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Rewind ज़िंदगी - Chapter-3.2:  तकरार

Chapter-3.2: तकरार

Continues from the previous chapter…

बॉम्बे के सुरवंदना संगीत का हॉल आज लोगों से खचाखच भरा हुआ था। सभी का गाना सुनने और उसे मार्क्स देने के लिए बॉलीवुड की कई नामी हस्तियां आई हुई थी। एक के बाद एक सभी ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की अच्छा गाने की पर उनमें से चुना सिर्फ एक को जाना था।

जज के पैनल ने फैसला लिया, 10 लोगों में से उन्होंने 3 बेस्ट लोगों को चुना। उनमें से 1 था अजित और 2 लोग थे, माधव और कीर्ति। जज ने उन तीनों को एक और बार गाने को कहा ताकि वो लोग किसी एक को चुन सके और उसके लिए तीनों को अलग श्रेणी के गीत गाने को कहा गया। पर इसमें चुनौती इस बात की थी कि तीनों को एक दूसरों को कोई भी गाना या फिर गाने की केटेगरी देनी थी। माधव ने तीसरे विजेता अजित को रोमेंटिक सोंग गाने को कहा, अजित ने कीर्ति को आशा भोंसले का गाना गाने को, और कीर्ति ने माधव को इमोशनल गाना गाने को कहा।

तीनों ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, पर सबसे ज़्यादा आसान था कीर्ति के लिए, क्योंकि आशा भोंसले के गाने उसे मुंह-जुबानी थे।

जज का फैसला आने में कुछ देर थी, तभी कुछ ऐसा हुआ जो किसी ने नहीं सोचा था, कीर्ति ने अजित को थप्पड़ मार दिया था और गुस्से में अजित ने भी कीर्ति को बहुत खरी खोटी सुनाई। ऐसा करने की वज़ह जब कीर्ति से पूछने को आई तब उसने कहा, “इसने मुझे जान बूझकर आसान गाना गाने को इसीलिए कहा क्योंकि इसकी अपने दोस्तों के साथ शर्त लगी थी कि मैं ही वो एक विजेता बनूंगी जिसे बॉलीवुड में गाने को मौका मिलेगा और इसके चलते इसने ऐसा किया।”

“ये बात तुम्हें किसने बताई?” रमेश जी ने पूछा।
“ख़ुद इसी ने, इसे लगा इसकी ऐसी बातों से में इससे प्रभावित हो जाऊंगी, पर इसने ग़लत लड़की से पंगा ले लिया है।” कीर्ति गुस्से से लाल हुए जा रही थी, वहीं दूसरे सभी लोग कीर्ति के इस व्यवहार से आश्चर्यचकित थे।

माधव भी यह सोचकर हैरान हो रहा था कि आखिर ये लड़की के दिमाग में चलता क्या रहता है? जब देखो सब से लड़ती झगड़ती रहती है।

“जो भी हो कीर्ति, पर तुम इस तरह का व्यवहार इस मंच पर नहीं कर सकती, खास कर के तब जब बॉलीवुड के दिग्गज लोग जज के तौर पर यहां पर बैठे हो।” रमेश जी ने कहा।
“मैं माफ़ी चाहती हूं पर मैं ग़लत चीज़ बर्दाश्त नहीं कर सकती।” ऐसा कहते हुए उसने अजित को एक थप्पड़ और रसीद कर दी। लोगों ने अजित को वहां से जाने को कहा और कीर्ति को रोक कर रखा गया।

मामला जैसे ही शांत हुआ, जज पैनल ने अपना फैसला सुनाया, “वैसे तो सब से बेहतर गाना कीर्ति ने गाया है, पर हमारा फैसला सिर्फ गाने पर से नहीं होता उसका व्यवहार और लोगों को इज्जत देना, ऐसा बहुत कुछ मायने रखता है। इसके चलते हमने फैसला लिया है कि हम विजेता चुनेंगे माधव आचार्य को।”

सभी के तालियों के बीच माधव को यकीन ही नहीं हुआ कि उसका सिलेक्शन हो चुका है। उसकी ख़ुशी की कोई सीमा नहीं थी। वो बाहर से जितना ख़ुश था अंदर से उतना ही दुःखी भी था, क्योंकि उस वक़्त उसे अपने पिता की बहुत याद आ रही थी। उसने भगवान और वहां पर मौजूद सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। सब कुछ अच्छे से हो गया, पर अभी तूफान आना बाकी था।

सब लोगों के वहां से जाने के बाद कीर्ति माधव के पास आई और उससे कहा, “तेरा नसीब अच्छा था जो तू आज जीत गया, वरना जीत तो मेरी ही पक्की थी।”

“वैसे तुझे ये सुनकर हैरानी जरूर होगी पर आज अगर तू ना होती तो मैं नहीं जीत पाता। तूने ख़ुद अपने ही पैरो पर कुल्हाड़ी मार ली।” माधव ने कहा।
“तू जो भी मान, मुझे उससे कोई लेना देना नहीं है। मैं तो तुझे ये कहने आई हूं कि इसे तू अपनी जीत भले ही समझ ले पर इसे मेरी हार मत समझना। 2 महीने और इंतज़ार कर ले मैं तुझे टक्कर देने फिर से आऊंगी, और हर बार तू इतना लकी नहीं होगा जितना आज था।” कीर्ति ने कहा।
“तू मुझे चुनौती दे रही है?” माधव ने पूछा।
“ऐसा ही समझ ले, इतना तो तूने भी मान ही लिया है कि मेरी आवाज़ तुझसे कई गुना बेहतर है, और तू लाख कोशिश कर ले पर मुझसे बेहतर आवाज़ तेरी नहीं हो पाएगी।” कीर्ति ने कहा।
“ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा। देखते है तेरी अकड़ तेरे काम आती है या फिर तेरी आवाज़।” माधव ने कहा।
“हां देखते है, इसी बात पे मैं एक शेर सुनाना चाहूंगी, अभी अभी बनाया हुआ,

“मेरी अकड़ को मरोड़ सके तुझमें इतना दम कहां?
मेरी आवाज़ तक पहुंच सके इतना तू क़ाबिल नहीं,
मिले होंगे तुझे लाखों जो हारे होंगे कई बार तुझसे,
पर याद रखना एक बात हंमेशा
जीता एक बार तू, अब मुझसे जीत होगी हासिल नहीं।”

“इतनी घटिया और वाहियात शायरी मैंने आज तक नहीं सुनी।” माधव ने हँसते हुए कहा।
“शायरी पर गौर मत कर, मेरे शब्दों पर ध्यान दे, इस बार तो जीत गया तू आगे देखती हूं कैसे जीतता है तू।”
“तो अब तू मुझसे टक्कर लेगी?”
“टक्कर बराबरी वालो से ली जाती है पर तेरी और मेरी कोई बराबरी नहीं। मैं बस इतना कहना चाहती हूं एक दिन तुझे तेरी औकात जरूर बताऊंगी मैं।” कीर्ति ने कहा।
“ऑल द बेस्ट!” माधव ने कहा और कीर्ति वहां से गुस्से में चली गई।

Chapter 4.1 will be continued soon…

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✍️ Anil Patel (Bunny)