Pyar aisa bhi - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार ऐसा भी - 7

प्यार ऐसा भी


ज्योति हमारे छोटे से घर में भी खुश थी। सब उसका ध्यान रखेंगे, जानता था। मैंने उसको बिल्कुल टाइम नही दिया। सिर्फ इतना ही नहीं उसने जिस दिन वापिस आना था उसकी पहली रात उसने मेरे पूरे परिवार के साथ बाहर जाने के प्रोग्राम बनाया मुझ से पूछ कर।
मैं "हाँ "बोल कर काम पर चला गया।

शाम को घर आया तो मैैंने बाहर जाने से मना कर दिया। मैंने कहा कि मुझे दोस्त की शादी मैं जाना है। मेरे ना कहने से सब को बुरा लगा,पर मुझे तो आदत है ये सब करने की क्योंकि कमाता हूँ और इस घर को चला रहा हूँ का अहं दिखाने से कभी नहीं चूका। ज्योति को बहुत बुरा लगा। वो मेरी बदतमीजी थी, मैं मानता हूँ, पर नफीसा के साथ तो जाना ही पड़ेगा आखिर बीवी बनने वाली है।

रात को 2 बजे घर आया मेरी माँ को उसने टाइम से सोने को कहा और खुद मेरा इंतजार करती रही, यही नही उसको लगा कि मैं अकेला आ रहा हूँ तो कई बार मुझे फोन और मैसेज किया । मैंने न मैसैज करके जवाब दिया न फोन उठाया। यह जानते हुए की मैंने गलती की है, मैंने माफी नहीं माँगी।

उस रात भी वो चुप रही। मैंने उसको बोला हुआ था कि," मैं एयरपोर्ट छोड़ कर आऊँगा"।
उसने रात को कहा भी " टैक्सी बुक करवा दी है "। मैंने ध्यान नहीं दिया और ना ही कोई जवाब। सुबह जब मैं उठा तो बोली,"एयरपोर्ट दूर है, टैक्सी 10 बजे आ जाएगी तो तैयार हो जाओ"।

"मैंने बोला तो था कि मैं अपने आप छोड़ आँऊगा तुमने टैक्सी क्यों बुक की"। मेरे ऐसे बोलने पर उसने कहा, "रात को बता दिया था तब क्यों नहीं बोला तुमने कुछ"। मैं जूते पहन तैयार हो कर बाहर जाने लगा तो उसने पूछा "कहाँ जा रहे हो टैक्सी आती होगी"।

मुझे देर हो रही थी नफीसा को उसके घर से ले कर हॉस्पिटल छोड़ना था। मैंने कहा, "बाजार तक जा रहा हूँ, अभी आ रहा हूँ "। मुझे वहाँ टाइम लग गया या कहो कि जान बूझ कर देर कर रहा था। टैक्सी आने पर उसने मुझे फोन किया। "टैक्सी आ गयी है जाओ"।

मैंने एक बार भी नहीं सोचा कि वो पहली बार इस शहर में आई है, रास्ता लंबा है। कोई परेशानी न हो जाए। भूला दिया कि "उसको व्हील चेयर की जरूरत पड़ती है, ना ये ध्यान रहा कि वो टैक्सी से उतर कर अपना सामान ट्रॉली पर कैसे रखेगी ? वो तो अपने हाथों से थोड़ा वजन नहीं उठा सकती"।

मैं गुस्सा था, उसके आत्मविश्वास पर कि वो अकेले जा सकती है, मेरी मेल इगो को सहन नहीं हुआ कि उसने मुझे एक बार भी रिक्वेस्ट ही नही की जल्दी आने की। "भाई या जीजू को भेज दूँ", जवाब न होगा जानते हुए भी एक बार पूछ अपना फर्ज निभा दिया।



मैं गुस्से में उस दिन काम पर भी नहीं गया।
मेरा गुस्सा तो खैर क्या कम होना था!! फिर भी मैं उसको 1-1 घंटे के बाद फोन करके पता करता रहा कि वो ठीक तो है। आखिर वो जब अपने शहर पहुँच कर टैक्सी में बैठी तो उसने फोन करके बता दिया ।

उसकी आवाज ही बता रही थी कि वो ठीक नही थी। मैं तो नाराज था, इसलिए पूछा नहीं।
उस दिन के बाद मैंने उससे 15 दिन बात नहीं की। वो मैसैज करती जिसका जवाब कभी देता तो कभी न देता।

मैं तब नफीसा के साथ रहता तो खास ध्यान भी नहीं देता। इसी बीच जब उसका 2-3 दिन मैसेज नहीं आया तब तक गुस्सा भी ठंडा हो चुका था। बिना किसी गलती के बाद भी हमारे रिश्ते में कडवाहट न आए इसके लिए माफी माँगने वाली ज्योति ने इस बार कोई ऐसी पहल नही की ।

4-5 दिन हो गए थे, उसका मैसेज आए हुए, बहुत मिस कर रहा था। उसको फोन किया तो पता चला कि वो हॉस्पिटल में एडमिट थी। मुझे अपने व्यवहार का बुरा लगा, ऐसा भी नही था," क्योंकि उसकी ही गलती थी", का भाव आज भी है। मैं तो हमारी दोस्ती का नियम ही ताक पर रख बैठा । उसने कभी नही कहा कि उसे मेरी कोई बात बुरी लगी।

अब मैं उसका फिर से ध्यान रखने लगा। इन दिनों नफीसा के घर वाले हमारे रिश्ते के बारे में जान चुके थे। मेरे घर में जब पता चला तो माँ काफी नाराज़ हुई," क्योंकि वो मुस्लिम है।
मैं शादी करूँगा तो नफीसा से नहीं तो किसी से नहीं"। आखिर माँ को मना लिया। हमने एक मंदिर में शादी कर ली, हम दोनो बहुत खुश हैं।

दूसरी तरफ ज्योति इन सब बातों से अंजान थी। झूठ बोलने लगा अब उससे कि काम मैं हूँ। इस बार जब हम मिले 2-3 दिन के लिए तो नफीसा की पहनाई रिंग उतार कर बैग में रख ली। फिर भी 4 महीने से पहनी थी तो निशान रह गया।

ज्योति मेरी बाजू पर सिर रख लेटी हुई अपने हाथों में मेरा हाथ लिए लेटी थी, उसका ध्यान निशान पर गया तो उसने पूछ ही लिया," कितने दिनों से अँगूठी पहनी हुई निकाली है जो निशान रह गया"। "अरे यार, ये ऐसे ही रखी थी, तो पहन लिया कुछ महीने पहने रहा तो निशान रह गया"।

इस बार मैं अनमना था, उसने पहल की पर मैं तो नफीसा के साथ इतने समय से था तो संतुष्ट था। सो मैंने थकान का बहाना बना दिया। उसने कहा," कोई बात नहीं आराम करते हैं"। अगर वो मुझे ऐसा कहती तो मैं उसे राजी करवा कर मानता। पर वो तो चुपचाप मेरी बाजू पर सो गई। मैं उसके साथ हूँ, वो खुश रही। इस बार मैंने आने से पहले हमेशा कि तरह प्लान नही बनाया, " क्या नया करने का सोचा है" ? उसके चेहरे कै भाव सपाट थे, मैं नहीं समझ पाया कि वो क्या सोच रही है।।

क्रमश: