Saat fere Hum tere - 20 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 20

नैना ने कुछ देर बाद ही माया को वो चिट्ठी पढ़ने को दिया। माया ने वो‌ चिठ्ठी पढ़ कर कहा अरे कितना सच्चा है विक्की तू उसे गलत मत समझो। नैना ने कहा पर उसकी हिम्मत देखो। माया ने कहा क्या हिम्मत दिखाया बिचारे ने।।तू पुरी जीवन निलेश की यादें में बिता देंगी। ऐसा निलेश भी नहीं चाहता होगा।


नैना ने कहा कि मैं निलेश से कैसे बेवफाई कर लूं। माया ने कहा पर तेरी तो शादी भी नहीं हुईं थीं निलेश से फिर तुझे इतना चिंता क्यों एक बार सोच तो अतीत था वो निलेश था पर जो वर्तमान है वो विक्की है तो कैसा ये प्यार है?

नैना ने कहा दीदी मैं तो निलेश से प्यार करती हूं और फिर निलेश की आंख है ना मेरे जीने का सहारा। माया ने कहा हां पर ये नाइंसाफी है
तो।।
नैना रोने लगी और बोली कि दीदी मैं विक्की को जानती ही कितना हुं।

माया का फोन बजने लगा माया ने फोन उठाया उधर से आवाज आई दी मैं विक्की।। माया ने कहा हां बोलो। विक्की ने कहा कि क्यों न आप लोग मेरे घर में आइए। मैं गाड़ी भिजवा दुंगा। माया ने खुश होकर कहा कि जरूर। कितना अपनापन लगा कि परदेश में भी हमारा कोई है।

विक्रम ने कहा हां दीदी तो कल मिलते हैं।
फोन रखते ही माया ने सारी बात नैना को बताया।
नैना ने कहा पर दी हमें नहीं जाना चाहिए एक अनजान लोगों के घर।
माया ने कहा हां पर मुझे पता नहीं क्यों विक्की अनजान नहीं लगता है इस परदेश में वही एक जाना पहचाना सा लगता है। अच्छा चल सो जाते हैं।

दूसरे दिन सुबह अतुल का फोन आया और बोला कि दीदी अब सब काम हो गया है वापसी कब है? माया ने कहा इस महीने की सत्ताईस तारिख को।।

अतुल ने कहा अच्छा ठीक है दीदी आप लोग अपना ख्याल रखना।

नैना तैयार होने गई। माया भी तैयार हो गई और दोनों नीचे नाश्ता करने रेस्तरां पहुंच गए। कुछ देर बाद ही विक्की का फोन आया और बोला कि गाड़ी किसी भी समय पहुंच सकती है।
माया ने कहा चल जल्दी जल्दी नाश्ता करके निकल जाते हैं।

कुछ देर बाद फिर विक्की का फोन आता है कि गाड़ी आ गई है। माया बहुत ही खुश हो जाती है। नैना को खुद से डर लगने लगता है कि कोई अनहोनी न हो जाए।
फिर दोनों बाहर पहुंच कर विक्रम सिंह शेखावत के द्वारा भेजे हुए गाड़ी में बैठ जाती है।


माया ड्राईवर से पुछती है कि कितनी दूरी पर है घर।

ड्राईवर कहता है कि दो घंटे में पहुंच जाएंगे। माया ये सुनकर चौंक जाती है। नैना समझाती है कि दी यहां सब बहुत दूर दूर होता है।
फिर किसी तरह दो घंटे निकल जाते हैं।

फिर गाड़ी पहुंच जाती है विक्रम सिंह शेखावत के बंगले में। माया देखती रह जाती है कि कितनी शानदार बंगला।सब जगह सैनिक तैनात और फिर चेकिंग करवाने के बाद दोनों अन्दर जाते हैं।

कुछ देर बाद ही विक्रम सिंह शेखावत आते हैं और फिर कहते हैं आईए आप लोग बैठे। कोई तकलीफ़ नहीं हुई आने में?

माया ने कहा नहीं, नहीं बिल्कुल नहीं। विक्रम सिंह एक स्माइल पास करता है पर नैना तो देखती ही नहीं।
विक्रम सिंह शेखावत ने कहा दीदी इनसे मिलिए मेरे दादाजी और दादीजी बस ये ही सबकुछ है मेरे लिए।

माया और नैना उठकर पैर छुते है। माया ने कहा अच्छा और तुम्हारे मम्मी पापा?

विक्रम सिंह शेखावत ने कहा नहीं है एक दुर्घटना में मौत हो गई। माया ने सुनकर कहा ओह सॉरी।।

विक्रम सिंह शेखावत ने कहा नहीं दीदी ठीक है। दादा जी ने कहा मैंने सुना निलेश के बारे में क्या हम उसकी तस्वीर देख सकते हैं? माया ने कहा हां क्यों नहीं।ये देखिए। माया बैंग से तस्वीरें निकल कर देती है।

विक्रम के दादा दादी तस्वीरें देख कर चौंक जाते हैं और कहते हैं कि हु-ब-हु भगवान का करिश्मा है ये।

दादी मां ने नैना को देखते कहा कि बेटी कुछ बोलोगी नहीं? नैना ने कहा क्या बोलूं मैं तो सुन रही हुं। दादी मां ने पूछा क्या तुम्हारी शादी निलेश से हो चुकी थी? माया ने कहा नहीं, नहीं।।

नैना ने खुद को निलेश की पत्नी होने का अधिकार दे दिया था और तभी से मेरे घर में रहती हैं।
विक्रम सिंह शेखावत ने कहा आइए मै अपना बंगला आप लोग को दिखाता हूं।

फिर तीनों उठ गए। विक्रम सिंह शेखावत ने पहले नीचे के सारे कमरों का दिखाया।

नैना ने कहा कितना शुकुन है यहां।। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा सच मैं तो यही रह जाओ।। नैना ने कुछ नहीं कहा।

माया मन ही मन मुस्कराने लगी और फिर धीरे से नैना को कहने लगी की जिसको जाना था वो तो चला गया पर जो है उसकी कद्र करना चाहिए।

नैना ने कहा दीदी आप क्या बोल रही है।

विक्रम सिंह शेखावत ने कहा एक मिनट मैं एक फोन लेकर आता हूं। माया ने कहा हां ठीक है हम यहां बैठते हैं क्यों कि दोनों ही थक चुके थे।

माया ने कहा देख तेरे भाग्य खुल सकतें हैं अगर तू चाहे।।
नैना ने कहा दीदी आप चिंता मत करिए बिलकुल ठीक हुं मैं।
माया ने कहा क्या इस जीवन से खुश हैं तू। नैना ने कहा हां दीदी मैं निलेश के प्यार के सहारे जी लुंगी।

विक्रम सिंह शेखावत ने कहा कैसा प्यार? तुमने तो कभी निलेश को देखा ही नहीं।

नैना ने कहा हां पर मन की आंखों से देखा उससे प्यार किया और फिर। विक्रम सिंह शेखावत ने हंसते हुए कहा प्यार किया ये कैसा प्यार है जिसको इतना प्यार करती थी और जब वो चला गया फिर भी तुम यहां हो इस दुनिया में हो तो? क्यों? किसके लिए? अपने लिए? निलेश के लिए? मेरे ख्याल से अगर तुमने निलेश से सच्चा प्यार किया होता तो या फिर तुम उसे वापस ले आती या फिर जहां निलेश गया है वहां खुद चली जाती। नैना की आंखें नम हो गई। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां आज तुम्हें मेरी बातें कड़वी लग रही है पर इसमें सच्चाई है। तुम किसे धोखा दे रही हो?हो सकता है कि निलेश तुमसे सच्चा प्यार करता था पर तुम नहीं कर पाईं।


नैना ने कहा बस करो मुझे और कुछ नहीं सुनना है मुझे यहां से जाना है दीं। माया ने कहा सम्हालो खुद को।
विक्रम सिंह शेखावत ने एक पानी का गिलास देते हुए कहा ये लो नैना पानी पी लो।

नैना ने कहा नहीं चाहिए मुझे पानी। शायद मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी यहां आकर।
विक्रम सिंह शेखावत ने कहा देखो नैना मुझे तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है जो ये सब तुम्हें बोल रहा हूं इसलिए बोला कि तुम आगे नहीं बढ़ पाई हो।अगर आज निलेश की जगह तुम्हारे साथ कोई हादसा हुआ होता तो निलेश भी तुम्हारी तरह करता या फिर आगे बढ़ जाया। मुझे तो ऐसा लगता है कि तुम्हें डर है कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए और फिर एक बात और भी है निलेश की आंखें जो तुम्हारे पास है और तुम ये सोचती हो कि निलेश से धोखा नहीं कर सकती। क्योंकि उसने मुझे अपनी आंख देकर जीना सिखाया है पर मुझे ऐसा लगा रहा है कि निलेश ये सब देख कर बहुत ही दुखी हैं।


विक्रम सिंह शेखावत ने कहा अरे बाबा चलो अब खाना खाने चले। फिर तीनों खानें की टेबल पर पहुंच गए। माया और नैना देख कर हैरान हो गए कि चारों तरफ इतने तरह के व्यंजन सजे हैं। विक्की ने कहा चलिए बैठ जाईए। नैना एकदम से रोने लगी।
फिर सभी को खाना सर्व होने लगा वहां के वेटर सभी को खाना परोस दिया। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा शुरू करिए। फिर सभी खाना खाने लगे। नैना को बिल्कुल भी खाने की इच्छा नहीं थी पर वो थोड़ा बहुत खाना खाने लगी।


खाना खाने के बाद विक्रम सिंह शेखावत ने कहा आइए आप लोगों को आपका रूम दिखाते हैं थोड़ा सा आराम कर लिजिए। फिर हम आपको बंगला घुमाएंगे। माया हंसने लगी पर दोनों को नींद आ रही थी तो दोनों ही सो गए।


देर से आंख खुली तो देखा शाम हो गया था ओह। नैना ने कहा अरे बाबा अब क्या होगा? फिर फेश् होने चली गई। उसके बाद माया भी फ्रेश होकर आई तो दोनों रूम से बाहर निकल आए। विक्रम सिंह शेखावत किसी से बात कर रहे थे।
देखते ही कहा अरे आइए आप लोगो का इंतजार हो रहा था चाय पर। माया ने कहा साॅरी देर हो गई। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा कोई बात नहीं परदेस में पहली बार अच्छे से सोएं आप लोग हैं ना? माया और नैना एक दूसरे को देखने लगें। नैना ने मन में सोचा कि इसे कैसे पता कि हमें होटल में नींद नहीं आती। माया ने कहा विक्की सही कहा तुमने हमें बहुत अच्छी नींद आई।

दरअसल ये परदेस में ना हमें होटल में अकेले सोने में डर लगता था। विक्की ने कहा हां मैं समझ सकता हूं।ये लिजिए अदरक वाली चाय और साथ में समोसे।। माया ने हंसते हुए एक कप उठा लिया और एक समोसे।

नैना एक दम चुप सी रही और फिर विक्रम सिंह शेखावत ने कहा नैना मेरी तरह ये चाय भी इन्तजार में है अब पी लो। नैना ने जल्दी से चाय का कप उठा लिया। माया ने कहा अब हम चलते हैं। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा अरे नहीं कल मै खुद ही छोड़ कर आऊंगा।


माया ने कहा अच्छा ठीक है। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा आज मैं आप लोगों को मेरे क्ल्ब लेकर जाऊंगा।आई होप की आप लोग को अच्छा लगेगा।
माया ने कहा हां ठीक है। फिर चाय पीने के बाद दोनों तैयार होने चले गए। नैना ने कहा देखा दीदी मैंने कहा था कि कुछ ज्यादा कपड़े रख लेते हैं। माया ने कहा हां साड़ी पहन लें। नैना ने कहा हां ठीक है फिर दोनों तैयार हो कर नीचे पहुंच जाते हैं।


विक्रम सिंह शेखावत ने नैना को देखते ही कहा माशाअल्लाह।। नैना ने कुछ भी नहीं कहा। फिर तीनों निकल गए। विक्रम सिंह शेखावत ने अपनी गाड़ी की आगे का सीट नैना के लिए खोला पर नैना पीछे जाकर बैठ गई। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा ओह आज तक किसी भी लड़की की हिम्मत नहीं हुई पर मुझे अच्छा लगा ये तुम्हारा अंदाज।।


नैना कुछ भी नहीं बोली।पर माया ने जल्दी से आगे की सीट पर बैठ गई। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा दीदी थैंक यू। माया ने कहा चलो कुछ देर और तुम्हारे संग बैठने का मौका मिला।


फिर विक्रम सिंह शेखावत ने गाड़ी चलाने लगा। माया ने कहा परसों जा रहें हैं। विक्रम सिंह शेखावत ने


कहा ओह माई गॉड इतनी जल्दी।

कमश: