Saat fere Hum tere - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 7

निलेश को इन्तजार था इस बात का कि कब नैना अपने आंखों से निलेश को देख पाएंगी। क्या सच्चे प्यार की हमेशा जीत होती है? क्या इनका प्यार भी रंग लायेगा।या फिर ये सब किताबों में ही अच्छा लगता है।असल जिंदगी में तो कुछ और ही होता है।
इन बातों से बेखबर नैना भी निलेश का इंतजार कर रही थी कि कब निलेश आयेगा। फिर रात को बारह बजे ही निलेश अपने बालकनी में जाकर गिटार पर बर्थ डे धुन बजाने लगा। और फिर कुछ देर बाद ही नैना,रेखा, और कोकिला बालकनी में पहुंच गए। नैना ने कहा थैंक यू निलेश। मेरे बर्थ डे को स्पेशल बनाने के लिए। ऐसा किसी ने भी नहीं किया। बहुत ही अच्छा गिटार बजाते हो। माया ने कहा हैप्पी बर्थ डे नैना। नैना ने कहा थैंक यू दी। फिर निलेश ने कहा हैप्पी बर्थडे डियर।। नैना ने कहा थैंक निलेश। फिर बोलते बोलते रो पड़ी थी नैना। कोकिला ने सम्हाल लिया और फिर बोली देखा नैना मैं न कहती थी कि निलेश सच्चा प्यार करता है कोई सौदा नहीं। नैना ने कहा बूई मुझे शर्मिन्दा मत करो। चलो गुड नाईट। फिर सभी सोने चले गए।
निलेश रात भर जाग कर नैना की तस्वीर बनाने लगा। ये आंखें,ये चेहरा,ये तेवर, ये जुल्फें,सब कयामत है,कयामत है,कयामत है। फिर खुली आंखों से निलेश सपना देखने लगें। पता नहीं सपना पूरा होगा या नहीं। फिर कब आंख लग गई पता ही नहीं चला। सुबह उठकर तैयार हो गया निलेश और फिर बोला दीदी मैं जरा मंदिर हो कर आता हूं। माया ने कहा हां भाई ठीक है। निलेश पहले मंदिर जाकर नैना के लम्बी उम्र की दुआ लेकर प्रसाद लेकर सीधे नैना के घर पहुंच गए। नैना के घर को गुब्बारों से सजा रही थी रेखा। निलेश अन्दर पहुंच कर कोकिला को प्रसाद दिया और फिर नैना को प्रसाद देकर बोला कि ये लो प्रसाद खा लो। जन्मदिन मुबारक हो। नैना ने हंसते हुए कहा ओह तो मंदिर गए थे मेरे लिए। निलेश ने कहा हां गया था तुम्हारी लम्बी उम्र और खुशियां मांगने। अच्छा अब मैं चलता हूं। फिर निलेश चला गया। नैना निलेश को अपने अन्तर्मन से देख कर कहती हैं बूई निलेश बहुत सुंदर है ना?बूई ने कहा हां नैना तू बहुत भाग्यशाली हैं जो निलेश जैसा जीवन साथी मिल रहा है। नैना ने कहा हां पर कभी कभी डर सा लगता है। कोकिला ने गले से लगा कर कहा नहीं मेरी बच्ची।
फिर निलेश घर पहुंच कर माया को भी प्रसाद देता है। माया ने कहा अच्छा चल मैं निकलती हुं। शाम को बच्चों को छुट्टी देना होगा। निलेश ने कहा हां दीदी ‌। फिर माया निकल जाती है। निलेश नाश्ता करने बैठ जाता है। और फिर वो एक वायेज मेसेज नैना को भेज देता है। नैना भी तुरंत आवाज से वो सुनने लगती है। निलेश कहता है कि नैना तुम हमेशा खुश रहो मैं ये दुआ करता हूं। तुम मानो या ना मानो तुम्हें बेपनाह मोहब्बत करता हूं। नैना बार बार ये सुनती रहती है। और फिर उसे अचानक ख्याल आता है तो वो किचन में चली जाती है। रेखा ने देखते ही कहा अरे दीदी कुछ चाहिए क्या? नैना ने कहा नहीं रे मुझे रबड़ी बनानी है निलेश को बहुत पसंद हैं। रेखा ने कहा अच्छा ठीक है आइए। फिर रेखा सब नैना को पकड़ाती जाती है। और नैना निलेश के लिए अपने हाथों से रबड़ी तैयार करने लगती है। कोकिला भी देखती रह जाती है। और फिर पुछती है कि तुझे कैसे पता कि निलेश को रबड़ी पसंद है? नैना ने कहा अरे बूई वो माया दी ने बताया था। प्लीज़ आप थोड़ा सा खा कर देखो ना। कोकिला ने कहा हां, हां ज़रूर। फिर रेखा ने एक कटोरी में रबड़ी डाल कर दिया। कोकिला ने खा कर कहा लाजबाव। नैना ने कहा अच्छा थैंक यू। नैना ने बहुत ही प्यार से रबड़ी तैयार किया निलेश के लिए। कोकिला ने कहा नैना तू ठीक है ना? नैना ने कहा हां बूई बिल्कुल ठीक हुं। फिर नैना अपने कमरे में जाकर आराम करने लगी। फिर धीरे धीरे शाम हो गया। इधर नैना के जन्मदिन पर सब कुछ तैयारी हो गया था।पुरा घर से चुका था। उधर निलेश और माया भी तैयार हो कर नैना के जन्मदिन का तोहफा लेकर पहुंचे। नैना के घर दो चार मेहमान आए हुए थे। निलेश तो बस नैना को देख रहा था एक दम एक परी लग रही थी। फिर निलेश आगे बढ़ कर नैना के हाथों में सारा गिफ्ट दें दिया। नैना ने कहा थैंक यू निलेश। निलेश ने कहा अरे तुमने कैसे समझा कि मैं निलेश हुं। नैना ने कहा अरे तुम्हारे स्पर्श से। निलेश ने कहा हां सच। चलो केक काट लो। फिर नैना केक काटा और बुई को खिला दिया। फिर निलेश को और निलेश ने भी नैना को खिलाया। फिर डांस होने लगा। निलेश और नैना भी डांस करने लगें। कुछ देर बाद सभी खाना खाने बैठ गए। कोकिला ने कहा जानते हो निलेश आज नैना ने तुम्हारे लिए रबड़ी बनाईं है। निलेश सुनते ही चौक गए। निलेश ने अपना पहला निवाला छोड़ कर बोला कि मैं तो सबसे पहले रबड़ी ही खाऊंगा। निलेश ने एक कटोरी में रबड़ी डाल लिया और फिर खाने लगे। और फिर बोला कि वाह लाजवाब बना है मन होता है कि बनाने वाले के हाथों को चूम लूं।
नैना मुस्कुराते हुए कहा थैंक यू निलेश। माया भी बहुत खुश थी कि कोई मेरे भाई के लिए इतने प्यार से रबड़ी बनाईं है। फिर सभी खाना खाने लगे। काफी देर तक खाते पीते नज़र आ रहे थे।
फिर निलेश और नैना एक साथ बैठ कर बातें करने लगे। निलेश ने कहा देखो कभी न कभी तुम्हारी आंखें वापस आ जाएगा। नैना ने कहा क्यों सपना दिखा रहे हो? निलेश ने कहा क्योंकि तुम्हारा हक है ये।। नैना ने कहा तुम ठीक से खाना खाएं तो।। निलेश ने कहा हां बाबा वैसे ही कम खाता हूं।जो भी रिश्तेदार आए थे वो सब वापस जा रहें हैं। नैना ने कहा निलेश और क्या खास बात है तुममें ‌निलेश हंसने लगा और वो बोला खास बात तो तुम्हारे अंदर है।इतनी खूबसूरत हो तुम। नैना ने धीरे से कहा क्या सच बोल रहे हो? निलेश ने कहा हां और क्या। नैना ने कहा अच्छा ठीक है रिटर्न गिफ्ट तो लेकर जाओ। निलेश ने कहा हां सच में ,हम बच्चे हैं क्या? नैना ने कहा प्लीज़ मना मत करना।ये लो और माया दी ये आपके लिए। माया ने कहा थैंक यू डियर। अच्छा अब चलते हैं। नैना ने हाथ दिखाया। निलेश और माया दोनों अपने घर लौट आए।
निलेश घर पहुंच कर ही बहुत ही खुश नजर आ रहा था। माया ने कहा नैना कितनी प्यारी लग रही थी। निलेश ने कहा हां दीदी। बिल्कुल मेरी मां की छवि।। माया हंस पड़ी। निलेश ने कहा ये क्या दिया नैना ने। माया ने कहा हां चल खोल कर देखते हैं। फिर निलेश ने पैकेट खोला तो देखा एक टी -सट आसमानी रंग का। निलेश ने कहा अरे इसको कैसे पता चला कि आसमानी रंग मुझे पसंद है। माया दी आपने बताया? माया ने कहा नहीं रे। फिर माया ने पैकेट खोला तो उसमें एक प्यारा सा सलवार सूट था। माया ने देखते ही कहा अरे वाह क्या बात है।

कमश: