Junoon Se Bhara Ishq - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

Junoon Se Bhara Ishq - 7

Psycho Abhay



प्रिया अभय की बात सुन उसे आंखे फाड़े देखने लगी। ये सच मे एक सायको इंसान था। मतलब ऐसी बाते आसानी से सबके सामने कैसे कोई बोल सकता था।


अभी तक वो दोनो ही कमरे मे थे। और वहा उसके ही लोग और साथ मे डॉक्टर्स की टीम थी। पर उसे बोलने मे बिल्कुल भी हिचकिचाहट नही हुई। और उसके बाद प्रिया कुछ नही बोली।


उसे सबके सामने ऐसे होने की वजह से शमॅ आ रही थी। और उस सनकी आदमी पर गुस्सा भी उसने अपना सर झुका लिया।



ऐसा लग रहा था, जैसे ये बडा सा राजा महाराजा का महल हो, जैसे यहा उसके साथ जो भी होता है तो दूर दूर तक उसकी चीजे सुनने वाला या उसे बचाने वाला कोई भी नही होगा।


ये पहले ही बंगलो शहर से काफी दूर आउटर था। और उसका माहौल एक दम शांत और अजीब सा था। हर एक आदमी अभय सर झुकाकर विश कर रहा था।



पर न इस लडके ने उसके तरफ नजरे घूमाई और न उन्हे एक बार भी अपना सर उठाया। प्रिया उससे बार बार अपने आपको छुडाने की कोशिश भी कर रही थी।



पर उसकी पकड इतनी मजबूत थी की, प्रिया की हर कोशिश ना कामयाब हो रही थी। अभय उसे लेकर सिडियो से उपर आया। और एक दरवाजे के सामने आकर खडा हो गया।




उसके सामने आते ही दरवाजा अपने आप खुल गया। अंदर एक लेवीश सा कमरा था। जिसके बीचो बीच एक बडा सा बेड रखा हुआ था। हर तरफ सब ब्लैक एन्ड वाइट कलर का कॉम्बिनेशन का था।




प्रिया को बेड देख लगा शायद अभय उसे इस बेड पर फेकने वाला है। और फिर आगे कुछ सोचती तो इससे पहले अभय उसे लेकर कमरे मे के लगे दूसरे भाग मे ले गया।



आस पास देख प्रिया को समज आया की ये एक्चल मे वॉशरुम था। अभय उसे बाथटब के पास ले गया। शायद बाथटब ओटोमेटिक और सिनिसियर था इसलिए ही उनके पास आते ही पानी अपने आप गमॅ होने लगा।





प्रिया को समज नही आ रहा था की अभय उसे यहा क्यू लेकर आया है। वो कंफ्यूज सी अभय को देखने लगी। जिसकी नजरे प्रिया की तरफ ही थी।



प्रिया उसे कुछ कहती उससे पहले ही अभय ने अपनी हाथो की पकड को ढीला किया और प्रिया को छोड दिया। अभय के छोडते ही प्रिया बाथटब मे जा गिरी।



उसकी आंखे हैरानी से बडी हो गई। उसने अभय की तरफ गुस्से से देखा जो हाथ बांध कर खडा हो चुका था। इतना सब होने के बाद अब प्रिया को रोना आ रहा था।



क्या हो रहा था उसके साथ ? और क्यू उसे एक गलती की सजा मिल रही थी ? पर वो चाहकर भी रो नही सकती थी। क्योकी वो साइको आदमी अपनी गहरी नजरो से उसे ही घूरे जा रहा था।




प्रिया पूरी गिली हो चुकी थी। उसकी वन पिस ड्रेस गिली होते ही उसकी बॉडी पर चिपक गई थी। उसमे से उसका पतला पर परफेक्ट फिगर साफ दिखाई दे रहा था।

प्रिया को अभय के सामने होने से शमॅ आने लगी थी। उसकी ड्रेस की सामने का गला थोडा बडा था। प्रिया अपने दोनो हाथ अपने सीने पर रख दिये।


प्रिया :- क्या हरकत है ये ? और आप करना क्या चाहते है ? देखो मै आपको बता रही हू अगर आपने कुछ भी करने की कोशिश की तो अच्छा नही होगा।

अभय ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया। बस उसकी तरफ घूरता रहा।


अभय :- अपने आपको अच्छे से साफ कर लो की लोगो ने तुम्हे छुआ है। उस बार मे भी और डॉक्टर्स ने भी।

प्रिया :- आपका दिमाग तो ठीक है या सचमुच ही साइको हो। हहहहह . . . . . . . . . मै ये आपके सामने नही।

बिल्कुल भी नही लोगो का छूना एक नोमॅल सी बात थी। कोई डॉक्टर्स चेक - अप करते टाइम छूता ही है।



और अभय का बोलने का तरीका उसे बहुत गलत लगा। जैसे वो गिरी हुई हरकत करके आई हो। प्रिया का कहना अपनी जगह सही भी था।



पर अभय ठहरा अपने मन का करने वाला उसे प्रिया की बातो ने इरिटेट कर दिया था। उसका चेहरा जो अभी शांत था अब गुस्से भर गया। वो झुका और प्रिया की गदॅन को कस कर पकड लिया।



अभय :- really !बार मे तो बडी खुश होकर डांस कर रही थी। अपने इन छोटे कपडो मे तब तो शमॅ नही आई और अब मेरे सामने शरम आ रही है।

वैसे एक बात बता दू की हम यहा अकेले है। इस कमरे मे तो तुम्हे अजीब लगना नही चाहिए।
कौन सा मै तुम्हे पहली बार देखने वाला हू।



उसकी बात सुन प्रिया शमॅ से पानी पानी हो गई। मानो जो हुआ वो ठीक नही था। पर बार बार अभय का कहना उसे अह्सास करवा रहा था की उसने गलती नही गुनाह किया है।



अभय :- ठीक है ! तो नही करना चाहती तो मै खुद तुम्हारे लिए ये कर देता हू।




प्रिया आगे कुछ समज पाती या कुछ बोल पाती उससे पहले ही अभय ने अपने हाथ उसकी पीठ पर लेजाकर ड्रेस की चेइन खोल दी।

ये देख प्रिया शॉक रह गई। और अगले ही पल गुस्से मे उसने अभय को एक जोरदार थप्पड मार दिया। सट्टाक . . . . . . . . . थप्पड इतना जोर का था की पूरे कमरे मे उसकी आवाज गुंज ने लगी।




अगले ही पर प्रिया अपने ही एक्शन पर हैरान और परेशान सी कभी अपने हाथ को देखती तो कभी अभय को। जिसका थप्पड की वजह से लाल हो गया था। और वो उसे भूखे शेर की तरह घूर रहा था।





प्रिया कुछ करती उससे पहले ही अभय ने उसका गला पकड लिया। प्रिया ने अपने गले को छुडाने की लाख कोशिश की, पर वो जितना कोशिश करती उतनी ही मजबूत पकड अभय की होती जा रही थी।




इस वक्त वो मौत को अपने सामने देख सकती थी। गले पर पकड होने की वजह से उसको सांस लेने मे दिक्कत होने लगी। शायद ये उसका अंत ही था।




अब शायद वो मरने ही वाली थी। उसने ई नही सोचा था की एक रात उसे यहा लाकर पटकेगी। उसका दिल अभय के लिए डर और नफरत भर गया था।




अब वो ज्यादा लड नही सकती थी। क्योकी उसके सामने खडा वो इंसान ताकत के मामले मे उसे दो गुना था। ददॅ और बेचैनी की वजह से उसकी आंखो के कोने से आंसु लुडक कर उसके गाल पर गिरने लगे।





और बस यही एक मोमेंट था। जहा अभय कमजोर पड गया। और उसके आंसु जैसे ही अभय के हाथो पर आये उसे अपनी त्वचा गमॅ सी महसूस हुई। और उसके देख अभय की पकड उसके गले से ढीली हो गई।




अगले ही पल उसने उसे छोड दिया। उसके छोडते ही प्रिया अपने गले को पकड खांसने लगी। ये साबित हो चुका था की ये आदमी सच मे ही सनकी था। अभय सक्त पर शांत लहजे मे बोला।





अभय :- ठीक तरीके से अपने आप को साफ कर लो। मै नही चाहता की किसी के भी आदमी के छूने के भी निशान तुम्हारे शरीर पर रहे। और अगर तुमसे नही होता तो मुझे बता दो।

मै खुद तुम्हारी मदद कर देता हू।

प्रिया डर सी भरी आंखो से उसे देखने लगी।




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