Saat fere Hum tere - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 8

फिर माया बोली बहुत ही अच्छा गिफ्ट दिया नैना ने। निलेश ने कहा हां दीदी चलो अब सो जाते हैं। माया ने कहा भाई तू खुश हैं ना? निलेश ने कहा हां दीदी पर जब तक नैना अपने आंखों से न देख पाए तब तक मुझे चैन नहीं मिलेगा। माया ने कहा हां मैं समझ सकती हुं भाई। निलेश ने कहा हां दीदी नैना की कोई गलती तो नहीं कि इस उम्र में वो बिना आंखों के जिंदगी बिता देंगी। उसे कितना घुमने का शौक है तो मैं क्या इतना भी नहीं कर सकता उसके लिए। माया ने कहा हां भाई जरूर। चलो गुड नाईट।बोल कर दोनों अपने अपने कमरे में चले गए।
निलेश सारी रात सोचने लगा कि कैसे क्या करना है। फिर सुबह हो गई। नैना सुबह सुबह ही अपनी बालकनी में आकर इन्तजार करने लगी।जब दोनों भाई बहन चाय पीने के लिए बालकनी में आ गए तो नैना ने कहा गुड मॉर्निंग। और हां निलेश तुम्हारा गिफ्ट बहुत ही खूबसूरत था और दी आपका भी गिफ्ट बहुत अच्छा लगा। माया ने कहा अच्छा तुम्हें पसंद आया पर तुम देख नहीं पाईं। माया बिना सोचे समझे ही बोल दिया और फिर बोली ओह सॉरी नैना मुझे एक दम ख्याल नहीं रहा। नैना ने कहा ओके दी कोई बात नहीं। निलेश ने कहा थैंक यू डियर तुम्हारा रिटर्न गिफ्ट भी बहुत अच्छा लगा।
फिर माया भी निकल गई और निलेश भी तैयार होने लगा। उसे अब रविवार का इंतजार था उसे बस किसी भी तरह नैना की आंखें लौटाना था ‌। फिर निलेश सबसे पहले अतुल के घर गया और उसे बोला कैसा है दोस्त? अतुल ने कहा मैं ठीक हूं तू सुना। फिर निलेश ने सारी बात बताई अतुल सुनकर बोला कि वो नैना बहुत भाग्यशाली हैं जो उसे तू मिलने वाला है। निलेश ने कहा पता नहीं यार कौन भाग्यशाली हैं पर मुझे लखनऊ जाना होगा इस रविवार को।तुम जरा उधर देख लेना माया दी अकेली रहेगी। अतुल ने कहा हां ठीक है तू कब लौटेगा? निलेश ने कहा जैसे ही काम होगा लौट आऊंगा। एक बार सब कुछ ठीक हो जाएं फिर हम शादी करेंगे। अतुल ने कहा हां दोस्त तू चिंता मत कर। फिर निलेश वहां से निकल गए।
घर पहुंच कर माया को भी सब कुछ बताया और ये कहा कि नैना को अभी इस बारे में कुछ ना बताएं। माया ने कहा अच्छा ठीक है। इसी तरह दो दिन बीत गए। शनिवार को नैना का फोन आया और फिर बोली कि क्या बात है बहुत बिजी हो? निलेश ने कहा हां नैना कुछ जरूरी काम था उसी में बिजी हो गया और आगे भी बिजी रहुंगा। नैना ने कहा अच्छा ठीक है फिर। निलेश ने कहा अरे नाराज हो गई क्या? नैना ने कहा किस हक से मैं नाराज हो सकती हुं वो हक तो तुमने दिया ही नहीं। निलेश ने कहा प्लीज़ ऐसा मत बोलो। मैं तुम्हें खुश देखना चाहता हूं। नैना ने कहा हां मैं भी तुम्हें खुश देखना चाहती हुं पर क्या करूं मैं तो देख नहीं सकती हुं। निलेश ने कहा तुम मेरी आंखों से देखोगी। नैना ने कहा हां आजकल फिल्में ज्यादा देख रहे हो ‌निलेश ने कहा नहीं ऐसा नहीं है। चलो ठीक है। नैना ने फोन कट कर दिया। निलेश ने सोचा नाराज हो गई।पर मैं अब सोमवार को ही उसे सरप्राइज दे पाऊंगा।
फिर निलेश ने अपनी पैकिंग कर लिया।रात को डिनर करते समय निलेश ने कहा दीदी कल मैं जा रहा हुं। माया ने कहा हां ठीक है पर टिकट तूने बना लिया? निलेश ने कहा नहीं दीदी बस से जा रहा हुं। माया ने कहा पर क्यूं तू ट्रेन से जा आराम से। निलेश ने कहा अब बच्चा नहीं हु। बात बन गई तो जल्दी वापस आ जाऊंगा वरना ट्रेन के चक्कर में रहा तो।आप यहां अकेली हो ना। माया ने कहा भाई तू मेरी चिंता मत कर।तू बस से मत जा । निलेश ने कहा क्या दीदी आप भी ना।मैं तो लखनऊ हमेशा बस से ही जाता हूं।पर नैना को कुछ मत बताना वरना वो गुस्सा करेंगी। माया ने हंस कर कहा हां बाबा ठीक है।
फिर खाना खा कर सोने चले गए। निलेश करवटें बदलते हुए रात बिता दिया। सुबह वहीं चाय की चुस्कियों के साथ दोनों बालकनी में बैठ गए।पर निलेश की आंखें नैना को ढूंढने लगीं पर नैना आज बालकनी में नहीं आईं। माया ने कहा क्या झगड़ा हुआ है? निलेश ने कहा अरे नहीं दी। कुछ देर बाद रेखा बालकनी में आकर पौधों को पानी देने लगी। माया ने कहा अरे आज नैना कहा है। निलेश ने कहा जाने दो दीदी लगता है सो रही है। माया ने कप उठाते हुए कहा अच्छा ठीक है मैं चलती हूं।
निलेश भी थोड़ा मायूस हो कर अन्दर आ गया और फिर माया के पैर छु कर बोला कि दीदी जब तुम आओगी तो मैं जा चुका हुंगा। माया ने कहा हां ठीक है भाई। फिर माया निकल गई। निलेश का मन बहुत ही उदास था और उदासी का कारण बस नैना का एक झलक देखना पर पता आज नैना बालकनी में आई नहीं। मैं वापस आकर उसे खुश कर दुंगा।

फिर जल्दी से तैयार हो कर नाश्ता करने लगा और एक टिफिन बॉक्स जो माया दी ने उसके सफ़र के लिए रखा था वो भी बैग में ले लिया और साथ पानी की बोतल भी। पता नहीं निलेश के मन में क्या चल रहा था कि एकाएक वो पुरे घर को देखने लगा जैसे आज से पहले कभी देखा नहीं। फिर अपने मां की तस्वीर के सामने जाकर खड़ा हो गया। और फिर वहां से सीधे दरवाजे के तरफ निकलने लगी और तभी बिमल आ गया और बोला अरे चल मैं तुझे छोड़ देता हूं। निलेश ने कहा अच्छा हुआ तू आ गया मेरे पीछे दीदी का ख्याल रखना।बिमल ने कहा हां ठीक है। फिर दरवाजे पर ताला लगा कर दोनों बस स्टैंड की तरफ निकल गए।
बिमल ने कहा मुझे सब बातें तो अतुल से पता चला तूने तो कुछ बताया नहीं। मैं भी चल सकता था ना? निलेश ने कहा हां ठीक है कोई बात नहीं। फिर बस स्टैंड पर पहुंच कर दोनों एक चाय की दुकान पर चाय पीने लगे।बिमल ने कहा कब वापस आएगा? निलेश ने कहा सोमवार को शाय़द। फिर चाय पीने के बाद निलेश बस का इंतजार करने लगा और बिमल वहां से निकल गए।


कमश: