Andhera Kona - 1 in Hindi Horror Stories by Rahul Vyas ¬ चमकार ¬ books and stories PDF | अंधेरा कोना - 1

अंधेरा कोना - 1

पिछले डेढ़ साल से मैंने अनंतगढ़ गांव से दूर आलोक और रतिबेन पाटिल कॉलेज ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज से बायो-मेडिकल साइंस में एमएससी कर रहा था, मैं सेमेस्टर 4 मे बायोसेंसर विषय पर डेझर्टेशन रहा था, आज मुझे उस सड़क पर जाना था जहां मैं पहले कभी नहीं गया था । मेरी साइकिल का टायर पंक्चर था, मेरा मिकैनीक जो पिछले तीन दिनों से बंद था, मेरे कॉलेज से आगे एक मोड़ था और वहाँ से दस मिनट की ड्राइव दूर एक अंधेरी सड़क थी, जिसकी दूरी में स्ट्रीट लाइट थी, लगभग पूरी तरह से बंद थी ।

"अरे राजन, उस रास्ते से कभी मत गुजरना वहा भूत प्रेत घूमते हैं!" विशाखा ने कहा।

मैं हँसा, मुस्कुराया और कहा " विशाखा, अगर मुजे भूत मिल गया ना तो मैं उसे न्यूरो सेल के बारे में सिखाने लगूंगा"

विशाखा: "राजन तुम समझने की कोशिश करो"

मैं: "नहीं विशाखा, मैं ऐसी बातों में विश्वास नहीं करता "

विशाखा मेरी सहेली कम बहन थी, वह अनंतगढ़ गांव की रहने वाली थी, वह मुझे अपना भाई मानती थी और मेरे साथ अपनी सारी बाते शेयर करती थी।

मैं उस अंधेरी सड़क पर चल रहा था, लगातार अंधेरे में मुझे कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन मैं साइकिल चला रहा था। हमारे डिपार्टमेंट के हेड और मेरे डेझर्टेशन के गाइड, डॉ. अनिल सिंह जाला की यह बात भी याद आई उन्होंने कहा था कि , "राजन, उस रास्ते पर मत जाना , क्योंकि वहां किंग कोबरा की कई प्रजातियां रहती हैं, कई लोग सांप के काटने से मारे जा चुके हैं।"
यह सोचकर मैं जा रहा था, सड़क पूरी हो गई और एक परिसर के कोने पर आखिरी दुकान में एक बल्ब लगा था, वह एक गैरेज था। मैं वहाँ गया, वहाँ एक पचपन साल का एक आदमी था जिसने मुझे उचित मूल्य पर साइकिल में पंक्चर कर दिया।
मैं साइकिल चला रहा था, अँधेरे में एक-दो स्ट्रीट लाइटें जल रही थीं, मैंने रोशनी में एक परछाई देखी, परछाई के पीछे एक पचास साल का आदमी था, वह साढ़े पांच फीट लंबा था, अँधेरा होने के कारण मुजे कुछ दिखाई नहीं दिया लेकिन वह मेरे रास्ते में खड़ा था, मैंने अपनी साइकिल को ब्रेक दिया।

मैं: "अरे अंकल! हट जाओ"

वो : "रास्ता भूल गए हो क्या? जवान आदमी"

मैं: "नहीं, चाचा, पंचर की मरम्मत के लिए आया हू ।"

वो : "ठीक है, मुझे लगा कि आप रास्ता भटक गए हो, क्योंकि इस सड़क पर कोई नहीं आता है।"

मैं: "चाचा एक सवाल पूछु?"

वो : "हाँ पूछो"

मैं: "इस सड़क पर कोई क्यों नहीं आता और जाता है? इस सड़क के लिए हमेशा अफवाहें क्यों फैलाई जाती हैं?"

वो : "कौन जानता है कि वह कौन है !! मैं इतना जानता हूं कि इस क्षेत्र में तस्करी होती है, जानवरों के नाखून और त्वचा की तस्करी होती है, इसलिए यहां ऐसी अफवाहें फैलाई जाती हैं, मुझे और कुछ नहीं पता"
इतना कहकर वह वहाँ से चला गया।

मैं भी आगे बढ़ गया, कैसे है सब, इतनी छोटी सी बात से डरते थे! असल चीज है तस्करी, कई जगह इस तरह बदनाम किया जा रहा है कि वहां अवैध गतिविधियां हो सकती हैं !! मेरे दिमाग में ऐसे विचार चल रहे थे, मुझे गर्व था कि मैं पहला व्यक्ति था जो बिना किसी नुकसान के होस्टल पे वापस आया, अब मेरे मन में जेम्स बॉन्ड बनने और इन तस्करों को पकड़ने का विचार है, इस तरह दिन का अंत हुआ।

अगले दिन कॉलेज में ब्रेक टाइम पर हमारा ग्रुप कॉलेज के बगल में लालो मारवाड़ी की स्नैक शॉप पर बैठा था जिसे हम कैंटीन भी कहते हैं।मैं, इमरान, भावेश, विशाखा, नीलेश तावड़े, भूमि, आरती के सामने मैं घमंडपूर्वक कैसे मैंने सफलतापूर्वक किया पार किया, सब मुझे आश्चर्य से देख रहे थे। अंत में मैं अपने नाश्ते का बिल भरने के लिए लाला भाई के पास गया, लालाभाई 32-35 साल के थे और मेरे दोस्त की तरह थे, उनके साथ मेरे बहुत अच्छे संबंध थे, फिर मैंने उनसे उस अंधेरी सड़क के बारे में पूछना शुरू कर दिया।

मैं :- "उस सड़क के बारे में आपका क्या कहना है ?"

लालाभाई: "साहब, कहते हैं इंसान का भूत होता है!"

मैं (मजाक में): "अच्छा !! किसका भूत?"

लालाभाई : वहा पचास - पचपन साल के एक आदमी का भूत होता है।

मेरे कान धीरे-धीरे उपर हो रहे थे और मैं उसे उत्साह से सुन रहा था।

लालाभाई: "वो बार बार एक ही वाक्य कहते थे!"

मैं: "क्या ??! कौन सा वाक्य?"

लालाभाई: - "कौन जानता है कि वह कौन है"

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Sai786 Sai

Sai786 Sai 9 months ago

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SAGAR SOLANKI

SAGAR SOLANKI 11 months ago

Anurag Basu

Anurag Basu Matrubharti Verified 1 year ago

anand gudadadari

kay may app nay youtube par dal saktha hu

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