पर हाथ रख रहा था, आकाश मे उस अनगिनत तारो को देखते देखते मैंने खिड़की बंद की और सो गया |

दूसरे दिन रात को 2.00 बजे फिर से मुजे वो लड़का दिखा, मैं फिर से गार्डन में गया और उसे कहने लगा :

मैं : अरे तुम फिर से इतनी रात को आ गए?

लड़का : मुजे घुटन होती है घर में इसलिए यहां आ गया |

मैं सोच मे पड गया, अजीब लड़का है, अपने ही घर मे इसे घुटन होती है इसे!!

मैं : तुम्हारे घर मे एसा क्या है कि तुम्हें घुटन महसूस हो रहीं हैं?

लड़का : मेरा घर बहुत ही छोटा सा है, पंखा भी नहीं है इसलिए रात को यहां आ जाता हू |

मैं : हाँ लेकिन इतनी रात को यहा, बाहर अकेले नहीं घूमते, चलो जाओ अपने घर मै देख रहा हूँ तुम्हें |

बच्चा अंदर गया, लेकिन फिर मुजे लगा कि क्यु न उसके माता पिता को खबर करू, कि उनका बच्चा देर रात तक बाहर खेलता है, कहीं उनको पता न हो और कभी उसे कुछ ही गया तो इसलिए मैं वो घर के पास गया और दरवाजा खटखटाया | 2-3 बार के बाद वो दरवाजा खुला और वहाँ एक 70 साल के बूढे ने दरवाज़ा खोला, मैंने कहा :

मैं : जी वो, लड़का आ गया?

बुढ़ा आदमी : कौन हो तुम? किस लड़के की बात कर रहे हों?

मैं : अरे अभी तो आया?!! इधर झुले पर खेल रहा था, मैंने ही उसे समझाकर इधर भेजा, अंदर नहीं आया वो?

वो बुढ़ा आदमी अब गुस्सा हो रहा था, रात के 2.53 का समय था और वो नींद में था, अब उसने कहा :

बुढ़ा आदमी : जब इधर मेरे सिवा कोई रहता ही नहीं तो कोई इधर कैसे आ सकता है? कौन हो तुम? और इस वक़्त क्यु परेशान कर रहे हों?

मैं : जी मैं, ये सामने वाले फ्लेट है न? नर्मदा हाईटस, वहां 8 वे फ्लोर पर रहता हूं |

बुढ़ा आदमी : हाँ तो वही अपने फ्लेट पर जाओ और सो जाओ, मेरा दिमाग मत खाओ समझे?!!!

मैं : लेकिन वो लड़का गया किधर?

इसके जवाब मे उस बूढे ने दरवाजा बंद कर दिया |
मेरा माथा ठनका, वो लड़का गया किधर? खेर जो हुआ हो, शायद मेरा भ्रम होगा, वैसे भी रात के 3.12 का वक़्त हो चुका था, भ्रम होते होंगे इतनी रात को, मैंने देखा तब यही घर मे गया था | मैं वापिस आ गया और सो गया, दूसरे दिन सुबह मेरे मन मे अभी भी ये सवाल दौड़ रहा था, वो गया किधर? मुजे फिर से उस घर मे जाकर उस बूढे आदमी से पूछने का खयाल आया, मैं उस घर के पास जाकर दरवाजा खटखटाया, वहां फिर से उस बूढे ने दरवाज़ा खोला और फिर से गुस्सा होने लगा :

बुढ़ा : अब क्यु आए हों? और क्या चाहिए?

मैं : देखिए आप मुजे बताइए कि वो लड़का आपके घर में ही आया था, तो आप मना क्यु कर रहे हैं?

बुढ़ा : तुम अंदर आओ, देख लो, कोई नहीं है |

मैं अंदर गया, वहां थोड़ा सामान था और कोई ही नहीं था | वो आदमी अब कुछ सोच रहा था फिर वो बोला

बुढ़ा : वो लड़का झुले पर बैठा था न?

मैं : हाँ

बुढ़ा : हम्म, तो ये वही है जो मे सोच रहा हूँ, दरअसल रात को मुजे कभी कभी झुले की हिलने की आवाज आती है, खोल कर देखता हूं तो बाहर कोई नहीं होता |

मैं : क्या सच में?

बुढ़ा : हाँ, दरअसल पंद्रह साल पहले यहां बच्चो का कब्रिस्तान हुआ करता था, लेकिन इस शहर के जानेमाने बिल्डर जोकि बहुत ही खड़ूस था, उसने अपने राजनैतिक संबंधो का ईस्तेमाल करके गैरकानूनी तौर पर ये जमीन हथिया ली थी, और इसपर फ्लेट बना दिए, बाजू वाले फ्लेट मे मैं चौकीदार हू और तुम्हारा और ये सभी फ्लेट इसी कब्रिस्तान पर बने है |

मैं भौंचक्का सा रह गया, अब मैं घर गया और फिर से रात को मुजे वहाँ गार्डन मे वही झुले पर बैठा हुआ लड़का दिखा, फिर से मुजे वहाँ जाने की ईच्छा हुई, मैं वहाँ गया और उसे बात करने की कोशिश की,

मैं : अरे तुम फिर से यहां? क्यु बार बार यहा आते हो? तुम पर खतरा हो सकता है इतनी रात को |

लड़का : मेरा घर बहुत ही छोटा है, घुटन महसूस होती है इसलिए मैं बाहर आ जाता हू |

मैंने सोचा कि इससे बात करके कुछ फायदा नहीं था, इसलिए वहां से चला गया, दूसरे दिन मैंने मेरे पापा को ये बात बताई तब वो भी चौंक उठे, उस दिन रात को मैंने उन्हें वो झूलता हुआ झुला दिखाया, लेकिन इस बार वहां मुजे कोई नहीं दिखा, वो अपने आप हिल रहा था, पापा डर गए, हमने ये बात सेक्रेटरी को भी बतायी, उन्होंने भी इस बात को समर्थन दिया |

मुजे उस गार्डन मे उन सभी मृत बच्चों के लिए हवन करवाने का खयाल आया ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके | रविवार के दिन वो हवन करवाने का निर्णय लिया था, गार्डन मे मैने ही पिंडदान करके उन सभी बच्चों की शांति के लिए प्रार्थना की, पिंडदान के बाद जब मेरी नजर आकाश की ओर गई तो मैंने देखा कि वो लड़का मुजे आकाश मे दिख रहा था, बहुत ही खुश था और मुजे Bye का इशारा करते हुए गायब हो गया, हवन पूरा हो गया था, मेरी आंखे खुशी से नम थी कि मैं निमित बना था किसीके मोक्ष का | लेकिन एक बात थी, अब मुजे पता चल गया था कि वो लड़का गया किधर?