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मेरा Hero (भाग-3) - Farmhouse में कौन है??

सुबह होते ही शौर्य और रोहित farmhouse की तरफ निकल पड़े। वहाँ जैसे ही दोनो पहुचें बहुत सारे bodygaurd हाथ मे बन्दूक लिये पहरा दे रहे थे और शौर्य को देखकर सर नीचे कर के अभिवादन करने लगे। शौर्य और रोहित farmhouse के अन्दर पहुचे तो ढेर सारे गेंहू की बोरियो और डिब्बो भरा था जिनपर चूहे उछल खुद मचा रहे थे।
समाने ही एक आदमी कुर्सी पर बंधा था जो शौर्य को देखते ही जोर जोर से हंसने लगता है और बोलता है- ' तुम लोगो ने मुझे तो पकड़ लिया लेकिन बॉस तक कभी नही पहुच सकते ।' शौर्य गुस्से मे उसके दोनो गालों को अपने हाथो से दबाते हुये बोला- ' कौन है तेरा बॉस !बता।' मोहन भी घुर्राते हुये बोला-' नही बताऊंगा और तुम सब उनके तक पहुच भी नही सकते।' रोहित ने दो bodygaurd की तरफ इशारा कर के बोला - 'इनको तब तक मारो जब तक सब सच ना उगले।'

फिर दोनो सिधे कार मे बैठ कर कॉलेज की तरफ चल गये।दुसरी तरफ श्रुति देर से उठी और अपने साथ साथ अंजलि को भी देरी करा दिया। दोनो लम्बे लम्बे कदमो के साथ कॉलेज की तरफ जाने लगीं । श्रुति हांफते हुये बोली- 'बस अंजू अब धीरे चल नही तो मेरी जान निकल जायेगी।' अंजलि गुस्से मे बोली-'लगता है आज फिर से तुझे दीवाल से खुदकर ही जाना है कॉलेज के अन्दर।' श्रुति भी चिढ़कर कुछ बोलने ही वाली थी की एक कार आकर उनके सामने रुकी। दोनो घबरा कर कार की तरफ देखने लगीं तो पायी की अंदर रोहित और शौर्य थे जहाँ पर रोहित कार चला रहा था वही शौर्य अपनी मोबाइल मे कुछ देख रहा था । शौर्य ने बिना उन्हे देखे ही बोला-'आकर बैठ जाओ दोनो नही तो इस बार दिवार के ऊपर कुद के जाने पर punishment भी मिलेगी।' श्रुति तो झल्लाकर आगे बढ़ गई लेकिन अंजलि ने उसका हाथ पकड़ कर वापस खीच लायी और जाकर दौनों कार मे बैठ गई । रोहित तो बस अपनी शरारती मुस्कान लिये आँखो ही आँखो मे शौर्य को छेड़ रहा था । फिर न जाने उसे क्या सूझा की उसने कार मे गाना लगा दिया---
दिल का दरिया बह ही गया
इश्क इबादत बन ही गया
खुद को मुझे तू सौंप दे
मेरी ज़रुरत तू बन गया
बात दिल की नज़रों ने की
सच कह रहा तेरी कसम
तेरे बिन अब ना लेंगे एक भी दम
तुझे कितना चाहने लगे हम
तेरे बिन अब ना लेंगे एक भी दम
तुझे कितना चाहने लगे हम
तेरे साथ हो जायेंगे ख़तम
तुझे कितना चाहने लगे हम।।

( By - अर्जीत सिंह)

इतना सुनते ही शौर्य रोहित को घुरने लगा लेकिन रोहित तो मुस्कुराते हुये बस कार चला रहा था। शौर्य की नजर भी अचानक ही कार की साइड मिरर पड़ा तो देखा श्रुति गाने मे मगन होकर गाना भी गुनगुनाने लग जा रही थी जिसे देखकर ना जाने क्यू उसे भी सुकून महसूस हो रहा था। वो बस अपने ख्यालो मे ही गुम था तभी कार रुक गयी तो उसने गुस्से से बोला -'रोहित तुम्हारा दिमाग तो नही खराब हो गया है कॉलेज के लिये देरी हो रही है और तुम कार रोक रहे हो।'
रोहित हँसते हुये बोला -'किस ख्यालों मे डुबे हो कॉलेज आ चुका है और वो दोनो चली भी गयी।' शौर्य ने पीछे देखा तो सच मे दोनो चली गयी तो वो दोनों भी अन्दर जाने के लिये कार बाहर ही पार्क कर के गेट की तरफ बढ गये तो देखा की watchman से श्रुति बहस कर रही थी।श्रुति- 'अपने मेरा बैग कैसे गिरा दिया।' watchman- ' मैं तुम जैसे लोगों का बैग छू भी नही सकता।' श्रुति- 'अबे वो टक्ले इज्जत से बात कर रही हू तो.... ' के आगे कुछ कह पाती की शौर्य उसका हाथ पकड़ कर खीच के अन्दर ले गया। और तभी अंजलि भी वही आगे मिल जाती है और बोलती है-'श्रुति कहा रह गयी थी यार अब चल और शौर्य तुमने इसे इतना खीच कर लाने की क्या जरुरत है।' शौर्य भी तुन्नकर गुस्से मे सब बताते हुये रोहित के साथ आगे बढ़ जाता है।
वही दूर मानसी और उसकी दोनो दोस्त जिया और सिया यह सब देख रही थी। मानसी तो शौर्य को श्रुति का हाथ पकड़े देख गुस्से से हाफने लगी। तभी सिया बोली-'देख रही हो जिया बहन श्रुति तो बस 3 दिनो मे शौर्य के इतने करीब आ गई है जहाँ हमारी हिम्मत नही होती उससे बात तक कर पाने की वही वो श्रुति का हाथ पकड़े चल रहा है ।' जिया भी मुह बनाते हुये बोलती है- हा बहन हमारी मानसी बेचारी के पापा तो शौर्य के पापा के दोस्त है फिर भी शौर्य मानसी को गुस्से में ही देखता है।' इतना कहना था की मानसी गुस्से मे फूट पडी-' मेरे जले पर नमक ना छिडको तुम दोनो समझी।' तभी पीछे से एक आवज आती है-' जलने की बू आ रही है कही से धुआं भी उठ रहा है।' कह कर अनिकेत जोर जोर से हँसते हुये बगल से निकल जाता है और जाकर शौर्य और रोहित के साथ क्लास की ओर चलने लगता है। और इधर मानसी एक प्लान बना रही थी श्रुति को मजा चखने की। तीनो एक दुसरे से धीरे धीरे बात कर के फिर मुस्कुराते हुये चली जाती है। तीनो जाकर निशांत के पास पहुँचती है तो निशांत अपने ग्रुप के साथ गप्पे लडा रहा था।मानसी भी अदाओ से बोलती है-'हाय एवरीवन, निशांत क्या तुम एक मिनट यहा आओगे।' निशांत चला आता है फिर मानसी उसके कानो मे कुछ कह कर चली जाती है। निशांत दौड़ते हुये क्लास की तरफ भागता और सबसे पहले ही पहुच कर लिफ्ट से क्लास मे पहुचता है जो की तीसरे फ्लोर पर था और अपनी करतूतो को अंजाम देकर मुस्कान के साथ सबका इन्तजार करने लगता है।

सबसे पहले श्रुति होने के कारण जैसे ही क्लास के अन्दर कदम रखती है ऊपर से बाल्टी का ठंडा पानी उसके ऊपर गिर गया। जिसे देखकर निशांत,मानसी , जिया और सिया ही नही बल्कि बाकी के सारे लोग भी जोर जोर से हंसने लगे। अब श्रुति को तो गुस्सा आ ही रहा था साथ ही अंजलि और शौर्य का भी दिमाग गुस्से से फटे जा रहा था। रोहित जल्दी से अपनी जैकेट उतार कर श्रुति को देता है और तभी अवीका आकर उसे जल्दी से changing room ले जाती है। शौर्य गुस्से से बोलता है-'किसने किया यह सब बताओ ।' सभी लोग उसके गुस्से को देख कर डर जाते है तभी पीछे से कनिस्का आकर बोलती है-'और कौन हो सकता मानसी और उसके निशांत के सिवा।'

कनिस्का अफताब को देख कर इशारे मे ही हो तीखी मुस्कान दे देती है। अब तो मानसी की पूरी हवा ही टाइट हो जाती है पहले ही शौर्य उसको पसंद नही करता था और उसे तो अब उसकी कारनामे भी पता चल रहे थे। शौर्य गुस्से से मानसी को थप्पड़ मारने वाला था की अनिकेत उसका हाथ पकड़ कर बोलता है- ' क्या कर रहा है पागल है क्या । वो भी श्रुति के लिये तू किसी और को थप्पड़ मारने जा रहा है तेरी reputation मिट्टी मे मिल जायेगी।' शौर्य भी अब सोचने लगता है -' आखिर मुझे क्यू इतनी परेशानी हो रही है उस लड़की के लिये।' किसी तरह सबको शान्त करके अनिकेत और रोहित बैठाते है ।

अंजलि भी changing रुम की तरफ बढ़ जाती है। Changing room के अन्दर --
अविका-'किसने किया होगा श्रुति तुम्हारे साथ ऐसा! कितने गंदे लोग है इस कॉलेज मे लोग यहाँ ऐडमिशन के लिये मरते है और यह लोग यहाँ आकर ऐसी हरकते करते है।
श्रुति भी स्पोर्ट ड्रेस पहनते हुये बोलती है- ' शायद निशांत ने किया होगा पिछ्ली बार भी तुम्हारे साथ उसने ऐसा ही तो किया था।'
अविका-'शायद' ...... तभी अंजलि आ जाती है और हाँफते हुये बोलती है- इस मानसी निशांत और उसकी चम्चीयो को तो छोडुंगी नही ।' अविका- ' उन्होने ही यह सब किया है क्या !" श्रुति-' कोई बात नही इन सबको ऐसा मजा चखाती हू मै की सब देखते रह जायेंगे।'
अंजलि -'अच्छा अब चलो जल्दी क्लास मे मिस राधिका आती होंगी।' तीनो वापस क्लास की ओर चल देती है और क्लास मे जाकर देखती है तो इधर अलग ही सीन चल रहा है।

मानसी और कनिस्का एक दुसरे से लड़ रही थी वो भी एक सीट के लिये। मानसी भी कनिस्का से भडकी हुयी थी और कनिस्का जो शान्ति से ही अपने खतरनाक काम करती थी वो आज ना जाने क्यू लड़ रही थी । कनिस्का-'पहले मै आई थी तो मै ही बैठूगीं ।' मानसी भी गुस्से मे बोलती है-' क्यू मेरे बारे मे सबको बता कर यहाँ बैठने की सोचना भी मत यहा मै रोज बैठती हूँ ।' सिया- 'जिया बहन देखो तो यह दोनो नगिनो की तरह लड़ रही है।' जिया भी फुसफुसाकर-' बीच में ना ही पडो नही तो हमें ही डस लेंगीं।' सिया-'ठीक बोल रही हो।' तभी टिया आकर कनिस्का से बोलती है -'दुसरी सीट पर बैठ जाते है ना।' लेकिन कनिस्का के घुरने की वजह से चुप हो जाती है। इधर शौर्य उठकर बोल देता है -'मानसी तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है बैठने दो ना उसे ।' कनिस्का अफताब की तरफ देखने लगती है और धीरे से बोलती है-'तुम्हारा आइडिया काम कर गया शौर्य ने तो खुद के ही हाथो ने कुल्हाड़ी मार ली।' सारी क्लास कनिस्का के साथ थी । श्रुति , अवनी , रोहित , अनिकेत, अंजलि सर पकड़े बैठे थे । वही निशांत को हमेशा की तरह इनमे भी मजा आ रहा था। तभी मिस राधिका आती है और सबको डांट कर बैठाते हुये कहती है-' लगता है अब हमे आप लोगों का भी सिटिंग arrangement करना पड़ेगा नही तो आप लोग रोज ऐसे ही लडेंगे और हा फिर उसके बाद कोई भी अपने सीट पार्टनर के सिवा किसिके साथ नही बैठेगा और ना ही लड़ाई करेगा।' यह कह कर मिस सबको दो दो की पेयर मे बैठा देती है । और मजे की बात यह की सारे लोग खुश थे सिवाय श्रुति अंजलि और मानसी के। मानसी को इसलिये क्युकी कनिस्का और टिया को उसकी जगह बैठाया गया था और उसे निशांत के साथ । और श्रुति अंजलि इसलिए खुश नही थी क्योकि उन्हे अलग कर दिया गया और अंजलि को खडुस अफताब के साथ बैठना पड़ा । आज सबसे ज्यादा अविका और रोहित खुश थे पता है क्यू उन दोनों को साथ जो बैठाया गया था। श्रुति की बारी आई तो दो सीट बची थी शौर्य और अनिकेत की । मिस राधिका ने बोला-' श्रुति आप शौर्य के बगल मे जाईये।' श्रुति यह सुनते ही पैर पटक कर शौर्य के बगल मे जा बैठी । वही आज एक प्यारी सी लड़की जो खुद मे ही इतनी सुन्दर थी की सब लोग उसको देखते ही रह गये लड़के तो लड़के लडकियां भी मुह खोले उसे देख रही थी वह दरवाजे से बोली - ' मे आई कम इन मैम।'" येस कम प्लीज।"- मिस राधिका ने बोला । और वह अन्दर आई और अपना नाम बताया - हे माई नेम इज कीर्ति । इट्स माई फ़र्स्ट डे । वो जाकर अनिकेत के सीट पर जा बैठी और अनिकेत तो मारे खुशी के मन ही मन भगवान को लड्डू चड़ा रहा था। पता नही क्यू लेकिन आज शौर्य के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी और वो शरारत से श्रुति से बोला-' हे भगवान आपको मेरे पास कम दिमाग वाले लोगों को ही बैठना था।' अब तो श्रुति तून्नकर बोली- ' तुम्हारे जैसे महान के पास मुझे भी बैठने का शौक नही है बन्दर कही के।' शौर्य को आजतक किसी ने डाँटा तो क्या उचीँ आवाज मे बात तक नही की थी लेकिन आज श्रुति ने उसे सिधे इंडिया के youngest enterprenuer से बन्दर की उपाधि दे दी लेकिन शौर्य को उसके बातो से हंसी आ रही थी वो भी धीरे से उसे पास आके बोला-' जंगली बंदरिया।' श्रुति तो अब मानो बम की तरह फटने वाली थी ऐसे की उनकी नोक झोक चलती रही । फिर तीसरी क्लास मे रुपोर्त्शी मैम आई और धीरे से कनिस्का के बगल से गुजरते हुये चली गई । लेकिन श्रुति ने उन्हे एक कागज कनिस्का को देते हुये देख लिया था ।

क्रमश: