Mrityu Murti - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

मृत्यु मूर्ति - 6

वर्तमान समय , लखनऊ
इतने दिनों के ट्रिप के बाद केवल एक को छोड़ लगभग सभी मेरे घर आने और मुझसे मिलकर खुश हैं। इस वक्त दोपहर का समय है मैं लंच करके अपने रूम में लेटा हुआ हूं। मैं सुबह आया हूं लेकिन वह अभी तक मुझसे मिलने नहीं आया। हालांकि सुबह मेन गेट खोलकर अंदर आते ही वह मुझ पर कूद पड़ा था। मेरे आने से वह बहुत ही खुश है यह मैं समझ चुका था लेकिन केवल उतना ही इसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं। बात कर रहा हूं रॉकेट की, वह मेरा एकमात्र पालतू डॉग है। मेरे कमरे में वह पूरा दिन लेटा रहता लेकिन आज वह एक बार के लिए भी मेरे कमरे में नहीं आया। यह बात मुझे बहुत ही अद्भुत लगा। इससे भी आश्चर्य की बात है कि मेरे कमरे के बाहर उसे कई बार इधर - उधर घुमते देखा और कई बार बुलाया लेकिन वह नहीं आया। ऐसा तो वह कभी नहीं करता। मैं तो पहले भी कई बार बाहर घूमने गया हूं लेकिन घर लौटने के बाद उसने कभी ऐसा व्यवहार नहीं दिखाया।
मैं बिस्तर पर लेटकर ही मैक्लोडगंज में उस अद्भुत आदमी के पास से मिले पंचधातु की मूर्ति को इधर - उधर से देख रहा था। कुछ देर देखने के बाद उसे मेरे कमरे के एक जगह पर रख दिया। वहाँ मूर्ति बहुत ही जच रहा है।
उसी वक्त दरवाजे के पास एक कुं -कुं की आवाज सुनाई दिया। रॉकेट ना जाने कब से दरवाजा के पास खड़ा है। मैंने उसे नहीं बुलाया क्योंकि कमरे के अंदर वह आज आएगा ही नहीं केवल दरवाज़े के पास खड़ा होकर पूँछ हिलाता रहा। अब मैं बिस्तर से उठकर दरवाजे के पास गया। मैं उसे गोद में उठाने ही वाला था कि मुझे आश्चर्य करते हुए वह जोर-जोर रोने के जैसा ऊऊऊ - ऊऊऊ करने लगा। प्रिय पशु के ऐसे आचरण से मैं थोड़ा चिंतित हुआ। उसे गोद में उठाकर कमरे में एक कदम अंदर जाते ही उसके चेहरे का रंग बदल गया और वह गुर्राने लगा। उसे कमरे के अंदर ले आया लेकिन वह ऐसे छटपटा रहा था मानो अभी मेरे चंगुल से भागना चाहता है। भौकते हुए उसका चेहरा कमरे के एक तरफ ही है। क्या देखकर वह ऐसा कर रहा है मुझे समझ नहीं आया? अचानक रॉकेट ने एक आश्चर्यजनक कार्य कर दिया। उसके गुस्से को कम करने के लिए मैंने जैसे ही उसके सिर पर हाथ रखा उसने मेरे हाथ को काट लिया और गोद से कूदकर दौड़ते हुए कमरे से बाहर निकल गया। मैं तो हैरान , बहुत बड़ा घाव नहीं हुआ लेकिन फिर भी मेरा हाथ खून से लतपथ हो गया।
रॉकेट ने मुझे काटा ? यह मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था। काटने की बात दूर है आज तक उसने मुझे अपना दांत भी नहीं दिखाया था । इस घटना ने मेरे दिमाग को सोचने पर मजबूर कर दिया। जो भी हो लेकिन अभी असली घटना आगे घटने वाली थी।
रात को छोटी-छोटी घटनाएं मेरे साथ हुई।
ट्रेन जर्नी करने के कारण ठीक से नींद नहीं लिया था इसलिए उस दिन जल्दी सो गया था। एक नींद में मेरा रात कवर हो जाता है लेकिन उस दिन ना जाने क्यों आधी रात को मेरा नींद टूट गया? मुझे ऐसा लगा कि बाथरूम जाना जरूरी है। बिस्तर से उठते ही मेरा हाथ पैर सिकुड़ गया क्योंकि कमरे में बहुत ही ज्यादा ठंडी थी। मेरे रूम में A. C नहीं लगा है।ऊपर का फैन घूम रहा है लेकिन ऐसा लगा कि मानो किसी ने कमरे में बहुत सारा बर्फ डाल दिया है। क्या हो रहा है कुछ भी समझ नहीं आया? मैं बिस्तर छोड़ कर उठ खड़ा हुआ और कांपते - कांपते बाथरूम की ओर गया। बाथरूम मेरे कमरे से बाहर है। आश्चर्य की बात यह है कि यह ठंडी हवा का कंपन मेरे कमरे से बाहर नीचे के एक कमरे तक फैला हुआ है। एक खिड़की को खोलकर बाहर की ओर देखा लेकिन बाहर बरसात नहीं हुआ था। आसमान में साफ-साफ चांद दिख रहा है। अचानक ही हमारे आँगन के पास वाले एक पेड़ पर एक कौआ चिल्लाने लगा। पहले एक फिर धीरे - धीरे लगभग दस - पंद्रह कौवे तेजी से कांव - कांव कर घर के चारों तरफ के परिवेश को डरावना बना दिया। आधी रात को कौवे ? ज्यादा नहीं पर मैं इतना जनता हूं कि रात को कौवे का चिल्लाना अशुभ होता है। आधी रात को अकेला खड़ा होकर 10 -15 कौवे को सुनना कितना भयानक है यह वर्णना करके नहीं समझाया जा सकता। ज्यादा देर मैं वहां पर खड़ा नहीं रह सका और सीधे बाथरूम के अंदर जाकर दरवाजे को बंद कर दिया। कुछ देर बाद ही कांव-कांव शांत हो गया। बाथरूम से निकल कर देखा तो फिर से सब कुछ पहले के जैसा था। ठंड कहां है ? अब तो माथे पर पसीना भी निकलने लगा था।
एक बार मुझे लगा कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा था। लेकिन कुछ देर पहले ही मैंने अनुभव किया था। उस ठंड ने मेरे हड्डी तक को कंपा दिया था। नींद में लोग कई सारी चीजें देखते हैं यह सुना था लेकिन क्या सुनते भी हैं? क्या गलत अनुभव भी करते हैं? क्या पता ?

क्रमशः.....