Aabha - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - 4




अब दौर शुरू हुआ बेहिसाब बेज्जती का , आभा और उसके परिवार की । लड़के की मां आभा के पास आयी, और जैसे ही अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाने लगी , तो सुनीता जी उन्हें रोकने लगी , पर लड़के की मां ने उनकी एक बात न सुनी और आभा का चेहरा ऊपर किया । उन्होने उसके सिर से दुपट्टा पूरी तरह से हटाया और बाएं तरफ के बालों को साइड में किया और आभा का आधा चेहरा देखकर , अचानक से चीख कर उससे झटके से दूर हो गई । आखें उसकी , लड़के के पिता और लड़के की भी फटी की फटी रह गई । अभी तक लड़के ने आभा के चेहरा का ये हिस्सा अच्छे से नहीं देखा था , हवा के कुछ पल के झोखे के कारण उसे सिर्फ दाग ही समझ आ रहा था , लेकिन यहां तो नज़ारा उसकी सोच से भी उलट था । लड़के की मां ने तुरंत सुनीता जी से कहा ।

लड़के की मां - ये क्या है सुनीता जी...??? आपने इतनी बड़ी बात छुपाई , हम सबसे..!!!! जब मैने आपकी बेटी के आधे ढके हुए चेहरे की बात की , तो आपने उस बात को टाल दिया और दुपट्टे की जगह , बालों से उसके चेहरा को ढक दिया और अब जब मैंने इसे देखा , तो ये नज़ारा देखने को मिला हमें । ऐसे शादी करना चाहती हैं आप अपनी बेटी की ...??? हमें धोखे में रखकर ...!!! कितना भयावह दृश्य है ये , मेरी तो चीख निकल गई । अगर हम इस लड़की को अपने घर की बहू बनाएंगे , तो लोग क्या कहेंगे हमारे बारे में । क्या सोचेंगे , कि हमारे बेटे को ऐसी लड़की पसंद आई , जो बदसूरत है ......। आपने जब हमारे साथ ऐसा किया , तो बाकी के रिश्ते वालों के साथ भी आप सब यही करते होंगे । लेकिन बाद में जब आपके परिवार और आपकी बेटी की सच्चाई सभी को पता चलती होगी , तो सब रिश्ता तोड़ देते होंगे । सुना था , कि आपकी बेटी का रिश्ता सालों से नहीं हो रहा , आज देख भी लिया , कि क्यों आपकी बेटी को कोई ब्याहना नहीं चाहता । 27 की तो हो ही गई होगी न आपको बेटी, तब भी शादी नहीं हुई इसकी अभी तक ...!!!! और होगी भी नहीं , इसकी शादी कभी । 50 की होगी , तब भी आपकी दहलीज पर ही बैठी रहेगी , क्योंकि ऐसी लड़की से तो कोई भी शादी नहीं करेगा ।

लड़के के पिता - माफ कीजिएगा बहन जी , लेकिन हम ये रिश्ता नहीं कर पाएंगे । शरीर पर इतना बड़ा दाग देखने के बाद , हम तो अपने घर की बहू इसे नहीं बना पाएंगे । हमारे बच्चे ने अगर तरस खा कर इससे शादी कर भी ली , तब भी ये कभी अपने दोस्तों के सामने , इसे लेकर नहीं जा पाएगा , वरना हंसेंगे लोग आपकी बेटी के साथ - साथ हमारे बेटे पर और हम पर । हम ये रिश्ता नहीं कर सकते । बेहतर होगा , आप रिश्ते ढूंढने से अच्छा इसे अपने घर पर बैठाकर रखिए , या फिर इसे अपने घर से दूर कर दीजिए । बदनामी और बोझ , दोनों से बच जायेंगे आप लोग । चलो बेटे ......., चलिए भाग्यवान......।

इतना कह कर वो तीनो वहां से निकल गए , सुनीता जी कुछ नहीं बोल पाई । उन्होंने आखों में नमी लिए आभा की तरफ देखा , तो पाया कि अब आभा की आखों में भी नमी थी और वो अपनी मां को ही देख रही थी । जैसे पूछ रही हो , कि जरुरी था क्या एक बार फिर इतनी इंसल्ट करवाना ...??? सुनीता जी ने कुछ नहीं कहां, क्योंकि आभा के आसुओं ने बयान कर दिया था , कि यहां जो कुछ भी हुआ , और अंत में लड़के के पिता ने जो बात कही , उससे आभा को कितनी तकलीफ हो रही है । आभा से जब वहां खड़ा होना बर्दास्त नहीं हुआ , तो वह भागते हुए अपने कमरे में आ गई , जो कि फर्स्ट फ्लोर पर बना हुआ था । सुनीता जी उसे इस तरह रोते हुए जाते देखकर , और ज्यादा परेशान हो गईं और अब उनके आंसुओं ने , बेटी को तकलीफ में देखकर और तेज़ी से बहना शुरू कर दिया था ।

आभा अपने रूम में आई । वहां उसके कदम अपने आप ही आइने की तरफ बढ़ गए , जिसे उसकी मां ने कपड़े से ढक कर रखा हुआ था । आभा ने आइने के सामने आकर , उसके ऊपर ढके हुए कपड़े को देखा और फिर झटके से उस कपड़े को हटा दिया । कपड़े के हटते ही आभा को अपना अक्स , आइने में नज़र आ रहा था । जहां उसके चेहरे पर न ही दुपट्टे की आड़ थी और न ही बालों का पहरा था । आभा अब अपने आपको और अपने चेहरे को साफ - साफ आइने में देख सकती थी । उसने आंसुओं से भरी हुई पलकों से , आइने में अपने आप को देखा और अपने बाएं हाथ से , अपने चेहरे के बाएं तरफ के हिस्से को छुने लगी । उसकी बाईं तरफ की त्वचा , एक दम चिकनी और झुलसी हुई थी, वो भी इतनी कि खुद आभा के हाथ भी उस पर फिसल रहे थे । आभा ने अब उस तरफ के सारे बाल, अपने दाहिने कंधे पर रखे और आइने में खुद को देखती हुई , वो उस तरफ की सारी त्वचा को देखते हुए उस पर हाथ फिराने लगी और अपनी असलियत को महसूस करने लगी । आभा बाएं तरफ की जितनी त्वचा को छू रही थी , उतनी ही उसे खुद की बेबसी का एहसास हो रहा था । आभा के चेहरे की बाएं तरफ की पूरी की पूरी त्वचा , जली हुई थी । उसके बाएं तरफ का कान भी जला हुआ था । इतना ही नहीं , बाएं तरफ के कान के थोड़े ऊपर के हिस्से से लेकर , बाएं तरफ के कंधे तक और थोड़ा सा कंधे के नीचे भी जलने के निशान थे । आभा के गले का आधा हिस्सा भी , जली हुई त्वचा से झुलसा हुआ था । एक तरह से कहा जाए तो , आभा के चेहरा का बाएं तरफ का हिस्सा इतना ज्यादा जल चुका था , कि उसे देखकर कोई भी एक पल को डर जाए । शायद इसी लिए , थोड़ी देर पहले लड़के की मां की चीख निकल गई थी । आभा ये सब देखकर जमीन में धम्म से बैठ गई और फूट - फूट कर रोने लगी और रोते हुए खुद से कहने लगी ।

आभा - क्या गलती थी भगवान मेरी , जो आपने मुझसे मेरी सूरत ही छीन ली । क्या बिगाड़ा था मैने किसी का , जो आपने मेरे साथ ये सब किया । वो भी उस उम्र में , जब मैं अपने मां के स्पर्श को जानने - पहचानने की कोशिश कर रही थी । तब तो मुझे ये भी भान नहीं था , कि मेरे साथ आखिर हो क्या रहा है । जिस उम्र में बच्चे अपनी मां का आंचल पहचानने की कोशिश करते हैं , अपने तो मुझे उस उम्र में इस दाग से , इस जली हुई त्वचा से नवाज़ दिया । मुझे तो ये तक याद नहीं , कि सच में मेरे साथ हुआ क्या था । जब से मैंने अपना होश संभाला है , खुद को इसी झुलसी हुई त्वचा के साथ पाया है । उसके साथ ही , लोगों की हिराकत भरी नजरें और लोगों के ताने , मेरा मजाक लोगों और मेरे दोस्तों के द्वारा उड़ाया जाना , लोगों के द्वारा की गई मेरी बेज्जती , ये सब तो जैसे मुझे गिफ्ट में मिल गया । क्या यही न्याय है भगवान आपका , कि बिना गलती के मैं ये सारी सज़ा भुगतती रहूं । और जिसने ये किया , वो तो आज अपनी जिंदगी आराम से जी रहे हैं । बताइए न भगवान , दोष मेरा है या उसका , जिसने ये सब किया और उसके इस कृत्य को गलती का नाम दे दिया गया । क्यों.....??? क्योंकि वो बच्चे थें, महज पांच साल के बच्चे , इस लिए । तो फिर मुझे क्यों ये सब सहना पड़ रहा है ...??? मैं भी तो एक नवजात शिशु से कम नहीं थी । मां के बताए मुताबिक , तो मैं महज छः महीने की ही थी । जब एक पांच साल के बच्चे को, उसकी गलती बताकर छोड़ दिया जा सकता है । तो मुझ जैसे शिशु को क्यों लोग तिरस्कार भरी नजरों से देखते हैं । क्या मुझे इस दुनिया में जीने का कोई अधिकार नहीं है , कोई अस्तिव नहीं है क्या मेरा इस दुनिया में..??? क्या मुझे नॉर्मल लोगों की तरह जिंदगी जीने का कोई हक नहीं है ...??? क्यों...!!!!??? क्योंकि मैं एक तरह से अपाहिज हूं , मेरे चेहरे पर दाग है , लोग मुझे देखकर डर जाते हैं इस लिए ...!!!! इन सबमें मेरी गलती कहां , किस जगह पर है , बता दो न आप...????

आभा अब बुरी तरह से सिसकने लगी। उसने एक बार फिर अपने आपको आइने में देखा और वहीं फर्श पर बैठी हुई ही खुद से कहने लगी ।

आभा - जब से होश संभाला है, तब से लेकर अब तक की पूरी जिंदगी , कभी नकाब के पीछे , तो कभी अपने इन घुंघराले बालों के पीछे अपने चेहरे को छुपाकर निकाल दी । आज स्कूल में भी आपने देखा न भगवान , कि क्या हुआ मेरे साथ । जबकि मैं उनकी टीचर थी । मेरी त्वचा जलाकर आपको शांति नहीं मिली , तो एक और खामी आपने मेरे सिरे मढ़ दी , वो ये...... , कि मुझे छोटा ही रखा , बाकियों की तरह मुझे ऊंचा कद नहीं दिया। मैं अपने इस दाग के सदमें से आजतक बाहर निकल नहीं पाई , और आपने लोगों के ताने के लिए दूसरा तरीका भी ढूंढ लिया और पहना दिया लोगों ने मुझे छोटे कद के होने का हार....। क्या मिला आपको ये सब करके ...???? जब से बाकी लोगों को , अपने भाई को , अपने मां - बाप को , सही सलामत देखा , तब से हमेशा मेरे दिल में ये बात उठी , कि जब सभी के हाथ पैर त्वचा सही सलामत हैं , सभी नॉर्मल जिंदगी जी रहे हैं , तो फिर मेरे ही हिस्से ये सब क्यों ...???? बड़े होते - होते ये समझ आया , कि ये सिर्फ मेरे साथ हुआ है । बाकी नॉर्मल लोगों के साथ ऐसा नहीं होता है । इन सबसे मैं खुद को बाहर निकाल पाती , कि लोगों ने मुझसे दूर जाकर , मुझे ये एहसास करवा दिया , कि मैं इस धरती पर बोझ हूं । अगर ऐसा ही था , तो उसी वक्त मार देते मुझे , जब मेरे शरीर को जलाया था । क्यों बचाया मुझे....??? मार ही देना था न , तब ही मुझे....... । आजादी तो मिल जाती कम से कम , इन सब लोगों के तानों से और इस एहसास से , कि मैं इस दुनिया में बोझ नहीं हूं , जीने का अधिकार मुझे भी है । क्या मैं शादी नहीं कर सकती...??? अगर ऐसा है , तो क्यों बार - बार भेजते हो अपने दूतों को मेरे घर , मेरी बेज्जती करवाने ...??? ये एहसास दिलवाने , कि तुमने मेरे साथ कितना गलत किया है । काश कि अगर मेरे हाथ में खुदकुशी करना लिखा होता न , तो जरूर करती । और तुम्हारे पास आकर, तुमसे ये पूछती भगवान...... , कि आखिर ये दोगलापन सिर्फ मेरे साथ ही क्यों हुआ...??? बाकियों के साथ क्यों नहीं...!!! और असली गुनरहगार को इसकी सज़ा क्यों नही मिली , मुझे क्यों जिंदगी भर की ये सज़ा भुगतने के लिए जीना पड़ रहा है इस दुनिया में...???

आभा ये सब कहते हुए फिर से फूट - फूट कर रोने लगी और उसकी सिसकियां अब जोर - जोर से बंधने लगी । बाहर दरवाजे के पास खड़ी सुनीता जी ये सब सुन रही थीं , और उनकी आखों में आसूं भी थे , जो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे । आखिर उनकी ही तो लापरवाही की सज़ा , उनकी इकलौती बेटी भुगत रही थी । जब सुनीता जी से अपनी बेटी की ये हालत देखी नहीं गई , तो वे अपने बड़े - बड़े कदम बढ़ाकर, कमरे के अंदर आने लगी । लेकिन जब आभा ने उनकी पायलों की छनकार सुनी , तो बिना उनकी तरफ देखे उन्हें अपना दाहिना हाथ दिखाकर , उन्हें रुकने का इशारा किया और बाएं हाथ से अपने आसूं पोंछने की नाकाम कोशिश करने लगी । सुनीता जी ने जब आभा का उन्हें वहीं रुकने का इशारा देखा , तो उनके कदम खुद ब खुद ठहर गए और अब उनकी सिसकियां भी चालू हो गईं । आभा खुद को संभालते हुए उठी और आइने को दोबारा कपड़े से ढकते हुए , बिना सुनीता जी की तरफ देखे ही बेरुखी से बोलने लगी ।

आभा - मां....., आपको कभी ऐसा नहीं लगता, कि मेरी जिंदगी में सालों से जो भी होता आ रहा है , या ये कहूं कि वर्तमान में जो हो रहा हैं, उन सबकी जिम्मेदार आप हैं । आपकी एक लापरवाही ने, आपकी बेटी की जिंदगी को नरक बना कर रख दिया है ।

सुनीता जी ( सिसकते हुए बोली ) - क्या तुम मुझे , अपनी इस हालत का गुनहगार मानती हो गुडिया ( आभा ) ...???

आभा ( फीका मुस्कुराकर , अपनी कलाई से घड़ी उतारकर रखते हुए उनसे बोली ) - काश कि मैं आपको अपनी जिंदगी में उठे इस तूफान का गुनहगार मान पाती । क्योंकि तब कम से कम मुझे इस बात की खुशी तो होती , कि ये सब मेरी मां ने किया है । क्योंकि कहा जाता है न , कि मां बाप बच्चो के लिए जो भी करते हैं , वो उनकी भलाई के लिए ही करते हैं । अगर ये सब आपने जान बूझकर किया होता , तो मैं इसमें आपके द्वारा सोची गई मेरी भलाई को मान कर , खुशी - खुशी अपनी जिंदगी व्यतीत कर लेती । लेकिन अफसोस तो इस बात का है मां , कि ये सिर्फ आपकी लापरवाही के कारण हुआ हैं। या ये कहूं, कि आपकी लापरवाही का नतीजा आज आपकी बेटी भुगत रही है ।

सुनीता जी - मुझे माफ़ कर दो बेटा, मैं तब नहीं जानती थी , कि मेरी एक लापरवाही के कारण मेरी बच्ची के साथ ऐसा हो जायेगा और उसे जिंदगी भर का दर्द मिल जायेगा ।

आभा ( फीका मुस्कुराकर , उनकी तरफ देखते हुए बोली ) - माफी मत मांगिए मां, क्योंकि आप मेरी मां है । और एक मां अपनी बेटी से माफी मांगती हुई शोभा नहीं देती । बाकी अगर मेरे इस दर्द की बात करें ......, तो इसे तो भगवान ने जिंदगी भर के लिए मेरे हिस्से, लिख ही दिया है । आज आप लोग साथ हैं , हो सकता है आप लोगों का कल मन बदल जाए, तो आप लोग मुझे त्याग दें, छोड़ दें मेरा साथ हमेशा - हमेशा के लिए । पर मैं इसे भी अपनी किस्मत मान लूंगी , जैसे आज तक अपने साथ हुई हर घटना को, किस्मत का फैसला मानती आई हूं ।

सुनीता जी - ये तुम कैसी बातें कर रही हो गुडिया , हम ऐसा कभी नहीं करेंगे ।

आभा ( अपने रूम की खिड़की खोलते हुए ) - ये तो वक्त ही बताएगा मां । और इसकी शुरुवात तो पिछले कई सालों से हो चुकी है। तभी तो मुझे इस घर का बोझ समझकर ,शादी के लिए इतने रिश्ते देखे जा रहे हैं , और हर बार मेरे साथ - साथ खुद की बेज्जती भी सही जा रही है, आप लोगों के द्वारा.... ।

इस बात पर सुनीता जी कुछ नहीं कह पाईं और रोते हुए उल्टे पैर लौट कर , अपने कमरे में चली गई । आभा भी अब अपने सख्त मिजाज की चादर को एक किनारे कर , अपने बिस्तर के एक कोने पर बैठ गई और अपनी किस्मत पर रोने लगी.........।

क्रमशः