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मे और महाराज - (अंत ) 36


" मैने वहा पे कुछ सुना मौली ?" समायरा ने झाड़ियों की तरफ हाथ दिखाया। तभी झाड़ियों से कुछ तीर उड़ते हुए उनकी तरफ आए।

" आ.................."

उड़ते हुए तीरों को देख दोनों के मुंह से एक चीख निकली। पर सिराज की चतुराई यहां काम आई। उसने शायद ये खतरा पहले ही भाप लिया था। उसने तुरंत समायरा को अपनी तरफ खींचा और रिहान ने मौली को अपनी तरफ खींचा। दोनो ने एक दूसरे को इशारा किया और लड़कियों के साथ अलग अलग दिशा में भागे। जैसे ही वो लोग भागे, काले कपड़े पहने हुए लोगो के एक समूह ने अलग अलग हो दोनों जोड़ों का पीछा किया।

रिहान और मौली रास्ते की तरफ भागे। वही समायरा और सिराज पहाड़ की तरफ भागे थे।

सिराज समायरा को लगभग खींच ही रहा था, एक मोड़ पर जब उसे लगा के वो हत्यारे दूर है। समायरा कुछ देर के लिए रुकी।

" जल्दी चालिए। हम यहां ज्यादा देर रुक नही सकते।" सिराज ने पत्थर पर बैठी समायरा से कहा।

" तुम तो अपने आप को बोहोत बड़ा योद्धा कहते हो ना ? तो भागना क्यों है। जाओ अपना युद्ध कौशल दिखाओ। वो रोज सुबह उठ कर तुम जो करते हो करो।" समायरा ने अपनी फुली हुई सांस को संभालते हुए कहा।

" हम लड़ते अगर आप हमारे साथ ना होती। अगर हमे लड़ाई में उलझा कर वो आपको अपने साथ ले गए तो ? या फिर हमे घेर उन में से किसीने आप पे हमला किया तो ? इसलिए हम लड़ नही रहे है। " सिराज ने उसे समझाया।

" ह....... रीजन्स।" समायरा ने अपनी गर्दन हिलाते हुए सिराज का मज़ाक उड़ाया।

" क्या कहा आपने फिर कहिए ?" सिराज को उस के शब्द नही समझे। पर उसके चेहरे का भाव बता रहा था, की उसे सिराज की बाते बस बहाना लग रही थी।

" कुछ नही।" तभी एक तीर उड़ कर समायरा जिस पत्थर पर बैठी थी उस के पास वाले पेड़ पर लगा। "आ......." एक चीख फिर से समायरा के मुंह से निकली। सिराज उसे फिर ले कर भागा। " मुझे इन कपड़ो में भागा नही जा रहा।"

" आप बस चलिए, हमारे होते हुए आप पर आंच भी नही आयेगी। वादा है हमारा।" सिराज ने उसका हाथ और कस कर पकड़ा और दोनो भागने लगे।

भागते भागते दोनो आखिरकार पहाड़ी के किनारे पे आए। और उन काले कपड़े वाले २५ लोगो ने उन्हें आधा वलय बना कर घेर लिया। सिराज आगे रहा और समायरा को उसने अपने पीछे छिपा दिया।

" राजकुमार, राजकुमारी शायरा को हमे सौप दीजिए।" उन काले कपड़ों में से एक ने कहा।

" हमारे जीते जी तो ऐसा नहीं हो सकता।" सिराज।

" हमारी आपसे दुश्मनी नहीं है, मेरे महाराज। पर राजकुमारी हमारी कैदी है। जो हमारे साथ जाएंगी।" हत्यारों में से एक ने फिर सिराज को समझाने की कोशिश की।

" राजकुमारी, हमारी अर्धांगिनी है। वो हमारे साथ रहेंगी।" सिराज। " किस के आदेश का पालन कर रहे हो तुम लोग ? बताओ हमे। "

" आपके पास कोई रास्ता नही है राजकुमार। राजकुमारी शायरा हमे सौप दीजिए।" काले कपड़े वालों में से एक आगे आने लगा।

तभी सामने से अचानक एक तीर उड़ता हुवा सिराज की तरफ आया। समायरा तुरंत सिराज को पीछे कर आगे आ गई। तीर सिराज की नजरो से छिपा नहीं था। लेकिन समायरा की इस हरकत से वो चौक गया था, लेकिन उसने तुरंत समायरा की कमर पकड़ी और पहाड़ से नीचे कूद गया। काले कपड़े वाले लोग डर गए।

" किस ने तीर चलाया ?" उन में से एक ने अपने साथियों से पूछा। हर कोई ना में सर हिला रहा था। " राजकुमार अमन ने राजकुमारी को जिंदा पकड़ने कहा था। ऐसी गलती कर कैसे सकते हो तुम लोग ?" वो अपने साथियों पर चिल्लाया।

दूर पहाड़ी पर,
" हमे उन्हे मारना नही था ? हमे उस राजकुमारी की जरूरत है।" शैतान के एक पुजारिने अपने दोस्त से कहा।

" हमे राजकुमारी की नही। उस के शरीर में जो २१ वी सदी की लड़की है, उसकी जरूरत है। और जब तक राजकुमारी शायरा जिंदा है, समायरा सदेह यहां नही आ सकती। उसके लिए राजकुमारी शायरा को मरना पड़ेगा। राजकुमार अमन अपने प्यार के साथ ऐसा नहीं कर सकते। इस लिए मैंने उनकी थोड़ी मदद कर दी। चलो, अब हमे उस लड़की को वापस बुलाने की विधि करनी पड़ेगी।" इतना कह दोनो शैतान के पुजारी वहा से चले गए।

पहाड़ी से नीचे गिरते वक्त सिराज ने एक डाल पकड़ ली थी। जिस पर उसने समायरा को बिठा दिया। समायरा डाल पर थी, सिराज को ऊपर खींचने की कोशिश कर रही थी। पर सिराज उसके वजन से दुगना होने की वजह से उस से ये कार्य हो नही पा रहा था।

" हमे छोड़ दीजिए। शायद हमारा साथ यही तक था। कुछ देर बाद रिहान आकार आप को ढूंढ़ लेगा। हमारे महल में खुशी से रहिएगा।" सिराज ने प्यार भरी नजर उस पर डालते हुए कहा।

" चुप रहो। बिल्कुल चुप। ये कैसी बातें कर रहे हो ? मैं मर जाऊंगी पर तुम्हे नही छोडूंगी समझे। युद्ध में सेना का नेतृत्व करते हो। सेनापति हो, एक राजकुमार हो और कुछ देर किस्मत से लड़ नही सकते। मैं खींचती हूं तुम भी जोर लगा कर अपने आप को ऊपर धकेलो प्लीज।" समायरा का पूरा ध्यान सिर्फ सिराज पर था। उसने सिराज का हाथ कस कर पकड़ रखा था, मानो अगर सिराज गिरे तो समायरा भी उसके साथ गिरेगी।

" ये डाल दोनों का वजन नही संभाल सकती। यही मुकद्दर है, हम दोनो में से कोई एक ही जिंदा रह सकता है। हम हमारा वादा निभाएंगे। आप जिंदा रहेंगी।" सिराज।

" चुप हो जाओ प्लीज़। कुछ देर के लिए चुप रहो। मैं तुम्हे कुछ नही होने दूंगी।" समायरा ने फिर सिराज को ऊपर खींचने की कोशिश की। पर नाकामयाब।

" आप हमारे लिए क्यों अपनी जान की बाजी लगा रही है ? आप उसे क्यों बचाना चाहती है जिसने आपको आपके प्यार से अलग किया ? उसे बचाने की जिद्द जिसने आपकी जिंदगी बर्बाद की ? आप को मेरा हाथ छोड़ देना चाहिए।" सिराज।

" अब अगर तुमने एक शब्द भी कहा ना मैं सच में एक हाथ से तुम्हे थप्पड़ मारूंगी। तुम समझते क्यो नही। मैं पसंद करती हूं तुम्हे। अगर तुम चले गए तो इस सदी में किस के सहारे रहूंगी मैं ? वो राजकुमार अमन मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। प्लीज अपने आप को बचाओ। प्लीज।" समायरा की आखों में आसूं थे।

सिराज बस उसे घुरे जा रहा था, उसके दिमाग में कई सवाल थे। पर आज वक्त उनके साथ नही था। क्या सच में उनका साथ यहीं तक है ? क्या सच में ये कहानी ऐसे खत्म होगी ?

खट........ डाली के टूटने की आवाज आई।

" हमारा हाथ छोड़ दीजिए।" सिराज ने धीमी आवाज में कहा।

" नहीं।" समायरा ने दोनो हाथो से सिराज का हाथ कस कर पकड़ लिया।

खट...... दूसरी आवाज के साथ डाली टूट गई और दोनों खाई में गिर पड़े।