Pyar aisa bhi - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार ऐसा भी - 8

प्यार ऐसा भी

मैं 4-5 महीने से अपनी अक्लमंदी पर खुश और उसको पता नहीं चलने देने की कोशिश में कामयाब हूँ ,से निश्चिंत रहा। वो इन दिनों काफी खोई -खोई सी रही। उन दिनों 1-2 बार हमेशा की तरह बाजार चलने को कहा तो मैंने टाल दिया।

मैं जानता था कि वो जहाँ जाती है, वहाँ से अपने परिवार के बच्चों के लिए शॉपिंग करती है। कई बार मेरी बहन के लिए कुछ न कुछ लाती है, पर मुझे नफीसा से बात करनी थी।
वैसे भी वो मेरे ऐसे आने से अकेला महसूस कर रही थी। वो अकेले कैसे अंजान जगह पर मैनेज करेगी सोचना जरूरी नहीं समझा। "उसको प्यार करने का मेरा दावा", मैं खुद ही झुठला बैठा।

ज्योति अकेली ही चली गई। नाराजगी दिखाना उसको नही आता। मैं भी नार्मल दिखने का दिखावा करता रहा। मैं गलत कर रहा हूँ का विचार ही नही आया। मैं सही हूँ क्योंकि ज्योति को किसी हालत में दूर नहीं जाने दे सकता और "नफीसा को अगर धोखा दे भी रहा हूँ तो वो कौन सा दूध की धूली है, सोच हावी है"।

मैं सिर्फ अपने नजरिए से सोचता रहा। "मैं अपनी बीवी के लिए वफादार रहूँ" , उसकी ऐसी सोच को समझ कर भी नासमझ रहा।
क्योंकि मैं जानता था," ज्योति को जैसे ही पता चलेगा वो मेरी दोस्त भी नही रहेगी"। "ज्योति मेरी हरकतो को नोटिस कर रही होगी"?? इस तरीके से नही सोचा।

घूम कर आए तो हम फिर अपने अपने काम में बिजी हो गए। अपने टाइम पर बात करते।
रात को अक्सर मैं सोने का मैसेज करने लगा , जब उसके ऑन लाइन आने का टाइम होता। "आज कल बडे़ टाइम के पाबंद हो गए हो अपने टाइम से 5 मिनट देर होते ही गुडनाइट का मैसेज कर देते हो??? आखिर क्या माजरा है जनाब "!!! उसने कहा तो मैंनै कहा "आजकल थोड़ा दूर जाना पडता है फील्ड में तो थक जाता हूँ"।

वो बोली," ठीक है, तो तुम्हें जब नींद आने लगे तुम सो जाया करो मेरा इंतजार मत किया करो"। हम दिन में बात कर लिया करेंगे। उसके बाद से आज 2 साल हो गए कभी रात को उसने पहले मैसेज नहीं किया। इतनी सरल लड़की को मैं हर रोज अपने झूठ से बहलाता रहा।

हमें घूम कर आए अभी मुश्किल से 8-10 दिन ही तो हुए थे उसका दोपहर को फोन आया, "मैं काम में था तो उसको मैं फ्री हो कर बात करता हूँ, कह फोन रख दिया"।

मैं आज एक बात स्वीकार करना चाहता हूँ,
मैंने बहुत खराब हालातों का सामना किया है तो एक एक पैसे की कीमत समझती हूँ। जब नफीसा सिर्फ दोस्ती ही थी, उस दौरान मेरी बीमारी का खर्च और बहन की डिलीवरी को एक करके उसने मेरे हेल्थ इंश्योरेंस से करवा दिया। मुझे खुशी हुई कि काफी पैसा बच गया।



मेरा उससे शादी करना, जिंदगी भर परिवार की बीमारी में या और उनकी देखभाल में आसानी होगी। बस काफी सोच समझ कर उससे शादी कर ली। वो मुझे बहुत पसंद करती थी और प्यार उसे तभी हो गया था, जब मैंने उसकी परेशानी में साथ दिया था। यह बात मैं जान गया तो उसको प्यार का इजहार कर दिया और तुरंत "हाँ " कर दी।

ऐसा भी नहीं था कि वो मुझे पसंद नही थी। मैं जानता था कि नफीसा अपने परिवार में खुश
नही रही। उसको पसंद है सबसे मिलजुल कर रहना। वो मेरे परिवार में सबके साथ मिल कर रहेगी और माँ - बहन की इज्जत करेगी।

हाँ तो बता रहा था कि ज्योति को बाद में बात करता हूँ कहा याद था, तो घर आ कर फ्रेश हो कर सबसे पहले फोन किया। मैंने फोन किया तो उसने बोला कि वॉटसप्प पर कुछ भेजा है पहले वो देखो मैं 10 मिनट में दुबारा करती हूँ और हाँ खाना बाद में खाना मेरा कॉल पहली रिंग पर उठाना।

मैंने झट से वॉटसप्प खोला तो मेरे पैरों के नीचे से मानों ज़मीन ही खिसक गई । यह होगा कभी सोचा ही नही था। ज्योति जो मेरी हर बात पर आँख बंद करके यकीन कर लेती है, वो ऐसी कुछ कर सकती है, कभी नहीं लगा।

अभी इतने बड़े शॉक से निकल ही नहीं पाया था कि उसका फोन आ गया। उसके कहे मुताबिक आधी घंटी में ही उठा लिया, अपने आप को संभाला, " क्या है ये सब"?" ये लड़की वही है न लव इमोजी वाली "!!! मेरी बात को अनसुना कर बोली।

"तुमने क्या सोचा था, फेसबुक की सैटिंग से ज्योति न तो इसका प्रोफाइल देख पाएगी ना इसके तुम्हारी पोस्ट पर किए कमेंट!! यार एक बात बताओ तुम्हे भी इसकी पोस्ट पर कमेंट नहीं करना चाहिए था"। खैर जाने दो पर उसको बोल तो देते कि अपनी बाकी 2 आई डी पर भी ब्लॉक करके शादी की फोटो फेसबुक पर डालती"। मैं हकला रहा था, पर वो रूकी नहीं।

"प्रकाश मैं जानती हूँ कि तुम इस लड़की के मुझ से पहले से दोस्त हो और फ्लर्टिंग वाले कमेंटस दिख रहे हैं न स्क्रीन शॉट में जो मैंने तुम्हे भेजा है, तो मना नही कर सकते। वैसे तो मुझे इस बात से दिक्कत कतई नहीं है, ये तो बहुत अच्छा है कि तुम आगे बढ़ रहे हो। मुझे गुस्सा ये है कि तुमने शादी कर ली और फिर भी तुम मेरे साथ सेक्स कर रहे थे तुम्हे नहीं लगा कि जिसके साथ लव मैरिज किए बैठे हो उसको धोखा दे रहे हो"?? "मेरी बात तो सुनो एक बार प्लीज", मैं लगभग गिड़गिड़ाया था।

"काश तुम समझ पाते कि मेरे लिए प्यार सिर्फ सेक्स करके अपनी कुछ इच्छाओं को पूरा करना नही है। तुम्हारा मेरा फिक्र करना भी तो प्यार है। मुझे तो कभी सेक्स की ऐसी जरूरत ही महसूस नहीं हुई कि मैं ऐसे ही किसी के साथ करती। मेरा समर्पण प्यार को था ।उसमें वासना की कहीं जगह नहीं थी, पर आज ऐसी लग रहा है कि मैंने एक पुरूष वेश्या से संबंध बनाये, बस तुम्हारी कीमत कुछ अलग थी"।
क्रमश: