Junoon Se Bhara Ishq - 27 books and stories free download online pdf in Hindi

Junoon Se Bhara Ishq - 27

Cooking for Abhay

प्रिया अभय के लिए खाना बनाने किचन मे चली गई। जहा पहले से ही नौकर मौजूद थे। प्रिया ने एक नजर उनकी तरफ देखा और स्टैंड की तरफ बढ गई। उन मे से एक नौकर ने कहा।

सवेॅट :- मैम मिस्टर राठौर ने कहा है की अब आप ठीक हो गई है तो अब आप ही उनके लिए खाना बनायेगी।

जैसा भी उन्होने पहले भी था अगर खाने के टेस्ट मे गडबड हुई तो फिर आगे भुगतने के लिए तैयार रहे।



उसकी बात सुन प्रिया के कस गये। हर बार ये एक लाइन अगर ऐसा नही किया तो वो भुगतेगी अब ये सुन सुन कर थक गई थी। पर उसकी बात मानने उसका काम था। इसलिए वो बिना कुछ बोले बस स्टैंड के पास जाकर खडी हो गई।





बाकी नौकरो ने सारा सामान तैयार कर दिया था। प्रिया को वैसे तो किसी की दखल अंदाजी पसंद नही थी जब वो खाना बना रही हो। पर यहा उसे बोलने का हक नही था।



सामान तैयार होते ही वो खाना बनाने लगी। खाना सारा अभय के डाइट चाजॅ के हिसाब से बन ना था। कुछ ही वक्त मे सूप बन गया। सूप बनने के बाद अब सिर्फ सलाडॅ बनना रह गया था।

इसलिए वो चाकू लेकर सब्जीया काटने लगी। वो खाना बनाने मे इतनी मग्न थी। की कौन उसके आस पास खडा है उसे अह्सास ही नही हुआ। उसके चाकू हाथ मे लेते ही उसे किसी की आवाज आई।

अभय :- क्या मै ने तुम्हे चाकू यूज करने की परमिशन दी है।

आवाज सुनते ही प्रिया की धडकने एक बार फिर बढ गई। वो इस आवाज को पहचानती थी। वो तुरंत डर कर पलट गई। पीछे अभय दरवाजे के पास खडा होकर देख रहा था।

अभय :- क्या मै ने कभी तुमसे कहा की तुम चाकू यूज कर सकती हो।

प्रिया ने कंफ्यूजन मे ना मे सर हिला दिया।

अभय :- तो फिर इसे हाथ कैसे लगाया ? अभी के अभी उसे नीचे रखो।

प्रिया को कुछ समज नही आया की अचानक अभय को क्या हो गया था। उसने तो कोई गलती तक नही की थी। पर फिर उसे उसके कहे अनुसार चाकू को नीचे रख दिया।

प्रिया के ऐसा करते ही अभय ने चेन की सांस ली। उसे डर था की कही प्रिया खुद को चोट न पहुंचा दे। वो जानता था की वो गुस्से मे ऐसा कर भी सकती थी। चाकू रखने के बाद प्रिया शांति से खडी हो गई।

अभय :- बनाओ ! अब खडी क्यो हो ? अपना काम करो।


प्रिया मुड कर खडी हो गई। और अपना काम करने लगी। और अभय प्रिया को देखने लगा। वो तो अंदर आते ही सीधे अपने कमरे मे प्रिया से मिलने ही जा रहा था।

पर सीडीयो के पास आती खाने की खुश्बु ने उसे किचन की तरफ खींच लिया। ये पहेली बार था जब प्रिया के अलावा किसी चीज तरफ वो खींचा चला आया हो।

कुछ देर मे जब खाना बनके तैयार हो गया। तो नौकरोने ने लेजा कर खाना डायनिंग टेबल पर रख दिया। जहा अभय पहले से ही बैठा था। प्रिया आकर साइड मे खडी हो गई।

कुछ देर बाद प्रिया वहा से जाने के लिए मूड गई। उसे भी जोरो की भूख लग रही थी। पर अभय के साथ खाने का उसे कोई शोख नही था।

इसलिए उसने वापस से किचन मे जाने का फैसला किया।

अभय :- कहा जा रही हो ?

प्रिया :- किचन मे डिनर करने। मै यहा रहुगी तो आपको परेशानी होगी।

अभय :- क्या ! मै ने कहा की तुम जा सकती हो या तुम्हारे यहा रहेशे मुझे कोई परेशानी हो या ऐसा कुछ।

प्रिया ने सर को ना मे हिलाया।

अभय :- तो फिर चुप चाप यहा बैठो जब तक मै ना कहू जाने के लिए तब तक तुम्हे मेरे सामने ही रहना है। और साथ ही मुझे खाना भी सवॅ करना है।

जब तक वो खाना खा रहा था। वो नही चाहता था की प्रिया कही जाये। क्यूकी जब भी वो उसका चेहरा देखता उसे खाने के स्वाद का अह्सास होता। तो वो टेस्टी ही होगा।



या यू कहा जाये की वो सामने रहेगी तो ही खाना टेस्टी लगेगा। पर प्रिया इस बात को कहा जानती थी। उसे तो अभय पर गुस्सा आ रहा था।



अपने गुस्से को साइड रख पाने चेहरे को नोमॅल किया।

प्रिया :- कहीये मिस्टर राठौर ! क्या कर सकती हू मै आपके लिए।

अभय ने तुरंत नौकरो को अनार लाने को कहा। उसे याद था की डॉक्टर्स ने प्रिया को अनार खाने की सलाह दी थी। ताकी उसमे ताकत आ सके। इसलिए उनसे उसने अनार लाने को कहा। और फिर अभय ने उस रात मे उसके लिए किया उसका बदला भी तो लेना था।





कुछ ही देर मे नौकर ने दजॅन भर अनार लाकर रख दिये।

अभय :- इन्हे छीलो।

प्रिया :- हं , क्या ?

अभय :- मै ने कहा अनार को छीलो।

प्रिया सामने रखे अनार को देखने लगी। उसे समज नही आ रहा था की ये इंसान उसे करवाना क्या चाहता था। या फिर ये सब बस उसे टोचॅर करने के लिए था। पर अभय की बात को न मानना उसके लिए भारी पड सकता था।

इसलिए उसने एक प्लेट ली और और अनार को छीलना शुरु कर दिया। अभय उसे चोर नजरो से देख रहा था। खीज प्रिया के चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी। पर वो मुह बनाते हुए अपना काम कर रही थी।

अभय प्रिया के चेहरे को देख हल्का सा मुस्कुरा दिया। पर प्रिया का ध्यान उस पर नही था। इस वजह से उसने उसे मुस्कुराते हुए नही देखा। वैसे तो प्रिया बहुत ही सहनशील लडकी थी। पर जैसे इस आदमी से मिली थी तब से उसकी सहनशीलता कही गायब ही हो गई थी।

ये इंसान उसे हर बात पर गुस्सा दिला देता था। कुछ ही देर मे अभय ने अपना खाना खतम कर दिया। ये देख प्रिया ने जीतने भी अनार के सीड्स थे। उन सबको उसके सामने रख दिया।



प्रिया :- अभी मै ने कुछ सीड्स छील दिये है। आप इन्हे ले लिजिए।



अभय ने उसे देखा और फिर प्लेट मे देखा।

अभय :- मुझे ये तो था की तुम्हारा दिमाग स्लो है पर हाथ भी इतने स्लो है ये नही पता था। इतने वक्त मे इतने ही सीड्स निकाले।

अभय की बात सुन प्रिया को और तेज गुस्सा आ गया।

प्रिया :- मै काफी फास्ट थी और इतने वक्त मे इतने ही सीड्स निकल सकते है। वैसे भी मै ने बिना रुके निकाला है।

अभय :- सीरियसली ! इसे तुम फास्ट कहत हो।

प्रिया :- अच्छा तो आपके हिसाब से फास्ट क्या होता है ?

अभय :- तुम भूल रही हो की मै तुम्हारा मालिक हू। और मुझसे जुडी हर चीज तुमसे जुडी है। तो जो स्टेंडर्ड मेरा होगा वही तुम्हारा भी होना चाहिए।





प्रिया घूर कर अभय को देख रही थी। कैसे इंसान है ये। वैसे ही उसकी जिंदगी मे इतना बडा तूफान ले आया। और अब उसे तरह तूफान की स्पीड से दौडाना चाहता है।

अभय :- मुझे मन ही मन कोसना बंद करो अब।

प्रिया :- न . . . . . न . . . . . . नही नही वो . . . . . . .

अभय उसे हडबडाया देख मुस्कुराया। और एक प्लेट को अपने सामने कर अनार को छीलना लगा। प्रिया हैरान सी उसे देखने लगी। आखिर ये इंसान करना क्या चाहता है।





उसने अभय की ऊंगलीयो को देखा जो लंबी और पतली थी। और किसी मशीन की तरह तेज तेज चल रही थी। प्रिया ने भी अनार छीलना शुरु कर दिया। उन दोनो मे जैसे कॉम्पिटिशन छोड गया हो।


प्रिया वक्त वक्त पर उसकी ऊंगलीयो को देख रही थी। जो जल्दी जल्दी अपना काम कर रही थी। अभय ने टेलीकॉम नजर से उसे देखा तो पाया प्रिया उसकी ऊंगलीयो को देख रही है। तो उसे अपने आप पर गवॅ महसूस हुआ।



वो खुद नही जानता था की ये उसके साथ क्या हो रहा है। पर इन बेतुकी सी चीज मे भी उसे प्रिया का हाथ उसे अच्छा लग रहा था। और उन सबको वो एन्जॉय भी कर रहा था।



वही प्रिया भी अपनी पूरी कोशिश कर रही थी की जल्दी करने की। उसे समज नही आ रहा था की अभय ऐसा क्यो कर रहा है। वो उसे क्या प्रूफ करना चाहता था। मिस्टर माथुर को कुछ काम था इसलिए वो डॉक्यूमेंट लेकर उससे मिलने आ गये।





पर जैसे ही उन्होने कदम रखा तो अंदर का नजारा देख उनके होश उड गए।

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