Saat fere Hum tere - 22 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 22

माया ने कहा पता नहीं क्यों रह,रह कर विक्रम का ख्याल आ रहा है। नैना ने कहा हां दीदी तुम जो उसको भाई बना लिया है क्यों? निलेश को कितना तकलीफ हो रहा होगा।

माया हंसते हुए बोली अरे नहीं निलेश बहुत खुश हो रहा होगा क्योंकि उसकी दी आज बहुत दिनों बाद हंस रही है।


नैना ने कहा हां ठीक है देखते हैं कि कितना प्यार करता है।


माया ने कहा पता नहीं क्यों निलेश भी ये चाहता है कि तुम भी विक्रम को अपना लो। तुम्हारी शादी तो हुई भी नहीं फिर क्यों किसी की विधवा बन कर जीना चाहती हो।।


नैना ने कहा ये पाप है और मैं विक्रम को जानती भी नहीं। माया ने कहा वैसे तुम तो निलेश को भी नहीं जानती थी। नैना ने कहा हां पर निलेश ने एक अंधी को प्यार करना सिखाया था और जीवन जीना भी सिखाया था।

माया ने कहा हां हो सकता है पर विक्रम सिंह शेखावत प्यार निभाना सिखाएगा। नैना ने कहा कैसे भरोसा करूं। माया ने कहा क्या कोई रास्ता है और।। नैना ने कहा डर लगता है निलेश तो छोड़ कर चला गया मुझे।।मैं शायद मनहूस हुं इसलिए सब लोग मुझे छोड़ कर चले जाते हैं।
अब कुछ भी नहीं अच्छा लगता है।।
निलेश का प्यार सच्चा था पर मेरी मनहुसीहत की वजह से सब कुछ चला गया।


माया ने कहा ऐसा मत सोचो मुझे समझाती हो और खुद क्या कर रही हो।

अच्छा चलो अब खाना खा कर सो जाते हैं। नैना ने कहा हां फिर पैकिंग भी करनी है। फिर दोनों खाना खाने के बाद होटल के रूम में जाकर सो गए।


सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गए। नैना ने कहा सारी चीज़ें रख दिया ना दी। माया ने कहा हां सब कुछ।चल अब नाश्ता करने के बाद एक दो घंटे बाद निकल जाना होगा। नैना ने कहा आठ बजे की फ्लाइट है। माया ने कहा हां मुझे यकीन है कि विक्की जरूर आएगा। नैना ने कहा हां हो सकता है।
मुझे पता है कि तू उसे कभी नहीं बुलाएगी। नैना ने कहा हां और क्या।कल रात को मैसेज दिया था। माया ने पूछा क्या बात है? नैना ने कहा कुछ नहीं बस एक गाना लिखा था झुकी झुकी सी नज़र बेकरार हैं कि नहीं,दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं।।
माया ने कहा अरे वाह क्या बात है। नैना ने कहा मैं तो कोई ज़बाब नहीं दिया।

फिर दोनों इधर उधर घुमने लगें पुरे होटल में। नैना ने कहा निलेश की वजह से आज ये सब सम्भव हो सका है। निलेश को शान्ति मिल जाए।
माया ने कहा पता नहीं पर निलेश भी तुमको तुम्हारे लिए खुश देखना चाहता है ये बात सही है।
नैना ने कहा मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि विक्की से मेरा सामना होगा और वो भी पूरी हु-ब-हु निलेश की तरह।।


माया ने कहा हां भगवान ने तुझे उसके सामने लाकर खड़ा कर दिया। नैना ने कहा मैं तो कभी कमजोर नहीं पड़ने दुंगी खुद को पर डर सा लग रहा है कि मैं निलेश के साथ वेबफाई न करूं। माया ने कहा अरे निलेश ने तो तुझे कुछ करने का मौका नहीं दिया तू निलेश की विधवा तो नहीं है।पर तुम उस समय अपना घर छोड़ कर मेरे पास आई थी पर जिंदगी में कब क्या होगा ये कोई नहीं जानता है तो तुम भी ये सोचना छोड़ दो कि निलेश सब देख रहा है तू कुछ भी ग़लत नहीं कर रही है। आज जिंदगी में आगे बढ़ पीछे मुड़कर देखने से कुछ नहीं मिलेगा। विक्की के आंखों में तेरे लिए प्यार देखा है। नैना ने कहा कैसे भरोसा करूं उस पर।। कितना जानता है वो और मैं भी कितना जानती हुं उसे।।
ये प्यार है या कुछ और।।

माया ने कहा नहीं मेरा तजुर्बा कहता है कि विक्रम सिंह शेखावत एक बहुत ही अच्छा इंसान हैं। नैना ने कहा दीदी हम परदेश में है और तुम विक्रम सिंह शेखावत को कैसे विश्वास कर रही हो? माया ने हंसते हुए कहा अरे अगर उसे कुछ भी करता होता तो कर सकता था पर उनसे कुछ भी नहीं किया देख जैसा मेरा निलेश सच्चा प्यार करने वाला है।
नैना सोचने लगी कि हां शायद दीदी सच कह रही है।

माया ने कहा चलो अब निकलना होगा हमें सारा सामान लेकर टैक्सी में बैठ गई। माया को बहुत ही अच्छा लगा उस लोगों का आदर सत्कार।।

नैना भी बैठ गई और फिर गाड़ी निकल गई अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर।

दो घंटे बाद ये लोग हवाईअड्डे पर उतर गए। पैसे देकर अपना बैग लेकर आगे बढ़ने लगे।तो पीछे से आवाज आई दी रूकिए। माया पीछे मुड़कर देखने लगीं।तो हंसने हुए विक्की आ गया और बोला अरे दीदी अगर मैं नहीं बुलाता तो मिल नहीं पाता। माया ने कहा हां,हां कैसे हो?
विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां अच्छा हुं।आप लोग तो जा रहें हो। नैना आज पहली बार विक्की की आंखों में देखने लगीं। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा अरे नैना ठीक हो ना कहीं प्यार व्यार तो नहीं हो गया परदेश में।।
नैना ने कहा हां मैं ठीक हूं। माया ने कहा मुझे लगा कि तुम भी आ रहें हो? विक्रम सिंह शेखावत ने कहा अरे ऐसे कैसे आऊं दी किसी ने तो कुछ कहा नहीं। पर हां एक वादा करता हूं कि आऊंगा जरूर।।
नैना ने कहा हमें चलना चाहिए। माया ने कहा हां चलो। विक्की ने एक लाल चुन्नी नैना को देने लगा। नैना ने कहा ये क्या?

विक्रम सिंह शेखावत ने कहा अरे उस दिन मार्केट में देख कर भी नहीं लिया तुमने? नैना ने कहा हां मुझे पसंद नहीं आया था पर आप वहां कहां थे? विक्रम सिंह शेखावत ने कहा अरे मैं तो हर जगह मौजूद हुं देखने वाले का नजरिया है। नैना कुछ नहीं बोली और जाने लगी।गेट पर जाकर दोनों मुड़ कर विक्रम सिंह शेखावत को हाथ दिखाया। विक्रम सिंह शेखावत ने वो लाल चुनरी उड़ा दिया और वो चुनरी सीधे नैना के सर पर जाकर गिर गया।
विक्रम सिंह शेखावत ने कहा चलो दुआ कबूल हुआं।बोल कर चला गया।
नैना और माया दोनों ही अन्दर पहुंच गए। नैना ने वो चुनरी लेकर बैंग में रख दिया। फिर सारी फाॅर मालिटज पुरी कर के गेट नंबर १२मे जाकर बैठ गए।
माया ने अतुल को फोन करके बताया कि अब आठ बजे बैठ जाएंगे।
नैना को बार बार रह,रह कर विक्रम सिंह शेखावत की सारी बातें याद आ रही थी। माया ने कहा देखा भगवान भी यही चाहता है।

शगुन मिल गया तुझे अब तू अमानत है। नैना ने कहा दीदी आप भी क्या बोल रही है।
फिर दोनों समय से ही हवाई जहाज पर सवार हो गए।

फिर हवाई जहाज उड़ने लगा। नैना ने कहा कैसे ये दिन बीत गए पता नहीं चल पाया।
माया ने कहा हां ठीक कहा। पता नहीं क्यों लग रहा है कि कुछ छुट रहा है।
नैना ने कहा हां पर क्या?
माया ने कहा विक्की।। नैना ने कहा हां ओह।
फिर डिनर मिल गया दोनों ने डिनर किया और फिर सो गई। सुबह को कनाडा में लैंडिंग हो गई। अब यहां से इंडिया की फ्लाइट दो घंटे बाद की थी।

एयरपोर्ट पर ही सब फेश् होकर चाय नाश्ता करने लगे।

विक्रम सिंह शेखावत की फोन आ गया।


माया ने कहा तुम्हें याद कर रहे थे। विक्की ने कहा हां सच में, सिर्फ आप या वो भी? माया ने कहा हां खुद ही पुछ लो। नैना को फोन पकड़ा दिया।
नैना ने कहा हैलो। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां नैना कुछ भी कहा नहीं तुमने मेरा तोफा। नैना ने कहा क्या बोलूं मैं हां।।

विक्रम सिंह शेखावत ने कहा अरे बाबा अगर एक बार बोलो तो मैं दूसरे फाइलट से ही आ जाऊंगा।
नैना ने बिना कुछ कहे फोन रख दिया। और रोने लगी।
माया ने समझाया नैना को और फिर नाश्ता करने लगे।
वहां पर बैठ कर माया और नैना फोन पर फोटो देखने लगें थे।
फिर कुछ देर बाद ही वो लोग हवाई जहाज पर सवार हो गए। नैना ने कहा शाम तक पहुंच जाएंगे।
फिर दोपहर में लंच मिल गया। खाने के बाद दोनों फिर से सो गई।

देखते देखते शाम हो गई। चाय नाश्ता सब मिल गया और फिर तीन घंटे बाद ये लोग भारत पहुंच गए।

एयरपोर्ट पर उतरे और फिर अपना सामान लेकर टैक्सी में बैठ गए।

दस बजे तक घर पहुंच गए। नैना ने पहुंच कर बुई को फोन कर दिया तो बुई ने रेखा के हाथों खाना भिजवा दिया।
किसी तरह नैना और माया खाना खा कर एक दम थके हुए थे इसलिए सो गए।

नैना की आंखें एक दम सुबह सुबह खुल गई थी और अपने आंखों के सामने उसने निलेश को पाया। नैना ने कहा अरे कहा चले गए थे? निलेश ने कहा हां मैं चला गया हुं पर वापस नहीं आ सकता पर जो तुम्हारे पास है उसका इन्तज़ार मत करो कहा क्यों नहीं अभी तक अपने दिल की बात। मुझे पता है कि तुम क्या चाहती हो।बस फिर नैना ने देखा कि कहीं कोई भी नहीं है। नैना सोचने लगी कि क्या निलेश भी चाहता है।

फिर दोनों अपने अपने काम पर लग गई। नैना ने निलेश को जो जो पुरस्कार मिला वो सब निलेश के कमरे में सजा दिया।

माया ने कहा आज ही बैंक में जाकर निलेश के सारे चेक जमा करने होंगे। नैना ने कहा हां ठीक है।
कुछ देर बाद ही अतुल और बिमल आ गए।

नैना ने फिर सारी चीज़ें दिखाई। और सब मिलकर खाना खाने बैठ गए। तभी माया ने विक्रम सिंह शेखावत के बारे में सब कुछ बताया। अतुल और बिमल को ये विश्वास नहीं हुआ तो माया ने विक्की कि विडियो रेकॉर्डिंग दिखाया।। अतुल और बिमल अपनी आंखों पर भी विश्वास नहीं हो रहा था दोनों ही बार,बार विडियो को देखे और फिर रोने लगे कि ऐसा कैसे हो सकता है एक हमशक्ल कैसे हो सकता है।।

माया ने कहा हां हम भी चौंक गए थे पर विक्की भी निलेश जैसा ही है। आर्मी चीफ बिक्रम सिंह शेखावत।।

बिमल ने कहा और कुछ बताइए दीदी।


माया ने कहा हां ठीक है लेकिन अब हम दोनों को बैंक में जाना होगा। अतुल ने कहा हां ठीक है दीदी हमलोग रात को मिलते हैं।

फिर दोनों तैयार हो कर निकल गए।

बैंक में जाकर काफी देर तक सब काम करने के बाद दोनों घर लौट आए।

नैना ने कहा सब काम हो गया। माया ने कहा हां अब हर महीने निलेश की वजह से दस हजार रुपए आएगा।
नैना ने कहा हां दीदी आज निलेश होता तो कितना खुश होता।

फिर दोनों आराम करने लगे।

फिर नैना उठकर चाय बनाने लगी और फिर विक्रम सिंह शेखावत का फोन आया। माया बातें करने लगी। बहुत देर तक दोनों बातें करते रहे।


फिर दोनों बैठ कर टीवी देखने लगी। माया ने कहा कल तो स्कूल भी जाना होगा।

नैना ने कहा हां दीदी कल हमें भी बहुत काम है।

माया ने कहा रात को खाना खाने में क्या बनाएं। नैना ने कहा दीदी खिचड़ी आलू दम ये सब बना दो। माया ने कहा हां ठीक है।

माया जल्दी से किचन में जाकर खाना बनाने लगी।


कुछ देर बाद कोकिला बहन भी आ गई और माया ने बातों बातों में विक्रम सिंह शेखावत की सारी बातें बताई। और फिर वो विडियो भी दिखाया। कोकिला ने देखते ही कहा ये भगवान का करिश्मा ही कह सकते हैं वरना ऐसा देखने को नहीं मिलता।


कमश: