Nafrat se bandha hua pyaar - 20 books and stories free download online pdf in Hindi

नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 20

देव बिलकुल भी उसके झांसे में आने के मूड में नहीं लग रहा था। लेकिन टिया भी हार मानने के मूड में नहीं लग रही थी।

टिया ने बिना वक्त गवाए देव के पैंट की ज़िप खोलने के लिए हाथ बढ़ा दिया। और देव ने झट से उसका हाथ पकड़ कर रोक दिया।

"बस बहुत हुआ। अपने आप को शर्मिंदा करना बंद करो।" देव ने कहा।

टिया ने देव के चेहरे की तरफ देखा और महसूस किया की देव का चेहरा गुस्से से गहराने लगा था और अब वो गंभीरता से उसे देख रहा था।
"पर.... मैं.....और तुम....."

देव का चेहरा थोड़ा नर्म पड़ने लगा जब उसने टिया की आंखों में आंसू देखे। एक लंबी आह भर के उसने बैड पर से टिया के कपड़े उठाए और उसके हाथ में पकड़ाते हुए कहा, "मेरी बात ध्यान से सुनो, टिया। तुम बहुत ही सुंदर लड़की हो और सफल भी। बहुत से लड़के तुम्हे पाने की चाह रखते होंगे। मैं बहुत बिज़ी हूं आज कल। बहुत कुछ कर रहा हूं मैं जिस वजह से समय नहीं रहता मेरे पास। मैं किसी भी लड़की के लिए अभी वक्त नही दे सकता।"

अभी भी अपनी आंखों में उम्मीद लिए टिया अपने कपड़े पहन ने लगी। "तोह बाद में ही सही, जब तुम फ्री होगे तो क्या मेरे पास आओगे?" टिया ने पूछा।

देव ने अपना सिर झटका। "मुझे नही लगता की तुम्हे मेरे लिए इंतजार करना चाहिए। बहुत से अच्छे लड़के तुम्हे मिल जायेंगे जो तुम्हे पाने को तरसते होंगे। तुम्हे उनसे मिलना चाहिए, तुम्हारे लिए तोह वोह एक दूसरे से लड़ने को भी तैयार होंगे।"

टिया ने ना में अपना सिर हिलाया। "नही, मैं तुम्हारे लिए इंतज़ार करूंगी। तुम हो ही इस लायक की कोई भी इंतज़ार करने के लिए तैयार हो जाए।"

देव उसे जाते हुए देख रहा था। उसने थक कर आह भरी।
यह सब उसके लिए कोई नई बात नही थी। लड़कियां उस पर मरती थी और उसके लिए अपने आप को सौंपने के लिए तैयार रहती थी। लेकिन यह सब जानते हुए भी वोह घमंड नहीं महसूस करता था क्योंकि वोह जनता था की यह तोह सच है। वोह जनता था की वोह हैंडसम और स्मार्ट है और उसके यह गुड लुक्स उसे उसकी फैमिली से विरासत में मिलें हैं जो लड़कियों को आकर्षित करने का काम आसानी से करता है। वोह यह भी जानता था की उसके गुड लुक्स के अलावा उसके पैसों के पावर की वजह से भी बहुत सी लड़कियां मिसिस देव सिंघम बनने को तरस रही थी।
और यह तोह हर कोई जानता था की विरासत से उसे उसके लुक्स और पैसा कितना मिला है।
उसके पास इतना पैसा था की अगर उसकी कई पुश्तें बिना काम किया, बिना कमाए आराम से रहें तोह भी उसका पैसा खतम नही होगा।
लेकिन देव उन पैसों को खर्च नही करता था बल्कि खूब मेहनत करके खुद के दम पर पैसे कमा रहा था ताकी सबको यह साबित कर सके की वोह भी दुनिया में कुछ कर सकता है बिना अपने परिवार के मदद के।
पर अब जैसे जैसे वोह उचाइयों पर चढ़ रहा था, उसे बहुत मज़ा आने लगा था वो बहुत अच्छा महसूस करने लगा था। और अब वोह पहले की तरह अलग अलग लड़कियों से मिलने, बात करने में और डेटिंग करने में इंटरेस्ट खोने लगा था। भले ही वोह सिर्फ सताइस साल का ही था लेकिन उसको कोई परेशानी नहीं थी की अब उसे अलग अलग लड़कियों से डेटिंग करना पसंद नहीं। उसको सिर्फ एक ही चीज़ परेशान कर रही थी वोह था की उसके दिमाग में एक ही लड़की छाई हुई थी जिसे चाह कर भी वोह अपने दिमाग से नहीं निकल पा रहा था।
'सबिता प्रजापति'

उसे पता ही नही चला की कब वोह उसपे मोहित होने लगा था। स्पेशली इस बात के लिए की वोह और लड़कियों जैसी बिलकुल नहीं थी जो दिखावा करती थी, वोह बहुत सिंपल थी। वोह उन ग्लैमरस लड़कियों की तरह बिलकुल नहीं थी जिन लड़कियों को वोह डेट किया करता था। इन दिनों में जो भी उसकी सबिता के बारे में पता चला था जो उसके साथ काम करके उसके बारे में उसने जाना था उस हिसाब से देव को सबिता काफी इंप्रेसिव लगी थी। लेकिन उसे अभी तक यह पता नहीं चल पाया था की क्यों वोह उसकी तरफ आकर्षित होने लगा है।

शायद उसकी सुंदरता। सबिता प्रजापति बेहद खूबसूरत लड़की थी जो कभी भी मेकअप नही करती थी और नही अच्छे सलीके कपड़े पहनती थी लेकिन फिर भी उसकी सादगी में भी उसकी सुंदरता नही छुपाती थी। उसकी सुंदरता ऐसी थी की किसी मैगजीन के कवर फोटो पर छपने लायक नही थी बल्कि हवेली में बड़ी सी उसकी पोर्ट्रेट बना कर लगाने लायक थी।

सबिता प्रजापति की सिर से पैर तक की एक चित्र उसके सिंघम मैंशन में भी लगी हुई थी, अचानक ही देव के दिमाग में यह बात याद आई और उसे मानो झटका लगा।

सबसे ज्यादा झटका उसे इस बात का लगा था की उसे अभी तक कभी उस तस्वीर के होने या ना होने से फर्क ही नहीं पड़ा था।
"व्हाट द हैल?" देव ने मन में ही कहा।

देव ने याद किया उसके पूर्वजों में से किसी के बारे में उसने पढ़ा था की वोह लड़कियों के लिए क्रेज़ी रहते थे।
शायद इसीलिए उसके अंदर भी उन्ही का शायद जींस आ गया हो शायद।

वरना सबिता प्रजापति और रेवन्थ सेनानी की शादी की न्यूज़ से देव का मन क्यों विचलित होता? उसे क्या ही फर्क पढ़ता?

अगले ही पल कुछ सोचते हुए उसका डर थोड़ा कम होने लगा। अगर देखा जाए तो उन दोनो के संधि से फायदा सिंघम्स को ही है।

क्योंकि जो भी उसने रेवन्थ सेनानी के रेपुटेशन के बारे में सुना था और जितना भी वोह सबिता के बारे में जान पाया था उससे उसे यही लगता था की शादी के अगले ही दिन पक्का सबिता उस रेवन्थ को जान से ही मार देगी और सिंघमों को परेशान करने वाले उस सेनानी से उन्हे छुटकारा मिल जाएगा।

लेकिन देव को सबिता के साथ किसी और आदमी का नाम जुड़ने की बात उसके पेट में पच ही नही रही थी। जबकि देव उससे बेइंतीहा नफरत करता था पर फिर भी वोह अपने दिमाग से यह बात नही निकल पा रहा था। उसे उन दोनो का शादी के संधि हो जाना अच्छा नहीं लगा था।

उसने याद किया की उसे कितना गुस्सा आया था जब उसने सबिता का लैटर पढ़ा था जो सबिता ने अभय के लिए उसके रूम में रखवाया था अभय और अनिका की शादी से एक रात पहले। उस लैटर में प्रजापति और सिंघम्स के संधि के विषय में कुछ बातें लिखी हुई थी जो गहरी हो जाती अगर उन दोनो की शादी हो जाए तोह। देव ने अभय के पढ़ने से पहले ही वोह लैटर पढ़ लिया था और फिर उसने उसका रूम भी एक्सचेंज कर लिया था उस रात जो अभय के लिए था। उस रात उसने सोच लिया था की सबिता प्रजापति के इरादों को कभी कामयाब नही होने देगा और उसे अभय की वाइफ किसी भी कीमत पर नहीं बनने देगा।

उस रात जो भी हुआ था उसके लिए देव को बिलकुल भी पछतावा नहीं था। देव को लगता था अगर अभय और अनिका की शादी हो जाति तोह वोह अच्छे कपल साबित बिलकुल भी नहीं हो पाते। देव लोगों को थोड़ा बहुत पढ़ना जनता था।

अभय एक ऐसा लड़का था जो दूसरों पर रौब जताता था उसकी वजह उसके बचपन से ही सब अकेले संभालना रहा था। और जिन आदमियों को अपने हिसाब से सब काम करने की आदत रही हो उसे तो पत्नी एकदम शांत स्वभाव की पसंद आती है जैसा की अनिका थी एकदम शांत और विनम्र स्वभाव की।
देव जनता था की सबिता बिलकुल भी ऐसी नही है। और जब भी उसके लोगों की बात आती तोह वोह हर छोटे से छोटे फैसले में शामिल होती। अगर उन दोनो की शादी होती दोनो का तलाक होना पक्का ही होता।

देव नही जानता था की पिछले कुछ दिनों में कबसे उसकी फीलिंग्स सबिता के प्रति बदलने लगी है। अब उसे उस पर गुस्सा नही आता था। उसने यह भी महसूस किया की उसे अब उससे कोई खास नफरत नहीं थी। देव ने सोचा सबिता को दोषी ठहराना गलत होगा जो भी उसके मां बाप के साथ हुआ।

एक बात जो देव को बहुत ही ज्यादा परेशान कर रही थी उसके बदले हुए फीलिंग्स के बारे में.....की उसके पहले के गुस्से और नफरत के अलावा ऐसा कुछ नही था जो उसे उसके खिलाफ रख सके।




















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(कहानी अभी जारी है......धन्यवाद)