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जननम - 14

जननम

अध्याय 14

रघुपति के पास से पत्र आया, और दो दिन में आ जाऊंगा। मुंबई से चेन्नई हवाई जहाज से आकर वहां से बस के द्वारा गुरुवार के दिन बाईस तारीख को आऊंगा ऐसा लिखा था।

आज मंगलवार है- बीस तारीख

और दो दिन हैं। अभी से उसके मन में एक खालीपन है ऐसा लगा। कहीं से कुछ निकल कर बाहर आ गया जैसे......

मुंबई के हवाई अड्डे पर रघुपति बहुत ही उत्साहित दिखा। संपत और कमला उसके साथ ही थे। "शादी की फोटो ले लिया साथ में ?" संपत ने पूछा।

"ओ यस, भूला नहीं "

वह विमान में चढ़ कर बैठते ही विमान रवाना हुआ। 'अच्छा हुआ !' आज कमला ने कोई 'विपरीत बात' नहीं बोली वह एक मुस्कान के साथ सोचा।

रघुपति को उस गांव में पहुंचने में शाम के पाँच बज गए। दक्षिण भारत की गर्मी, गंदगी से भरी गलियां लंबी बस यात्रा जिसकी उसको आदत नहीं उसका असर बहुत तेज सर दर्द करने लगा। अपने हाथ में छोटे बैग को लेकर उतरा। बस अड्डे पर ही एक होटल था। गरम कॉफी पीने के बाद ही कुछ कर सकते हैं उसे ऐसे लगा। यह उस होटल के अंदर गया और खाली सीट देखकर वहां बैठ गया। होटल में बहुत से लोग बैठे हुए थे। उसको बड़ा आश्चर्य हुआ। सफेद लूंगी और सफेद शर्ट सिर पर भभूति लगाया हुआ छोटा सा लड़का आकर उसके पास खड़ा हुआ।

"गरम उपमा, दोसा, बोंडा सब है। आपके लिए क्या लाऊं ?"

"गरम एक कप कॉफी बहुत है।"

"इस होटल का बोंडा बहुत स्पेशल है एक प्लेट खा कर देखिए ।"

उसे अच्छा लग रहा था छोटा बच्चा इतने अपनत्व से खातिरदारी कर रहा था।

वह धीरे से हंसते हुए बोला "ओ. के. एक प्लेट लेकर आ जाओ पर देर नहीं लगाना चाहिए।"

"उड़ कर आऊंगा। परंतु ताजा बना कर लाऊंगा। 10 मिनट लगेगा।"

"ठीक है ।"

वह हाथ धोने की जगह जाकर अपने मुंह को अच्छी तरह से धोकर अपने बालों को ठीक किया। इन चार महीनों में उसका शरीर काला और पतला हो गया ऐसे उसे लगा। परंतु इस कारण से वह मुझे ना पहचान सके ऐसा नहीं होगा। आज वह देखने जा रहा है वह उमा ही है उसे निश्चित रूप से उसका मन कह रहा है और इस बात पर उसे आश्चर्य भी हो रहा है। कोई एक बात बिल्कुल पक्की लग रही है- उमा यहीं है।

वह अपने स्थान पर जाकर बैठा और उत्सुकता से चारों तरफ बैठे लोगों को दिखने लगा । उत्तर भारत मेंपैदा होकर वहीं पढ़ लिखकर अपने मां-बाप के मर जाने के तमिलनाडु से उसका कोई संबंध ही नहीं रह गया।

उमा को तमिल भाषा से प्रेम था इसलिए वह तमिल की पत्रिकाएं खरीदती थी। तमिल में वह अब भी पढ़-लिख नहीं सकता। उमा को यह सब कमी महसूस हुई होगी क्या ? 'सिल्ली' वह अपने आप ही बोला।

"अब तक उस लड़की के बारे में कोई बात पता नहीं चली बोल......"

वह जल्दी से मुड़ कर देखा। एक सज्जन अपने पीछे के लंबे बालों को समेट रहे थे भभूति और कुम-कुम उनके माथे पर लगा था। उसे लगा वह कभी-कभी तमिल पिक्चर में देखता है जैसे वे तमिल पंडित जैसे लगे। उनके साथ कोई और भी था।

"आज तक कुछ पता नहीं चला।"

"शहर, नाम न जाने वाली एक अनाथ लड़की को डॉक्टर की मां अपनी बहू मानने को तैयार है ?"

"उसमें क्या बुराई है ? गांव का नाम स्वयं का नाम मालूम नहीं। पुरानी बातें याद नहीं ! लड़की महालक्ष्मी जैसे है। पढ़ी-लिखी है। अच्छे गुणों वाली सभ्य अच्छे कुल ही होनी चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं।

"फिर भी डॉक्टर की अम्मा का बड़ा विशाल हृदय होगा तभी तो.."

"हां, फिर! फिर भी 28 साल तक बिना शादी के रहे लड़के ने अब इसी से शादी करूंगा बोले तो आप क्या करोगे ? नहीं बोल दोगे क्या ? लड़की भी तो बड़ी सुंदर है!"

रघुपति को सदमा लगा। यह किसके बारे में बात कर रहे हैं ? उमा के बारे में तो नहीं ?

"ठीक बात है उस लड़की का सौभाग्य ही समझिए। कहीं से आकर अनाथ जैसे लड़की को अपने डॉक्टर जैसा आदमी मिल सकता है ? बहुत बड़ा संपन्न परिवार-पढ़ाई गुण स्तर ऐसा कहां मिलेगा ?"

"हां बिल्कुल सही बोला आपने आनंद जैसा लड़का मिलेगा क्या ? लाखों में एक है वह ! मेरी दादी की तबीयत ठीक नहीं है तो कहते हैं कि मैं ही आकर देख लूंगा ! आप उन्हें यहां-वहां जाने मत दो और घर आकर देख लेते हैं। जाने मुझसे कभी कहीं पढ़े थे इस विश्वास के कारण ! कितना आदर देता है ऐसा लड़का चेन्नई में होगा क्या ?"

"लीजिए साहब, बोंडा, लाने में आठ मिनट लगे हैं ।"

वह जल्दी से सतर्क हुआ और गर्दन उठाकर रघुपति ने देखा वह छोटा लड़का सफेद दांत दिखाता हंसता हुआ खड़ा था।

माथे पर आए हुए पसीनों को पोंछकर रघुपति, "थैंक यू" बुदबुदाया । उन आठ मिनट में पूरा संसार जैसे समाप्त हो गया ऐसा एक भ्रम उसमें पैदा हुआ।

यह लोग उमा के बारे में ही बात कर रहे हैं ? डॉक्टर आनंद रामाकृष्णन बड़ी उम्र की व्यक्ति नहीं है ? छोटी उम्र के हैं ?

रघुपति को बड़ा सदमा लगा। इस तरह की बात सुनने के लिए ही मैं इतनी दूर से इतने सपनों को संजो के उड़ कर आया हूँ ? सभानायकम से मैं नहीं मिला होता तो इस तरह एक व्यर्थ की यात्रा में तो शामिल ना होकर अब तक अमेरिका में जाकर अपने काम में लग जाता-उमा मर गई इस ख्याल में ही....

"अब जल्दी ही एक शादी की दावत है कहो !"

"जरूर...! उनके घर में यही पहली शादी है अम्मा तो बहुत बढ़िया करेंगी...."

उसकेमाथे की नसें हल्की सी उभर आईं । मन में थोड़ा गुस्सा आ रहा था। जल्दी से उसने अपने को संभाल लिया। मैं इस तरह भावना के अतिरेक में जाऊं तो यह पागलपन ही होगा उसे लगा। वह लड़की उमा ही है मालूम होने के पहले क्यों मुझे गुस्सा करना चाहिए। इन लोगों को उसकी फोटो दिखा कर यही वह लड़की है क्या ? पूछ ले उसे ऐसा लगा वह उठा भी पर अपने आपको तुरंत समझा लिया और संभल गया। सड़क के बीच एक दुकान पर उसकी फोटो को दिखा कर अपने आप को छोटा और सस्ता क्यों करूं उसने सोचा। वह कॉफी पीकर उठकर बाहर आया।

"कौन हैं आप, गांव में नए लग रहे हो ? आपको किससे मिलना है ?"

"मुझे डॉक्टर आनंद कृष्णमूर्ति से मिलना है।"

"अभी क्या समय हो रहा है ?"

"पाँच बज कर चालीस मिनट !"

"अभी वह अस्पताल में ही होंगे। आपके पैदल जाने तक छ: बज जाएंगे। तब तक वह वहां से रवाना हो जाएंगे।"

"कहां ?"

"लावण्या के घर !"

"लावण्या कौन है ?"

"अरे, मैं भी। आपसे जाने क्या-क्या बोल रहा हूं। इसी गली में सीधे जाओ दाहिनी ओर एक मुंसिपल स्कूल है। उस कंपाउंड में ही एक बहुत बड़ा पीपल का पेड़ है, उसके पास ही एक छोटा सा घर है। वही पर उस लावण्या का घर है। वहां निश्चित रूप वह आएगा। आपको किस विषय में उनसे मिलना है ?"

"एक केस के बारे में !"

"फिर आप सुबह 8:30 बजे अस्पताल में ही उनसे मिलो ।"

"मेरे पास समय नहीं है। आज ही मुझे वापस जाना है ।"

"ठीक है। फिर आप उस लड़की के घर ही जाकर बैठ जाइए फिर आप मिल लेना।"

"ठीक है। बहुत धन्यवाद !"

"सीधे जाइए। पीपल का पेड़, मुंसिपल स्कूल....."

"ठीक है।"

"नहीं तो, मैं भी आपके साथ थोड़ी दूर चल सकता हूं, आइए।"

दोनों मौन चल रहे थे उसने साधरण तरह से पूछा।

"वह लड़की उनकी पेशेंट है क्या ?"

"हां ? हां पेशेंट कह सकते हैं। पेशेंट से शुरू होकर अब शादी करने लायक निकटता हो गई है।"

"उनकी स्वाभाविक हंसी पर उसे थोड़ा गुस्सा आया ।" उस लड़की को क्या बीमारी है ?"

"कोई बीमारी नहीं है। चार महीने पहले यहां दूसरी जगह से एक बस आकर नदी में डूब गई। उसमें जितने लोग थे सब मारे गए। सिर्फ एक लड़की उसमें, पता नहीं कैसे आश्चर्यजनक रूप से बचकर किनारे पर पड़ी हुई मिली। अपने डॉक्टर के अस्पताल में लाकर, किसी ने उसे भर्ती करा दिया। उसको जैसे होश आया तो पता पूछा ताकि उनके घर वालों को सूचना दे सकें। तब पता चला वह लड़की सारी पुरानी यादें भूल गई। बहुत प्रयत्न करने के बावजूद भी उनके घरवालों को ढूंढ ही नहीं पाए। एक बहुत बड़ी विश्वास ना करने लायक कहानी है यह....."

इस कहानी का एक मुख्य पात्र मैं हूं इनको पता चले तो ही इस बात पर विश्वास करेंगे क्या उसने सोचा।

"यह देखो, वहां दूर जो पीपल का पेड़ दिख रहा है वही है-वही है लावण्या का घर आप चले जाएंगे ?"

"चला जाऊंगा। बहुत धन्यवाद।"

वे उस बगल वाले गली में मुड़ गए, वह सीधा चलने लगा ।

लावण्या..... यह क्या नाम है ? यह नाम किसने रखा ? जल्दी से अपने को सतर्क किया। वह उमा ही है ऐसा उसेक्या फैसला करना चाहिए ?

वह सामने देखता हुआ चलता रहा।

"वह उमा हो तो ? बहुत ही मुश्किल की स्थिति है। उसकी और किसी के साथ शादी होने वाली है। सभी की रजामंदी से शादी हो रही....ओ कॉन्ट ! इमेज !

रोजाना छ: बजे उससे मिलने वह डॉक्टर जाता है। विपरीत स्थिति को उसने साधन बना लिया । ऐसी परिस्थिति में उसने कैसे इस तरह का सभ्यता पूर्ण पत्र लिखा उसे आश्चर्य हो रहा था.... दी ब्लडी रोग ऐसा उसे गुस्सा आया।

आराम से सोचने पर उसे लगा यह गलती वह शादीशुदा है पता नहीं होने के कारण हुई । किसी की भी गलती नहीं है वह अपने आप ही बोलकर संतुष्ट हुआ । यदि वह लड़की उमा ही होगी तो इस स्थिति को संभालना बहुत मुश्किल नहीं है उसे लगा। अचानक उसके सामने जाकर खड़े हो जाओ तो उसे पुरानी यादें नहीं आ जाएगी ? यदि नहीं आए तो शादी की फोटो दिखाए। मेरे लिए यही सुरक्षित स्थान है कभी तो वह समझ जाएगी ? स्वयं अभी तक वह एक विपरीत स्थिति में थी जब उसे समझ में आएगा। वह डॉक्टर अच्छा नहीं होता तो मुझे आने के लिए नहीं बोलता। मुझे जवाब भी नहीं देता।

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क्रमश...