Junoon Se Bhara Ishq - 38 books and stories free download online pdf in Hindi

Junoon Se Bhara Ishq - 38

Pyaar ka Tohfa



अचानक डिलिवरी बॉय आकर प्रिया के केबिन मे आया और खाना निकाल कर रखने लगा। प्रिया को समज नही आ रहा था की जब उसने कुछ मंगवाया ही नही था तो क्यू यहा आया है ?



इसलिए उसने उसे यहा आने की वजह पूछी।

डिलिवरी बॉय :- आप बेफिक्र रहिये ये खाना आपके लिए ही है। तो बस एन्जॉय किजिए और मिस्टर राठौर ने स्पेशली कहा है की आपको ये सब खतम करना है वरना आप आगे की सिचुयेशन के लिए खुद जवाबदार होगी।


उसकी बात सुन प्रिया समज गई की ये खाना अभय भिजवाया है। वो चाहकर भी इसके लिए मना नही कर सकती थी।


प्रिया ने हल्के से मुस्कुराकर थैंक यू कहा।

डिलिवरी बॉय :- most welcome mam, i hope will enjoy food and also no wested food.

इतना कह कर वो चला गया। प्रिया अपने लिए सिर्फ एक सैंडविच लाई थी पर अब उसके सामने डिशेज थे। उसने एक एक कर सबको खोलना स्टाटॅ किया।



हर एक बॉक्स मे डिफेरेंट डिफेरेंट टाइप के डिशेज थी। ग्रीन वेजिटेबल एन्ड फ्रेश फूड से बनी। साथ ही डिजटॅ भी। खाने मे से उसकी खूश्बु आकर प्रिया का दिल खुश हो गया।


ये सुनने के बाद भी कई खाना अभय ने भिजवाया था। उसका दिल को एक अजीब सी खुशी हुई थी। की जो वो भी नही समझ पाई।

ऐसा क्यो हुआ ! उसके चेहरे पर अपने आप एक मुस्कान आ गई। पागल हू मै भी, क्यो सोच रही हू। जिस लडकी के लिए कभी उसकी मां ने नही सोचा, आज उसकी लडकी के लिए कोई चिंता कर रहा था।


की उसने खाना खाया भी है या नही ! और इस लिए ही या सब भेज दिया और ये सोच कर ही कुछ पल का ही सही पर सूकून मिल गयाथा।


वही, समंदर के पार अभय एक ओक्शन के लिए आया हुआ था। उसके लिए एक अलग प्राइवेट रुम अरेॅज किया गया था। जहा से बिना किसी के सामने आराम से फंक्शन देख सके।

उसे इन सब मे बिल्कुल भी दिलचस्पी नही थी। वो बस यहा फोमाॅलिटी के लिए आया हुआ था। क्योकी उसे as a special guest के लिए बुलाया गया था।



बैठे बैठे अभय की नजर घडी पर गई। जो दिन के 11 बजने का इशारा कर रही थी। मतलब, इंडिया मै इस वक्त रात होगी। और करीब 10 बजे होगे। ये सोच उसने तुरंत अपना फोन निकाला और किसी को फोन लगाया।

प्रिया गहरी नींद मे सोई हुई थी। आज उसका दिन ठीक ठाक गया हुआ था। इसलिए मेन्टली ज्यादा स्ट्रेस नही था। और दूसरा अभय वहा नही था। तो उसे रात मे टोचॅर होने की भी टेंशन नही थी।



जैसे उसके कानो मे फोन की रींग सुनाई दी। उसकी निंद टूट गई । इस वक्त उसे इतना गुस्सा आ रहा था की वो फोन को लेजाकर कही फैक दे।


पर वो ऐसा नही कर सकती थी। क्योकी वो आज शाम ही घर आई थी तब उसे पता चला था की अभय ने उसके लिए फोन भिजवया है।


और ये रींग भी उसी फोन की थी। इसलिए उसे रिसीव करना उसके लिए मजबूरी थी। हो जा पीयू तैयार रात भर इस सनकी के लिये। उसने मन मार कर फोन रिसीव किया।

अभय :- सो रही थी ?

प्रिया ( सब तुम्हारी तरह उल्लू नही होते, ( मन मे ) ) :- जी।

उसकी निंद खराब हो चुकी थी। इसलिए वो चिडी हुई थी। पर वो अपना गुस्सा अभय पर निकाल भी नही सकती थी।

अभय :- हम्म्म्म। फिर आज तुम्हे परमिशन है आंखे बंद करने की तो अपनी आंखे बंद करो। और मुझसे बात करो।

प्रिया उसका जवाब सुन हैरान हो गई। ये वही इंसान है जिसने उसे डिस्ट्रॅब करने के लिए फोन किया है। और वो यही कह रहा है की वो अपनी आंखे बंद कर सकती है।



हालांकि प्रिया अभी भी थोडी निंद मे थी तो उसने उसकी बात का सिफॅ एक जवाब दिया।

प्रिया :- हम्म्म्म।

दिल ही दिल मे न जाने उसे वो कितनी गालिया दे चूकी थी। पर वो ये नही जानती थी की उसका आवाज का असर अभय पर क्या पड रहा था।


उसकी आवाज सीधा अभय के दिल को छू रही थी। अभय का मूड अचानक उसकी आवाज सुन अच्छा हो गया। वो अभी थोडी देर पहले ओक्शन की वजह से बोर हो रहा था।



अभय :- आज, तुम्हारे लिए लंच भिजवाया था क्या तुम्हे मिला।

प्रिया ने अपनी आंखे बंद कर, रखी थी फिर उसने तुरंत बोली

प्रिया :- जी।

उसके लिए आज तो अभय ने उसके लिए हैरानी की थी। कल की तरह न बूक पढ़कर नजाने वो कैसे पढती उसकी आंखे भारी भारी होने लगी।

अभय :- गुड ! मै चाहता हू की तुम थोडा वेट गेम करो। जब यहा था तब 45 था वजन। अब जब वापस आऊ तो 48 के करीब होना चाहिए।


सनकी, हर बात मे सिर्फ धमकी देने आती है।

प्रिया :- जी !

अभय :- कल क्या खाना है तुम्हे ?

उसके लिए उसका बदला लहजा उसे पसंद नही आ रहा था। पर क्योखी ये अभय था तो वो जानती थी की करना भी वही है जो उसका मन करेगा।



इस वक्त वो आधी नींदे ज्यादा दीमाग भी नही चला ना चाहती थी। इसलिए उसने कह दिया।

प्रिया :- chienes ! ! !

खाने का नाम बताकर प्रिया निंद जा चुकी थी। अब उसे कोई होश नही था की वो अभय से कुछ कही थी।



जो भी अभय उससे पूछताछ तो उसके मुह से सिर्फ जी ही निकलता था। अभय को लग रहा था की जाग रही है। पर असर मे वोशाधी से ज्यादा निंद मे पहुंच गई थी।


पर वो ये नही जानती थी की उसके एक जी ने अभय के मूड को कितना ज्यादा बदल दिया था। जिस ओक्शन मे वो जरा सा भी inrested नही था।


अचानक ही उसे उसमे रुची आ गई। ओक्शन के होस्ट ने बताया की ये रुबी की ज्वैलरी बहुत ही प्रिसिंपल और खूबसूरत है तो आप अगर अपनी वाइफ या लव के लिए लेना चाहते है। तो आप उसके लिए बोली लगा सकते है।

वो उसके लिए बेहद खुश हो जायेगी । ये सुन कर अभय को प्रिया ध्यान आया और उसने उससे पूछ लिया।

अभय :- तुम्हे रुबी पसंद है ?

प्रिया :- निंद मे ही हम्म्म्म कहा।


प्रिया के मुह से हम्म्म्म सुन उसका दिल खुश हो गया। तो बोला।

अभय :- ओके।

पर प्रिया उस बात से बिल्कुल अंजान थी की उसके मुह से हम्म्म्म सुन अभय कितने बडे डिसिजन ले रहा था।

अभय दोबारा होस्ट की बात सुन कर बोला :- तुम्हे नेकलेस पसंद है ?

प्रिया :- हम्म्म्म।

कुछ ही घंटे मे जितने भी प्रेसियस चीजे की बोली लगी थी वो सारे अभय ने ले लिये थे। जिसकी संख्या तकरीबन 50 लगभग थी।


हर तरफ यही डिसकसन चल रहा था की आखिर कौन था वो इंसान जो इतना सब खरीद ले गया था। वही अभय ओक्शन के प्राइवेट रुम मे बैठा ओक्शन हॉलशके बॉडीगार्ड को देख रहा था।

जो सारा सामान उसके पास ले आया था। उसे ऐसा लग रहा था की वो कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड हो रहा था। और सच भी था प्रिया के हा बोलते ही उसने एक्साइटमेंट सब कुछ जो खरीद लिया था।

वही, प्रिया मैडम बेफिक्र सो रही थी। फोन अब भी उसके कांके पास रखा हुआ था। पर वो अब गहरी नींद मे जा चुकी थी।

अगली सुबह वो टाइम पर उठ गई। जब वो भाथ ले रही थी तो उसने अपने आपको देखा। रात जागने की वजह से उसकी आंखो के नीचे डाकॅ सकॅल आ गये थे।




अचानक रात का उसे जिक्र आते ही उसे अभय से बात करना याद आया। पर कुछ भी क्लीयर मेमरी नही थी। उसे बस इतना पता था की उसने उससे खाने के बारे मे पूछा था।

फिर क्या हुआ उसे कुछ भी ध्यान नही था। उसने ये सोच अपना सर झटका कि वो तो सो गई थी फिर अभय ने भी फोन रख दिया होगा। वो बहार आई और ड्रेस पहन कर ड्रेसिंग टेबल के पास आई और अपने बाल बनाने लगी।

तभी उसे ध्यान आया की ड्रेसिंग टेबल रोज से कुछ अलग था। बल्की कुछ नही पूरा ही डिफेरेंट था।


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