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खुशी महसूस करें। 


अंतर्मन को पुनर्जीवित कैसे करें, जबकि पहले से ही अपनी आत्मा को उजागर करने के सारे रास्ते बंद करके रखें हो। और क्या अंतर्मन को पूरी तरह से खोल कर रख देने से अपना जीवन आनंदित हो उठेगा?
जहां तक मेरा मानना है जरूर ,आपका जीवन खिल खिलाकर मुस्कुरा उठेगा। जब आप आंतरिक रूप से मजबूत बन जाओगे,अपने भीतर की शक्तियों को पहचान लोगे , तब आपका जीवन नाटकीय रूप से परिवर्तित हो जाएगा। कुछ छोटी-छोटी चीजों को जीवन में बदलकर भी हम अपने आंतरिक शक्तियों को जगा सकते हैं।
एक सुबह की बात है । जब मैं और मेरा दोस्त सुबह-सुबह जल्दी उठकर दोनों ही पैदल चल रहे थे। एक शानदार सड़क जो की अभी अभी बनी थी। उसके ऊपर सफेद रंग की पट्टी की हुई थी। बहुत सारे सड़क के किनारे पेड लगे हुए थे । उन पेड़ों में से पक्षियों की मधुर आवाज आ रही थी। मैं उस ऊर्जा को,उस प्रकृति को आत्मसात कर रहा था। मे उस खूबसूरत सुबह को जी रहा था । पक्षियों की शानदार आवाज सुनते हुए मेरा मन प्रफुलित हो रहा था । वही मेरा दोस्त मेरे पास धीरे-धीरे बस चल रहा था । उसके चेहरे पर कोई हाव–भाव नहीं थे। वो प्रकृति की सुंदरता को महसूस ही नहीं कर पा रहा था । जब मैंने उसे सवाल किया की यार तू सुबह-सुबह इतनी खूबसूरत प्रकृति है, फिर भी तू अपना चेहरा मुरझाकर मेरे साथ क्यों चल रहा है । तेरे चेहरे पर वो चमक क्यों नहीं है। क्यों इतना उदास है ? तेरे चेहरे पर खुशी क्यों नहीं है । तुम मुस्कुरा क्यों नहीं रहे हो।उसने वही रोना रोया जो आम तरह से सब लोग कहते हैं । बोला घर में परेशानी है। बेटी बड़ी हो गई है, तो उसकी शादी की चिंता है। वह आगे कुछ बोलता उससे पहले वह रुक गया। मेरे बार-बार पूछने पर उसने मुह खोला और कहा पत्नी के साथ हर रोज झगड़े होते है।
इतनी खूबसूरत सुबह में प्रकृति का अहसास। मोर आस– पास घूम रहे हो। चिड़ियाओ की ची–ची की आवाज आ रही हो। इतनी शानदार खूबसूरत प्रकृति के अंदर भी अगर , सुबह-सुबह मेरा दोस्त मेरे बार-बार सवाल पूछने पर उसकी आंखों से आंसू निकलते हैं।इसका मतलब मेरा दोस्त आंतरिक आनंद खो चुका था। उसे अब जीने की चाहत नहीं रही है। वह चलने के लिए मेरे साथ चलता था। क्योंकि उसने अपने अंदर दर्द को भर के रखा है। जब तक दर्द तुम्हारे अंदर रहेगा, तब तक तुम सकारात्मक ऊर्जा को अपने अंदर, आत्मसात नहीं कर पाओगे। इसलिए जरूरी है कि अपने आंतरिक भाग में हमेशा एक सकारात्मक ऊर्जा के लिए जगह रखो, नहीं तो आंतरिक ऊर्जा नकारात्मकता में परिवर्तित हो जाएगी।
हमें हर वक्त अपने आप से यह सवाल करना चाहिए ।कि मैं यह कर सकता हूं । मुझ में वह समझते हैं । मैं हमेशा खुश रह सकता हूं । आप चाहे कश्मीर से कन्याकुमारी तक किसी भी खूबसूरत जगह पर चले जाओ लेकिन आप आनंदित नहीं हो पाओगे जब तक आप आंतरिक मन से या अंतर्मन से खुश नहीं हो।
जब तक आपकी आत्मा खुश नहीं है । तब तक आप प्रकृति का सही अर्थ में आनंद उठा ही नहीं सकते ।आपको जीवन जीना है। तो खुशी के साथ जीना है । दुःख दर्द में रहकर आप भला जीवन से क्या प्राप्त कर सकते हो। कुछ भी तो नही।
नई-नई सड़क पर मैं और मेरा दोस्त इसी तरह बातें करते हुए आगे बढ़ रहे थे । अचानक से उसके चेहरे पर मेरी बातों ने असर किया और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। फिर मैंने उसको थोड़ा पागल बनने के लिए बोला, थोड़ा बच्चा बनने के लिए कहा ।
मैंने उसको कहा की देख यह जो नई सड़क बनी है उस पर जो वाइट कलर की पट्टी है। उस पर तुझे दौड़ना है । अपने दोनों हाथों को खोलकर और कुछ बच्चों जैसी हरकतें भी करनी है ।सुनसान पड़ी सड़क पर मैं और मेरा दोस्त दोनों इस वाइट वाली पट्टी पर दौड़ने लगे । उस छोटी सी दौड़ ने हमारे अंदर नई ऊर्जा का संसार कर दिया था । वो मुस्कुराने लगा मुझे देखकर , अपने सारे गमों को भूल चुका था । उसको आज का दिन अच्छा लगने लगा । वह प्रकृति को धन्यवाद देने लगा । मेरे दोस्त ने मुझसे एक सवाल पूछा, क्या यही जीवन है ? । मैंने सिर्फ उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा दिया।
मेरी बातो से उसकी दिलचस्पी मेरी बातों में बढ़ने लगी । उसने कहा और क्या-क्या है। जिससे जीवन बदल सकता है। जिससे सही मायने मे हमे खुशी मिल सकती है। क्या खुशी पाने के लिए घर परिवार छोड़ देना चाहिए । अकेलेपन में जीना चाहिए। अपने आप से प्यार करना चाहिए । मैंने प्रति उत्तर दिया नहीं।
मैंने कहा जीवन में समतलता नहीं होगी । उतार चढ़ावो से भरा रास्ता है। हमारे बच्चे,हमारी पत्नी ,हमारे मां-बाप यह भी हमारे जीवन के अहम बिंदु हैं ।इससे होकर ही हमारे जीवनरूपी रेल आगे बढ़ेगी ।यह हमारे सारे स्टेशन है। किसी स्टेशन पर हमें खास प्रकार का सुख मिलता है । तो किसी स्टेशन पर हमें दुख मिलता है। हमें तो बस लगातार चलते रहना है ।और अपने आप को आनंदित जोश से भरा हुआ ,तरोताजा हर वक्त महसूस करना है । इस बात का हमेशा ध्यान रहे की कोई अपने ऊपर कब्जा न कर सके । आप जो करने के लिए आए हो वह सब करें। मैं मानता हूं कि समाज का होना जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका है । परिवार भी अपने लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन इन सब के साथ साथ हमेशा खुश रहिये। अपने आप को हमेशा आनंदित ,खुश महसूस करते हुए जीवन को जीना चाहिए।
भरत (राज)