Junoon Se Bhara Ishq - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

Junoon Se Bhara Ishq - 1

इस जूनुनी इश्क मे प्रिया उस रात को अंजाने मे हुई गलती की सजा अभी तक भुगत रही है। वही अभय उस रात का बदला प्रिया से हर रोज ले रहा था, उस अंजान रात की गलती हर रोज दोहरा कर। वो रात और उसके बाद की रात हर रात उन दोनो को और भी नजदीक लाती जा रही थी। क्या होगा जब अभय को होगा प्रिया से उसके प्यार का अह्सास ? क्या उसके बदले की आग मे वो कभी इस अह्सास को पहचान पायेगा ?





Ye haqiqat hai .........


सुबह के करीब 7 बज रहे थे। ठंड का मौसम हर तरफ हल्का हल्का कोहरा था। और उस कोहरे के बीच से आती सूरज की रोशनी सुबह को और भी खूबसूरत बना रही थी।



पर इस खुशनुमा सुबह मे एक लडकी रोड पर तेजी से आगे बढ रही थी। उसकी आंखे आंसुओ से भरी थी। जो वक्त वक्त पर उसके गालो पर आ रहे थे। और सिसकिया लेते हुए उन्हे पौछे जा रही थी।


आंखे हल्की सी सूजी हुई भी थी। शायद वो काफी देर से रो रही थी। उसका पूरा चेहरा लाल हो रहा था कुछ रोने की वजह से तो कुछ फ्रस्ट्रेशन की वजह से।


फ्रस्ट्रेशन मे कुछ भी समज ना आने की कुछ याद ना आने की, की कैसे कर गई वो इतनी बडी गलती, कैसे ?


ये सवाल उसके दिमाग मे बार बार आ रहा था। वो तेज कदमो से बिना इधर उधर देखे बस आगे बढती जा रही थी। सुबह का टाइम था जिस वजह से कई लोग मॉनिॅग वॉक पर निकले थे।



सब उस लडकी को हैरान नजरो से देख रहे थे। शायद वो भी समज नही पा रहे थे की आखिर ये है कौन ?


और वो लडकी उसे तो जैसे न कुछ सुनाई दे रहा था और न कुछ दिखाई। उसके दिल और दिमाग दोनो मे ही जंग छीडी हुई थी। क्या होगा आगे ? तभी उसके फोन की घंटी बजी।



फोन स्क्रीन पर फ्लेश होते उस नाम को देख कर उसके आंसु ओने रफ्तार पकड ली। फोन की रींग एक बार बंद होकर दोबारा बजने लगी। इस बार उसने अपने आंसुओ को पौछा और फोन रिसीव किया।




निशा :- हैल्लो, कहा थी तू पीयू ? कब से फोन लगा रही हू अब जाकर लगा है। फोन क्यो बंद कर रखा था। और कल अचानक कहा गायब हो गई थी।



निशा की आवाज सुन कर पीयू बिना आवाज किये रोने लगी। निशा प्रिया की बहन थी। जो उसके कल अचानक से चले जाने और रात भर घर न आने की वजह से काफी परेशान थी।


प्रिया ये बात जानती थी और वो उन्हे अभी कुछ भी बता कर और परेशान नही करना चाहती थी। इसलिए उसने अपने आप को संभाला और अपने आंसुओ को पौछा निशा ने कोई जवाब न पाकर पीयू से दोबारा पूछा।


निशा :- पीयू तु ठीक है ना ?


प्रिया अब तक संभल चुकी थी।


प्रिया :- हा, मै ठीक हू दीदी।

निशा :- पक्का ?

प्रिया :- हा, पक्का।

निशा :- अच्छा, पर तु अचानक से कहा चली गई थी। तुझे पता है सब कितना परेशान हो गए थे। ऐसे अचानक तेरे बिना बताए चले जाने से अच्छा लगता है क्या ? ( डाटते हुए। )

प्रिया :- सॉरी दीदी ! वो मेरे एक फ्रेन्ड का एक्सीडेंट हो गया था। इस वजह से मुझे अरेॅजेन्ट जाना पडा। सॉरी मै आपको इन्फोॅम नही कर पाई।

निशा :- चल कोई बात नही ! पर आगे से कुछ हो बता देना मुझे या मॉम को।

प्रिया :- हा !

निशा :- अच्छा अब घर आ जाना मै ऑफिस जा रही हू।

प्रिया :- ठीक है ! दीदी !




निशा से बात करके प्रिया ने फोन रख दिया। और वही थोडी दूर पडी बैंच पर बैठ कर अपने चेहरे को दोनो हाथो से ढक लिया और रोने लगी।


" कैसे इतनी बडी गलती कर गई मै कैसे मुझे कुछ याद नही आ रहा। मै कैसे, वहा पहुंची, कैसे ? और खुद से बाते करते हुए कुछ देर पहले के बारे मे याद करने लगी।







1 घंटे पहले . . . . . . . . . . . .





जब 1 घंटे पहले उसकी निंद खुली थी। जैसे प्रिया की निंद खुली उसने अपने आप को बेड पर पाया। आलस मे प्रिया ने अंगडाई के लिए अपने हाथ फैलाए तो उसका हाथ किसी की बॉडी पर पडा।


उसने अपने चेहरे को उस तरफ घुमाया तो देखा की उसकी बगल मे कोई लडका था। जो पीठ के बल गहरी नींद मे सोया हुआ था। उसका चेहरा प्रिया की तरफ था। उसके माथे के बाल बिखरे हुए थे।


गोरा चेहरा, परफेक्ट शेप नाक और हल्के बडे होठ। एक शब्द मे कहा जाए तो वो किसी प्रिंस से कम नही लग रहा था। सोते हुए भी उसकी मासूमियत का अंदाजा लगाया जा सकता था।


" इतना हैंडसम इंसान तो सिर्फ फेरी टेल्स मे ही होते है, " ये सोच प्रिया के चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट आ गई। और इसे एक मीठा सा सपना समझ कर दोबारा अपनी आंखे बंद कर ली।




कुछ ही देर हुई थी, की उसे गले मे कुछ चुभन सी फिल हुई। उसने हल्की सी आंखे खोल कर देखा तो उसका ईयरींग था जो उसे चुभ गया था। उसने ईयरींग को हटाया और जैसे ही दोबारा दूसरी तरफ देखा तो वो लडका दिखाई दिया।




पर इस बार प्रिया शॉक हो गई। क्रोकी उसकी पूरी नींद खुल चुकी थी। वो एक झटके से से उठ कर बैठ गई। बैठ ने की वजह से उसे अपने बदन मे अजीब सा ददॅ महसूस हुआ।




अपने चारो और देख ने के बाद उसे पता चला की वह इस वक्त अंजान से कमरे मे थी। ठंंड का मौसम होने बावजूद उसके चेहरे पर पसीना आ गया।



मतलब ये सपना नही था ? ? ?

" ये ......... ये हकीकत है ? ? ? ? ? "





ये ध्यान आते ही उसका पूरा चेहरा पीला पड गया। उसका पूरा शरीर कांप रहा था। उसकी धडकने अचानक ही तेज हो गई।



आंखो मे आंसु ओने अपनी जगह बना ली थी। उसने देखा वो लडका टेंशन फ्री शांति से सोया हुआ था। उसे समज नही आ रहा था की आखिर ये लडका है कौन ? और वो यहा आई कैसे ?



वो तो अपनी फैमिली के साथ फंक्शन मे गई थी वो यहा कैसे ? अगले पल उसका ध्यान जमीन पर पडे कपडो पर गया जिसमे उसकी कुतीॅ भी थी।


कुतीॅ को देखते ही उसने अपने आप को देखा। उसकी बॉडी पर बेड की चादर के सिवा कुछ भी नही था। ये सब देख उसको रोना आ गया। ये क्या हो गया उससे, मै इतनी बडी भूल कैसे कर गई ?



वो अपने चेहरे को दोनो हाथो मे छुपाकर रोने लगी। उसे कुछ समज नही आ रहा था। वो कैसे ये सब अपने घरवालो को बताएगी।


वो अपने बगल मे सोये हुए लडके को जानती तक नही थी। और ना ही ये की वो उसके पास आई कैसे ? उसकी हिम्मत नही थी की वो इस लडके का उठने तक का इंतजार कर सके। और वहा उसे घुटन होने लगी।





जाने ये कौन है ? और उठने के बाद कैसे रिएक्ट करेगा ? उसे वहा से तुरंत निकल जाना ही ठीक लगा। इससे पहले की वो लडका उठे और उससे सवाल करे जिसका जवाब शायद वो भी नही जानती थी।




इसलिए उसने धीरे अपने कपडे उठाए और उन्हे पहना और दुपट्टे को जल्दी से गले मे डाला और तेजी से कमरे के बाहर चली गई।




प्रिया अब जो भी हो इसे भूल ने मे ही तेरी भलाई है। प्रिया ! अगर किसी को भी पता चला तो तेरे कैरेक्टर पर सवाल उठेगे।



मॉम डॅड की रेपुटेशन खराब हो जाऐगी। और मुझे उस लडकी की सजा भुगत नी पडेगी। जो गलती मै ने की ही नही।



वैसे भी जब मै उस लडके को नही जानती तो वो भी मुझे नही पहचानता नही होगा। इतने बडे इंदौर मे वो मुझे नही ढूंढ पाऐगा। और अगर कोशिश भी की तो मै ये इस शहर को छोड दूगी।




हा ! यही ठीक रहेगा, मै ये शहर छोड कर चली जाऊगी। कुछ साल मे सब अपने आप नोमॅल हो जाएगा। उसने अपने आंसु पौछे और उठ कर खडी हो गई।



उसने फैसला कर लिया था की अब वो कल रात भूल जाऐगी। वो लडका वैसे भी उसका कोई नही लगता जो उसे खोजेगा।



इतना सोच वो अपने घर के लिए पैदल ही निकल गई। इस बात से बेखबर की आगे उसकी जिंदगी क्या मोड लेने वाली है।



" आखिर कौन था वो लडका ? "



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