Mera Hero - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

मेरा Hero (भाग-11) पार्क मे धमाका











श्रुति बगल के पार्क मे जाकर एक बैंच खोजकर बैठ जाती है। उसे रह रह कर शौर्य का ख्याल आ रहा था । तभी उसका ध्यान एक शक्स पर जाता है जो काले कम्बल ओढे पार्क मे पेड के पीछे छुपा था और ना जाने किसे खोज रहा था।

श्रुति जब कम्बल देखती है तो उसे कॉलेज मे उस व्यक्ति की याद आ जाती है जो वाशरुम एरिया मे था।जब श्रुति ध्यान से देखती है तो उसने अपने हाथ मे बन्दूक लिया था और शायद किसी पर निशाना साध रहा था। कम्बल ओढे मिस रुपोर्त्शी किसिको खोज रही थी।

तभी वो उसे देखती है और बन्दूक का ट्रिगर दबाने ही वाली थी की श्रुति देख लेती है और दौड़ उस बुड्ढी औरत को धक्का दे देती है तभी बन्दूक चलने की वजह से सबका ध्यान मिस रुपोर्त्शी पर चला जाता है जो की कम्बल मुह छिपाये थी। सभी लोग उसको घेर लेते है की तभी जोर का धमका होता है। बॉम्ब फटने के कारण लोगो मे अफरा तफरी का माहोल हो जाता है और सभी भागने लगते है जिसका फायदा उठाकर मिस रुपोर्त्शी भी भाग जाती है।

इधर श्रुति जिस बूढ़ी औरत को बचाती है वो और कोई नही बल्कि अपने शौर्य की दादी थी। दादी और श्रुति जैसे ही एक दुसरे को देखती है दोनो पहचान जाती है। दादी-" तुम तो वही हो ना जो मुझे उस दिन ऐक्सीडेंट से बचाई थी।" श्रुति हाँ मे सर हिला देती है। दादी-" वैसे तुम्हारा नाम क्या है?" तभी कोई लड़की जोर से चिल्लाती है-" सोना सोना ।" श्रुति को लगता है उसे कोई बुला रहा है इसलिये वो उधर ही देखने लगती है।

और इधर दादी को लगता है की श्रुति का नाम सोना है। पार्क मे इतना अफरा तफरी से श्रुति जाने लगती है की दादी उसका हाथ पकड के बोलती है-" सोना मुझे ना अपना नम्बर दे दो मुझे जब मन करेगा मै तुमसे बात करूंगी और तुम्हे भी कोई जरुरत हो तो मुझे बता देना।" श्रुति को लगता है दादी प्यार से सोना बुला रही है इसलिये वो उनको अपना नम्बर दे देती है और वहा से चली जाती है।

दादी भी जल्दी से पार्क के बाहर आती है । शौर्य को जैसे ही इन सबके बारे मे पता चलता है और यह भी की दादी उसी पार्क मे है तो वह जल्दी से वहा आ जाता है। बाहर आकर दादी देखती है तो शौर्य कार लिये वही खड़ा था वो जल्दी से दादी को कार मे बिठा देता है और बोलता है-" अब से आप बाहर अकेले नही जायेंगी अगर आपको कुछ हो गया तो।" दादी -" कुछ नही होगा शौर्य लेकिन पता है शौर्य मेरे ऊपर किसिने गोली चलाई वो तो अच्छा हुआ सोना ने मुझे बचा लिया नही तो मेरा आज काम ही खत्म था समझो। " शौर्य -" कौन सोना।" दादी-" अरे वही जिसने उस दिन मेरा ऐक्सीडेंट होने से बचाया था।"

शौर्य को आश्चर्य होता है की आखिर एक ही लड़की मेरी दादी को क्यू बचाती है लेकिन अगले पल सोचता है-" हो सकता है coincidence हो।" तभी दादी फिर बोलती है-" मेरी मानो तो तू ना उससे शादी कर लेना और अपनी उस जंगली बंदरिया को छोड दे।" शौर्य अचम्भे मे उनको देखने लगता है और आपको श्रुति के बारे मे कौन बताया।"

दादी-" अच्छा तो उसका नाम श्रुति है और रही बात मुझे पता चलने की वो तो मै खुद पता लगा लेती हू।" फिर ऐसे ही बात करते दोनो शिन्घानिया विला तक पहुच जाते है।

इधर श्रुति अपने PG पहुच चुकी थी और अंजलि को भी सारी बाते बताती है। अंजलि परेशान हो उसको घुमा घुमा के देखने लगती है और कह रही थी-" तुझे कही लगी तो नही ना।" श्रुति-" अरे नही।" तभी रोहित अंजलि कॉल करता है-" हेय अंजलि कैसी हो सब ठीक से पैकिंग कर ली ना।" लेकिन इधर अंजलि परेशान थी। रोहित-" क्या हुआ बहुत परेशान लग रही हो।"

फिर अंजलि श्रुति और पार्क मे हुई बाते बताती है। रोहित कॉल रख शौर्य को कॉल करने वाला था की उसके फ़ोन मे न्यूज़ section मे पार्क मे बॉम्ब फटने और हमले की notification आने लगती है। वो देखता है तो एक जगह लिखा था--- "पार्क मे मौजुद थी शिन्घानिया परिवार की एक महिला। सूत्रो के मुताबिक पता चला है की यह Youngest Enterpreneur शौर्य शिन्घानिया की दादी है।" रोहित यह देख घबरा जाता है और शौर्य को कॉल कर देता है।

शौर्य जैसे ही अपने कमरे मे जाता है उसका फ़ोन बजने लगता है शौर्य जब देखता है तो वह रोहित का कॉल था। रोहित-" हेलो।" शौर्य अभी रोहित के कुछ बोलने के पहले ही बोलता है-" दादी ठीक है मैने उन्हे ला दिया है। तभी रोहित-" अच्छा ठीक है। शौर्य -" ठीक है तो कॉल रख मुझे अभी बहुत काम है। रोहित थोडा झुझलाते हुये-"मेरी बात तो सुन।" शौर्य -" क्या है अब।"
रोहित -" उस पार्क मे श्रुति भी थी और क्या।" शौर्य जल्दी से टेंशन मे-" वो ठीक तो है ना उसे कुछ हुआ तो नही।" रोहित-" रिलैक्स कुछ नही हुआ ।
वो ठीक है और पीजी भी पहुच चुकी है। शौर्य लम्बी सांस लेते हुये-" हम्म्म्म।" रोहित-" यह हमला आखिर था किसके लिये।" शौर्य-" शायद दादी के लिये वो लोग मेरे दादी पर हमला करा मुझे डराना चाहते है।

रोहित-" अब तो मुझे भी चिंता हो रही है सबकी।" शौर्य-" इसलिये ही तो सबको मामा जी ने कैम्प मे बुलाया है।" कुछ बाते करने के बाद दोनो फ़ोन रख देते है ।

इधर एक अन्धेरे कमरे मे रुपोर्त्शी अफताब से-" तुमने आज वहा बॉम्ब फोड के मुझे बचा लिया।" वही एक कुर्सी पर बैठी कनिस्का-" लेकिन उस शौर्य को दादी को बचाया किसने।" रुपोर्त्शी दांत पीसते हुये-" उस पिद्दी श्रुति ने।" कीर्ति भी वही बैठी सबको देख कर बोलती है-" उसे भी उड़ा देती बॉस।" रुपोर्त्शी-" टाईम ही नही मिला नही तो आज दोनो का खेल खत्म था समझो।" फिर सब एक फ़ाईल निकालते है।
रुपोर्त्शी-" ध्यान से देखो सब हो सकता है विंटर मे picnic के लिये कॉलेज के सभी स्टूडेंट्स को उत्तराखंड ले जाया जाये तभी हम लोग अपने काम को अंजाम देंगे।" सब एक साथ -" ओके बॉस।"

दुसरी तरफ रात मे श्रुति खाना खा के सोने जाती है की उसके मोबाइल पर अननोन नम्बर से कॉल आता है। वो मोबाइल देखते हुये-" यह कौन है और मुझे याद कर रहा है।"
फिर फ़ोन उठाती है-" हेलो कौन बोल रहा है।" उधर से शौर्य की दादी-" मै हू सोना।" श्रुति-" अच्छा दादी आप।" फिर दादी श्रुति से खूब देर तक बात करती है और श्रुति भी।
दादी-" तुम ना मुझसे मिलने उसी पार्क मे आ जाना मै हमेशा वही आती रहती हूँ ।" श्रुति भी प्यार से-" ठीक है दादी लेकिन दो हफ्तो के लिये मै कही जा रही हू उसके बाद ही मिलेंगे हम।" दादी थोड़ा सोचते हुये-" वैसे मेरा पोता भी कही जा रहा है मै तो बोर हो जाऊंगी घर पर।" श्रुति हसते हुये-" कोई बात नही दादी मै जब आऊंगी तब खूब मस्ती करेंगे।"

उनकी बाते अभी चल ही रही थी की अंजलि श्रुति को बुलाते हुये कहती है-" श्रुति सो जा कल हमे सुबह ही निकलना है अगर सोती रही तो हम वहा भी लेट हो जायेंगे फिर वहा तो आर्मी रुल्स होंगे हमे पनिश भी किया जायेंगा।" श्रुति जल्दी से दादी को बाय बोल फ़ोन रख कर सोने आ जाती है।

दुसरी ओर एग्ज़ाम खत्म होने की खुशी मे मानसी, सिया और जिया बार मे गयी थी। मानसी नाचते-गाते ड्रिंक किये जा रही थी। सिया तभी लडखाडती हुई रोते हुये बार के बिचो बिच आती है और माईक मे चिल्लाने लगती है-" मै तो लुट गयी बर्बाद हो गयी ना जाने पिछ्ले जन्म मे क्या कर्म किये थे की मुझे इतनी सजा मिली।" की जिया भी आ उसके नाटक मे साथ देने लगती है-" सही बोला तुमने शायद हमने आजतक जितने मच्छर मारे है उनकी बददुआ लगी है हमे।"

सिया-" हा बहन।" वही पर पूरा भीड इक्कठा होने लगती है उनमे किसी ने पुछा-" क्या हुआ तुम दोनो के साथ।" जिया -" हमारे साथ नही हमारे प्यारी मानसी के साथ पुछो क्या क्या नही हुआ है।" तभी सिया-" हमारी मानसी जिस लड़के के पीछे 5 साल से इतनी मेहनत कर रही थी वो अपनी गर्लफ्रैंड के साथ घूम रहा है......हें हें हें। " कर के सब रोने लगती है।

इधर मानसी टेबल पर बैठे सब सुन गुस्से से और पिए जा रही थी। सारे लोग सोचते है ये पागल कुछ भी बकवास कर रही है इसलिये सब जाने लगते है की मानसी भी उन दोनो को गुस्से से घुरते हुये आती है और मारने के लिये हाथ उठाती है लेकिन वो हाथ जिया के कंधे पर रख माइक मे जोर जोर से रोते हुये गाने लगती है।

हो मुझे छोड़ कर जो तुम जाओगे जो तुम जाओगे,
जो तुम जाओगे हो मुझे छोड़ कर जो तुम जाओगे
बड़ा पछताओगे, बड़ा पछताओगे
बड़ा पछताओगे, बड़ा पछताओगे
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उसकी इतनी बेशुरी गाने को सुनने के बाद सबने अपने कान बन्द कर लिये की तभी बार का मैनेजर भी आ जाता है और gaurd से तीनो को बाहर फिकवा देता है। तीनो रोते हुये बाहर ही बैठी रहती है। लगभग 2 घन्टे रोने के बाद सब उठ अपने कार मे बैठ कर चली जाती है।

सुबह के वक्त---

शौर्य और रोहित सारे समान को कार मे रख कर सिधे फ़ार्म हाऊस की तरफ निकाल जाते है। वो अन्दर जैसे ही जाते है वही नजारा था चूहे इधर-उधर उछल रहे थे और मोहन कुर्सी मे बधा पड़ा था।

रोहित आकर उससे पूछता है-" तुम अपने बॉस का नाम बता रहे हो की नही।" मोहन हसते हुये-" कभी नही क्यू इतना मारवाने के बाद ठंडे पड़ गये दोनो। शौर्य गुस्से से खिजते हुये-" क्या चाहिये तुम्हे।" मोहन-" चलो अब तो आये पॉइंट पर वैसे मै लेना तो कुछ नही चाहता लेकिन 1 करोड़ दे दो बस।"
शौर्य -" ठीक है तुम्हारे अकाउंट मे ट्रांसफर हो जायेगा।" मोहन -" ऐसे नही अभी करो।" शौर्य-" मेरे पास तुम्हारा अकाउंट इन्फॉर्मेशन नही है।" मोहन फिर मुसकुराते हुये उसके मोबाइल की तरफ इशारा करते हुये-" इतना भोले ना बनो शौर्य शिन्घानिया मुझे पता है मै तुम्हारी कंपनी मे जब काम करता था तो तुम्हारे इसी मोबाइल मे सब डिटेल्स रहती थी।"

रोहित उसकी चतुराई पर गुस्सा होके आगे बढ़ उसे मारने जाता है की शौर्य उसे रोक लेता है-" ठीक है मोहन।" इतना कह वो मोबाइल से उसके अकाउंट मे पैसे ट्रांसफर करने लगता है और उसे दिखता है । मोहन भी हसते हुये बोलता है-" अब यह हुई ना बात।" रोहित-" अब अपने बॉस का नाम बताओ ।कौन तुमसे वो ड्रग्स के घपले करवाता था।"
मोहन-" वो तो मुझे नही पता।" शौर्य को अब गुस्सा आ रहा था लेकिन अपने गुस्से को काबू मे करते हुये वो बोलता है-" तो क्या पता है तुम्हे।" मोहन-" मैने तो उसे कभी देखा नही लेकिन वो तुम्हारे ही कॉलेज का कोई है।" शौर्य-" ठीक है।" फिर रोहित की तरफ मुड़ के उससे बोलना है-" इसे छोड दो अब।"
रोहित-" पर .... ।" शौर्य उसे हाथ से खोलने को इशारा करना है। रोहित को न चाहते हुये भी मोहन को खोलना पड़ता है। मोहन खुलते ही सिधे दरवाजे से भागने लगता है की धाय धाय की आवाज से तीन- चार गोलिया उसके शरीर के आर पार हो जाती है।
शौर्य अपनी बन्दूक वापस जेब मे रख लेता है और गार्ड को बुला लाश को ठिकाने लगाने को बोलता है। शौर्य बाहर निकलते हुये खतरनाक मुसकान लिये -" तुम्हे क्या लगा मै अपने गद्दारो को ऐसे ही छोड देता।" रोहित-" मुझे भी लग ही रहा था की तुम ऐसे कैसे इसे छोड रहे हो लेकिन तुमने जो पैसे उसके अकाउंट मे ट्रांसफर किये है उनका क्या।"

शौर्य हसते हुये कार मे बैठता है-" तुमने देखा अकाउंट नम्बर की किस अकाउंट मे मैने ट्रांसफर किया है पैसे।" रोहित याद करते हुये-" वो तेरी की .....वो तो तुम्हारा दूसरा अकाउंट था।"

फिर दोनो कार मे बैठ अवीका के घर पहुचते है। अविका भी अपना सामान रख कर अन्दर बैठ जाती है और कार सिधे श्रुति और अंजलि के पीजी पहुचती है। श्रुति और अंजलि भी कार मे बैठ जाती है। अब सभी आर्मी कैम्प की तरफ निकाल पडते है।