Pyar aisa bhi - 10 - Last Part books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार ऐसा भी - 10 - अंतिम भाग

प्यार ऐसा भी

"मेरे लिए आज भी तुम्हारी खुशी सबसे पहले है, इस बात का यकीन करो"। मैनें उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा। "प्रकाश ये बात पुरानी हो गयी है कुछ नया कहो"। उसने ताना देते हुए कहा, जिसे मैं उस हाल में नज़र अंदाज कर गया। वो चलने को तैयार खडी थी, रिसेप्शन पर टैक्सी के लिए बोला ही हुआ था सो उसका भी फोन आ गया।

" चलो चलते हैं अब" । जैसे ही चलने को हुई तो हमेशा की तरह बाथरूम चली गयी, ये उसकी आदत है।" मैं कई बार बोलता भी कि ऐन टाइम पर क्यों जाती हो"? उसका कहना "रास्ते में सू सू कहाँ जाऊँगी ? तुम लड़के तो कहीं में कर लेते हो"।

बहुत मन कर रहा था उसको हमेशा की तरह अपने सीने से लगा लूँ, और किस करूँ।
वो बाथरूम गयी तो मैं भी उठ कर उसके बाहर आने की इंतजार में बाथरूम के बाहर खड़ा हो गया। उसके बाहर आते ही मैंने वैसा ही किया , उसने कुछ नही कहा।

उसके छुआ तो उसका माथा अजीब तरीके से ठंडा था। बारी बारी से हाथ-पैर छू कर देखे तो उसकी ठंडक से अपने आप में झुरझुरी सी महसूस की। "तुम ठीक नहीं हो, प्लीज मत जाओ बस आज रूक कर आराम कर लो"।
"मैं बिल्कुल ठीक हूँ, देर हो रही है"। कह अपना छोटा सा बैग और पर्स उठाने के लिए मुझसे अलग हो गयी। "आज भी छोड़ने चलना है या पिछली बार की तरह अकेले चली जाऊँ"। मैं चुपचाप उसके पीछे चल दिया।

वो नफीसा की फैमिली, मेरे काम और सबके बारे में पूछते हुए खुद को नार्मल बनाने की पूरी कोशिश कर रही थीं पर वो अपने आँसू को मुझसे कैसे छुपा सकती थी। " ज्योति तुम मेरी बात नही सुन रही हो, कोई बात नहीं पर अपना ध्यान रखो, मैं तुम्हारे साथ हूँ हमेशा"।

"मैं ठीक हूँ और तुम्हारी हमदर्दी को अपने पास रखो"। अब मुझे गुस्सा आ रहा था उसकी जिद पर। "क्या चाहती हो तुम" अब शादी तो हो गयी है, जो कहोगी वो करूँगा"।
"अच्छा ये बात है, तो अभी नफीसा को फोन करके हमारे बारे में बता दो"। उसने मेरी आँखों में आँखे डाल कर देखा तो मेरी नजरे झुक गयी। "ठीक है बता देता हूँ उसके बाद क्या होगा वो मैं नहीं कह सकता"।

"तुम ने मेरे साथ जो किया उसके लिए तुम माफी माँग रहे हो ना उससे भी माँग लेना , वैसे भी उसके धर्म में तो 3-4 शादी जायज होती ही हैं। उसको तो खास फर्क नहीं पडेगा
वैसे भी मैं तुमसे शादी करने को नही कह रही बस हमारा रिश्ता जो है वही बताने को कहा, दिक्कत क्या है ? इसमें अगर मेरे बिना नही रह सकते हो, तो इतना करना बनता है" !!! मैं चुप सा बैठा सुनता रहा और सोच रहा था कि क्या कहूँ।

"तुम कहते हो कि तुम्हे आज भी मुझसे प्यार है, तो तुम मेरे लिए अपने परिवार से क्यों नही लडे़ । जबकि अलग धर्म की लड़की के लिए लडे़, ऊपर से तुर्रा ये कि करनी थी शादी कर ली। अब ये न कह देना कि तुम्हे तो शादी करनी नही थी!!!! मैं बस प्यार के नजरिये से तुम्हारी मेरे बारे में राय जानना चाहती हूँ"।

प्यार ऐसा भी (भाग -20)

मुझे कुछ और नहीं सूझा तो बोल गया, "कल तुम्हारे सामने थी, तुम ही कह देती" ? "मैंने तुम्हे कहा था कि," जब तुम्हारी शादी होगी मैं तुम्हारी बीवी को मिलूँगी और गिफ्ट भी जरूर दूँगी, वैसे तो सब तब होता जब तुम अरैंज मैरिज करते। तुम ये सोच कर खुश थे कि तुमने मुझे न बता कर अच्छा किया, बस उसी समझदारी ने हमारी दोस्ती भी खत्म कर दी। जो पैसा ले कर भागा वो बड़े वाला गधा था , अब तुम बोलो तुम्हे क्या कहा जाये"।

वो ये सब कह अंदर जाने लगी, तो मैंने कहा कि," तुम जितना मर्जी सुना लो या लड़ लो मैं तुम्हारे प्यार और दोस्ती के बिना नही रह सकता और तुम्हे मेरे साथ देना होगा"।

उसने मेरी तरफ पल भर के लिए देखा, उसकी आँखों में कुछ अलग तो था, जो मैं अब तक नहीं समझ पाया, " सुनो, मैं रह सकती हूँ,ौोोोक्योंकि मुझे सबसे ज्यादा प्यार अपने ज़मीर और स्वाभिमान से है, अगर मेरी इतनी चिंता और प्यार होता तो खेल खेलने की तो क्या सोचने की भी हिम्मत ना होती तुम्हारी "!!!

वो बोल कर चली गयी एक बार पलट कर भी नहीं देखा उसने। मैंने सोचा वो अभी गुस्से में है, मुझे अपने आप पर तब भी पूरा भरोसा था, मैं उसे मना लूँगा, हालाँकि दो साल बीत चुके हैं, पर भरोसा अभी तक कायम है।

उस दिन से मैं जब भी उसको मैसेज करता हूँ देर सवेर जवाब तो दे देती है, बस उतना ही कहती है जितना पूछता हूँ, मेरी खैरियत या परिवार में किसी का हाल -चाल पूछना छोड़ चुकी है। फेसबुक बंद तो कर ही चुकी है।

कई बार कह चुका कि" तुम्हारी जगह मेरे दिल में हमेशा से है, प्लीज लौट आओ"। उसका एक ही जवाब "जिस दिन तुम मेरे एक सवाल जवाब पूरी ईमानदारी से दोगे उस दिन सब शिकायतें खत्म हो जाएँगी। तुम एक समय मैं दो लडकियों से प्यार- प्यार (सॉरी औरतो से) खेल रहे थे तो दोनों में से किसके साथ सच्चा प्यार है "??

उसको देने के लिए मेरे पास जवाब नही है, ना कभी दे पाऊँगा क्योकि मैं जान गया हूँ, मैंने गलती की। उससे माफी माँग कर गलत सही नही कर पाया।उसकी एक सहेली से पूछता रहता हूँ उसके बारे में। पिछले हफ्ते ही की बात है वो हॉस्पिटल में एडमिट थी, फोन पर उसने बात करने से मना कर दिया।

मैं अपने आप को एकदम अकेला महसूस करने लगा हूँ, " ज्योति मुझे अकेलापन लग रहा है, मुझसे बात करो जब ठीक हो जाओ"। पूरे 10 घंटे बाद उसका जवाब आया, " मैंने तो सुना है, कि नफीसा पहले एक अच्छी दोस्त है बाद मैं तुम्हारी जान , मतलब बीवी !!!! कायदे से अकेलापन लगना तो नहीं चाहिए"।

मैं हार नहीं मानूँगा कैसे भी सही उसको अपने से दूर नहीं जाने दूँगा। वो कुछ भी समझे मुझे पर मुझे उसकी माफी का इंतजार रहेगा............

समाप्त