Junoon Se Bhara Ishq - 23 books and stories free download online pdf in Hindi

Junoon Se Bhara Ishq - 23

Abhay ka Dar

सोफी की बात सुन मिस्टर माथुर सीधे उस कमरे की ओर चले
गये जिस कमरे मे अभय था। कमरे के बाहर जाकर मिस्टर
माथुर को पंचिंग बैग की आवाज आ रही थी।


कोई लगातार उसे मारे जा रहा था। वो तुरंत अंदर गये। तो देखा
अभय गुस्से मे लगातार पंचिंग बैग को मारे जा रहा था। उसके
चेहरे पसीने की धार निकल रही थी।


आंखे अंगारे की तरह लाल हो रही थी। अभय की इस आदत से
मिस्टर माथुर भी वाकिफ थे। की जब भी वो गुस्से मे होता है,
और जब वो गुस्सा किसी ओर पर नही निकाल पाता तो वो
पंचिंग बैग का सहारा लेकर अपने गुस्से को उस पर निकालता


है।
और आज भी वो ऐसा ही कर रहा था। उसे देख मिस्टर माथूर
भी समज नही पा रहे थे की आखिर उसे हुआ क्या था। वो
बेतहाशा वार किये जा रहा था। पर जिस वजह से उसके चेहरे
के साथ साथ हाथ भी लाल हो चुके थे।




पर वो तब भी नही रुका। उसके दिमाग मे बस एक चीज चल
रही थी। की अगर उसने इतनी सी भी देर कर दी होती, तो वो
इंसान उस लड़की के साथ कुछ भी कर सकता था।


बस एक यही बात उसके गुस्से को शांत होने नही दे रही थी।
उसे समज नही आ रहा था की वो प्रिया का करे। उसके सामने
वो मजबूर सा हो गया था।


आज इसलिए उसे छोड वो बहार आ गया था। अचानक उसे
याद आया की प्रिया अब भी उस कमरे में है। उसका ख्याल
आते ही वो तुरंत रुक गया और सीधे अपने कमरे की तरफ बढ गया।

मिस्टर माथुर खडे होकर उसके बदलते एक्सप्रेशन और हर एक
रीयेकशन को देख रहे थे।


अभय कमरे मे आया उसने सबसे पहले अपनी नजर बेड़ पर
घुमाई जो की खाली पडा था। खाली बेड देख कर वो चौंक गया।
तो क्या प्रिया अब भी, नजाने कितन ही घंटे बीत चुके
थे।


अभय ने जल्दी से जाकर बाथरूम का दरवाजा खोला तो सामने
का नजारा देख वो भी कुछ पल को हैरान रह गया। सामने
बाथटब मे प्रिया पड़ी हुई थी। उसकी आंखे बंद थी और चेहरा
| पीला पड़ गया था। और उसके होठ नीले पड़ गये थे।


ठंडे पानी की वजह से उसके शरीर मे कोई भी हलचल नही हो
रही थी। उसे ऐसे देख अभय दौड कर उसके पास गया और उसे
बाथटब से बहार निकाला। बहार निकालते ही वो तुरंत प्रिया के
चेहरे को थपथपाने लगा।

अभय :- प्रया! प्रिया ! प्रेया उठो ! प्रिया!



प्रिया को ऐसे देख उसे अपना दिल टूबता हुआ सा महसूस हो
रहा था। वों भी नहीं जानता था की ऐसा क्यू हो रहा था। पर
आज उसकी आवाज में उसके लिए फके था।

आज से पहले वो कभी किसी के लिए इतना फिक्र मंद नही
हुआ था। अभय ने जल्दी से साइट से टॉवल लिया और उसे
प्रिया को कवर कर लिया।



शायद टॉवल की गर्माहट ही थी जिसे महसूस कर अचानक
|प्रिया की पतलके हिलने लगी। अभय उसे देखे जा रहा था। कैसे
हिम्मत हुई इस लडकी की अपने आप को नुकसान पहुंचाने की।

जिस वक्त अभय ने कमरे को छोड़ा था वो तब से ही पानी मे
थी। क्यूकी अभय ने कहा था की वो अपने आप को अच्छे से
साफ करे इसलिए वो वही काम कर रही थी।


शायद उससे अभय का गुस्सा कम हो जाये। पर समय के साथ
उसका शरीर ठंडा होने लगा और ठंड की वजह से उसने अपना
होश खो दिया। पर अभय की आवाज सुन उसे धीरे धीरे होश
आने लगा।

उसने धुंधली आंखो से अभय को देखा जो परेशान सा उसे होश
मे लाने की कोशिश कर रहा था।



प्रिया :- अ.... आपने ज . . . . जो कहा, वो मै ने कर दिया।

पर अगले ही पल उसकी आंखे वापस से बंद होने लगी। और
कुछ ही पल मे वो बेहोश हो गई।

अभय :- प्रिया

उसने दोबारा से उसे होश मे लाने की कोशिश की। पर इस बार
वो होश मे नही आई। कुछ ही देर मे डॉक्टर्स और नसँस् की टीम
कमरे मे सर झुकाए खडे थी।


हमेशा ऐसा ही होता था। जब भी वो अभय के कमरे मे आते थे।
और आज भी वही हुआ। वो लोग डर कर चुप चाप खडे थे।
क्योकी आज भी अभय उन लोगो को प्रिया के पास नही आने दे
रहां था।


अभय बेड पर प्रिया को गोद में लेकर बैठा था। और उसे बहुत
सारे ब्लैंकेट से ढका हुआ था। साथ ही कुछ लैम्प भी आस पास
रखे हुए थे। ताकी कमरा गरमें हो सके।


अभय ने गुस्से उन डॉक्टर्स को देखा जो असमंजस से अभय को
ही देख रहे थे।


अभय :- देख क्या रहे हो ! इसका इलाज करो। मुझे कैसे भी ये
ठीक चाहिए।

डॉक्टर :-जी, मिस्टर राठौर !

जैसे ही डॉक्टर्स ने प्रिया की कलाई छुई, चेक करने के लिए।
अभय की आंखे सख्त हो गई। डॉक्टस्स ने डरते हुए उसका
इलाज किया। डॉक्टर्स ने चेक - अप करने के बाद कहा।

डॉक्टर्स :- सर इन्हे बस ठंड की वजह से बुखार हो गया है।
हमने मेडिसिन यहा रख दी है। ये उन्हे लेकर ठीक हो जायेगी
और बस कुछ दिन रेस्ट करना होगा।



इतना कह और मेडिसिन देकर डॉक्टर्स चले गए। उनके जाने
और ये कहने के सिफे फिवर है। अभय फिर भी नोमेल नही
हुआ था। उसकी नजर लगातार प्रेया पर ही टीकी थी।

जिसका पूरा चेहरा पीला पड रहा था। कैसे ये लडकी इतनी
जिद्दी हो सकती है। क्या ये नही जानती थी की पानी में ड्रब ने से
इसके शरीर का टेंम्परेचर गिर जायेगा। क्या ये मरना चाहती थी।

कुछ वक्त बाद जैसे ही दवाई का असर हुआ प्रिया को हल्का
हल्का होश आने लगा। वो धीमे से बोली।




प्रिया : - मुझे ठंड लग रही है।

उसको ऐसे देख अभय को गुस्सा आ गया। और उसके चेहरे को
अपने हाथो मे पकड लिया।

अभय :- बेवक्फ लड़की ! जब किया है, तो भुगतो अब !

उसने नौकरो को कुछ और ब्लैंकेट लाने को कहा। क्योकी प्रिया
ठंड से कांप रही थी। अभय को उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
पर नजाने उसका बिमार पड़ना अभय के दिल में अजीब सी
बैचेनी पैदा कर रहा था।





पंचिंग बैग पर अपना सारा गुस्सा निकालने के बाद भी उसका
गुस्सा कम नहीं हुआ था। वो प्रिया की हथेली को अपने हाथो से
घिसने लगा। ता की कुछ गर्माहट उसके शरीर मे पहुंच सके।

पर फिर भी उसका कांपना कम नही हुआ तो उसने अपने
कपड़ो को निकाला और उसे गले लगा कर लेट गया।



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