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बरसात की एक रात


बॉम्बे के मलाड वेस्ट के बंगला नंबर 305 से, रोशन जिसकी हाईट 6 फीट 2 इंच, रंग गोरा, आँखे ऐसी की किसी को देखे तो अपना बना लें, बाल एकदम सलीके से बनाये हुए, ब्लैक कलर के शूज़, हाथ मे शानदार डायमंड की घड़ी पहने हुए, अपनी शर्ट की बाहें उपर उठाते हुए, गुस्से से घर से बाहर निकलकर कार से ऑफिस के लिये निकलता है। लगता है आज मीना और रोशन के बीच झगड़ा हुआ। बीच रास्ते मे मीना का बार-बार फोन आ रहा था। रोशन कार मे रखी लाल रंग की गेंद को देखते हुए और भी लाल हो रहा था, साथ ही किसी भी फोन का जवाब दिये बिना सारे फोन काट रहा था। अपने गुस्से को काबूमे करते हुए, रोशन ऑफिस पहुँचता है।
गुस्से से लाल रोशन अपने ऑफिस पहुँचकर अपनी सेक्रेटरी को बुलाता है।
एक खूबसूरत लड़की, शॉर्ट ड्रेस मे, आँखों पर गोल काले रंग के चश्मे, अपने हाथो मे फाइल लिये, बालों की लट को हाथो से घुमाते हुए, रोशन के ऑफिस मे प्रवेश करती है। यह है रोशन की सेक्रेटरी जो बेहद खूबसूरत है। नाम है रिया। पर है थोड़ी घमंडी स्वभाव की।
"जल्दी जल्दी प्रोजेक्ट की फाइल तैयार करो, एक सप्ताह के लिए हमे दुबई जाना है।" रोशन ने बड़े ही उतावलेपन का परिचय देते हुए कहा।
रिया एक टकटकी नज़रों से रोशन को देखते हुए "जी सर" कहती है।
अब शाम के करीब-करीब 6 बज रहे थे। मीना ने लगभग सुबह से 50 कॉल किये लेकिन रोशन ने एक का भी जवाब नही दिया। रिया और रोशन दुबई जाने के लिए करीब-करीब 7 बजे ऑफीस से निकलते हैं लेकिन बीच रास्ते मे भारी बारिश शुरू होती है। जैसे-तैसे करके दोनों एयरपोर्ट पहुँचते हैं।
रात के करीब 2 बजे-
एक सुनसान सड़क पर एक इंसान अपने चेहरे को पूरी तरह ढककर तेजी से एक घर की ओर बढ़ रहा था। सड़क पर घुटने डूब जाये, उतना पानी बह रहा था। आकाश से बिजली रात की शांति को भंग कर रही थी। हल्की-हल्की बूंदाबांदी के बीच वो दीवार फांद कर घर मे प्रवेश करता है। बारिश की वजह से बिजली पहले से ही गुल थी इसलिए पूरे घर मे अंधेरा छाया हुआ था। घर का मुख्य दरवाजा अंदर से बंद था। वो घर के पीछे बनी एक खुली हुई खिड़की से घर मे घुसता है। धीरे-धीरे घर के एक-एक कमरे की तलाशी लेता है। बाहर बहुत तेजी से बारिश हो रही थी। आकाशीय बिजली अपने पूरे वेग से चमक रही थी। सड़क पर पानी के बहने की आवाज आ रही थी। गली मे बने सभी घरों की बिजली बंद थी। पेड़ पौधे हवा के वेग से रोद्र रूप धारण किए हुए थे। वहीं पास मे भरे पानी से मेंढक के टर टर करने की आवाज आ रही थी।आस पास का वातावरण मेघ गर्जना से कंपन कर रहा था।
तभी वो इंसान घर मे किसी से टकरता है। टेबल पर रखी गिलास नीचे गिरती है। वो जैसे ही टकराया उसके हाथ गीले हुये। वो अचंभित होते हुए गिलास की आवाज बंद करने के लिए गिलास को पकड़कर खड़ा होता है की एकाएक बिजली जोर से कड़कती है। बिजली की चमक से वो अपने हाथो मे लगे खून को देखता है। घबराता हुआ घर से बाहर भागने की कोशिश करता है। उसी समय अचानक बिजली आ जाती है। घर के ठीक सामने पुलिस खड़ी होती है। पुलिस उसको रंगे हाथों पकड़ती है। चोर,पुलिस को देखकर कपकपाते हुए अपने आप को पुलिस के हवाले कर देता है। पर एक ही बात बार-बार बोले जा रहा था- "मैंने कुछ नही किया साहब! मैने ई कुछ नही किया।"
"हर मुजरिम जुर्म के बाद यही बोलता है, ले चलो इसको थाने।" कड़क आवाज मे इंस्पेक्टर राठौड़ ने कहा।
इंस्पेक्टर राठौड़ हाथ मे पुलिस का डंडा लिये, कुछ सिपाहियों के साथ, मौका-एं-वारदात के लिए घर मे प्रवेश करते हैं। घर मे एकदम शांति थी। नीचे के दो कमरो की तलाशी के बाद ऊपर वाले कमरें मे जाते हैं। इंस्पेक्टर राठौड़ एकदम से बोल उठते है "खून!" पास मे खड़ा सिपाही बोला, "कहाँ है सर।"
"सभी अपने-अपने ग्लब्ज पहन लो और घर की अच्छी तरह से तलाशी लो, देखो कुछ मिलता है क्या?" इंस्पेक्टर राठौड़ ने कहा।
पास खड़े सिपाही से, इंस्पेक्टर राठौड़-"तुम आस-पास वालों से पूछताछ करो, इनके बाकी परिवार वाले कहाँ रहते है। "
सिपाही, "ठीक है सर।"
रात भर के सन्नाटे को चीरती हुई सूर्य की पहली किरण के आगमन के साथ अगले दिन की शुरुआत होती है। बारिश रुक चुकी थी। गली मे पानी उतर चुका था। लोगों की चहल-पहल शुरू हो चुकी थी। बच्चे स्कूल जा रहे थे। तभी दुधवाला दूध लेकर आता है। बाहर खड़ी पुलिस की गाड़ी को देखकर घबराता हुआ आगे बढ़ता है।
"साहब, हम दूधवाले हैं। रोज दूध हम ही देते हैं। क्या हुआ?""
इंस्पेक्टर राठौड़, "क्या आप हमे बता सकते हो कि इस घर मे कौन-कौन रहता है?"
दुधवाला, "हाँ साहब, मेडम, उनकी एक बेटी जो करीब 12 साल की है, और रोशन साहब, बस तीन लोग ही रहते हैं।"
इंस्पेक्टर राठौड़, "अच्छा ठीक है, तुम जा सकते हो, मेडम का खून हो गया है।"
दूधवाले के हाथ से दूध गिर जाता है। कपकपाते हाथो से बर्तन उठाकर दूध वाला चला जाता है।
इंस्पेक्टर राठौड़ अपने सिपाही से, "देखो उनकी लड़की कहाँ है? जो दूधवाला बोल के गया है। और अभी तक इनके हसबैंड से बात हुई क्या?"
सिपाही, "उनका फोन बंद बता रहा है।"
कुछ ही देर मे पड़ोसी आ जाते हैं एवं अलग-अलग नंबर से रोशन को फोन करते हैं, करीब-करीब 8 बजे उनकी रोशन से बात होती है।
रोशन, "सर मैं दुबई मे हूँ, मैं अभी यहाँ से निकलता हूँ।""
करीब 2 बजे रोशन पुलिस के सामने हाजिर होता है। वहीं पुलिस,चोर को रिमांड पर लेकर पूछताछ करती है। लगातार दो दिन तक मारते रहने के बाद भी चोर एक ही जवाब दे रहा था, "साहब मैंने कुछ नही किया, मै तो वहाँ चोरी करने गया था। मैंने खून नही किया है।"
आखिरकार पुलिस को आभास होता है कि शायद चोर ने खून नही किया है। तो आखिर खून किया किसने, और क्यों? जबकि उसका पति दुबई मे था। और उसकी छोटी बच्ची, वो कहाँ है? और खून वाली जगह से हमे जो लाल रंग की गेंद मिली, वो क्या इशारा करना चाहती है? आखिर बिना वजह से कोई किसी को क्यों मारेगा? ऐसे बहुत से सवालों की तलाश करने पुलिस फिर से रोशन के घर पहुँचती है।
रोशन, "सर कुछ पता चला?"
इंस्पेक्टर राठौड़, "अभी तो नहीं, लेकिन जल्दी ही पता चल जायेगा। अच्छा आप बता सकते हो कि यह कौन कर सकता है? और खून वाली जगह से हमे एक लाल गेंद मिली है, उसके बारे मे आप कुछ बता सकते हैं?""
"सर मुझे कुछ पता नहीं कि आखिर ऐसा कौन कर सकता है और गेंद के बारे मे मुझे नही पता।""
"ठीक है।" इंस्पेक्टर राठौड़ ने कहा।
आस-पास वालों से पूछताछ करने लगे, कई पड़ोसियों से पति पत्नी के रिश्तो के बारे मे पूछा लेकिन किसी ने गलत नही बताया। उल्टा सभी यही बोलते थे कि दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। हाँ ,कभी कभार झगड़ा होता था पर वो तो हर घर मे आम बात है।कभी कुछ ज्यादा नही सुना, दोनों अच्छे से रहते थे।
रोशन की बेटी इंस्पेक्टर राठौड़ से - "सर यह लाल गेंद तो मेरे पापा के कार में थी फिर मम्मी के खून वाली जगह कैसे आई?" इतना बोलते की पुलिस का पूरा का पूरा शक रोशन पर गया।
इंस्पेक्टर राठौड़ सिपाही से, "रोशन को उठाकर पुलिस स्टेशन ले आओ, देखते हैं क्या गुल खिलाये हैं रोशन ने। सिपाही रोशन को पुलिस स्टेशन लेकर आता हैं । सख्ती से पूछताछ करते हैं, लेकिन रोशन एक ही बात बोलता है। मैं उस रात दुबई में था। आप चाहे तो मेरा पासपोर्ट देख लो।
जब पुलिस एयरपोर्ट के CCTV की फुटेज चेक करती है तब पता चलता है कि रोशन उस रात सही मे दुबई गया था । आज ही वापस आया था। तो साफ है की रोशन वारदात के दिन भारत मे नही था। मतलब रोशन ने उसकी पत्नी का खुन नही किया।
इंस्पेक्टर राठौड - आखिर कौन है जो हमसे आँख मिचोली खेल रहा है। और क्यों? और खूनी,खून वाली जगह पर वो लाल रंग की गेंद क्यों रखकर गया? जरूर कोई राज छुपा है इस लाल रंग की गेंद मे, पर क्या? और कौन हो सकता है? क्या दुश्मनी हो सकती है मीना की किसी से, कोई प्यार व्यार का चक्कर तो नही ना इन सब के पीछे?
इंस्पेक्टर राठौड अपने सिपाही को " एक काम करो, रोशन को फिर से बुलाओ कुछ पूछताछ करनी है। "
इंस्पेक्टर राठौड रोशन से "देखो रोशन, मीना के अतीत के बारे मे जितना भी जानते हो वो सब बता दो ताकि हम केस जल्दी से जल्दी खतम कर सके और मीना के कातिल को सजा दिला सके। "
पूछताछ के बीच रोशन " सर एक बात है जो पता नही आप के काम आयेगी या नही पर मुझे लगता है आप को बतानी चाहिए। "
इंस्पेक्टर राठौड क्या है वो , रोशन जल्दी बताओ।" मेरा और मीना का लव मैरेज है। इसबात से उसका परिवार नाराज है। मीना को 15 साल से कोई मिलने नही आता। हा उसका छोटा भाई राजू जो कभी कभार हमारे घर के बाहर घूमता है। कही बार मीना को जान से मारने की धमकी दी है। हो ना हो उसका हाथ हो सकता है। बाकी तो हमारे जीवन मे कोई दुश्मन नही है सर।
पुलिस मीना के माँ बाप के गाँव जाकर राजू के बारे मे पूछताछ करती है । तो पता चलता है की मीना के माँ बाप कब के मर चुके है। और राजू पूरे दीन दारू पिता है। गली मे क्रिकेट खेलता है। अभी शादी नही हुई है। तथा कॉलेज अभी अभी पूरा किया है। गुंडा गर्दी करना उसके लिए मानो जीवन को सुकूँन देंने वाला शोक हो। आवारागिरी उसका गहना हो। बड़े बुर्जुग लोगो का अपमान करना भी वो एक खेल समझता था। हर रोज दारू और जूआ खेलना उसका शोक था। जूआ खेलने की आदत ने उसे आर्थिकरूप से धीरे-धीरे कमजोर कर दिया था। उसकी आवारागर्दी से गाँव का बच्चा बच्चा वाकिप था।
जब पुलिस उसको गिरफ्तार करने के लिए उसके घर गई तो वो वहाँ नही था। पड़ोसियों ने बताया की आप यहाँ इंतजार करो वो कभी भी आ सकता है। पुलिस की टीम वही बैठकर इंतजार करने लगती है।
कुछ देर बाद -
राजू अपनी पुरानी बाइक लेकर आता है। घर के बाहर पुलिस देख थोड़ा घबराते हुए पुलिस से - क्या हुआ सर।
एक सिपाही, सर इसने तो बहुत ज्यादा दारू पी रखी है क्या करे।
"क्यों और किसलिए मारा?" इंस्पेक्टर राठौड ने गुस्से से पूछा।
राजू - किसे सर, "मीना को " इंस्पेक्टर राठौड़ गुस्से से बोलते हुए।
यह क्या बोल रहे हो सर मै और मेरी बहन का खून ।
हा तुमने ही किया है।
"क्यों और किसलिए राजू की आँखों मे आँखे डालकर " गुस्से से इंस्पेक्टर राठौड़ ने कहा।
नही सर मैंने नही किया। हो ना हो यह उसके पति का ही काम हो।
इंस्पेक्टर राठौड़ " तो तु ऐसे नही बताएगा" ले चलो उसको पुलिस स्टेशन वही सब सच्चा बाहर आयेगा।
गाँव मे बहुत से लोग जमा हो गये। सभी के चेहरे पर खुशी थी। क्युकी गाँव का बच्चा बच्चा राजू से परेशान था।
"अच्छा हुआ साले को पुलिस पकड़कर ले गई नही तो कभी मेरे हाथो मारा जाता " गाँव के रामु काका ने कहा।
पुलिस के चार डंडे पड़ते ही तोते की तरह मुह खोलने लगा राजू। हाँ सर मैंने ही मारा है मेरी बहन को।
"क्यों? और कैसे मारा " इंस्पेक्टर राठौड़ ने कहा।
सर रोशन की सेक्रेटरी मेरी दोस्त है । हम दोनों बहुत जल्द शादी करने वाले थे। बहन के पास पैसे मांगे तो मना किया। और मेरी दोस्त को नौकरी से निकालने की धमकी दी मुझे। मे वैसे भी उसकी शादी के खिलाफ था। वो गुस्सा तो अलग से लावा बनकर मेरे अंदर बह रहा था।
जब मुझे पता चला की रोशन दुबई जाने वाला है। तो रिया और हमने प्लान बनाया की तु कैसे भी करके दुबई जाना कैंसल करवा देना और रात किसी होटल मे रुक जाना। और जो लाल रंग की गेंद थी वो भी मुझे रिया ने ही दी थी। उसे पता था की रोशन की कार मे हमेशा लाल रंग की गेंद होती है। लाश के पास रखने का सुझाव रिया ने ही दिया था। हम दोनों रोशन को फसाकर उसका बिजनेस हड़पना चाहते थे।
उस रात मैंने ही मेरी बहन का खुन किया था और वहा से भाग गया। जब वो चोर घर मे गुस रहा था तब मे घर पास वाले रास्ते मे खुन करके आ गया था।
इंस्पेक्टर राठौड़ " तुम दोनों को फ़ासी ही होगी अब जेल मे बैठकर शादी करना और हा बिजनेस भी"
इसीलिए तो कहते है, "परफेक्ट क्राइम कुछ होता ही नहीं।"
भरत (राज) ❣️