Aabha - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - 3







आभा अपने स्कूल का सारा जरूरी काम खत्म कर घर की ओर चल दी । उसने अपने घर के दरवाजे पर कदम रखा ही था , कि उसे अपने घर की दहलीज पर लोगों की चप्पल दिखी । उसे अंदेशा हो गया , कि घर में कोई आया हुआ है । वह दहलीज के अंदर आई , और चप्पल स्टैंड में अपनी चप्पल रखकर , दो कदम ही चली होगी , कि उसकी मां ने उसे देख लिया । और उन्होंने तुरंत उसे पकड़कर उन लोगों के सामने लाकर खड़ा कर दिया और मुस्कुराते हुए उन्होंने घर में आए मेहमानों से कहा ।

मां - ये है हमारी बच्ची, आभा । पिछले तीन सालों से टीचिंग कर रही हैं, प्राइवेट स्कूल में । आज ही इस शहर के सबसे बड़े स्कूल में , पहले दिन ज्वाइन करके आयी है । बहुत ही होनहार बच्ची है हमारी । इतिहास में एमए किया है हमारी बच्ची ने । घर के सारे काम जानती है । हमारी बेटी एकदम शांत और सरल स्वभाव की है । आप देख लीजिए , जान लीजिए हमारी बच्ची को , फिर हम रिश्ते को आगे बढ़ाने की बात करें । इसके पापा भी बस आते ही होंगे , अचानक से आप लोगों का आना हुआ , इस लिए उन्हें छुट्टी नहीं मिल पाई । लेकिन चिंता न कीजिए , बस आते ही होंगे इसके पापा । तब तक आप हमारी बच्ची से बातें कीजिए । ( आभा से ) बेटा ...., नाश्ता सर्व करो मेहमानों को ।

आभा इतना कुछ सुनकर दंग रह गई । ऐसा नहीं है, कि उसकी शादी का रिश्ता पहली बार आया था , या उसे देखने वाले पहली बार उसके घर में पधारे थे। पहले भी ये सब हो चुका था । और लास्ट में क्या होता था , वो सभी को पता था। इस लिए तंग आकर आभा ने , अपने घर वालों को मना कर दिया था , कि अब कभी उसके घर में उसके रिश्ते की बात नहीं होगी । क्योंकि वो सब बर्दाश्त कर सकती थी , लेकिन अपने मां बाप की बेज्जती उससे किसी भी हालत में बर्दास्त नहीं होती थी । इन सबके बाद भी , घर में उसके लिए एक और रिश्ते वाले बैठे हुए थे , ये देखकर उसे बेहद हैरानी हो रही थी । और खुद की मां पर गुस्सा भी आ रहा था , कि उसकी मां ने उसकी बात नहीं मानी और न ही उसकी बात समझी । जब आभा ऐसे ही शांत खड़ी रही , तो लड़के के मां - बाप आभा को घूरने लगे । जब आभा की मां ने ये देखा, तो आभा के कंधों पर हाथ रखकर कहा ।

मां - कहां खो गई बेटा । नाश्ता सर्व करो , अंकल आंटी को ।

आभा जैसे उनके कहने से , अपनी तंद्रा से बाहर आयी हो । उसने अपना बैग , सोफे से टीकाकार जमीन में रखा और टेबल पर रखे नाश्ते की प्लेट्स में से नाश्ता निकालकर , सामने बैठे लड़के और उसके मां - बाप को सर्व करके देने लगी । तीनो ने नाश्ता लिया और लड़के के मां - बाप तो ऐसे खाने लगे , जैसे उन्होंने पहली बार इतना स्वादिष्ट नाश्ता खाया हो । लड़का एमएससी विथ केमेस्ट्री पोस्ट ग्रेजुएट था । दिखने में भी काफी अच्छा था और स्वभाव भी उसका शांत ही था, ये सच था या दिखावा , ये तो बाद में पता चलने वाला था । वो नाश्ते को छोड़कर , आभा को देख रहा था और सोच रहा था , कि इसने अपना चेहरा क्यों ढका हुआ है । ये बात उसके दिल और दिमाग में बार - बार कौंध रही थी । उसने इस बारे में अपनी मां से कहा , तो उसकी मां ने अपने पति से कहा और फिर उन दोनों ने भी ये बात नोटिस की । आभा की मां , सुनीता जी आभा के गुणगान गा रही थीं , लड़के वालों के सामने । इससे उलट लड़के वालों के मन में अब नाश्ते के अलावा आभा का आधा ढका हुआ चेहरा भी चल रहा था । लड़के की मां ने आभा की तरफ इशारा करते हुए कहा , जो इस वक्त केतली से निकाल कर चाय, कप में डाल रही थी ।

लड़के की मां - बहन जी...., बाकी सब तो ठीक है । लेकिन आपकी बेटी ने आधा चेहरा क्यों ढका हुआ है ..???

ये बात सुनकर , कप में चाय डालते हुए आभा के हाथ अपने आप ही रुक गए और वो हैरानी से अपनी मां की तरफ देखने लगी । वहीं सुनीता जी ये सवाल सुनकर परेशान हो गईं और आभा की तरफ देखने लगी । जब ये सवाल दोबारा लड़के की मां के द्वारा पूछा गया , तो सुनीता जी ने आभा को खुद की तरफ मोड़ा , जिससे आभा की पीठ लड़के वालों की तरफ थी । और उन्होंने आभा का दुपट्टा , चेहरे से हटाकर सिर से ढका और बाएं तरफ आभा के घुंघराले बालों को कर दिया , जिससे बाएं तरफ का चेहरा ढका तो अभी भी था, लेकिन पूरी तरह से नहीं । इतना करके उन्होंने आभा को लड़के वालों की तरफ किया और लड़के वाले उसकी सुंदरता देखकर दंग रह गए, क्योंकि काले दुपट्टे से चेहरा ढके होने की वजह से , बाकी का बचा हुआ चेहरा भी लगभग छुप ही जाता था। इसलिए वो लोग आभा का एक तरफ का गोरा चेहरा , नहीं देख पाए थे । लेकिन एक बार फिर लड़के के दिमाग में उपजा, कि लड़की का बाएं तरफ का चेहरा बालों से क्यों ढका गया । उसने आभा की तरफ ध्यान से देखा , तभी लिविंग रूम के दरवाजे की तरफ से एक हवा का झोंका आया और उससे आभा का सिर पर ओढ़ा हुआ दुपट्टा तो उड़ा ही , साथ में बाएं तरफ के बाल भी , कुछ पल के लिया हवा में उड़कर वापस आ गए । सुनीता जी , लड़के के मां के सवालों का अपने हिसाब से झूठा जवाब दे रही थीं । इस लिए उन तीनो का ध्यान आभा पर नहीं गया , लेकिन लड़के का पूरा ध्यान आभा पर ही था । वो लड़का , आभा के चेहरे का बाएं तरफ का हिस्सा देखकर दंग रह गया । वह फटी आंखों से आभा को देखने लगा और आभा सभी को चाय सर्व कर रही थी । जब उसने लड़के को चाय सर्व की , तो लड़का बिना चाय लिए अचानक से उठ खड़ा हुआ, जिससे आभा के हाथ में पकड़ा हुआ चाय का कप, उस लड़के के धक्का लगते ही , जमीन पर गिर गया । गनीमत ये थी , कि उस गरम चाय की चपेट में कोई नहीं आया , वरना इसका अलग तमाशा बनता । वह लड़का अब, आभा को और उसकी मां को गुस्से से देखने लगा । उसके इस तरह अचानक उठने का कारण , जब तीनों बड़ों ने पूछा, तो उस लड़के ने आभा को गुस्से में घूरते हुए कहा ।

लड़का - धोखा हुआ है हमारे साथ मां - पापा ।

लड़के के मां बाप , लड़के को असमंजस में देखने लगे और सुनीता जी ये सुनकर और ज्यादा परेशान हो गईं , ये सोचकर कि अभी तो उन्होंने किसी तरह बात संभाली थी , लेकिन दोबारा से फिर वही सब होने जा रहा था, जो हर रिश्ते वालों के आने के समय पर होता है । इन सबसे उलट , आभा शांत सी एक किनारे खड़ी होकर , जमीन को देखने लगी, जैसे वह जानती हो , कि अब यहां क्या होने वाला है और उसे अब फिर वही सब झेलना है , जो वो पिछले कई सालों से वह झेलती आ रही है । इस वक्त अब उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे । लड़के की मां ने लड़के से इस बात को कहने की वजह पूछी , तो लड़का गुस्से से तमतमता हुआ बोला ।

लड़का ( सुनीता जी और आभा की तरफ इशारा करते हुए ) - इनसे पूछिए मां , कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं ।

सुनीता जी ने जब कोई जवाब नहीं दिया, तो लड़के की मां ने उनसे कहा ।

लड़के की मां - क्या बात है सुनीता जी , क्या कह रहा है हमारा बेटा और किस बार का जिक्र कर रहा है ।

सुनीता जी ( परेशान सी ) - मैं समझाती हूं आपको , वो दरसल.....।

लड़का ( उनकी बात काटकर बीच में ही बोला ) - क्या समझाएंगी आंटी आप हमें ...??? आपने हमसे इतना बड़ा सच कैसे छुपाया , इतना बड़ा धोखा करने की हिम्मत कैसे हुई आपकी हमारे साथ..???

सुनीता जी ( हाथ जोड़ते हुए लड़के के सामने बोली ) - देखिए बेटा जी...., आप शांत हो जाइए । हम आपको बताने ही वाले थे, पर .....।

लड़का ( उत्तेजित होकर ) - पर क्या आंटी जी ..??? कब बताती आप हमें , जब हम ये सच जाने बिना ही आपकी बेटी से रिश्ता तय कर लेते ..??? धोखे में रखकर आप हमारे परिवार के साथ संबंध बनाना चाहती थीं , मेरी जिंदगी बर्बाद करना चाहती थी आप , ऐसी लड़की को मेरी पत्नी बनाकर ...!!!

लड़के के पिता ( लड़के से ) - लेकिन बात क्या है बेटा , जो तुम इतने भड़क रहे हो । खराबी क्या है इस बच्ची में..???

लड़का ( आभा की तरफ इशारा कर ) - इस लड़की के आधे चेहरे पर दाग हैं पापा , और वो किस चीज के हैं, ये तो अब ये लड़की और इसकी मां बताएगी । ये लोग हमसे रिश्ता , हमें धोखे में रखकर कर तय रहे हैं पापा । वो तो अच्छा हुआ , कि कुछ पल पहले मैंने इस लड़की का, आधा ढका हुआ चेहरा देख लिया , वरना न ही मैं ये बात जान पाता और न ही आप सबके सामने ये सच्चाई आ पाती । ये लोग धोखे से अपनी बेटी को मेरे गले बांधना चाहते हैं पापा।

ये सब सुनकर आभा ने सुनीता जी की तरफ देखा , जो अब भी बेबस सी उन लड़कों वालों के सामने हाथ जोड़े खड़ी थी और उनकी बातें सुन रही थीं । उन्हें अभी भी उम्मीद थी , कि लड़के वाले उनकी बात को समझेंगे और उनकी बेटी के रिश्ते को एक्सेप्ट कर लेंगे । लेकिन आभा समझ गई थी , कि इन लड़के वालों के लक्षण नहीं है ये रिश्ता एक्सेप्ट करने के लायक । लेकिन गलती उसकी मां से हुई थी , इस लिए वो भी बस शांति से खड़ी रही और एक बार फिर उसने अपनी नजरें जमीन पर गड़ा लीं , जैसे अब वो एक बार फिर तैयार हो , बाकी की बची हुई बेज्जती झेलने के लिए , जो बाहर वाले उसके ही घर में आकर उसकी और उसकी मां के साथ - साथ , उसके खानदान की भी कर रहे थे, और अभी और आगे करने वाले थे......... ।

क्रमशः