Junoon Se Bhara Ishq - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

Junoon Se Bhara Ishq - 6

Us Raat ka Sach



कमरे मे अंदर लेकर अभय ने प्रिया को बेड पर बैठा दिया प्रिया ने उस पूरे कमरे मे कई सफेद कपडे पहने लोग थे। उसका मतलब वो सब डॉक्टर थे।


सारे डॉक्टर्स सर झुकाए खडे थे। प्रिया को सब बहुत अजीब लग रहा था। नजाने ये लोग यहा क्यो खडे थे ? और उसके साथ क्या करने वाले थे ? वो पागलो की तरह सभी को देखे जा रही थी।



जैसे किसी गाय के बच्चे को जैसे बडे से जानवर के सामने खडा कर दिया हो। उसने अभय की तरफ देखा जो उसे ही देख रहा था। उसने अपनी देखते पाकर अपनी नजर नीची कर ली।



अभय :- चेक करो इसे अच्छे से, मुझे जानना है की ये प्रेगनेंट है ? मेरी मजीॅ के बिना कोई भी औरत मेरे बच्चे की मां बनने के लायक नही है।

प्रिया :- क्या . . . . . . . ?



हमेशा से लोगो का इंतजार था की अभय के वारिस का जो उसके काम को आगे ले जाये। और उसके जैसा ही सक्सेस फूल हो। और उसके लिए कई लोगो ने लडकिया तक भेजी पर अभय लडकियो को तो छूना तो दूर देखना तक बदाॅश नही था।



पर इस बार उसे गलती हुई थी। और वो भी बहुत बडी, प्रेगनेंट शब्द सुन प्रिया के दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था।




कैसा पागल आदमी है ये ? क्या बोल रहा है ? पर फिर उसे लगा शायद वो लडका नही चाहता हो की वो उस रात की वजह से सफर करे। पर फिर भी उसके कहे गये शब्दो को सुन बडा अजीब लग रहा था।



हा, ये सच था की उसने उस बारे मे एक बार भी नही सोचा था। पर ऐसे सबके सामने कोई लडका उसे कैसे खडा कर सकता है।




प्रिया :- ऐसा कुछ नही है। जैसा आप सोच रहे है। अगर होता तो अब तक पता चल जाता। और मै प्रेगनेंट नही हू।

अभय :- तुमने टेस्ट करवाया ? अभय का जवाब सुन प्रिया ने सर झुका लिया। अभय उसे देख अपना जवाब समज गया।

अभय :- हहहहह . . . . . . . तुम्हे क्या लगा मै तुम पर विश्वास करुगा ? तुम इतनी आसानी से मेरे बेड तक आ गई, और फिर मेरे साथ सो कर मेरे बच्चे को जन्म दे दोगी और मै बस देखता रहुगा।

अब उसकी बाते सुन प्रिया को गुस्सा आने लगा।

प्रिया :- बडे ही वाहियात आदमी है आप ! मै ने कभी ऐसा सोचा भी नही था। अरे ! जिस इंसान को जानती नही उसके बच्चे को जन्म देकर क्यू सोचूगी ? और आप हो कौन ? जिसके लिए मै ये कदम उठाऊ।



अभय ने गुस्से मे उसके दोनो तरफ अपने हाथ रखे और उसकी आंखे मे देखने लगा। अभय को अपने इतने करीब देख प्रिया की डर के मारे सांसे ही अटक गई।

अभय उस वक्त बहुत ही खतरनाक लग रहा था।

अभय :- बहुत जल्द बताऊगा की मै हू कौन ?

उसकी काली गहरी आंखे जिनसे इस वक्त सिवाय गुस्से से और कुछ नही दिख रहा था। उन आंखो को देख प्रिया के दिल ने जैसे एक पल को धडकना ही बंद कर दिया हो।



अभय उसके चेहरे पर डर देख पीछे हट गया और अपने हाथ बांध खडा हो गया। प्रिया के डर या परेशानी से उसे कोई फकॅ नही पड रहा था। भले ही प्रिया के दिल और दिमाग मे कुछ भी चल रहा हो।



पर उसे अपना चेक - अप करवाना ही पडा। उसे बडी शमॅ आ रही थी। क्यूकी पहली बार लोग उसे छू रहे थे। डॉक्टर्स के पास वो पहले भी गई थी पर कभी उसका इस तरह से ट्रीटमेंट नही हुआ था।


और दूसरा वो सायको इंसान उसी कमरे मे खडे होकर हर एक चीज को बडी ही बारीकी से देख रहा था। आखिर कार दो घंटे तक चला चेक - अप पूरा हुआ। प्रिया ने अपनी आंखे बंद कर ली।




वो अंदर ही अंदर पूरी कोशिश कर रही थी की वो अपने आंसुओ को बहार न आने दे। और उस वक्त उसका दिल चिखना चाहता था, पर वो मजबूर थी। इस वक्त कुछ भी उसके हाथ मे नही था।




और कुछ था तो वो चुप कर बैठना और जो हो रहा था वो देखना। क्यूकी उसका कोई भी कदम उसके लिए मुसीबत मे डाल सकता था।



वही डॉक्टर्स की टीम से एक डॉक्टर अभय के पास आया और अपना माक्स नीचे किया।

डॉक्टर :- मिस्टर अभय, मैडम प्रेगनेंट नही है।

अभय :- कुछ और . . . . . . . . . .

डॉक्टर :- ये पूरी तरह से ठीक है। इन्हे कोई भी बिमारी नही है। ना ही कोई इन्फेक्शन डिसीज और ना ही कोई स्कीन डिसीज सारे रिपोटॅ नोमॅल ही आये है।

प्रिया डॉक्टर की बात सुन बहुत अनकंफटेॅबल हो गई।

प्रिया मनमे :- कैसा अजीब इंसान है ये। मतलब ऐसे किसी के साथ एक रात गुजारना उसके साथ ये भी छोटी बात नही है। और इस तरह से लेना सरासर गलत है।

पक्का ये आदमी दिमागी रुप से पैदल है। तभी इतनी देर तक उसका पूरा चेक - अप देखता रहा ये जानने के कि क्या उसे कोई बिमारी है।

पर अब जब सब क्लियर हो गया है तो उसे यहा से जाना सही होगा।

प्रिया :- अब ! चेन मिल गया आपको। नही हू मै प्रेगनेंट। और ना ही ऐसी बिमारी है जिसे आपको फ्यूचर मे दिक्कत हो। अब प्लिस मुझे जाने दिजिए। और भूल जाइऐ उस रात को।

हमेशा हमेशा के लिए।


प्रिया जानती थी ये आदमी उसे कमजोर और अकेला समज रहा है। पर उसका यहा रुकना बेवकूफी थी। उस रात का भूल जाना ही दोनो के लिए बेहतर था।




तभी उसके कानो मे अभय की घमंड भरी आवाज पडी।

अभय :- जाने दू और वो भी तुम्हे ! हहहहह . . . . . . . . . ये बात अब अपने दिमाग से निकाल दो। की मै तुम्हे जाने दुंगा। तुम खुद मेरे पास चल कर आई थी। अपनी मर्जी से और मेरे साथ रात भी गुजारी।

तो अब मेरा तुम्हे वापस जाने का बिल्कुल भी मन नही है। अब क्योकी तुम पूरी तरीके से हल्दी हो और ना कोई तुम्हे बिमारी है तो तुम मेरे साथ रहोगी।


अभय उसे कहते वक्त उसकी आंखो मे ही देख रहा था। कितना ढूढा था, उसने उस लडकी को, अब जाकर उसे वो मिली है।



उस रात के बाद एक भी ऐसी रात नही बीती थी जब इसे भूला हो। उसका मुलायम सा बदन, उस मे से आती भीनी भीनी खुश्बु वो चाहकर भी उस पल को नही भूला पाया था।


अभय को इनसोम्निया था। और यही वजह थी की सारी रात उसकी आंखो मे ही बितती थी। और निंद पूरी न होने की वजह से वो सारा दिन चिड चिडा रहता था।



पर उस रात को नजाने कितने सालो बाद चैन और सूकून से सोया था। जाने क्या वजह थी इस लडकी की बाहो मे उसे सूकून भरी नींद आई थी।

अभय ने झुककर उसे अपनी गोद मे उठा लिया। उसे छूते ही फिर वही मुलायम अह्सास फिर वही खुश्बु जो उस रात उसे महसूस हुई थी।



अब अभय के चेहरे पर सूकून था। क्योकी अब उसने फैसला कर लिया था की प्रिया उसके पास, उसके साथ ही रहेगी। उसकी और उसकी बनकर।




वही प्रिया अभय की बात सुन एक बडे ही स्थिति मे फस चुकी थी। अभय ने उसे जैसे ही गोद मे उठाया तो वो झटपट ने लगी। उसने बहुत कोशिश की अभय की पकड से छूटने की।


प्रिया :- मुझे जाने दो। क्या मतलब है आपका ? मै आपके साथ रहुगी। देखो आप मुझे जबरदस्ती नही रख सकते अपने साथ।

मुझे नीचे उतारो, प्लिस . . . . . . . . मुझे जाने दो।



उसने झटपटाने की वजह से अभय की पकड ढीली हो रही थी। जब प्रिया ने हिलना बंद नही किया तो वो अपना चेहरा प्रिया के चेहरे के पास लाया और बेहद ही शांत और सदॅ आवाज मे उसे कहा।

अभय :- अगर तुमने हिलना बंद नही किया तो मै सबके सामने तुम्हारे साथ वही सब करुगा, जो उस रात को किया था। अब तुम नही चाहती ऐसा कुछ भी हो तो चुप रहा !




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