Jidal ka gadha in Hindi Short Stories by Ved Prakash Tyagi books and stories PDF | जिदाल का गधा

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जिदाल का गधा

जिदाल का गधा

जिदाल की जीविका का एकमात्र साधन वह गधा ही था जिससे जिदाल ईंटे व दूसरा ईमारती सामान ढो कर इतना तो अवश्य ही कमा लिया करता था कि अपने परिवार का पेट भर सके और गधे के खाने के लिए घास खरीद ले।

जिदाल गधे से बहुत प्यार करता था, उसको अपने परिवार का सदस्य ही मानता था जिससे जिदाल की पत्नी कई बार ईर्ष्या करने लगती और कहती, “ये गधा तो मेरी सौतन है।” जिदाल पत्नी की इस बात पर ज़ोर से ठहाका लगाता और कहता, “अरे रानी! तू तो मेरी रानी है, तेरी जगह मेरे दिल में है जहां तेरे अलावा कोई और नहीं आ सकता, तू बेकार में ही इस बेजुबान से नाराज होती है।”

जिदाल ने इस गधे को छोटे बच्चे से पालकर बड़ा किया था फिर उससे प्यार और लगाव होना तो स्वाभाविक ही था। जिदाल ने उसके गले में घुंघरुओं की माला पहना रखी थी, जब भी वह चलता या गर्दन हिलाता तो बड़ी मधुर आवाज घुंघरुओं से निकलकर वातावरण में फैल जाती और लगता जैसे सब संगीतमय हो गया हो।

उस दिन गधा बहुत बेचैन था, ठीक से घास भी नहीं खा रहा था, जिदाल बहुत परेशान था और बार बार गधे के सिर पर, कमर पर हाथ फिराकर उससे अपना प्यार जाता रहा था। जिदाल ने देखा कि गधा एकदम से चौकन्ना हो गया, उसके कान खड़े हो गए एवं खूँटे से खुलने के लिए तुद्फ़ुड़ाने लगा। तभी जिदाल को कुछ आवाजें सुनाई दी, तो लगा जैसे कोई दीवार को तोड़कर घर में घुसने की कोशिश कर रहा है। जिदाल को यह समझते देर न लगी कि उसके घर में चोर घुस रहा है।

जिदाल लाठी हमेशा अपने पास ही रखता था, मजबूत लाठी में पीतल की टोपी लगी थी एवं दूसरे किनारे पर तांबे के तार लिपटे हुए थे जिससे उसमे और मजबूती आ गयी थी, एक भी पड़ जाए तो वहीं ढेर हो जाए। जैसे ही चोर घर में घुसने की कोशिश कर रहा था, तभी जिदाल ने अपनी पूरी ताकत से चोर पर लाठी का भरपूर वार कर दिया। एक लाठी में चोर वहीं ढेर हो गया, तभी जिदाल ने दूसरे पड़ोसियों को जगाकर सारी बात बताई।

अब गधे की बेचैनी ठीक हो गयी थी एवं वह आराम से घास खाने लगा। जिदाल समझ गया कि गधे को चोर का अहसास पहले से ही हो गया था इसीलिए ही वह इतना बेचैन था। थोड़ी देर बाद जिदाल ने देखा कि गधा घास खाकर सो गया था। सुबह जिदाल ने यह बात अपनी पत्नी और पड़ोसियों को बताई तो लोग गधे की स्वामिभक्ति से बड़े प्रसन्न हुए।

कुछ दिन बाद जिदाल को एक कार्यालय में ईंटे ढोने का काम मिला तो जिदाल अपने गधे पर लाद लाद कर ईंटे ढो रहा था। कार्यालय में एक व्यक्ति का बटुआ चोरी हो गया। जिस व्यक्ति का बटुआ चोरी हुआ था, वह बड़ा ही उदास बैठा था, तभी उसके मित्रों ने उसकी हंसी उड़ाने के उद्देशय से उसे कहा, “भाई! ये जो गधा ईंटे ढो रहा है, यह तुझे बता देगा कि तेरा बटुआ किसने लिया है, बस तू उसके सामने जाकर हाथ जोड़कर पूछना, अगर उसका मालिक मना करे तो भी उसके सामने से मत हटना।”

वह मित्रों की बात सच मानकर वह गधे के सामने हाथ जोड़कर पूछने लगा, “हे गर्दभ महाराज! किसी ने मेरा बटुआ चोरी कर लिया है, कृपया करके मुझे चोर के बारे में बताएं।” बाकी सारे मित्र भी घेरा बनाकर उसके साथ ही उसका मज़ाक बनाने के लिए खड़े हो गए। जिदाल को यह बात बड़ी अजीब लगी और जिदाल ने उस व्यक्ति को वहाँ से हट जाने के लिए विनती की लेकिन वह तो अड़ गया कि नहीं मुझे किसी ने बताया है ये गधा मुझे चोर के बारे में बता देगा। इस सबसे गधा थोड़ा विचलित हो गया और अनायास ही एक व्यक्ति की तरफ बढ़कर उसको अपना मुंह लगा दिया।

अब सभी कहने लगे, “भाई! इसका बटुआ तेरे पास ही है, अब तो गधे ने भी बता दिया अतः इसी में भलाई है कि तू इसका बटुआ चुपचाप वापस दे दे।” उस व्यक्ति ने बटुआ निकाल कर दे दिया और माफी मांगी। इस घटना से जिदाल के गधे की जय जयकार हो गयी।

जिदाल को भी लगा कि कुछ तो ऐसा है जो ये गधा जान जाता है, उस दिन चोर का अहसास और आज इस घटना से, कुछ तो है जो इस गधे में औरों से अलग है।

जिसका बटुआ मिल गया था उसने फूल माला लाकर गधे के गले में डाली और एक सौ रुपए का नोट निकाल कर जिदाल को दिया। जिदाल ने रुपए लेने से काफी माना किया लेकिन वह नहीं माना और जबर्दस्ती रुपए उसकी जेब में रख दिये।

जिदाल का गधा धीरे धीरे इस बात के लिए प्रसिद्ध हो गया कि वह पूछा देता है, समस्याओं का सही हल बता देता है। लोगों की भीड़ जिदाल के घर पर लगने लगी, जिदाल ने भी अब ईंटे ढोना बंद कर दिया। जो लोग अपने प्रश्न पूछने आते थे वे कुछ न कुछ चढ़ावे के रूप में चढ़ा कर जाते जो जिदाल की प्रतिदिन की कमाई से कई गुना हो जाता। ‘जिदाल बाबा के गर्दभ महाराज’ के नाम से दोनों पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गए और उसके घर पर तरह तरह लोगों की भीड़ लगने लगी, पूरा घर फूलों की महक, अगर बत्ती, धूप बत्ती की सुगंध से महकने लगा।

एक दिन एक आदमी किसी खेत में गन्ना तोड़ने के लिए घुसा तो उसको तीन बार आवाज आई, “गन्ना मत तोड़ना” फिर भी उसने गन्ना तोड़ कर चूस लिया। उसको आवाज लगाने वाला कोई भी नहीं दिखाई दिया तो उसके मन में बहम हो गया कि हो सकता है कोई भूत प्रेत होगा अतः गन्ना चूसते ही उसको बुखार हो गया। वैसे भादों माह में गन्ना चूसने से अक्सर बुखार होता है। लेकिन उसको बहम हो गया और दर के कारण रात में उसकी मृत्यु हो गयी। घर वाले बड़े परेशान कि अचानक यह क्या हो गया और उसी समय उसके घरवाले उसके मृत शरीर को लेकर जिदाल बाबा के गर्दभ महाराज के यहाँ पहुँच आ गए। मृत शरीर को गर्दभ महाराज के सामने रखकर प्रार्थना की तो गधे ने अनायास ही उस मृत शरीर में ज़ोर से दुलत्ती जड़ दी। गधे के दुलत्ती मारने से उस मृत शरीर का हृदय गति एवं साँसे लौट आई, लोग जिदाल बाबा और गर्दभ महाराज की जयजयकार करते हुए चले गए।

शायद डर के कारण उस व्यक्ति की हृदय गति रुक गयी थी जो समय रहते गधे की दुल्लती लगने के कारण दोबारा शुरू हो गयी और लोगों को लगा जिदाल बाबा व गर्दभ महाराज की कृपा से एक मृत व्यक्ति दोबारा जीवित हो गया। यह बात जंगल की आग की तरह पूरे क्षेत्र में फैल गयी, दूर दूर से लोग अपनी समस्याएँ लेकर जिदाल बाबा के पास आने लगे, सुबह से साँय तक घर लोगों से भरा रहता, भजन कीर्तन होते रहते। लोग ज्यादा से ज्यादा धन समर्पित करते। अब लोगों ने जिदाल गधे वाले को जिदाल बाबा बना दिया एवं उस ईंट ढोने वाले को गर्दभ महाराज बना दिया। जिदाल बाबा ने एक बड़ा सा आश्रम बनाया जिसमे वह सभी भक्तों की सेवा करने लगा और भक्तों ने एक सीधे साढ़े गधे वाले मजदूर को प्रसिद्ध बाबा बना दिया।