Andhera Kona - 6 in Hindi Horror Stories by Rahul Vyas ¬ चमकार ¬ books and stories PDF | अंधेरा कोना - 6 - अजीब घर

अंधेरा कोना - 6 - अजीब घर

मैं सिकंदर, मैं इंदौर की एक प्राइवेट कम्पनी मे कुरियर बॉय हू, एक साल पहले मेरे साथ एक अजीब घटना हुई थी। हमारी कंपनी मे ये रूल था कि हर कुरियर बॉय को एक फिक्स एरिया दिया जाता था, उसी एरिया मे उसे कुरियर या पार्सल की डिलिवरी करनी होती थी, मुजे इंदौर शहर के आखिरी हिस्सा और थोड़े बाहर का इलाक़ा दिया गया था तो मैं वहीं डिलिवरी करता था। उन दिनों मुजे बड़ा ही अजीब तरह का पार्सल डिलिवरी करना होता था, इंदौर शहर से 5-6 किलोमीटर दूर एक घर था वहां हर पंद्रह दिन एक पार्सल होता ही था बड़ी ही अजीब तरह का पार्सल होता था, कभी बड़ा सा लेकिन खाली बॉक्स होता था, कभी छोटा लिफाफा होता था वो भी खाली होता था, कभी बॉक्स हो तो उसमे से अजीब सी आवाज आती थी और वो आवाज दिवाली को फोड़े जाने वाले बंदूकी फटाको जैसी होती थी, लेकिन बक्सा फिर भी खाली ही होता था।

कभी कभी पार्सल को छूता था तो पेड़ की डालिया हो अंदर एसा लगता था, 2-3 बार मुजे एसा लगा था, एक दिन जब मैं पार्सल देने गया तो मुजे पता चला कि उस घर मे सिर्फ पति - पत्नी दो लोग ही है और वो भी अजीब थे उनके कपड़े भी अजीब होते थे, वो इतने अजीब थे कि कभी भी मुजे टीप नहीं देते थे और न ही मुझसे कोई भी बात करते थे, एक दिन मैं पार्सल देने उनके घर गया, तभी मैं दरवाजे के सामने खड़ा था, वहां वो औरत आई, धीमी आवाज में उसने मुजे कहा

औरत : पार्सल दो, और वहीं खड़े रहो ।

मैं उधर खड़ा रहा, मुजे घर मे अंदर जाने की उत्कंठा हो रही थी, आज सोचा की अंदर तो जाके ही रहूँगा। मैं धीरे से आगे बढ़ा, मैंने बोलना शुरू किया

मैं : कोई है, कहा गए मैम आप? हेलो, आपका सिग्नेचर लेना है

मुजे पता था कि हर बार देर होती है, इसलिए सिग्नेचर लेने के बहाने से मैं घर के अंदर घुस गया। मैं अंदर गया, वो एक बहुत ही भव्य बंगला था, लेकिन जो कुछ भी था वहा वो सब पुराने ज़माने का था, पुरानी डिजाईन की कुर्सियां, पुरानी डिजाईन के सोफा, डाइनिंग टेबल और वो सभी चीज पुरानी थी और करीब अंग्रेज के ज़माने की लग रही थी, वहा एक ग्रामोंफोन भी था। ये सभी चीज किसी पुरानी इंग्लिश फिल्म जैसे लग रही थी जैसे कि मानो ये घर नहीं ब्लकि कीसी इंग्लिश मूवी का सेट हो एसा लग रहा था। मैं ये सब देख रहा था कि अचानक वो आदमी आ गया जो घर का मालिक था, वो बोलने लगा

आदमी : तुम्हें मना किया था ना, कि अंदर मत आना

मैं : जी माफ करना, मैं अभी बाहर चला जाता हूँ।

"रुको" कहीं से आवाज आई, वो आवाज उस औरत की थी, उस आदमी के पीछे से वो आगे आई।

औरत : आ ही गए हों तो रुको, बैठो थोड़ी देर।

इतना बोलते ही उन दोनों के चहरे पे एक अजीब सी हसी आई। वो आदमी बोला

आदमी : आप बैठिए, आपके लिए कुछ लाते है हम।

मैं उठकर जाने लगा, तो उन्होंने मुजे रोक लिया।

आदमी : अरे- अरे, घबराए मत, आप हमारे महमान है, बैठिए, हम आते है अभी, यू गया और यू आया।

मैं उधर बैठा, मैंने सब देखना शुरू किया, वहां सारी चीजे पुरानी तो थी लेकिन बिल्कुल भी खराब नहीं थी, सब कुछ अच्छी तरह सुरक्षित था। काफी देर तक वो दोनों नहीं आए तो मैंने आजू बाजू देखना शुरू किया, अचानक मैंने देखा कि वो दरवाजा जहा से मैं अंदर आया, वो गायब था वहा तो सिर्फ दीवार थी, मैं खड़ा हो गया, और कमरे में आगे जाकर दरवाजा ढूंढने लगा।

आगे एक के बाद एक कमरे आने लगे, लेकिन बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा था मुजे, और वो दोनों पति पत्नी भी नहीं दिख रहे थे, मैं अब चिल्लाने लगा था,

मैं : अरे कोई है? कोई मुजे यहा से बाहर निकालो, बचाओ मुजे!!

मैं एक के बाद एक नए कमरे में जा रहा था, उधर खिड़की भी नहीं थी, फिर भी हवा आ रही थी। कई घंटे बीत चुके थे, मेरी हालत भूख और प्यास की वज़ह से खराब हो चुकी थी, मुजे अब रोना आ रहा था मैं एक कमरे में सोफ़े पर सिर पकड़कर बैठ गया, अचानक वो दोनों कहीं से आए।

औरत : कैसा लगा हमारा घर? दरवाजा ढूंढने मे दिक्कत तो नहीं हुई न?

मैं : आप लोग प्लीज़ मुजे बाहर जाने का रास्ता दिखाईए, मैं आपसे हाथ जोड़ता हू!

आदमी : अरे इतनी भी क्या जल्दी है, सिर्फ 15 मिनिट ही तो हुई है।

मैंने घड़ी में देखा तो सच में सिर्फ 15 मिनिट ही हुई थी, मैं चौंक उठा। उस आदमी ने बोलना शुरू किया,

आदमी(इशारा करके) :उस दीवार पर देखो,

मैंने उधर देखा तो उन दोनों की फोटो लगी थी, हार पहनाकर, जिसमें नीचे डेथ डेट लिखी थी 05/07/1969, मैं ये देखकर डर गया, मैं अब थर थर कांपने लगा था, उसने बोलना शुरू किया,

आदमी : हम दोनों मर चुके हैं, भले ही ये जगह पृथ्वी पर हो लेकिन ये जगह बाकी की दुनिया से अलग है, अब तुम जाओ, लेकिन दुबारा यहा पैर कभी मत रखना।

इतना बोलते ही सब कुछ घूमना शुरू हुआ, मुजे चक्कर आ रहे थे और मेरी आँखों के सामने सबकुछ बदल गया, मेरी बाइक मेरे सामने थी और मैं अब सोफ़े के बदले किसी पत्थर पर बैठा था, मैं खड़ा हुआ, खुदको थोड़ा सम्भाला और बाइक पर बैठकर मैं वहां से चला गया, पीछे मुड़कर मैंने देखा तो वहां वो मकान नहीं था, लेकिन अचानक एक बाइक पर सवार एक आदमी अपनी बाइक चलाते हुए मेरे पास आया और वो वहीं आदमी था जो मुजे घर मे मिला था, मैं फिर से घबरा गया, उसने चिल्लाते हुए बोला

आदमी : पीछे मुड़कर भी मत देखना, आना भी मत इधर!!!

मैंने बाइक तेज कर दी, वो पीछे रह गया, मैं सही सलामत वापस आ गया, उस बात को आज कई महीने हो गए लेकिन आज भी एक बात जो मुजे खाए जाती है वो ये कि वो लोग कुरियर मे मंगाते क्या होंगे?!!






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Sai786 Sai

Sai786 Sai 9 months ago

Mansi

Mansi Matrubharti Verified 1 year ago

payal patel

payal patel 1 year ago

Prem Rathod

Prem Rathod Matrubharti Verified 1 year ago

Episode is full of fear😖

Sanjiv Vyas

Sanjiv Vyas 1 year ago

wonderful. ....suparb......daaravni...kahaani.....🤢🤢🤢🤢🌷🌷🌷🌷

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