vo kon thi - 23 books and stories free download online pdf in Hindi

वो कौन थी - 23

जिया ने डोरबेल को पुश किया! 
उसी पल दरवाजे के भीतर लगे सेंसर के स्पीकर से आवाज उठी!
"अस्सलाम वालेकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातहू..! दरवाजा खोलिए..! कोई बाहर दरवाजे पर मौजूद है..! दरवाजा खोलिए..! दरवाजा खोलिए..!"
स्पीकर बजने लगा! 
एक एक पल जिया के लिए बहुत ही भारी साबित हो रहा था! उसके साथ पेश आए वाकये से वो इतनी बुरी तरह डरी हुई थी कि बार-बार पीछे मुड़कर गली में देख रही थी! 
डोरबेल बजने के बावजूद दरवाजा खोलने में देरी हुई तो उसने दरवाजे को जोरों से ठोकना शुरू किया!
"दरवाजा खोलो..! खलिल दरवाजा जल्दी खोलो..!"
"कौन है..?" दूर से खलिल की आवाज सुनाई दी..!"
"मैं हूं जिया..! जल्दी दरवाजा खोलो..!"  दबी सी आवाज में जिया बोली थी! 
डोर खोलते ही खलिल चिहूंक पड़ा!
"जिया..!! इस वक्त तुम..? क्या हुआ सब खैरियत तो है..?"
"कौन है बेटा..?"
भीतर से खलिल की अम्मी ने पूछा!
घर में दाखिल होते ही जियाने मैन डोर बंद कर लिया!
"क्या बात है तुम इतनी डरी हुई क्यों हो..? 
"उसे सांस तो लेने दे बेटा एक साथ कितने सवाल पूछेगा.? जरा गौर से देख मेरे बच्चे उसकी सांसे फूली हुई है.?"
खलिल की अम्मी जिया को देखते ही समझ गई थी! जरूर कोई ऐसी बात है, जिसको बताना जिया ने जरुरी समझा!
उन्होंने जिया का हाथ पकड़कर सोफे पर बिठाया! 
"तुम आराम से बैठो बेटी मैं पानी लेकर आती हुं..!"
गुलाब की पंखुड़ियों से होठ सिकुड गए थे! गोरे चेहरे की रंगत को किसी की नजर लग गई थी! पसीने से भीगे चेहरे को उसने अपने दुपट्टे से साफ किया!
खलिल उसके करीब आकर बैठ गया!
एक पल के लिए उसने खलिल के हाथों को अपने हाथों में लेकर सहलाया..!
"खुदा का शुक्र है तुम बिल्कुल ठीक हो खलिल मै बहुत घभरा गई थी!"
ऐसी बहकी-बहकी बातें क्यों कर रही हो.?
खलिल के सवाल को नजरअंदाज करके वो बोली!
"अंकल जी कहां है.. मुझे उनसे कुछ बात करनी है?"
"फज्र की नमाज पढ़ने गए है बस आते ही होंगे..! मेरे पैरों में अभीभी सूजन है तो मैंने घर पर नमाज अदा करली!"
खलिल की अम्मी को पानी लेकर आते देखा तो उसने खलिल के हाथों को छोड़ दिया!
वक्त जाया करना उसे मुनासिब ना लगा!  वो बोली! 
"आंटी जी..! एक ऐसी बात कहने जा रही हूं जिसको सुनकर आप सब के होश उड़ जाएंगे..! 
ऐक लम्बी सांस लेकर वो फिर से बोली! 
"हमारे साथ जितनी भी वारदातें हुई है उन सबको लेकर हमने जितने भी अनुमान लगाए हैं सबके परखच्चे उड़ने वाले है.!"
"अच्छा..? ऐसी क्या बात है..?"
आंटीजी की आंखे हैरानी से सिकुड़ गई!
"पहली बात तो जब से मैं इस परिवार का भला चाहकर आगे बढ़ी हूं तब से लेकर आज तक मेरे साथ हैरतअंगेज घटनाएं पेश आई है..!  आबू में  ऐसे हादसों से गुजरना पड़ा जिसके बारे में सोच कर भी दिल घबरा जाता है ! वो सिलसिला अभी भी रुका नहीं है! और रुकने वाला भी नहीं है! क्योंकि ये सब कुछ सोच समझकर कोई अंजाम दे रहा है! 
मुझे लगता है गुलशन और खलिल का लॉन्ग ड्राइव पर जाना भी खलिल की मर्जी नहीं थी!  जैसे पहले से ही एक 'खेल' खेला गया है! जिसमें गुलशन को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा है..! 
"पर तुम्हें ऐसा क्यों लगता है..?"
जिया की बातें सुनकर खलिल के दिमाग में खलबली थी!
"मुझे एक बात का जवाब दो खलिल..?
क्या लॉन्ग ड्राइव पर जाने के लिए गुलशन को तुम ने उकसाया था..?"
"हरगिज़ नहीं..! गुलशन जिन्नात के साए से मुक्त हुई थी और उसके साथ जो गुजरी थी वह हम सबको पता है! अपने आप को वह कसूरवार समझने लगी थी! गिल्टी फील करने लगी थी!  उसका मन कहीं भी नहीं लग रहा था..! उसके पेट में बच्चा था वो तो वैसे भी सबके लिए सदमा था! हम सब उसके साथ थे फिर भी वह अपने आप को अकेला महसूस कर रही थी! बहुत ही गुमसुम रहने लगी थी! मैं उसे खुश रखने की पूरी कोशिश कर रहा था! हर रोज मन से मैं यही चाहता था कि क्या करूं जिससे उसके चेहरे की मुस्कान वापस लौटा सकू..?  फिर एक दिन उसी ने मुझसे कहा!
"खलिल मैं चाहती हूं हम कहीं दूर-दूर लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं! जहां हरियाली ही हरियाली हो..! हल्की-हल्की ठंड हो..! चारों तरफ पहाड़ हो..! उन पहाड़ों के पीछे से सूरज अपनी पहली सुनहरी किरण लेकर निकलता हो..! दिन भर पशु और पंछियों का शोर हो..! पहाड़ों से निकलने वाले झरनो का कलकल निनाद अपने लय से ऐसा माहोल बनाता हो जिसको महसूस करके ऐसा लगे..! बस यही रुक जाए..!" 
"उस दिन पहली बार मुझे लगा गुलशन फिर से जीना चाहती है! मुझे उसकी बातें सुनकर बहुत सुकून मिला! क्योंकि वो सदमे से बाहर निकलना चाहती थी ,वही मेरे लिए सबसे बड़ी बात थी!
फिर मैंने ही उसकी बात मान ली!
"हम कल ही कोई ऐसी जगह निकल जाते हैं..! जैसे मेरे बोलने की ही देरी थी..!
"हम सिर्फ आबू चलेंगे खलिल..! मुझे आबू बहुत पसंद है!"
उसने अपनी इच्छा जाहिर की थी! 
 "ओ माय गॉड..!! गहरी साजिश रखी गई है तुम्हारे साथ..!  
उसने गुलशन को मरने के लिए तुम्हारे साथ बाहर भेज दिया! तुम्हारी किस्मत अच्छी थी खलिल.. बाकी उसने तो ऐसा जाल बूना है कि बारी बारी सबकी मौत निश्चित थी! 
"पर वो कौन है जिया..?"
दरवाजे से सुल्तान ने प्रविष्ट करते ही पूछा! 
"अंकल जी मैं वही बताने आई हूं..!" 
इतना बोलते ही जिया की आंखें फटी सी रह गई! 
"ऐसे क्या देख रही हो मुझे..?" 
डर और घबराहट के मारे जिया के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी और वह एक-टूक सुल्तान को घूर रही थी..!!
"अब बोलो भी चुप क्यों हो गई? कौन है जो हम सब के पीछे हाथ धोकर पड़ा है..?'
" बेचारी जिया क्या बोलती?"
वो कभी सुल्तान को तो कभी खलिल और उसकी अम्मी को देख रही थी!
जैसे सुल्तान को प्रविष्ट करने के बाद खलिल और उसकी मां के चेहरे पर कुछ बदलाव ढूंढ रही थी! 
दोनों के चेहरे बिल्कुल नॉर्मल थे! मतलब साफ था! सिर्फ वही वो मंजर देख रही थी! जिससे उस की बोलती बंद हो गई थी!
सुल्तान के कंधे पर उसके गले में हाथ डाल कर वो सुल्तान की पीठ पर बैठी थी! उसके लंबे लंबे बाल चेहरे पर बिखरे हुए थे! बालों के बीच से उसकी रक्तिम आंखें अलप झलप हो रही थी! उसका चेहरा खून से रंगा हुआ था! उसके दोनों हाथो और पैरो पर किसी जानवर के नुकीले नाखून लगे हो ऐसे जख्म थे!  हवा से जब उसके बाल उड़ रहे थे तो उसकी आंखों में सुलगता ज्वालामुखी जिया को साफ साफ नजर आया!
वो सहम कर रह गई!
"मुझे कुछ नहीं कहना!"
उसने अचानक बात बदली!
"ये क्या बात हुई जिया..? अभी अभी तो तुम कह रही थी की सारे फसाद की जड़ तुम पहचान चुकी हो! तुम उसका नाम भी बताने वाली थी..? तो अब क्या हो गया..?"
जिया ने अपनी लाचार नजरों से खलिल को देखा!
आंखों में बहुत सारे सवाल थे! कुछ ना कर पाने का दर्द था! 
जिया के चेहरे के बदलाव को सुल्तान भांप गया था! 
जिस तरह से जिया उसे देख कर इतनी हैरान थी डरी हुई थी उससे तो साफ जाहिर हो रहा था कि मेरे साथ कोई ना कोई घर में दाखिल हुआ है!
सुल्तान समझ गया था! वो शैतानी काली शक्ति हर वक्त हम पर मंडरा रही है..! जरूर उसने हमारे घर की पवित्र कीलो से बंधी हुई हदों को लॉन्ग दिया है! 
मुझे ही कुछ करना पड़ेगा! वरना जिया का फज्र के वक्त मेरे घर पर आने का मकसद अधूरा रह जाएगा..!
यह सोचकर सुल्तान जिया पर चिल्लाया!
"तुमको मना किया था मैंने कि अपनी मनहूस शक्ल मुझे मत दिखाना फिर तुम मेरे घर पर क्यों आई हो..?"
सुल्तान के बदले तेवर देखकर खलिल और उसकी बीवी बुरी तरह चौके !

वो कौन थी आपको केसी लगी जरूर बताए क्योकि कथानक जरा घुमावदार  रहा है..  आधे पार्ट पढने वाले को समज नही आए मैने जानबुज कर कथानक मे संस्पेन्स बढाया है!