Saat fere Hum tere - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 11

बिमल और अतुल दोनों अपने घर नहीं जा सकें। माया दी को इस हालत में छोड़ कर नहीं जा सकते। इसी तरह एक एक दिन निकालना बहुत ही मुश्किल होने लगा था।
फिर एक दिन डाक्टर अनिल कपूर का फोन आया नैना के घर पर। नैना ने ही फोन उठाया तो डॉक्टर ने कहा कि एक डोनर मिला है तुम जल्दी से जल्दी आपरेशन करवा सकती हो। नैना ये सुनकर रोने लगी और उसने बिना कुछ कहे फोन रख दिया।जब ये बात कोकिला को पता चला तो वो नैना को बहुत समझाया पर नैना कुछ भी करने को तैयार नहीं हो रही थी निलेश के बिना।उसे तो निलेश का इंतजार था। नैना ने कहा एक बार निलेश आ जाएं फिर मैं आपरेशन करवा लूंगी। कोकिला ने कहा पर बेटा अगर डोनर चला गया तो? नैना फिर तो तुम निलेश को भी देख सकोगी। कोकिला ने फोन करके माया को भी बुलाया। माया ने समझाया कि ये मौका है तो मत गंवाओ। वरना निलेश गुस्सा करेगा।वो तुम्हारी वजह से लखनऊ गया था और अगर तुम्हें डोनर मिल रहा है तो उसे करवा लो।
नैना बहुत रोने लगी और फिर बोली दी मुझे अगर पता होता तो मैं कभी नहीं जाने देती। हां ये तो निलेश भी बोल रहा था।कि नैना को मत बताना। माया ने रोते हुए कहा कि कहा गया मेरा बेटा। नैना ने कहा दीदी आप हौसला रखो निलेश जरूर आ जाएगा।

फिर माया घर लौट आईं ये सोच कर कि शायद निलेश आ जाएं। इसी तरह दो दिन और निकल गया पर निलेश का कोई पता नहीं चल पाया। फिर एक दिन शाम को डाक्टर साहब नैना के घर पहुंच गए और जाकर बोले कि अब ज्यादा देर नहीं किया जा सकता। आपरेशन करवा लो। नैना डाक्टर के बात से सहमत नहीं थी।पर सबके कहने पर वो मान तो गई पर उसने पुछा कि ये कौन है किसकी आंख लगेगी कुछ तो बताईए। डाक्टर ने कहा कि जिस किसी का भी है पर बहुत ही नेकदिल इंसान का ही है। नैना भी रोते रोते मान ही गई। फिर डाक्टर वहां से चले गए। कोकिला ने कहा देखा डाक्टर कितना अच्छा है जो घर आकर बोल गया। नैना बहुत ही परेशान सी हो गई और बालकनी में खड़े हो कर निलेश को पुकारने लगी कि कहा चले गए निलेश वापस नहीं आ रहे हो। देखो तो सही नैना का कल आपरेशन है उसे आंख मिलेगा जिसके लिए तुम इतने परेशान थे वो सपना कल पुरा होने वाला है निलेश।।
फिर रात बितने लगा। माया के घर में खाना नहीं बन रहा है और दोनों दोस्त किसी तरह से खिचड़ी और भाजी बना कर खा रहे हैं। कुछ देर बाद ही पुलिस अफसर का फोन आया और उसने कहा कि अभी तक निलेश का कोई भी पता नहीं चल पाया पता नहीं कहां चला गया ।बिमल ने कहा सर क्या हुआ होगा उसके साथ। पुलिस अफसर ने कहा हां कहा गया किसके साथ गया ये भी पता नहीं चल पाया पर तलाश जारी है जैसे ही कुछ पता चलता है मैं जरूर बताऊंगा।बिमल ने कहा ओके सर। अतुल और माया सुनने को बेकरार हो गए थे कि पुलिस अफसर ने क्या कहा।बिमल की सारी बात सुनकर माया रोने लगी और फिर बोली मैं अब खुद ही जाऊंगी उसे ढूंढने के लिए। अतुल ने कहा दीदी आप चिंता मत करो देखो पुलिस अपना काम कर रही है।
दूसरे दिन सुबह सभी नैना को लेकर डाक्टर के पास पहुंच गए। माया, अतुल, बिमल सभी पहुंच गए। फिर डाक्टर ने सारी फारमालिट्स पुरी की और नैना को ओ पी डी में लेकर गया। नैना ने कहा डाक्टर साहब क्या मैं एक बार उस इन्सान को देख सकती हुं? डाक्टर ने कहा नहीं नैना उसे तू नहीं देख सकतीं हो । नैना ने कहा अच्छा पर ऐसा क्यों? डाक्टर ने कहा अरे बस अब जल्दी से रेडी हो जाओ। फिर तीन घंटे का आपरेशन चला और फिर नैना को एक रूम में शिफ्ट करवा दिया गया। कोकिला ने डाक्टर से पुछा कि नैना कैसी है? डॉ ने कहा हां आपरेशन सफल रहा। तीन दिन बाद पट्टी खुलेगी। कोकिला ने कहा कि ठीक है। फिर सब घर आ गए। अचानक से नैना को होश आया तो वो बोली निलेश, निलेश तुम आ गए तभी वहां एक नर्स आ गई और फिर बोली अरे कोई भी नहीं है यहां मैम आप किसे ढुंढ रही हैं। नैना ने कहा अरे अभी निलेश यहां आया था वो कहा है? नर्स ने कहा अरे नहीं कोई भी नहीं है। नैना ने कहा ऐसा कैसे हो सकता है मैंने तो महसूस किया निलेश ही आया था पर वो मिला क्यों नहीं मुझे।। नर्स ने कहा मैम आप बहुत ज्यादा सोच रही है हां इतना मत सोचिए। नैना बहुत ही विचलित होने लगी थी। नर्स ने तुरंत डाक्टर को बुलाया और फिर डाक्टर आकर नैना को एक इंजेक्शन दे दिया।
फिर नैना एक दम से शान्त हो गई। डाक्टर भी सोच में पड़ गए।
फिर डाक्टर ने फोन करके कोकिला को सारी बात बताई। कोकिला सुनकर बहुत ही चौक गई और फिर वो सीधे माया के घर पर पहुंच गई और माया को सारी बात बताई।
माया सुनकर ही रोने लगी और फिर बोली हां मुझे विश्वास है निलेश आ गया होगा पर हमसे क्यों नहीं मिल रहा है। अतुल और बिमल ये सुनकर ही पुलिस अफसर को फोन पर सारी बात बताई। पुलिस अफसर ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है हमारे जवान तो चारों तरफ तैनात रहते हैं और फिर अस्पताल के बाहर भी पुलिस थे। अतुल ने कहा ओह ये बात है तो नैना को भ्रम हो गया कि निलेश आया । इसी तरह तीन दिन और बीत गए। आज नैना की आंखों की पट्टी खुलने वाली थी सब लोग पहुंच गए थे कोकिला को नैना ने पहले ही कह दिया था कि वो निलेश के हाथों से बना हुआ वो पेंटिंग देखना चाहती थी। कोकिला ने वो पेंटिंग लेकर पहुंच गई। फिर डाक्टर ने धीरे धीरे उसके आंखों की पट्टी खोलने लगें और फिर बोले कि अब धीरे धीरे आंखें खोलो। नैना ने आंख खोलते ही बोली निलेश जहां कहीं भी हो प्लीज़ आ जाओ।पर निलेश नहीं आया। कोकिला ने वो तस्वीर नैना के सामने जाकर रख दिया। नैना देखती रह गई। इतना खूबसूरत कोई कैसे बना सकता है निलेश ने मेरी तस्वीर बनाई पर वो भी अधुरी ये तो निलेश ही पुरी कर सकता है मेरी मांग भर कर। डाक्टर ने कहा नैना अब तुम बिल्कुल ठीक हो और घर भी जा सकती हो और फिर तीन दिन बाद आना होगा।
फिर नैना को कोकिला अपनी कार से घर वापस लौट आए। उधर माया बेचैन सी होकर सोच रही थी कि क्या हुआ निलेश के साथ। आज से माया भी स्कूल जाने के लिए तैयारी करने लगी। जिंदगी का क्या है ये कहां किसी के लिए रूकती है ये तो बस चलती जाती है,चलती जाती है।।
कमश: