I Hate You I Love You - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

I Hate You I Love You - 13

13

आदित्य ने सिद्धार्थ की बात सुनकर गाड़ी अपने घर के रास्ते कर दी । सिद्धार्थ अपने घर के बाहर उतरा । जाते हुए सिद्धार्थ ने कहा, "हम कल बात करेंगे आज तो तेरा दिमाग ठिकाने पर नहीं लग रहा ।" यह सुनते ही उसने गाड़ी अपने घर की तरफ कर दी । नानी ने उसे देखते हुए कहा, "जरा मेरे पास भी बैठ जा । कई दिनों से देख रही हूँ. मेरा बच्चा परेशां है । कोई बता है, तो बता । माँ की याद आ रही है । मैं तेरे परेशानी समझ सकती हूँ । महविश के जाने के बाद से तेरा मन उदास है तो उसे हमेशा के लिए वापिस बुला लेते हैं । मुझे तो वैसे वो कुणाल की दोस्त सिया भी अच्छी लगी थी, पर मेरे बच्चे की पसंद मेरे लिए ज्यादा जरूरी है । नानी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा । सिया ! आदी के मुँह से निकला । नहीं नानी, ऐसा कुछ नहीं है। आप सो जाओ, रात बहुत हो गयी है । उसने कमरे की लाइट बुझा दी और वापिस अपने कमरे में आकर अपने बेड पर लेट गया । कल सिद्धार्थ पूछेगा तो मैं उसे क्या ज़वाब दूंगा । आख़िर क्यों मैं पागलों की तरह सिया और नकुल का पीछा कर रहा था । मुझे क्या फर्क पड़ता है । I Hate h-- ------ इस बार यह कहते हुए उसके होंठ रुक गए ।

कुछ दिनों बाद उसने नकुल को बुलाकर कहना शुरू किया । नकुल तुम सच में बहुत मेहनत कर रहे हों । अब हमारे प्रोडक्ट भी मार्किट में आज से लांच हो चुके हैं, सभी का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है । बच्चे तो फिल्म और तुम लोगो की बनाई ऐड के दीवाने हो गए हैं । उनके पेरेंट्स ने हमारे प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ा दी है । I am impressed आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा । थैंक्यू सर, पर यह टीम वर्क था, सभी इंटर्न्स ने बहुत मेहनत की । खासतौर से सिया ने बहुत साथ दिया । नकुल के मुँह से सिया का नाम सुनकर आदित्य ने पेपरवैट घूमना शुरू कर दिया । सर, इस बार इंटर्न्स बहुत टैलेंटेड आये हैं। i know फिलहाल तो तुम्हारे लिए मेरे पास कुछ हैं। उसने एक लिफाफा नकुल को थमा दिया । उसने लिफाफा खोला तो वह हैरान हो गया और खुश भी । में तुम्हें अपने बंगलौर के ऑफिस का हेड बनाकर भेज रहा रहा हूँ । अगर सीधे शब्दों में कहो तो तुम वहाँ के बॉस हों । Congratulations ! आज शाम को ही निकल सकते हों । आदित्य ने कॉफी पीते हुए कहा । नकुल खुश तो है, मगर वह कुछ सोच रहा है। नकुल यह तुम्हारे करियर के लिए माइलस्टोन है । अपना घर, गाड़ी और सैलरी तुम्हें पता ही है क्या होगी । So take it । ज्यादा सोचो मत । नकुल 'हाँ' में सिर हिलाते हुए ऑफिस से बाहर निकल गया । आदित्य ने कैबिन से देखा की नकुल सीधा सिया के पास गया और उसे लिफाफा दिखाने लगा । सिया उसे मुस्कुराकर कुछ कह रही है । Bastard ! तभी सिद्धार्थ उसके ऑफिस में आया । हर्ष का फ़ोन आया था, तूने उसे दुबई वाले ऑफिस में शिफ्ट कर दिया क्यों ? क्योकि बंगलोर वाला ऑफिस मैंने नकुल को दे दिया । पूछ सकता हूँ क्यों ? आदित्य ने कॉफी का कप टेबल पर रखा और कहा," उसका प्रमोशन कर दिया है।"

सिद्धार्थ :: प्रमोशन की क्या ज़रूरत थी ?

आदित्य :: तुझे पता है, मैं बिना सोचे समझे कोई काम नहीं करता ।

सिद्धार्थ :: खैर ! यह सब छोड़ । इंटर्न्स के सर्टिफिकेट और मैडल मंगवा लिए हैं । अप्प्रेसिअशन लेटर भिजवा रह हूँ, साइन कर दियो ।

आदित्य : सिया एंड ग्रुप को प्रोबेशन पर कर दे । बाकी इंटर्न्स के लेटर पर तू साइन कर दियो ।

सिद्धार्थ (हैरान होते हुए ) Are you sure ? तू तो उसे बाहर निकालने के बहाने ढूंढ रहा था, अब क्या हुआ ? बहुत दिनों से देख रहा हूँ, तू नार्मल नहीं लग रहा और उस नकुल की गाड़ी का पीछा क्यों किया । उसका जवाब भी नहीं दिया तूने ।

आदित्य:: कोई जवाब नहीं है । अच्छा काम कर रहे हैं तो प्रमोट कर दिया, कंपनी का फायदा देखा है । (आदित्य सिद्धार्थ से नज़रे नहीं मिला रहा है )

सिद्धार्थ :: What eats you ? आदी you like her don’t you ? आदित्य बिना कुछ कहे कैबिन से बाहर निकल गया । भाग ले,जितना भागना है । सिद्धार्थ ने उसे सुनाते हुए कहा।

शाम को जाते वक़्त आदी ने देखा कि सिया रिसेप्शन पर किसी लडके से बात कर रही है । उसने रिसेप्शन पर फ़ोन किया ।

Yes Sir !

यह जोकर कौन है ?

सर ?

सिया मैडम किससे बातें कर रही हैं ?

सर कोई दोस्त है, लेने आया है, सिया मेम को ।

okay, कहकर उसने फ़ोन रख दिया ।

Dam!!! सिया मेरे सिवा सभी नमूनों से घिरी रहती हो ।

आदित्य ने ऑफिस की खिड़की से देखा कि सिया बाइक पर उसके साथ बैठकर चली गई ।

आदित्य घर पहुँचा तो उसने नानी को याद दिलाया कि कल माँ का जन्म दिन है तो क्यों न इस बार दान देने के अलावा अमृत कीर्तन भी करवा ले नानी ने खुश होकर 'हाँ' कह दी । आदित्य ने कुणाल को फ़ोन लगाया । हेल्लो भाई, आज कैसे याद कर लिया ? कुछ नहीं, वो कल माँ का जन्मदिन है तो नानी ने अमृत कीर्तन रखा है । मुझे याद है, ताईजी का जन्मदिन। मम्मी-पापा और बड़े ताऊ और ताईजी भी आ रहे हैं । कुणाल ने बताया । तुम अपने दोस्तों को भी ले आना । भाई. आशी तो पेरिस गई है । आशी के अलावा तेरे और दोस्त नहीं है क्या ? सिया और मुस्कान को कह देता हूँ। मुस्कान को मैं मैसेज कर दूंगा । तू सिया को ले आना। Okay, कहकर कुणाल ने फ़ोन रख दिया ।

अगली सुबह आदित्य की नज़र दरवाज़े पर ही है । सभी आ चुके हैं । चाचा-चाची, बड़ा ताऊ और ताई, मुस्कान, सिद्धार्थ, अनुज और इस बार तो कार्तिक भी हैं । उसने जब चाचा से पूछा कि कुणाल कहाँ है, तो उन्होंने बताया की वो सिया को लेने गया है । यह सुनते ही उसके चेहरे पर ख़ुशी आ गई । तभी उसने कुणाल को आते देखा तो लपककर उसके पास पहुँच गया। बड़ी देर लगा दी तूने कीर्तन ख़त्म ही होने वाला है । सिया को लेने गया था, मगर वह कुछ काम में बिजी है इसलिए उसने आने से मना कर दिया। कहकर कुणाल मुस्कान के पास चला गया ।