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दिवाली के बाद

सुमित आज बड़ा खुश था उसका ऑफिस में प्रमोशन हो गया था अब वह एक टेलिकॉम कंपनी का सीनियर मैनेजर बन चुका था । सब उसे ऑफिस में बधाईयाँ देते हुए उसके द्वारा दी गई पार्टी का आनंद ले रहे थे। दिवाली का बोनस और ऊपर से यह प्रमोशन उसने सोच लिया था कि इस बार की दिवाली को यादगार बना देगा ।

ऑफिस से निकलकर जैसे ही वह घर पंहुचा उसने अपनी पत्नी मीरा और बच्चो को कहा, “बाज़ार चलो इस बार दिवाली पर कोई कंजूसी नहीं होगी, जो चाहों खरीदों”। सुमित की बात सुनते ही मीरा समझ गई कि कई महीने से रुका प्रमोशन आज ज़रूर मिल गया हैं ।

सब बाज़ार गए, खूब खरीदारी हुई। आज सुमित सारा बाज़ार खरीदकर अपने परिवार की अधूरी ख्वाइशे पूरी करना चाहता था। पर आठ साल का सोनू बोला पापा “ पटाखे नहीं ख़रीदे? “ सुमित को याद आया पटाखों पर तो कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया हैं, तभी पटाखे किसी भी दुकान पर नज़र नहीं आ रहे हैं उसने बोला, ”बेटा शाम तक पटाखे आ जायेंगे।”

अगले दिन शाम को घर सज चुका था पड़ोसी भी मीरा और उसके बच्चो के ठाठ-बाट देखकर दंग रह गए थे। जब सुमित पटाखो की टोकरी लेकर पंहुचा तो बच्चो ने ख़ुशी से गले लगा लिया । मीरा ने पूछा तो उसने बताया “अरे! यार दोस्त की बंद पटाखों की फैक्ट्री का जुगाड़ हैं उसके बिक गए, हमारा भी काम बन गया। वैसे भी सब जला रहे हैं।” और फिर कौन सुनता है सरकार की, सबको अपना फायदा चाहिए, फिर चाहे कोई नेता हो या आम आदमी बस अब ठाठ से दिवाली मनाओ।

दस हज़ार के पटाखे जलाए गए कोई ऐसी आतिशबाजी नहीं थी जो न जलाई गई हो रात के बाद सुबह आई । दिवाली के ठीक हफ्ते बाद मीरा ने सुमित कोऑफिस में फ़ोन कर बच्चो के अस्पताल ‘चाचा नेहरु’ में बुलाया ।डॉक्टर ने कहा, “आपके बच्चे के फेफड़ो में धुँआ घुस गया हैं, जिस वजह से सांस लेने में परेशानी हो रही हैं। किसी बड़े अस्पताल में ले जाइए।“

सुमित और मीरा अस्तपताल 'संजीवराम' में ले गए सोनू की सर्जरी हुई, बीस दिन बाद सोनू को घर लाया गया। फिर भी इलाज चलता रहा। डॉक्टर और दवाईयो के बिल, ऑफिस में काम का बोझ, जिसे चाहकर भी सुमित संभाल नहीं पा रहा था। बॉस भी उसे प्रमोशन देकर पछता रहे थे । बुक की गई नई गाड़ी को कैंसिल कराया गया । बीमा होने के बावजूद सोच से ज्यादा ख़र्चा हो रहा था । तब तो सुमित और मीरा टूट ही गए, जब डॉक्टर ने सोनू को अस्थमा बता दिया और सख्त हिदायत दी की धुएं से दूर रखो। आज मीरा बार-बार सुमित को रोते हए कह रही थी कि “हाय! दिवाली के बाद: यह क्या हो गया इससे अच्छे तो हम पहले थे सुमित। दिवाली के बाद : क्या हो गया! क्या हो गया” सुमित को जैसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। सुमित की नज़रे तो बस रद्दी में पड़े उस पुराने अख़बार पर थी, जिसे उसने पढ़कर भी नहीं पढ़ा था कि ‘सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर लगाया प्रतिबंध’।।।।।।।।।।..........