Junoon Se Bhara Ishq - 25 books and stories free download online pdf in Hindi

Junoon Se Bhara Ishq - 25

Aadhi need me

अभय ने जो गुस्से मे प्रिया से कहा वो उसने सुना ही नही क्योकी प्रिया तो वैसे ही आधी नींद मे थी और पेट भरने के बाद तुरंत सो गई।  उसने अभय की बातो पर कोई ध्यान ही नही दिया।



प्रिया सारा दिन सोती रही। जब उसकी निंद खुली तो उसे अपने आंखे सुजी हुई लगने लगी। सर ददॅ से फटा जा रहा था। उसने अपने आस पास देखा तो उसने जाने माने कमरे मे पाया

ओह ! तो वो अभय के ही कमरे मे थी। ये सोच उसका दिल फिर से कड़वाहट से भर गया। उसने घडी की तरफ नजर घुमाई जो 12 बजने का इशारा कर रही थी।




उसे अभय से 6 बजे मिलना था ये सोच के उसने चेन की सांस ली। तभी उसे अपने होठो पर हल्की चिपचिपाहट महसूस हुई। उसने जीभ को अपने होठो पर फेरा तो उसे ऐसा लगा उसने चाय जैसा कुछ मीठा पिया था।



प्रिया :- पर चाय मै कैसे पी सकती हू ? वो भी यहा रात मे।

उसने अपने दिमाग पर जोर दिया पर उसे कुछ भी याद नही आ रहा था। की रात मे आखिर हुआ क्या था। बस अगर कुछ दिख रहा था तो था हल्की हल्की सी धुंधली तस्वीरे थी।



उसे पता था की वो बाथटब मे भी और नहा रही थी पर अचानक उसे ठंड लगी और कुछ वक्त बाद उसका शरीर कमजोर पड गया। और फिर क्या हुआ सब धुंधला सा था। कुछ भी क्लीयर नही था।



प्रिया ने उठने की कोशिश की पर उसे पैर कांप रहे थे। फिर भी वो हिम्मत कर दो से तीन कदम आगे चली और  वो फिर आगे बढ पाती उससे पहले कमरे का दरवाजा खुला। और एक लेडी सवॅन्ट अंदर आई।



प्रिया को खडे देख वो जल्दी से उसके पास आ गई।

सवॅन्ट :- मैम ! अगर आपको कुछ चाहिए तो हमे बता दिजिए बस आप मत उठिए। डॉक्टर ने आपको रेस्ट करने को कहा है।

अभी आपकी तबियत ठीक नही तो अभी आप बस आराम किजिए।

प्रिया :- नही ! मै बिल्कुल ठीक हू। और ओलरेडी काफी लेट हो गई हू। मुझे अपने काम पर जाना है।

सवॅन्ट  :- मैम ! मिस्टर राठौर के स्ट्रिक्ट ओडॅर है की आपको बेड से न उठने दिया जाये।

आपको रेस्ट की जरूरत है। और आप जब तक ठीक न हो जाये आप कही नही जा सकती।

प्रिया :- अरे ! पर मै ठीक हू। मै ने कहा ना प्लिस मुझे जाने दो।



उसके इतना कहते ही नौकर अपने घुटनो पर बैठ गई।

सवॅन्ट :- प्लिस मैम ऐसा मत किजिए। मिस्टर माथुर और मिस्टर राठौर ने कहा है की अगर हमने आपका ख्याल नही रखा तो हमारी नौकरी चली जाएगी।

और फिर हम कही भी काम नही कर पायेगे।

प्लिस हमारी बात मान लीजिए।  और आराम कर लिजिए।

प्रिया को ये सुन खीज आने लगी। उसने उस नौकर के कंधे पकड कर उसे उठाया।

प्रिया :- आप प्लिस ऐसे मत कहीये। ठीक है ! मै कही नही जा रही हू। यही हू।

और वापस जाकर बेड पर बैठ गई।  ये इंसान उसकी पूरी जिंदगी कंट्रोल कर रहा था। उसका जैसे उसकी जिंदगी पर कोई हक ही नही था।

सवॅन्ट  :- मैम ! अगर आप चाहे तो माउथ वॉश कर लिजिए। मै यही उसका इंतजाम कर लेती हू।

फिर आपके लिए ब्रेकफास्ट भी देना है।



प्रिया जानती थी की वो किसी भी चीज के लिए मना करेगी तो उसकी सजा इन नौकरो को मिलेगी। वो अपनी वजह से किसी को भी तकलीफ नही पहुचने दे सकती थी।



इसलिए उसने सर को हा मे हिला दिया। माउथ वॉश करने के बाद उसने ब्रेकफास्ट किया। खाते वक्त उसने देखा की वही नौकर वहा खडी है। उसे वैसे भी कल रात का याद नही था। तो उसने उसे पूछना बहतर समजा







प्रिया :- सुनिए ! क्या आप मुझे बता सकती थी की कल रात मुझे क्या हुआ था ?

सवॅन्ट :- मैम ! ज्यादा तो हमे नही पता है पर हा, रात मे जब आपकी तबियत खराब हो गई। तब डॉक्टर्स को बुलाया गया था। और मिस्टर राठौर कमरे मे रह कर आपकी देख भाई कर रहे थे।

हमे बस इतना कहा गया था की आज की रात हमे सोना नही है। क्योकी कभी भी किसी भी चीज की जरूरत पड सकती है।

इसलिए सारे नौकर सारी रात जागे रहे। बाकी क्या हुआ हमे नही पता।





उसकी बात सुन प्रिया की हैरानी का कोई ठिकाना ही नही रहा उस सनकी इंसान ने मेरी देख भाल की वो खुद से ही ये मन मे सवाल कर रही थी।

जैसा की वो जानती थी की वो आदमी एक नंबर का घमंडी और अपनी मर्जी चलाने वाला सायको है। वो कैसे मेरा ख्याल रख सकता है।





फिर उसने सोचा की शायद अभय ने उसे ऐसा कहने को कहा हो। ताकी मे उसकी आसानी से बात मान लू। हम्म्म्म ! यही हुआ होगा।

प्रिया :- ओके !



नौकर के जाने के बाद कल हुए हर एक चीज के बारे मे सोचने लगी। जब वो उस डेट पर गई थी। वो पल याद आते ही दोबारा उसके चेहरे पर डर के एक्सप्रेशन आ गए।



कैसे उसे अभय ने आकर उसे वहा से निकाला। अब तक तो उसकी मां को भी ये खबर पहुंच ही गई होगी। और वो बेहद गुस्से मे भी होगी। अपनी मां की करतूत याद आते ही उसका दिल नफरत से भर गया।





पर फिर अपने डॅड का ख्याल आते ही उसके दिल मे नरमी आ गई।  कल उसने फैसला किया था कि वो अपने परिवार की तरफ मूड कर कभी नही देखेगी। पर उसका वो फैसला डगमगाने लगा था।




वो उसका परिवार था। भले ही उनके पास पैसो की कमी नही थी। पर अपने हिस्से की कमाई उन्हे देना उसकी जिम्मेदारी थी। जिसे वो मुह नही मोड सकती थी। जो भी हो वो उन्हे पैसे जरूर भेजेगी।





उसने एक लंबी सांस ली। और आंखे बंद कर सर को बेड के क्राउन से टीका दिया। वही उससे कुछ किलोमीटर दूर मेहरा फैमिली मे ललिता जी गुस्से आग बबूला होकर इधर उधर घुम रही थी। उनसे कुछ दूरी पर रुबी सर झुकाए खडी थी।



ललिता :- उस लडकी की इतनी हिम्मत की उसने हमारे साथ ये सब किया, कोई आया और उसे वहा से ले गया।

पूरी डेट खराब हो गई उस लडकी वजह से।



रुबी सर झुकाए खडी थी। उसे भी बुरा लग रहा था। कहा वो उस प्रिया को मोलिस्ट होते देखेगी पर अचानक ही कहा से वो इंसान आया और सब कुछ बबाॅद कर गया।

वो ललिता जी के सामने आई।

रुबी :- मैम ! मुझे सच मे नही पता था की ये सब कैसे हुआ मै तो वही दरवाजे के बहार ही खडी थी।

सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। अचानक पता नही कहा से बहुत सारे लोग आये और मुझे लेजाकर बाकी औरतो के साथ एक कमरे मे बंद कर दिया।

सारी रात हमसे पूछताछ की बडी मुश्किल से सुबह बहार को जाने के लिए कहा।

जब मै ने उनसे पूछा तब उन्होने बताया की मिस्टर चेतन को वहा से घसीट कर फैक दिया है।

और प्रिया मैम को वो से उठा कर ले गये। यहा तक की मिस्टर चेतन कहा गये किसी को पता नही चला

अभी बहार मै ने कुछ लोगो से सुना है की रातो रात उनकी कंपनी बीक गई और वो दिवालिया हो गए।

अब तक अच्छे खासे पैसे कमाने वाला इंसान अब मोस्ट वोन्टेड है। कोई नही जानता वो कहा है।


ललिता :- क्या ?

रुबी :- मै कह रही हू ना मैडम ! वो लडकी किसी न किसी चीज मे इन्वोल्व है। क्योकी उन आदमी को देख कर तो मिस्टर चेतन की भी हालत खराब हो गई थी।

शायद बहुत बडे लोग थे वो।

ललिता :- शायद तुम ठीक कह रही हो ! वो लडकी मेरे किसी भी काम की रही ही नही। उसको तो जिंदा ही नही छोडना चाहिए था।

उसे अब तक इस घर मे रखा, पाला, और उसने ये दिन दिखाये।

आने दो उसे ऐसा सबक सिखाऊगी ना की जिंदगी भर उसे याद रखेगी।



रुबी :- बिल्कुल सही मैम ! आपने तो उसके बारे मे अच्छा ही सोचा था। और उसने खुद के ही पैरो पर कुल्हाड़ी मार दी। हहहहह . . . . . . .

ललिता :- जाने दो उसे, अब वो कभी लौट कर ही ना आये। और आई भी ना तो बिना सबक सीखे यहा से नही जायेगी। हहहहहह. . . . . . . . .

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