Aabha - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - 9




स्तुति के आसूं भरे चेहरे पर, सुनीता जी अपने आसुओं से भरी आंखों में प्यार भरकर , उसे प्यार से देखती है और फिर उसे गले से लगा लेती है , और स्तुति ने जो अब तक का धीरज धरा हुआ था , वह अब सुनीता जी का प्यार भरा स्पर्श पाते ही , सैलाब की तरह उमड़ने लगता है और वो अपनी दोस्त का दर्द याद कर फूट - फूट कर रोने लगती हैं । सुनीता जी लगातार उसके बालों में हाथ फेर रही थी और उसे चुप करवा रही थीं ........। तभी दरवाजे पर दस्तक होती , तो दोनों उस ओर देखती है , तो पाती हैं कि आभा वापस आ रही थी । दोनो तुरंत अपने आसूं पोंछती है और उसकी तरफ देखती हैं । वह अपनी सेंडिल उतारती है और सुनीता जी और स्तुति की ओर बढ़ जाती है । दोनों को बड़ी हैरानी होती है , दोनों दीवाल घड़ी की तरफ देखते हैं , और फिर एक दूसरे की तरफ देखने के बाद आभा की तरफ , क्योंकि आभा जल्दी आ गई थी । आभा उन दोनो को देखकर कुछ नहीं कहती , तो सुनीता जी उसके पास आकर कहती है ।

सुनीता जी - गुड़िया इतनी जल्दी आ गई तुम...??? क्या हुआ, कुछ परेशानी हैं...??? तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी...????

आभा ( उदास नजरों से उनकी तरफ देखकर कहती है ) - तबीयत तो ठीक है मां , लेकिन......., लेकिन ये नौकरी भी हमारे हाथ से छूट गई ....।

सुनीता जी उदास हो जाती हैं , जबकि स्तुति उन दोनों के पास आकर कहती है ।

स्तुति - लेकिन क्यों......????? ऐसे कैसे तुम्हारी नौकरी छूट गई...???

आभा - चेहरा ढकने की वजह हमसे वहां पूछी गई , तो हमने नहीं बताई। फिर हमें अपना चेहरा दिखाने के लिए कहा गया , तो हम नही दिखा पाए । तो हमें रेस्टीकेट कर दिया गया , यह कह कर कि पैरेंट्स को और बच्चों को इस बात से बहुत फर्क पड़ रहा है , कि हम चेहरा ढके रहते हैं। इसके साथ ही हमारे चरित्र पर भी दाग लगाए जा रहे हैं , ये बोलकर कि कहीं हमारे किसी आशिक ने हम पर एसिड अटैक किया होगा , तभी हम अपना चेहरा नहीं दिखा रहे , क्योंकि तभी लड़कियां अपना चेहरा छुपाती हैं , क्योंकि उनका चेहरा जलने के कारण , किसी को दिखाने लायक नहीं रहता । जब हमसे ये सब सहा नहीं गया , तो हम चले आए ।

सुनीता जी - ये तो हर नौकरी में होता है बेटा , कोई बात नहीं , एक दिन तुम्हें जरूर एक अच्छी नौकरी मिलेगी , जहां तुम खूब तरक्की करोगी और अपने सपने पूरे भी करोगी ।

आभा कुछ नहीं कहती और अपनी मां के गले लग जाती है , सुनीता जी प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरने लगती है और उसी के साथ वे स्तुति की तरफ देखती हैं । दोनों की आंख मिलते ही, एक बार फिर दोनों की आंखे छलक आती हैं और उनमें नमी उमड़ आती है। स्तुति तुरंत अपने आसूं साफ करती है और उन दोनों को अपनी बाहों में भर लेती है । कुछ देर बाद स्तुति अपने घर चली जाती है , और आभा अपने कमरे में । शाम को तीनों दोस्त पार्टी करने नहीं जा पाती , क्योंकि स्तुति आभा को आज परेशान नहीं करना चाहती थी । जब रत्ना न जाने का कारण पूछती है , तो स्तुति बहाना बना देती है , कि आभा बीमार है, इस लिए वो तीनों आज पानीपुरी पार्टी करने नहीं जायेंगे । स्तुति असली कारण बता कर रत्ना को परेशान नहीं करना चाहती थी , वह नहीं चाहती थी , कि जो तकलीफ सच जानकर और फिर आभा की नौकरी छुटने की बात जानकर उसे हुई है , वही तकलीफ अब रत्ना को हो । भले ही वो आभा से उसे लेकर लड़ती झगड़ती रहती थी , लेकिन वह आभा की तरह ही उसे भी अपना अजीज फ्रेंड मानती थी ।

अगले दो दिन ऐसे ही गुजर जाते हैं । आभा घर में ही रहती है , और नेट में नौकरी ढूंढने लगती है । मगर उसके हाथ ऐसी कोई नौकरी नहीं लगती , जिसमें वह अप्लाई कर सके ।

दो दिन बाद , सुबह - सुबह स्तुति रत्ना के साथ चहकते हुए घर आती है । लिविंग रूम में उसे सुनीता जी , आभा के पापा के साथ सोफे पर बैठी दिखती है । जहां दोनों ही चाय पी रहे थे । स्तुति भागते हुए आती है और सुनीता जी के गले लग जाती है और जोर - जोर से खुशी से चिल्लाने लगती है । रत्ना भी उसके पीछे , लिविंग रूम में आती है और उन्हें देखकर मुस्कुराने लगती है । सुनीता जी और आभा के पापा को बड़ी हैरानी होती है । सुनीता जी मुस्कुराते हुए उसे खुद से अलग करती हैं और उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरती हैं । वहीं सौरभ जी ( आभा के पापा ) चाय का कप , सामने रखी कांच की टेबल पर रखते हैं और मुस्कुराते हुए कहते हैं ।

सौरभ जी - अरे भई......., क्या बात है स्तुति बेटा...., आज तो बहुत खुश दिख रही हो । कोई खास बात है क्या बेटा...????

स्तुति ( चहकते हुए ) - खास से भी खास बात है अंकल...। आप सुनेंगे , तो आप भी खुशी से चहक उठेंगे ।

सुनीता जी - लेकिन बात क्या है , वो तो बताओ...।

स्तुति - पहले ये बताइए कि आभा कहां है , कहीं दिखाई नहीं दे रही....!!!!!

सुनीता जी - अभी उठी है, नहाकर आती ही होगी । लेकिन बात क्या है ये तो बताओ ।

रत्ना ( मुस्कुराकर ) - आंटी जी ...., अब तो जब आभा आयेगी तभी बताएंगे । तब तक थोड़ा सा सब्र रखिए आप लोग....। क्यों स्तुति..…!!!!

स्तुति ( मुस्कुराकर ) - हां....., बिल्कुल।

सुनीता जी कुछ बोलने वाली होती है , तभी आभा वहां आ जाती है । उसे देखते ही स्तुति उसके गले लग जाती है , फिर खुशी के मारे उसे गोल - गोल घुमाने लगती है । आभा को चक्कर आने लगते हैं , तो वह उससे खुद को छुड़ा कर , सोफे से टिककर कहती है ।

आभा - ये क्या कर रही हो तुम स्तुति...??? चक्कर आने लगे हमें , तुम्हारे ऐसे गोल - गोल घुमाने के कारण । ( स्तुति एक नहीं सुनती और उसे फिर से पकड़ने लगती है , कि आभा रत्ना से कहती है ) रत्ना.....!!!! यार तुम समझाओ न , मना करो न इसे ऐसा करने से ।

रत्ना ( मुस्कुराकर उसे गले लगा लेती है और फिर उससे अलग होकर कहती है ) - बात ही ऐसी है.... , कि स्तुति का तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार करना बनता ही है ।

आभा - लेकिन बात क्या है...????

रत्ना मुस्कुराकर स्तुति की तरफ देखती है , तो स्तुति एक जोरदार आवाज के साथ चहकते हुए कहती है ।

स्तुति - हम तीनों को गवर्नमेंट जॉब मिल गई .....।

आभा ( नासमझ सी ) - हम तीनो को...??? और कौन सी जॉब...??? हम कुछ समझे नहीं.....।

रत्ना - तुम्हें याद है , हमने संविदा का एग्जाम दिया था ( आभा हां में सिर हिलाती है ) तो उसमें तुम्हारा , हमारा और स्तुति , तीनो का सिलेक्शन हो चुका है । तुमने उसमें टॉप किया है , सबसे अच्छे नंबर तुम्हारे आए हैं और अब हमें सिर्फ इंटरव्यू देना है और फिर हम परमानेंटली सरकारी नौकरी करने लगेंगे और वो भी सरकारी कर्मचारी बन कर ।

आभा ( खुश होते हुए ) - तुम सच कह रही हो...???

रत्ना - हां......।

सुनीता जी - अरे वाह......, बधाई हो तुम तीनो को , ( आभा को गले लगाकर ) और तुमको डबल बधाई , टॉप करने की और नौकरी में सिलेक्ट होने की भी ।

आभा मुस्कुराकर अपनी मां के गले लग जाती है । सौरभ जी भी आभा को आशीर्वाद देते हैं और उसे गले लगाकर , उसकी पीठ थपथपाते हुए कहते हैं ।

सौरभ जी - हमें तुमसे यही उम्मीद थी बेटा....। फक्र है हमें तुम पर , कि तुम हमारी बेटी हो । खूब तरक्की करो और हमेशा खुश रहो ।

आभा उनकी बात सुनकर मुस्कुरा देती है । अगले दस दिन बाद उन तीनो का इंटरव्यू था , जिसकी तैयारियों में वो तीनों जुट जाती हैं । दस दिन बाद , तीनो का इंटरव्यू होता हैं, जिसमें तीनो ही सेलेक्ट हो जाती हैं , और किस्मत से उन्हें एक ही जगह , एकसाथ नौकरी करने को मिल जाती है । तीनो बहुत खुश होती हैं । अब आभा का नौकरी करने का सपना पूरा हो चुका था , उसके साथ ही अब उसे अच्छी सैलरी भी मिलने लगी थी , जिसमे से उसने आधी सैलरी , अपने ही जैसे लोगों की मदद करने में लगाई, ये सब करके उसे बहुत खुशी मिलती है और वह अपनी दोस्तों के साथ खुशी - खुशी जीवन यापन करने लगती है ।

सच ही कहते हैं लोग, जरूरी नहीं कि शादी करने से ही किसी की जिंदगी में खुशियां आएं । या फिर हर तरह से परफेक्ट होकर ही , इंसान नॉर्मल जिंदगी जी सकता है। नहीं....., ऐसा हर जगह हर किसी के साथ नहीं होता । इंसान अपने अधूरे पन को अपनी ताकत बनाकर भी जिंदगी जीता है , जैसे आभा ने बनाया , तभी आज वह इतनी खुश है । दूसरा...., इंसान अपने सपने पूरे करके भी जिंदगी में खुशियां हासिल कर सकता है , जो कि आभा ने बखूबी किया और अब अपने सपनों के साथ - साथ दूसरों के सपने पूरे करने में भी अपनी अहम भूमिका निभा रही है । इससे ये सीख मिलती है , कि अपने अधूरे पन को दरकिनार कर , हमें आगे बढ़ना चाहिए और जो चीज हम पा सकते हैं , अपने सपने पूरे करने के लिए , उसके लिए हमें काफी मेहनत करना चाहिए और उस चीज को पा लेना चाहिए । फिर भले ही आपके शरीर में कुछ अधूरा पन ही क्यों न हो ....। इंसान का मन पूरा होना चाहिए और उसमें आत्विश्वास के साथ - साथ , लोगों से लड़ने की ताकत और सपने पूरे करने की ललक होनी चाहिए । अगर ये खूबियां उसके अंदर आ गई ......, तो फिर न ही लोगों की बातें , और न ही शरीर का कोई अधूरा पन इंसान को अपने सपने पूरे करने से रोक सकता है ।

क्रमशः