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मे और महाराज - ( हीरो_२) 39

अपनी शाही बग्गी मैं कुछ घंटों का सफर तय करने के बाद सिराज और समायरा अपनी पूरी टोली के साथ उनके महल पहुंचे। सिराज समायरा को अपनी बाहों में उठाए हुए उसके कक्ष की तरफ दौड़ रहा था। चांदनी और गौरबाई को महाराज के आने की खबर पहले ही लग गई थी। वह दोनों ही सज सवरकर सिराज का इंतजार कर रही थी। जैसे ही सिराज ने समायरा के महल में कदम रखा, वो दोनों तुरन्त सामने हाजिर हुएं।

" महाराज।" दोनो ने सर झुकाते हुए कहा।

" हमे राजकुमारी शायरा के साथ हुए हादसे का काफी दुख हैं मेरे महाराज।" गौर बाई ने सिराज के सामने आते हुए कहा।

सिराज ने अपने कदम जरूर रोके लेकिन उसे इन दोनों का बर्ताव बिल्कुल पसंद नहीं आया। " हटिए हमारे सामने से।" उसने अपनी आवाज चढ़ाते हुए कहा।

वो आवाज इस कदर चढ़ी हुई थी, की समायरा डर कर उठ गई। लेकिन सिराज की गुस्से भरी आंखे देख गौर बाई और चांदनी तुरंत उसकी राह से हट गए।

सिराज ने समायरा को उसके कमरे में, उसके पसंदीदा बिस्तर पर लिटाया।
" क्या हूवा आप भी हमसे डरती हैं ?" सिराज ने मज़ाक में पूछा।

" डरती नही हूं। पर तुम चिल्लाए ही इतनी ज़ोर से के नींद टूट गई।" समायरा ने अंगड़ाई लेते हुए कहा।

" आपका काम यहां से शुरू होता है। अभी कुछ ही देर में मेरे राज वैद और हकीम आएंगे। हमें बस उन्हें आपके घायल होने का यकीन दिलाना है। उसके बाद शाम को मुझे पिताश्री का संदेशा आ जाएगा। हमारे यहां ना होने का फायदा उठाने के बारे में गलती से भी सोचिएगा नही। समझी आप।" सिराज ने समायरा की नाक खींचते हुए कहा।

" मैने कहा ना बिल्कुल फिक्र मत करो। सारे कामों में बीमार होने के नाटक वाला काम मैं सबसे अच्छा करती हूं।" समायरा ने बिस्तर पर से उठते हुए कहा। " लेकिन ये वैद और हकीम बुलाने की क्या जरूरत है। आ…..." जमीन पर पैर रखते ही, समायरा के बदन में एक सनसनी दौड़ गई।

" इसी वजह से वैद जी यहां आ रहे है। अपने बर्ताव का पूरा ध्यान रखए। हमारी गैरमौजूदगी में मौली आपके साथ होंगी। ठीक है ?" सिराज ने पूछा। जिसपर समायरा ने सिर्फ सर हिलाकर जवाब दिया।

आगे सब कुछ सिराज के कहे मुताबिक हुवा। वैद हकीम आए, उनके सामने बीमार होने का समायरा ने बखूबी नाटक किया। समायरा की हरकते देख हर कोई चकित था, की उनकी रानी को आखिर हुवा क्या है ? सिराज के कहे मुताबिक रिहान और मौली ने सारे नौकरों में समायरा के बीमार होने की अफवा हवा की तेजी से फैला दी।

उनके लिए ये करना काफी आसान था। मौली खाना लेने के बहाने किचन में रोती हुई गई। जैसे ही गौर बाई की दासी ने उसे रोते देखा। इंसानियत के नाते उसका हालचाल पूछा। जिसपर मौली का जवाब तैयार था की, वो भी उसकी राजकुमारी के साथ जलेगी। उसकी राजकुमारी ने कल से खाना पीना छोड़ दिया है। हकीम भी उनका इलाज नहीं कर पा रहे। वो अकेली इस दुनिया में राजकुमारी के बिना क्या करेगी ? उसके बाद तो ये अफवा आग की तरह एक महल से दूसरे और दूसरे से तीसरे महल पोहची।

वही सिराज और समायरा ने अपने कमरे में अच्छा खासा नाटक रचा रखा था। रिहान कुछ सिपाहियों के साथ समायरा के कमरे के बाहर खड़ा था। तभी कमरे से एक बर्तन टूटने की आवाज आई।

" शायरा। आप हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकती।" थड़_ थड़ और कुछ बर्तन टूटे। " आपको दवाई पीनी पड़ेगी शायरा। आपने कल से पानी तक नहीं पिया और आज दवाई तक को अपने शरीर में नही जाने दे रही।" थड_थड़ कमरे से कुछ टूटने की आवाजे। " हम आपके बिना नहीं रह पाएंगे शायरा। आपको जहां भी जाना है, हमे भी आपके साथ ले जाएं।" कमरे से रोने को आवाजे।

कमरे के बाहर खड़े सिपाही, एक दूसरे को घुरे जा रहे थे। तभी रिहान बीच में बोला। " सब को कहना राजकुमारी के लिए दुआ करे। राजकुमारी पर हुए हमले के बाद से राजकुमारी की तबियत खराब है। उनके गम में मेरे महाराज अधमरे हो चुके है। अगर उन्हें कुछ हो गया, तो राजकुमार सिराज बिखर कर रह जाएंगे।" सिराज की बाते सुन उन सिपाहियों ने सिर्फ हां में गर्दन हिलाई। नतीजा रिहान को उनका चेहरा बता रहा था, की उसकी जलाई चिंगारी बिल्कुल सही जगह आग पकड़ेगी।

दूसरी तरफ कमरे में,
"शायरा। आप हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकती।" कह सिराज ने एक वाज लिया और उसे जोर से जमीन पर फेंका। " आपको दवाई पीनी पड़ेगी शायरा। आपने कल से पानी तक नहीं पिया और आज दवाई तक को अपने शरीर में नही जाने दे रही।" फिर से सिराज ने एक कटोरी उठाई और जोर से जमीन पर फेंकी। जमीन पर गिरते ही थड की आवाज़ के साथ कटोरी के टुकड़े टुकड़े हो गए। " हम आपके बिना नहीं रह पाएंगे शायरा। आपको जहां भी जाना है, हमे भी अपने साथ ले जाएं।" सिराज ने इस बार एक नजर समायरा को देखा, फिर से अपने पास रखे शीशे के बर्तन उठाए और जमीन पर फेंक दिए।

" हमे ऐसे क्यों देख रही है आप ?" सिराज ने धीमी आवाज में पूछा।

" देख रही हूं। आप इतने अच्छे तरीके से ये नाटक कर रहे है। एक पल के लिए तो में भी, सच समझ बैठी के आप हमारे साथ आएंगे।" समायरा ने एक झूठी हसी देते हुए कहा।

उसकी हसी के पीछे की उदासी भाप, सिराज तुरंत उसके पास बैठ गया। " एक बार पुकार कर तो देखिए, हम सच मैं सब छोड़ आपके पीछे चले आएंगे।"

" झूठे।" समायरा ने कहा।

सिराज ने तुरंत उसे बिस्तर पर लिटा कर खुद उसके ऊपर आ गया। " महाराज से गुस्ताखी। सजा मिलेगी।" सिराज ने जैसे ही अपने होठ समायरा के गले तक लाए, समायरा ने उसे रोका।

" हमारा पैर। अभी भी दर्द में है।" उसने बहाना बनाने की कोशिश की।

" भला इस प्रक्रिया में पैर का तो कोई काम नही है।" सिराज का बेशर्मी भरा जवाब तैयार था।

" छी।" समायरा ने उसे हाथ पर थपकी दी। " मैं अभी तैयार नहीं हूं।"

सिराज अभी भी उस पर झुका हुआ था। " भला इस प्रक्रिया के लिए भी औरतों को तैयार होना पड़ता है?"

सिराज के सवाल पर समायरा हस पड़ी। " इस रियासद के राजकुमार हो। तुम्हारे महल में तोहफे में मिली हुईं औरते है। हर राजकुमारी तुम पर मर मिटती हैं। सच बताओ इतनी सारी खूबसूरत औरतों से घिरे होने के बावजूद भी, मैं पहली हूं ना जिसके साथ तुमने शारीरिक संबंध बनाए ?"

" इसमें इतना खुश होनेवाली क्या बात है ?" सिराज ने उसके सवाल पर सवाल किया।

" तुम नही समझोगे मेरे भोले। तुम तो सच में हीरो निकले।" समायरा ने उसके गले में हाथ डालते हुए एक प्यारभरे चुंबन के लिए अपनी तरफ खींचा।

मिया_बीवी का प्यार बस शुरू ही हुआ था की, समायरा के कक्ष के दरवाज़े से रिहान का संदेशा आया।

" महाराज ने तुरंत राजकुमार सिराज को महल में बुलाया है।"