Aag aur Geet - 19 books and stories free download online pdf in Hindi

आग और गीत - 19

(19)

“मगर यह तो बाजीगर है, इसे किस क्यों किया गया ? ” मोबरानी ने कहा ।

“यह बहुत खतरनाक आदमी है ।” बेन्टो ने कहा “यह इसकी असली सूरत नहीं है ।”

“देखने में तो यह खतरनाक नहीं मालूम होता मगर मैं इसकी असली वाली सूरत अवश्य देखूँगी, इसे महल के अंदर मेरे शयन कक्ष में ले चलो ।” मोबरानी ने कहा और वापस जाने के लिये मुड़ गई ।

उसके साथ वाले भीमकाय आदमी ने आगे बढ़ कर राजेश की कलाई पकड़ ली और मोबरानी के पीछे चलने लगा ।

मोबरानी के शयन कक्ष में साइकी, बेन्टो, नायक और राजेश की अतिरिक्त और कोई दाखिल न हो सका । सब लोग बाहर ही रह गये ।

“अब मैं इसकी अस्ली शक्ल देखना चाहती हूँ ।” मोबरानी ने कहा ।

बेन्टो चला गया और फौरन ही एमोनिया तथा दूसरी वस्तुयें लेकर आ गया, मगर इतनी ही देर में राजेश ने खुद ही अपना मेक अप बिगाड़ दिया था और मोबरानी उसे चकित द्रष्टि से देख रही थी, फिर उसने साइकी से कहा ।

“तुमने रास्ते में बताया था कि बेन्टो इसे परास्त नहीं कर सका । ”

“मैंने ठीक कहा था ।” साइकी ने कहा “यह बहुत शक्तिशाली है ।”

“क्यों जी ? ” मोबरानी ने राजेश से कहा “तुम मुझसे लड़ोगे ? ”

“हे भगवान् ! ” राजेश ने आकाश की ओर देखते हुये कहा “मुझ पर दया करना ।”

“क्या बक रहे हो ।” मोबरानी चीखी “तुम तो मेरी भाषा जानते हो, उसी में बात करो ।”

“मम्मी से पूछ आऊ तो बताऊँ ।”

“बेन्टो ! ” मोबरानी चीखी “इसे मारो ।”

आज्ञा पाते ही बेन्टो आँखे निकाल कर राजेश की और झपटा । चूंकि राजेश उसकी शक्ति का अनुमान लगा चुका था इसलिये वह उससे भिड़ना नहीं चाहता था । वह इसी प्रयास में था कि बेन्टो उसे पकड़ न सके । वह उछल उछल कर अपने आपको उसकी पकड़ से बचाता रहा ।

“रुक जाओ ।” अचानक मोबरानी ने हाथ उठा कर कहा ।

“अब तुम इस बेन्टो को मारो, यह अपने को बचायेगा ।” मोबरानी ने राजेश से कहा ।

राजेश ने बंदरों के समान दांत निकाल कर बेन्टो को चिढाया फिर पीछे हटता चला गया । बेन्टो समझ नहीं पा रहा था कि राजेश क्या करना चाहता है ।

फिर राजेश तीर के समान उडता हुआ बेन्टो के ऊपर आया और उसकी गुद्दी पर घूँसा मारता हुआ दूसरी ओर गिरा । बेन्टो झल्ला कर उसकी ओर झपटा । इस बार राजेश ने उछल कर उसके सीने पर लात मारा । बेन्टो कराह कर उलट गया, फिर ठीक तरह से उठाने भी नहीं पाया था कि राजेश ने नपा तुला हाथ उसकी कनपटी पर मारा । इस बार बेन्टो जो गिरा तो फिर उठ न सका । उसकी आँखे बंद हो चुकी थी ।

“क्या यह मर गया ?” मोबरानी ने राजेश से पूछा ।

“नहीं । बेहोश हो गया है ।” राजेश ने कहा ।

“उसे लेकर तुम सब लोग बाहर निकल जाओ ।” मोबरानी ने कहा ।

वह सब बेन्टो को उठाकर बाहर निकल गये । शयन कक्ष में केवल मोबरानी, राजेश और नायक ही बचे थे ।

“तुम सचमुच बहुत शक्तिशाली हो । मुझसे शादी करोगे ?” मोबरानी ने कहा ।

“और यह मोबरान ?” राजेश ने नायक की ओर देखकर पूछा ।

“वह मोबरान नहीं है । इसे इन लोगों ने जबरदस्ती मेरे सर थोप दिया है ।”

“तो फिर बेन्टो से शादी कर ली होती ।” राजेश ने कहा ।

“वह नीच भी है और हम कवायलियों का शत्रु भी है ! उसके एक आदमी ने मेरी दासी के साथ जबरदस्ती शादी करनी चाही थी और हमारे यहां जबरदस्ती शादी मांगने की सजा मौत है ।”

“अच्छा । मैं सवेरे इसका उत्तर दूंगा । इस समय मुझे नींद आ रही है ।”

“कहां सोओगे ?”

“इसी कमरे में । बाहर निकलूंगा तो बेन्टो के आदमी मुझे मार डालेंगे ।”

“ठीक है । तो जाओ ।” मोबरानी ने कहा और एक ओर बिछे हुए गद्दे की ओर संकेत किया ।

राजेश उसी गद्दे पर जाकर लेट गया । एक गद्दे पर नायक लेटा और एक पर मोबरानी । यहां पलंग – मसहरी या सोफे इत्यादि नहीं थे । बस जगह जगह गद्दे बिछे हुए थे ।

अचानक राजेश उठकर बैठ गया ।

“क्यों, क्या नींद नहीं आ रही है ?” मोबरानी ने पूछा ।

“बात यह है कि सोने के पहले मेरी मम्मी मुझे एक लोरी सुनाती थीं । वही लोरी सुनते सुनते मैं सो जाता था । अगर कहो तो धीरे धीरे मैं वही लोरी गुनगुनाऊं ? शायद नींद आ जाये ?”

“वह लोरी तुम्हारी ही भाषा में होगी ?”

“हां ।”

“तुम्हारी भाषा मैं नहीं जानती मगर तुम गा सकते हो । तुम मुझे बहुत अच्छे लगने लगे हो इसलिये मैं तुम्हारी कोई बात टाल नहीं सकती । मैं तुमसे अवश्य शादी करूंगी ।”

राजेश फिर लेट गया । फिर इस भाव में बोलने लगा जैसे कोई बहुत प्यारा गीत गुनगुना रहा हो ।

“भाई नायक ! सोना नहीं । जागते रहना ! तुम्हारा चीफ पवन यहां मौजूद है और उसी की आज्ञा पर मैं यहां आया हूं । जिसको तुम साइकी समझ रहे हो और जिस पर आशिक होकर तुम अपना कर्तव्य तक भूल गये हो, अपना जीवन नष्ट कर रहे हो वह एक खतरनाक अपराधिनी है और उसका असली नाम मिसेज लानी है । वह हमारे एक शत्रु देश की ओर से इस बात पर तैनात की गई है कि वह सुरंगे बिछाकर हमारी सरहदी चौकियों को तबाह कर दे । अगर अब भी बात तुम्हारी समझ में न आई हो तो इसे लिख लो कि अपना काम पूरा करने के बाद साइकी तुमको कत्ल कर देगी और यहां से चली जायेगी । इस लिये अब होश में आओ, अपनी नाक चुटकी से दबा लो । मैं मोबरानी को बेहोश करने जा रहा हूं । इसके बाद हम चुपके से यहां से निकल जायेंगे । यहां एक गुप्त मार्ग भी है जिसका पता मुझे उसी चरवाही से मिला था जो तुमको यहां लाई थी । अब मैं अपना काम आरंभ करने जा रहा हूं । सावधान हो जाओ ।”

राजेश मौन हो गया । उसने गर्दन घुमाकर मोबरानी की ओर देखा । वह आंखें बंद किये पड़ी थी । वह अपने स्थान से खिसकता हुआ मोबरानी के गद्दे के पास पहुंचा । फिर जेब से एक डिबिया निकाली जिसमें एक बत्ती लगी हुई थी । उसने हाथ बढ़ाकर डिबिया की उस बत्ती को मशाल से लगा दी । बत्ती जलने लगी । उसने फूंक मारकर बुझा दी और डिबिया मोबरानी के गद्दे के पास रख दी । अब उस बत्ती से उसी प्रकार धुँआ निकल रहा जैसे अगरबत्ती से निकलता है । फिर उसने नायक की ओर देखा जिसने चुटकी से अपनी नाक दबा रखी थी । वह उठकर नायक के पास पहुंचा और उसे उठने का संकेत किया । नायक जल्दी से उठकर खड़ा हो गया ।

“यहां कहीं बाथरूम है ? मुझे वहीँ ले चलो ।” राजेश ने कहा ।

“और यह ?” नायक ने मोबरानी की ओर संकेत किया ।

“इस धुंएं के कारण सोते ही सोते बेहोश हो जायेगी । जल्दी करो समय बहुत कम है ।”

नायक उसे बाथरूम में लाया । यहां अंधेरा था । राजेश ने जेब से पेन्सिल टार्च निकालकर जलाई और दीवारों को देखने लगा । फिर एक जगह दीवार पर हथेली रखकर दबाव डाला । पहले मंद सी आवाज हुई फिर एक खिड़की सी प्रकट हो गई । दोनों बारी बारी उसी खिड़की से बाहर आ गये । अब उनके सर पर खुला आसमान था ।

“मैं आपसे बहुत लज्जित हूं मिस्टर राजेश !” नायक ने कहा “मेरे कारण सबको परेशानी उठानी पड़ी । बात अस्ल में यह है कि उस हरामजादी ने मुझे एक इंजेक्शन लगा दिया था जिस से मेरे जेहन पर विशेष प्रकार का प्रभाव पड़ा था ।”

“यह बता सकते हो कि यहां जो विदेशी हैं वह कहां रहते हैं ?” राजेश ने पूछा ।

“जी हां । इसी महल के दाहिनी ओर वाले भाग में वह सब एक साथ रहते हैं । मोबरानी के खास मेहमान हैं ।”

“अच्छा तो उधर ही चलो ।”

नायक उसी भाग की ओर बढ़ने लगा ।

“जरा रुको, मुझे लघुशंका...” राजेश ने वाक्य पूरा नहीं किया और नायक को वहीँ छोड़ कर तेजी से चलता हुआ एक बड़ी सी चट्टान की ओट में पहुंच गया । फिर ट्रांसमीटर निकाल कर जोली से संबंध स्थापित करने लगा ।

संबंध जल्द ही स्थापित हो गया और जोली की आवाज आई ।

“श्रीमान जी ! मैं बड़ी देर से आपसे संबंध स्थापित करने का प्रयास कर रही थी मगर...।”

“मैं तुम लोगों के कारण काफ़ी परेशान था ।” राजेश ने बात काट कर पवन के स्वर में कहा “मुझे यहां तक मालूम है कि राजेश ने तुम लोगों को भगा दिया था और ख़ुद फंस गया था । अब आगे की रिपोर्ट दो ।”

“इस समय हम सब अपनी छोलदारियों के आसपास हैं श्रीमान जी । राजेश ने जिस आदमी को कैद से आजाद किया था वह भी हमारे साथ है । उसने अपना बैग तलाश कर लिया है और अब जाना चाहता है ।”

“उसे जाने दो । मैंने राजेश और नायक को कैद से छुड़ाकर उन्हें आदेश दे दिया है और कोई खास बात ?”

“कुछ देर पहले बेन्टो तथा उसके साथी हमारी सरहदों की ओर जाते हुए दिखाई दिये थे मगर उसके साथ वह औरत नहीं थी जिसका नाम साइकी है ।”

“अच्छा । तुम लोग वहीँ रुके रहो मगर पूरी तरह चौकस और सशस्त्र रहता । ओवर एन्ड आल ।” राजेश ने स्वीच आफ किया और ट्रांसमीटर छिपाकर चट्टान की ओट से निकला और भागता हुआ नायक के पास पहुंचा ।

दोनों फिर चलने लगे ।

“क्या मोबरानी पूर्ण रूप से उन विदेशियों के अधिकार में है ?” राजेश ने पूछा ।

“नहीं । वास्तव में बात यह है कि मोबरानी के कबीले में मतभेद है । मोबरानी का पति मारा जा चुका है और मोबरानी शासन कर रही है । मगर चूंकि इस कबीले में कभी किसी औरत ने शासन नहीं लिया था इसलिये वह नहीं चाहते कि मोबरानी शासन करे । मेरी शक्ल सूरत कदाचित मोबरान से मिलती जुलती है इसलिये वह मशहूर कर दिया गया कि मैं मोबरान हूं । मोबरान जीवित नहीं है लेकिन कबीले वालों ने मुझे मोबरान स्वीकार करने से इन्कार कर दिया, किन्तु साथ ही साथ यह भी घोषित कर दिया कि अगर मोबरानी चाहे तो मुझसे विवाह कर सकती है । इस घोषणा का परिणाम यह हुआ कि साइकी और बेन्टो दोनों ही मुझे ख़त्म करना चाहते हैं । बेन्टो इसलिये मुझे मार डालना चाहता है कि वह मोबरानी से शादी करके ख़ुद मोबरान बनना चाहता है । मगर साइकी इसे पसंद नहीं करती । वह आदमी भी मोबरानी से शादी करना चाहता है जो उसका सबसे बड़ा सलाहकार है । मोबरानी भी उसे पसंद करती है ।”

“एक विदेशी है जिसका नाम मोंटे है । उसके बारे में कुछ जानते हो ?”

“बेन्टो ने उसे क़त्ल कर दिया । मार्था को भी बेन्टो ने ही कत्ल किया था ।”

राजेश ने कोई उत्तर नहीं दिया ।

***

रात अँधेरी थी और चार आदमी हाथों में टामीगन लिये हुए बेन्टो तथा उसके साथियों की ओर रेंगते हुए बढ़ रहे थे । उनके कंधों से चमड़े के थैले लटक रहे थे हिसमें हेंड ग्रेनेड थे । बेन्टो तथा उसके साथी उन चारों को नहीं देख सके थे । उन सब की निगाहें सामने इमारत अर्थात महल पर लगी हुई थी ।

“अभी तक सिग्नल नहीं मिला ।” बेन्टो ने कहा “देर हो गई ।”

“हो सकता है मादाम किसी परेशानी में हों ।” किसी ने कहा ।

“मदाम को क्या परेशानी हो सकती है ।” बेन्टो ने कहा “सब कुछ तो मैंने किया है और फिर भी मादाम यह नहीं चाहती की हम इस पहाड़ी इलाके में चैन का जीवन व्यतीत करें । मैं उनसे शादी करूँ ।”

“मगर हम यहां चैन का जीवन तो व्यतीत करने नहीं आये थे । हमारा अभियान तो कुछ और था ?”

“क्या अभियान था ?” बेन्टो ने फाड़ खाने वाले भाव में पूछा ।

“अभियान तो यही था कि सरहदी इलाके को उड़ा कर हिंदुस्तानी चौकियां नष्ट कर दी जायें और इसका इल्जाम कुसुमित घाटी के छोटे से इलाके पर जाये जिसकी आजादी की जमानत सभी देशों ने दे रखी है । और फिर हम हेलिकोप्टर से फरार हो जायें । मार्था को हमने इस लिये तो क़त्ल किया था कि वह इस भेद को एक दूसरे देश के हाथ बेचने वाली थी । मार्था की हत्या के बाद उसकी पार्टी हमारी दुश्मन हो गई थी ।”

“यह सब तो ठीक है मगर कागजात भी तो नहीं मिले ।” बेन्टो ने कहा “अस्ल वस्तु तो वही कागजात है । मैं उन्हीं की प्राप्ति के लिये यहां रुकना चाहता था ।”

अचानक गोलियों की एक बाढ़ आई और पहाड़ियां झनझना उठीं । बेन्टो के तीन साथी निशाना बन गये थे ।

बेन्टो ने उधर देखा जिधर से फायरिंग हुई थी मगर कोई दिखाई नहीं दिया ।

इतने में दूसरी बार फायरिंग हुई मगर इस बार बेन्टो का कोई आदमी आहत नहीं हुआ । उत्तर में बेन्टो तथा उसके साथियों ने भी फायरिंग आरंभ कर दी थी ।

***

मदन अपने समस्त साथियों सहित उसी ओर रवाना हो गया था जिधर से फायरिंग की आवाजें आई थीं । उसने यही समझा था कि राजेश से झड़प हो गई है, क्योंकि जोली ने उसे बता दिया था कि उनका चीफ पवन यहां मौजूद है और उसने राजेश तथा नायक को महल की कैद से आजाद करा लिया है । मगर जब दो ओर से फायरिंग होने लगी तो वह चौंका था और यह सोचने लगा था कि मामला कुछ गड़बड़ है । मगर फिर भी वह बढ़ता रहा था ।

फिर उसने देखा कि चार आदमी एक ओर फायरिंग कर रहे हैं । दूसरे ही क्षण उसे बेन्टो की आवाज सुनाई दी जो कह रहा था ।

“आखिर तुम लोग कौन हो और क्यों गोलियां बरसा रहे हो ?”

“हमने तुम्हें पहचान लिया है बेन्टो !” दूसरी ओर से आवाज आई ।

“मगर तुम लोग हो कौन ?”

“हम मार्था के साथी हैं । हमें तुमसे और कुतिया से मार्था के खून का बदला लेना है ।”

“भाग जाओ ! वर्ना मारे जायोगे क्योंकि एक तीसरी पार्टी भी यहां है जो हम दोनों की दुश्मन है ।”

“कोई परवाह नहीं है । हम मरने के लिये ही आये हैं ।”

इसके बाद फिर दोनों ओर से फायरिंग होने लगी ।

फिर मदन ने देखा कि एक ओर से फायरिंग करते हुए आठ आदमी उन चारों की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं ।

कुछ ही देर बाद चार में से एक रह गया और दूसरी ओर आठ में से केवल तीन रह गये थे । फिर दूसरी ओर कोई नहीं रह गया और आठ की ओर केवल दो रह गये ।

उसी समय सफ़ेद इमारत अर्थात महल की ओर से धमाके की आवाज सुनाई दी ।

“अब यहां ठहरना मूर्खता है ।” दोनों में से एक ने कहा “अब हम केवल दो बचे हैं । हमारा एक साथी ज़ख्मी है, मगर हम इसे बचा सके तो बड़ी बात होगी । पता नहीं क्यों न सिग्नल मिला और न मादाम यहां आईं ।”

“ठीक कहते हो । चलो देखें कि मामला क्या है ।” बेन्टो ने कहा और फिर उसके साथी ने ज़ख्मी को उठाया और दोनों मैदान की ओर से उतरने लगे ।

“क्या खयाल है ?” मदन ने माथुर से पूछा । फिर बोला “क्यों न इन्हें मैदान में घेर कर मार दिया जाए ।”

“हमें इस प्रकार का कोई आदेश नहीं मिला है ।” माथुर ने कहा ।

“हम अपनी बुद्धि से भी तो काम ले सकते हैं । इन दोनों में एक बेन्टो है और बेन्टो हमारा दुश्मन है । उसे अगर हम मार डालेंगे तो हमसे जवाब तलब नहीं किया जायेगा । चलो, दूसरी ओर से हम मैदान में पहुंचें ।”

मैदान में पहुंचते ही मदन ने फायर कर दिया मगर गोली उसी ज़ख्मी पर पड़ी जिसे बेन्टो के साथी ने कंधे पर लाद रखा था । वह चीख मारता हुआ उसके कंधे से नीचे गिर कर ठंडा हो चुका था ।

“पता नहीं यह कौन लोग है ।” बेन्टो ने कहा ।

“राजेश के वही साथी होंगे जो भाग निकले थे ।” बेन्टो के साथी ने कहा ।

“हालांकि अभी मेरे पास गोलियां हैं मगर अब फायरिंग से काम नहीं चलेगा । सुरंगों को उड़ाने के लिये जो बम मेरे पास था अब में उसी को प्रयोग करने जा रहा हूं । कम से कम आधा घंटा तक तो यह लोग आगे नहीं बढ़ सकेंगे ।”

“मगर वह लोग काफ़ी दूरी पर हैं । बम वहां तक न जा...।”

वह अपनी बाद पूरी भी नहीं कर पाया था कि चीख मार कर उलट गया । मदन की ओर से आई हुई गोली उसके सीने पर पड़ी थी ।

बेन्टो ने किचकिचा कर बम फेंक दिया और मदन इत्यादि तथा बेन्टो के मध्य धूल की एक दीवार सी खड़ी हो गई ।

***