Me and chef - 32 books and stories free download online pdf in Hindi

मे और महाराज - ( मुलाकात_२) 32

" आपका यहां स्वागत है मेरी राजकुमारी।"

" तुम। तुम यहां क्या कर रहे हो ?" अपनी दोनों बाहें फैलाए हुए राजकुमार अमन समायरा के सामने खड़े थे।

" हमे लगा आप हमे देख कर खुश होंगी।" अमन ने चेहरे पर उदासी लाते हुए कहा।

" अच्छा। मतलब ये सब सिर्फ एक साजिश थी मुझे यहां बुलाने की।" समायरा।

" आप हमसे ऐसी बाते क्यो कर रही है शायरा ? हमे बुरा लग रहा है। हमारे प्रति आपका बर्ताव दिन ब दिन रूखा होता जा रहा है। क्या हम इसकी वजह जान सकते है ? आप हमारा प्यार इतनी जल्दी भूल जाएंगी इसका हमे अंदाजा न था।" अमन।

" अब आपको पता चल गया ना। वो मिस्त्री कहा है ? और आपको कैसे पता चला की मैं उसे ढूंढ रही हूं ?" समायरा की आखों में सिर्फ गुस्सा था।

" ठीक है। आपकी नाराजगी सरांखो पे। हमे बस इतना बता दीजिए आप उसे क्यों ढूंढ रही हैं ?" अमन।

" अगर वो यहां नही है, तो यहां रुकने का कोई मतलब नहीं।" समायरा बाहर जाने के लिए आगे बढ़ी।

राजकुमार अमन ने उसे तुरंत पीछे खींच अपने गले लगा लिया। " हमे पता है, आप हमारी शादी को ले कर नाराज हैं। पर समझने की कोशिश किजिए हमने जो भी किया, वो सिर्फ आपके लिए किया। हम अभी भी आपके प्रति ईमानदार हैं। हम कल भी आपके थे, आज भी है और कल फिर आपके ही होंगे। हमे पता है, आप हमे सता रही है, लेकिन अब हमे बोहोत ज्यादा दर्द हो रहा है शायरा। अब बस सब रोक दीजिए और हमे अपने गले से लगा लीजिए ताकि इस दिल को चैन आए।"

समायरा उसे अपने से दूर करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन कोई फर्क ही नहीं था। जब उसकी बात खत्म हुई तब उसने थोड़ी पकड़ ढीली की इसी बात का फायदा उठा कर समायरा ने उसे तुरंत अपने से दूर धकेला। " बड़े राजकुमार इसे आखरी चेतावनी समझएं। क्योंकि आप मेरे पति के बड़े भाई है, सिर्फ इसी वजह से मैं इस बार आपको माफ कर रही हुं। अगली बार अगर आपने मुझे छूने की कोशिश की तो आप अपने आप को मेरे पति के सामने पाएंगे। आपके और मेरे बीच जो भी रिश्ता था वो मेरी तरफ से मेरे शादी के दिन ही खत्म हों गया था। अब मेरी वफादारी सिर्फ मेरे पति के प्रति है। उसे पोहचने वाली हर ठेस मुझे भी लगेगी। अगर ये बात आपको पहले पता नही चली तो मैं आज साफ कर देती हु। आज के बाद मुझसे और मेरे पति से दूर रहीए।"

" हम सिराज को बर्बाद कर देंगे, शायरा। हमारा प्यार अगर हमारी कमजोरी है। तो उस प्यार को पाने का जुनून ताकद है।" अमन की आखों में आसूं के साथ गुस्सा था।

" आप जो सही समझे। हमे राजकुमार सिराज पर पूरा भरोसा है। वो कभी कमजोर नही थे, ना ही होंगे। वो हर चीज़ से ऊपर हमे रखते है और हमेशा रखेंगे।" समायरा अमन को देखे बिना आगे चली गई।

कोई छिप कर उन दोनो की सारी बाते सुन रहा था। सिराज को जिस पल अमन के उसके राज्य में होने की खबर मिली। वो खुद छिप कर उसकी जासूसी कर रहा था। जब उसने समायरा को अमन से मिलते देखा, उसके सीने में एक अजीब दर्द उठा, उस दर्द का मतलब उसे भी पता नही था। पर समायरा की बाते सुन अब वो बिल्कुल निश्चित था। उसका दिल सही इंसान के पास है। अब उसे फिक्र करने की कोई जरूरत नही।

दूसरी तरफ राजकुमार अमन का हाल बुरा था। उन्हे अभी भी यकीन नही हो रहा था, की शायरा अब उनकी नही रही। कितना अजीब था, जिस प्यार के लिए उन्होंने शादी की आज वो प्यार ही उनका होने से इन्कार कर रहा था। पर इन सब की वजह सिर्फ एक इंसान था, सिराज। शायरा को पाने के लिए अमन का महाराज बनना जरूरी है। लेकिन सिराज किसी क़ीमत पर गद्दी छोड़ेगा नही। ऐसे में अमन को सब कुछ उस से छीनना होगा। अब अगर ये प्यार एक जंग हैं, तो यही सही।

समायरा ने जैसे ही घर के बाहर कदम रखा उसे मौली मिली।

" मूझे उस के साथ अकेला छोड़ कहा चली गई थी।" समायरा ने पूछा।

" वो राजकुमार के सिपाहियों ने मुझे बाहर ही रोक लिया था। पर तुमने बिल्कुल ठीक नही किया सैम। मेरी राजकुमारी को बोहोत बुरा लगेगा। तुम्हे राजकुमार अमन से ऐसी बाते नही करनी चाहिए थी।" मौली ने समायरा को समझाने की कोशिश की।

" मौली। क्या तुम दोनो अंधी हो ? तुम लोगो को दिखाई नहीं देता क्या ? राजकुमारी शायरा राजकुमार अमन की मंजिल नहीं है। सिर्फ मंजिल तक पोहचने वाली सीढ़ी है। वो बस सिराज से जीतने के लिए उनका इस्तेमाल कर रहा है। उसने अपना निर्णय तभी ले लिया था, जब उसने शायरा की बहन से शादी की। उसे गद्दी चाहिए अपना प्यार नही।" समायरा।

" ऐसा नहीं है सैम। राजकुमार मेरी राजकुमारी से प्यार करते है। लेकिन वो महाराज के आदेश के खिलाफ नही जा सके।" मौली।

" ये सब बहाने है मौली। कही भाग जाते। कुछ और काम कर लेते। ज्यादा से ज्यादा बुरा क्या होता। दोनो को मौत की सजा होती। पर उसने क्या किया, जब तुम्हारी राजकुमारी मौत से लड़ रही थी। वो अपनी शादी के जश्न में डूबे हुए थे। ये किस तरह का प्यार है मौली ?" समायरा।

" पर सैम ?" मौली।

" पर कुछ नही। मैने तुम दोनो की भलाई के लिए ऐसा किया है, तुम्हे जल्द पता चल जाएगा। च..."

" आ.........."

एक तीर हवा की रफ्तार से समायरा की तरफ आया था। तभी राजकुमार अमन ने मौली को एक तरफ धकेल समायरा को तीर के सामने से हटाया। तभी सिराज वहा पोहचा, और उसने समायरा को राजकुमार अमन की बाहों में से अपनी तरफ खीच लिया। दोनो भाई एक दूसरे को ज़हरीली नजरों से घूर रहे थे। उस बीच वो कातिल वहा से भाग गया।


दूसरी तरफ
शायरा की बहन गुस्से में थी। " किसी काम के नही हो तुम। एक काम दिया था उसे भी खराब कर दिया। दफा हो जाओ यहां से फिर कभी दिखना मत इस रियासत में।"