Saat fere Hum tere - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 9

फिर चार बजे तक लखनऊ पहुंच गया।बस स्टैंड पर उतर कर इधर उधर देखने लगा फिर आटो स्टैंड पर जाकर अखबार में छपी उस पते पर जाने के लिए आटो चालक से बात करने लगे। फिर आटो चालक ने हामी भर दी। फिर निलेश गाड़ी में बैठ गया। फिर एक घंटे बाद उस जगह पर पहुंच गया। देखा तो बहुत ही शानदार अपार्टमेंट था।गेट पर खड़े होकर गाॅड का इंतजार करने लगा। एक गाॅड आया और फिर निलेश ने पूछा तो उसने अन्दर जाने से पहले एक रेजिस्टर पर साइन किया और फिर अन्दर पहुंच गए। इतने बड़े बड़े इमारतों के बीच से निलेश अपनी मंजिल की ओर जाने लगा।
जाते-जाते एक जगह रुक गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर एक सज्जन से पुछा उसने कहा और आगे है। फिर आगे बढ़ने लगा। वहां पर जाकर देखा तो बड़ी लोगों की भीड़ खड़ी थी। एक एम्बुलेंस भी था फिर सारी भीड़ वहां से निकल गई।वो एम्बुलेंस भी निकल चुका था। निलेश को थोड़ा सा घबराहट होने लगी। निलेश ने हिम्मत करके एक सज्जन से कहा गायत्री देवी से मिलना है।
वहां एक सज्जन बोले - आप ने देर कर दिया आने में।

निलेश ने आश्चर्य हो कर पुछा - मैं समझा नहीं ।

वह सज्जन बोले - अरे भाई अभी कुछ देर पहले ही गायत्री देवी के अंतिम संस्कार के लिए सब निकल गए।

निलेश -ने कहा ओह। मुझे वो आई डोनर के लिए बात करना था।

सज्जन बोले- ओह बेटा वह तो हो गया उनके किसी रिश्तेदार ने ले लिया।

निलेश ने कहा ओह माई गॉड। ठीक है कोई बात नहीं।निलेश मायुस होकर कर वापस आने की सोच ने लगा।
तभी माया का काॅल आया।
निलेश ने फोन उठाया और सब कुछ बताया।
माया बोली - भाई तू कल सुबह निकलना यहां अतुल बिमल सब आ गए हैं।
निलेश - ने कहा कोई नहीं दी मैं अभी निकल जाऊंगा तो रात तक पहुंच जाऊंगा आप डिनर कर लेना। मैं कुछ खा लेता हूं।

निलेश बहुत थक गया था और फिर वो गेट के बाहर निकल आया। वहां से एक आटो में बैठ कर एक ढाबे पर पहुंच गया। जाकर खाना खा लिया। निलेश काफी थक गया था।उस समय नौ बज रहे थे।
फिर आटो से बस अड्डे पहुंचा और टिकट काउंटर पर जाकर कर कानपुर की टिकट ले लिया।
कुछ देर में बस आ गया और निलेश बस में बैठ गया और कुछ देर बाद बस निकल गई।निलेश सोच रहा था कि मैं सबके लिए कितना कुछ करता हूं पर नैना के लिए कुछ नहीं कर सकता। अब मैं कैसे नैना की आंखें उसको वापस दूंगा।बस में बैठ कर ये सब सोचने लगा।और फिर निलेश सो गया।

उधर नैना ने कई बार निलेश को काॅ ल किया पर निलेश सो जाने के कारण फोन नहीं उठाया। नैना को लगा कि निलेश ऐसा कभी नहीं करता है पर आज।। ये सोच कर नैना ने माया को फोन किया तो माया ने कहा कि किसी जरूरी काम से लखनऊ गया है रात तक लौट आएगा।
माया ने बताया कि वह बस में होगा इस लिए फोन नहीं उठाया होगा। माया बोली नैना तुम सो जाओ।नैना ने कहा ओ के ,गुड नाईट।
नैना सोचने लगी कि भगवान अब और ताकत नहीं है तकलीफ सहने की।निलेश ठीक से वापस लौट आए। पर निलेश ने एक बार भी मुझे नहीं बताया कि वो बाहर जाने वाला है।
फिर नैना जाकर सो गई। फिर कुछ देर बाद ही नैना के फोन की घंटी बजा और नैना उठकर जल्दी से फोन उठाया तो उधर से आवाज आई निलेश ने कहा नैना कैसी हो तुम? मैंने तुम्हें कुछ नहीं बताया था कि मैं लखनऊ जा रहा हूं पता है मुझे एक डोनर मिला था पर थोड़ी देर हो जाने के कारण वो चला गया। नैना तुम सुन रही हो ना। नैना ने कहा हां निलेश सुन रही हुं पर तुम क्यों गए निलेश मुझे छोड़ कर, तुमने तो कहा था कि तुम मुझे साथ देने आएं हो। और मोहताज नहीं है और क्या कुछ, फिर क्यों गए तुम मुझे बिना बोले।। निलेश ने कहा अच्छा लगा कि कोई मेरे लिए भी सोचता है, अच्छा लगा कि कोई मेरे लिए इन्तजार करना चाहता है। निलेश ने फिर कहा देखो नैना मैं तुम्हें तुम्हारी आंखों के साथ देखना चाहता हूं।जो तुम्हारा है वो‌ तुम्हें जरूर मिलेगा। नैना ने कहा अब रूलाओगे क्या। निलेश ने कहा अरे नहीं मैं तुम्हें हमेशा खुश देखना चाहता हूं और आज मैं कुछ कहना चाहता हूं। नैना ने कहा क्या? निलेश ने कहा ये ही की मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं नैना। नैना ने कहा हां सच, मैं भी तुमसे प्यार करती हूं तुम कब आओगे। तभी बस रुक गई। नैना ने कहा निलेश क्या हुआ सब ठीक है। निलेश ने कहा हां ठीक है तुम अब सो जाओ कल हम मिलेंगे। नैना ने कहा हां निलेश मैं तुम्हें देखना चाहती हुं। निलेश ने कहा हां ज़रूर। फिर नैना ने फोन रख दिया।
फिर सभी लोग नीचे उतर आएं। पता चला कि बस खराब हो गया है। निलेश ने कहा ओह माई गॉड अब क्या होगा।
फिर निलेश ने माया को फोन किया। माया ने कहा भाई कहा हो? निलेश ने कहा ज्यादा दूर नहीं हु पर लगता है कुछ देर होगा।बस खराब हो गया है। माया ने कहा हां कहा था ट्रेन से आओ पर मेरी कौन सुनेगा। कोई काम भी नहीं हुआ और ऊपर ये। निलेश ने कहा हां दीदी आप सो जाओ सुबह जल्दी आ जाऊंगा।
माया ने फोन रख दिया और फिर बोली पता नहीं भगवान कब आएगा निलेश। फिर किसी तरह से सो गई।

फिर देखते देखते सुबह हो गई। पर निलेश अभी तक घर नहीं लौटा। ये माया सोचने लगी और ऊपर से उसका फोन भी नेटवर्क से बाहर बता रहा है। क्या है ये सब बिमल ।।बिमल ने कहा दीदी आप चिंता मत करो वो आता होगा।
माया को कुछ भी ठीक नहीं लग रहा था।बार बार फोन करने के बाद भी जब कुछ समझ नहीं आ रहा था तो बिमल से बोली कि चल अब एक रास्ता है कि हम बस अड्डे पर जाकर पता करें।बिमल ने कहा हां ठीक है चलिए। फिर दोनों बस अड्डे पर पहुंच गए तो वहां पर लोगों का तांता लगा देख माया को समझते देर नहीं हुआ कि कुछ अनहोनी हो गई है।
सभी वहां बैठ कर सब बातें बोल रहे थे कोई रो रहा था। माया से रहा नहीं गया और फिर वो किसी तरह भीड़ में ही पहुंच कर बात सुनने लगीं।बिमल ने एक आदमी से पूछा तो उसने कहा कि कल लखनऊ से बस आ रही थी और हाईवे पर ही बहुत बड़ी दुर्घटना हो गई। ये सुनते ही माया बेहोश हो गई।
क्रमश